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उत्तराखण्ड में डबल इंजन की सरकार सरपट दौड़ रही है। इस इंजन में केंद्र सरकार का ईंधन डाला जा रहा है। इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पहाड़ प्रेम कहा जा रहा है। सत्तारूढ़ पुष्कर सिंह धामी सरकार को जिस तरह से केंद्र से भारी आर्थिक मदद मिल रही है उससे बेशक प्रदेश विकास के रास्ते पर है लेकिन इस पर सवाल भी उठने लगे हैं

केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर राज्य के लिए अनेक बड़ी-बड़ी परियोजनाओं की सौगात बरसती रही है जिससे सबसे ज्यादा अवस्थापना विकास के कार्य हुए है। शायद यही कारण है कि उत्तराखण्ड सरकार केंद्र सरकार के भरोसे प्रदेश के विकास का बेड़ा पार लगाने की उम्मीद कर रही है। 65771 करोड़ के भारी भरकम बजट के बावजूद राज्य सरकार प्रदेश में अवस्थापना विकास और जन कल्याणकारी योजनाओं के लिए किये गये वित्तीय प्रावधानों में केंद्र से ही धन मिलने की उम्मीद कर रही है। राज्य सरकार लगातार नई-नई घोषणायें कर रही है। जिनका केंद्र की सहायता के बिना पूरा होना संभव नहीं है।

केंद्र की ‘अर्बन इंफ्रास्टेक्चर डेवलपमेंट इन सेकेंडरी सिटी’ परियोजना के तहत राज्य के दो दर्जन से भी अधिक शहरों में बेहतर सुविधायें और अवस्थापना विकास के लिए उक्त योजना को लागू किया गया है। जिसके तहत विकास नगर और डोईवाला शहर का चयन किया गया है। जिसमें तमाम तरह के अवस्थापना विकास और बुनियादी सुविधाओं का खका खींचा गया है। देहरादून और मसूरी के लिए यातायात को सुगम और सरल बनाने की अनेक बार राज्य सरकारे घोषणा करती रही है। लेकिन इन पर धन की कमी आड़े आने से ये योजनाएं प्रस्ताव से बाहर नहीं निकल पाई हैं। अब केंद्र सरकार ने 1750 करोड़ की सड़क योजनाओं को मंजूरी दे दी है साथ ही अर्बन इंफ्रास्टेक्चर डेवलपमेंट इन सेकेंडरी सिटी परियोजना भी लागू कर दी है जिसमे केंद्र सरकार की सहायता से कस्बों का शहरी करण और विकास कार्य किये जायेंगे।

सरकार ने राज्य के अवस्थापना विकास का जो रोड मैप सामने रखा है उसमें अनेक सड़कों का निर्माण होना है जिनमें से कई योजनाओं को केंद्र सरकार से मंजूरी भी मिल गई है और कई राज्य सरकार केंद्र को प्रस्ताव भेजने वाली है। केंद्र से मंजूरी मिलने वाली योजनाओं में देहरादून एंव मसूरी उच्चस्तीय परिवहन विकास परियोजना है जिसमें 1750 करोड़ खर्च किये जायेगे। इसी तरह से 934 करोड़ रुपये से ऋषिकेश भानियावाला को फोर लेन करने तथा 988 करोड़ की लागत से देहरादून से पौंटा साहिब को जोड़ने वाली सड़क को भी फोरलेन करने का प्रस्ताव रखा गया है। देहरादून शहर में स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत 2022-23 के लिए 205 करोड़ का बजट में प्रावधान किया गया है जिसमें अनेक कार्य किए जाएंगे।
प्रदेश में सड़कों के निर्माण आदि के लिए राज्य सरकार के द्वारा 524 किमी सड़को का नव निर्माण और 680 किमी ़सड़कों का पुनः निर्माण तथा 36 नये पुलों का निर्माण का प्रस्ताव किया गया है। ग्राम्य विकास विभाग के तहत प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में 2288 किमी सड़कों को अपग्रेड करने और 151 नये पुलां की विशेष स्वीकृति राज्य को प्रदान की गई है।

मानस खण्ड कॉरिडोर योजना के तहत काशीपुर-रामनगर-मोहान-बुआखाल कुल 274 किमी सड़क को दो लेन से चार लेन और एक लेन को दो लेन सड़क में परिवर्तित करने के लिए राज्य सरकार ने प्रस्ताव पास कर के इसे केंद्रीय सड़क और राजमार्ग मंत्रालय को भेजने का निर्णय लिया है। साथ ही केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के द्वारा चंपावत में बनबसा से नेपाल के कंचनपुर को जोड़ने के लिए 4 किमी तथा ऋषिकेश से भानियावाला के लिए 20 ़6 किमी फोर लेन सड़क का निर्माण किया जायेगा। इसके अलावा काठगोदाम- लालकुआं-हल्द्वानी बाईपास तक 37 ़5 किमी, रूद्रपुर बाईपास के लिए 21 किमी सड़क का निर्माण इसी वित्तीय वर्ष में प्रस्तावित किया गया है।

