मित्र पुलिस में लगातार हो रही आत्महत्या की घटनाओं से उत्तराखंड पुलिस को लेकर सवालिया निशान लग रहे हैं ?कहीं दरोगा तो कहीं सिपाही द्वारा की जा रही है आत्महत्या से महकमा सदमे में नजर आ रहा है तो वही यह भी सवाल उठ रहा है कि आख़िर इतने बड़े पैमाने पर मित्र पुलिस के जवानों द्वारा की जा रही आत्महत्याओं का क्या कारण है ?प्रत्येक घटना के पश्चात जांच कराने के बजाय प्रकरण को ठंडे बस्ते में डाला जाना भी इसका एक बड़ा कारण माना जा रहा है
हाल ही में हरिद्वार जनपद के सीमांत थाने थाना झबरेड़ा में महिला सिपाही मंजीता द्वारा की गई आत्महत्या के प्रकरण में थानाध्यक्ष और एक सिपाही पर गंभीर आरोप लगाते हुए मंजीता के परिजनों द्वारा मुकदमा दर्ज कराया गया है बताया जा रहा है कि मंजीता का स्थानांतरण रुड़की होने के बावजूद थानाध्यक्ष द्वारा मंजीता को रिलीव किए जाने के बजाय उसको थाना झबरेड़ा में ही अनावश्यक रूप से रोककर रखा था जिस कारण मंजीता तनाव में थी रविवार को सिपाही मंजिता का शव उसके सरकारी आवास में बनी रसोई के भीतर फंदे में झूलता मिला था ।इस प्रकरण में एक वीडियो भी वायरल हो रहा है जिसमे मौके पर मौजूद एसओ बोलते हुए सुने जा रहे हैं कि आज रिलीव करने को बोल तो दिया था ।
मंजीता के परिजनों द्वारा लगाए गए आरोपों के अनुसार मंजीता के अनुसूचित जनजाति होने के कारण भी उसके साथ थानाध्यक्ष और सिपाही अस्वाल द्वारा दुर्व्यवहार किया जाता था इस संबंध में पुलिस को भले ही कोई सुसाइड नोट ना मिला हो परंतु इस बार मित्र पुलिस पर गंभीर आरोप ना केवल सामने आए हैं अपितु मृतक महिला सिपाही के परिजनों द्वारा थानाध्यक्ष झबरेड़ा व एक सिपाही के विरुद्ध मुकदमा भी दर्ज कराया है बात हरिद्वार जनपद की करें तो यह पहला मामला नहीं है जब थाने में सुसाइड किया गया हो इससे पूर्व थाना बहादराबाद में तैनात महिला उप निरीक्षक द्वारा भी आत्महत्या की गई थी यही नहीं पिछले महीने Kaliyar थाना क्षेत्र अंतर्गत कोविड-19 के तहत पाबंद क्षेत्र में ड्यूटी कर रहे उत्तराखंड पुलिस के एक सिपाही ने आत्महत्या की थी कुल मिलाकर अभी तक हरिद्वार जनपद में ही पुलिस के जवानों द्वारा आत्महत्या किए जाने का आंकड़ा आधा दर्जन तक पहुंच चुका है परंतु हर घटना की लीपापोती करने में माहिर मित्र पुलिस द्वारा इस ओर ध्यान ना दिए जाने के चलते यह आंकड़ा बढ़ना चिंता का सबब माना जा रहा है