जिस तरह से केंद्र सरकार राज्य में अवस्थपना विकास के लिए जम कर सहायता दे रही है और राज्य सरकार भी इसका भरपूर फायदा उठाने का काम करती रही है, उससे तो लगता है कि राज्य में बहुत जल्द ही सड़कों के दिन बहुरने वाले है। इससे राज्य को हर क्षेत्र में फायदा तो होगा ही साथ ही राज्य सरकार पर अपने संशाधनों और वित्तीय खजाने पर बोझ कम पडेगा। भाजपा मोदी सरकार के द्वारा राज्य के लिए दी गई सौगातों का बखान करती रही है मातदाताओं ने भी भाजपा को मन से सपोर्ट किया। मोदी फैक्टर का प्रभाव प्रदेश के अवस्थापना विकास पर भी साफ देखने को मिल रहा हैे जिसमें प्रधानमंत्री मोदी का उत्तराखण्ड प्रेम साफ झलक रहा है। पांच वर्ष में ही केंद्र से 55841 करोड़ की भारी भरकम सहायता प्रदेश को दी जा चुकी है। मौजूदा धामी सरकार भी केंद्र की ही सहायता से प्रदेश के विकास का खाका खींचने में लगी हुई है।

प्रदेश को केंद्र की सहायता कितनी मिलती रही है इसकी जानकारी स्वयं राज्य के वित्त मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल ने बजट सत्र के दौरान सामने रखी है। विगत 10 वर्षों में केंद्र सरकार के द्वारा प्रदेश को 83916 करोड़ का विभिन्न विकास योजनाओं में अनुदान दिया गया है जिसमें 2012-13 से 2016-17 तक 28075 करोड़ तथा 2017- 18 से 2021- 22 तक 55841 करोड़ का अनुदान विभिन्न विकास योजनाओं में दिया गया है। इससे यह तो साफ हो गया है कि राज्य में डबल इंजन की रफ्तार तेज हो रही है और राज्य सरकार केंद्र सरकार के भरोसे ही अपने विकास के कार्य कर पाई है।

राज्य में ज्यादातर निर्माण के काम ही किये जाते रहे है। सीएजी ने भी अपनी रिपोर्ट में इसकी पुष्टि की है। भाजपा और कांग्रेस सरकारो के तुलना में भाजपा सरकार ने केंद्रीय सहायता से पूंजीगत कार्य ज्यादा किये है। जहां कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान 2012 से 2017 तक 21364 करोड़ के पूंजीगत कार्य किये गये है तो भाजपा सरकार के कार्यकाल में 2017 से 2022 तक के वित्तीय वर्ष में 31164 करोड़ पूंजीगत कार्यो में खर्च किये गये हैं जो कि 45 फीसदी से भी ज्यादा है। कहा जा रहा है कि ज्यादातर घोषणायें केंद्र की सहायता वाली होने से सरकार को आगामी लोकसभा चुनाव में विकास की बात करने का मौका मिलेगा। लेकिन जानकार इसे राज्य के भविष्य के लिए मुफीद नहीं मान रहे है। राज्य सरकार हर साल में अपना बजट का आकार बढ़ा रही है लेकिन उसके अनुपात में खर्च नही कर पा रही है। आंकड़ों के अनुसार पांच वर्ष में औसतन 70 प्रतिशत बजट ही खर्च हो पाया है। यह राज्य के लिए सही नहीं कहा जा सकता है।

सीमांत ट्टारचूला में अब केंद्र की वाइब्रेंट योजना

धारचूला का गुंजी गांव 

केंद्र सरकार की वाइब्रेंट योजना के तहत अब जनपद पिथौरागढ़ के सीमांत धारचूला तहसील के 14 गांव चयनित किए गए हैं। सीमा क्षेत्र में तेजी से सड़कों का निर्माण कराने के साथ- साथ अब इन गांवों का भी तेजी से विकास किया जाएगा। इस योजना में भारतीय सेना और प्रशासन मिलकर विकास योजनाओं को धरातल पर उतारेंगे।

याद रहे कि चीन पहले से ही अपने सीमा क्षेत्र से लगे क्षेत्रों का तेजी से विकास कर रहा है। कहा जा रहा है कि चीन को ­­­चुनौती देते हुए केंद्र सरकार ने उत्तराखण्ड के सीमांत क्षेत्र के लिए यह योजना शुरू की है। कुछ दिन पहले ही केंद्र सरकार ने गांवों के तेज विकास के लिए वाइब्रेंट योजना शुरू करने का निर्णय लिया है। यह योजना पहले से सीमावर्ती क्षेत्रों के लिए संचालित बीएडीपी, सीएमबीएडीपी और अन्य योजनाओं से अलग होगी। इसमें पहले से चल रही योजनाओं से अलग योजनाएं बनाई जायेंगी।

उत्तराखण्ड की सीमांत तहसील धारचूला की चीन से लगने वाली व्यास घाटी के 14 गांव पहले चरण में इस योजना में शामिल किए गए हैं। इनमें बूंदी, गुंजी, कुटी, रौंगकांग, ज्योलिकांग, नावी इन प्रमुख गांवों में शामिल है। वाइब्रेंट योजनाओं में सीमांत क्षेत्र में पर्यटन विकास पर विशेष फोकस किया जाएगा। गौरतलब है कि व्यास घाटी दो वर्ष पूर्व ही सड़क से जुड़ी है। लिपुलेक तक सड़क निर्माण हो जाने के बाद अब बड़ी संख्या में पर्यटक यहां पहुंचने लगे हैं। स्थानीय लोगों को भी अब सड़क मार्ग से आवागमन की सुविधा मिल गई है।

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