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Uttarakhand

शराब की बिक्री में करोड़ों की हेराफेरी

शराब के खुदरा विक्रेता ग्राहकों को मनमाने ढंग से लूट रहे हैं। आबकारी विभाग और संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों का उन्हें जरा भी खौफ नहीं है। स्थिति यह है कि एक-एक बोतल पर ग्राहकों से डेढ़ सौ रुपए तक ज्यादा लिए जा रहे हैं। विरोध करने पर उनके साथ बदतमीजी की जाती है

देवभूमि का दुर्भाग्य है कि यहां शराब को लेकर अक्सर चर्चा होती रही है। शराब यहां की राजनीति का खास मुद्दा बनी रहती है। राजनेता से लेकर खुदरा व्यापारी तक शराब के जरिए मोटी कमाई के हथकंडे अपनाते रहते हैं। इन दिनों प्रदेश में खुदरा शराब बिक्री में करोड़ों रुपए की हेराफेरी हो रही है। कहते हैं कि एक तो चोरी ऊपर से सीनाजोरी। खुदरा विक्रेता ग्राहकों से तय कीमत से कहीं ज्यादा अधिक वसूल रहे हैं। इस पर कुछ लोगों के सवाल करने पर उन्हें डरा-धमकाकर भगा दिया जाता है या फिर लेना है, तो लो नहीं तो फूट जाओ जैसी डांट सुननी पड़ती है। खुदरा विक्रेताओं की इस धांधली के कारण सरकार को मिलने वाले टैक्स से कहीं ज्यादा धन इन दुकानदारों के पॉकेट में चला जाता है। ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी अधिकारियों और शासन में बैठे उच्च अधिकारियों को नहीं है। कई लोगों और संगठनों ने इसकी शिकायत अधिकारियों से भी की लेकिन कार्रवाई न के बराबर होती है। कभी-कभार कार्रवाई के नाम पर 1 दिन के लिए ऐसी दुकानों को बंद कर दिया जाता है, मगर अगले दिन ही विक्रेता फिर से मनमानी पर उतर जाते हैं। इस प्रकार की कार्रवाई से शंका जताई जा रही है कि इस पूरे खेल में ठेका मालिकों के साथ सरकार की भी मिलीभगत है।

पूरे प्रदेश में एक साथ ग्राहकों से अधिक कीमत वसूलना अकेले दुकानदारों के वश का काम नहीं है। उत्तराखण्ड ऐसा राज्य है जहां से शराब के विरोध में कई बड़े आंदोलन हुए हैं। लेकिन इन आंदोलनों का हश्र यह है कि आज प्रदेश की छोटे-छोटे कस्बों में भी शराब की लाइसेंसधारी दुकानें खुल गई हैं। सरकार का तर्क है कि इससे प्रदेश को राजस्व प्राप्त होता है, इसलिए इन्हें बंद नहीं किया जा सकता। यह सही भी है। सरकार के आय का एक बड़ा हिस्सा आबकारी से प्राप्त होता है। मगर सरकार से कहीं ज्यादा धनराशि शराब माफियाओं की जेबों में चली जाती है। आबकारी विभाग के दिशा-निर्देश के मुताबिक शराब के सभी खुदरा विक्रेता केंद्रों में बाहर रेट लिस्ट लगानी जरूरी है। लेकिन कई दुकानों पर यह सूची तो है मगर सिर्फ दिखावे के लिए। अधिकतर दुकानों के बाहर यह सूची है ही नहीं। ऐसे में ग्राहकों को शराब के विभिन्न ब्रांड की वास्तविक कीमत का पता नहीं चल पाता है। दुकानदार अपने ग्राहकों से जो कीमत लेता है ग्राहक उसे ही वास्तविक कीमत जानकर पैसे देते हैं। बहुत से ग्राहक शराब की बोतल पर अंकित कीमत की ओर ध्यान भी नहीं देते हैं। ग्राहकों से सभी दुकानों पर प्रिंट रेट से अधिक कीमत वसूली जाती है। शराब का खुदरा विक्रेता बोतल पर अंकित कीमत से कहीं ज्यादा पैसे ग्राहकों से लेता है।

पौड़ी, टिहरी, रुद्रप्रयाग, चमोली आदि कई जनपदों में चल रही सरकारी शराब की दुकानों पर मौजूद ग्राहकों और दुकानों के सेल्समैन से बातचीत की गई तो सभी जगह पर इसके पुख्ता सबूत मिले हैं कि खुदरा विक्रेता बोतल की तय कीमत से ज्यादा दाम ग्राहकों से वसूल कर रहे हैं। यह अधिक कीमत 10-15 रुपए नहीं है, बल्कि 60 से 120 रुपए तक वसूले जाते हैं। पौड़ी जनपद के श्रीनगर क्षेत्र में सरकारी दुकान एक पौव्वे पर ग्राहकों से 40, आधे पर 60 और एक बोतल पर 100 रुपए से अधिक वसूला जा रहा है। इस दुकान पर श्रीनगर के ही एक निवासी 8 पीएम का अद्धा खरीदने गया तो उस पर अंकित मूल्य 240 था, लेकिन उसको 300 रुपए में दिया गया। अंकित मूल्य से 60 रुपए ज्यादा लिए गए। मैकडॉवेल की बोतल पर 100 रुपए ज्यादा लिए गए। ग्राहक ने अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि हम लोगों से हमेशा ही ज्यादा पैसा लिया जाता है। शुरू में एक-दो बार मैंने दुकानदार से पूछा तो उन्होंने बदतमीजी से जवाब दे दिया कि इसी कीमत पर शराब मिलेगी। लेना है तो लो।

जब मेरे द्वारा दुकान पर मौजूद सेल्समैन से इस बाबत पूछा गया तो उसने साफ कह दिया कि हमें इसी कीमत पर बेचने का निर्देश मिला है। आपको यदि कुछ और जानना है तो दुकान के मालिक से बात कर लो। गढ़वाल मंडल मुख्यालय पौड़ी जनपद में सरकारी ठेके की 41 दुकानें हैं। पिछले कुछ महीनों से श्रीनगर, पौड़ी की दुकानों की शिकायत प्रशासन को मिली। इन दुकानों पर आबकारी विभाग द्वारा कोई भी चालान तक नहीं किया गया। पौड़ी में तो स्थिति यह है कि होटलों पर भी शराब मिल रही है और वहां पर भी अधिक दाम में मिल रही है। आबकारी विभाग ने पिछले 4 महीनों में मात्र 194 लीटर अवैध शराब पकड़ी है और इन चार महीनों में सिर्फ 21 चालान किए हैं। यहां की एक मैकडॉवेल की एक बोतल 650 से 700 में बेची जा रही है, बोतल पर अधिकतम कीमत 600 लिखा होता है। जबकि पौड़ी में गढ़वाल आयुक्त गढ़वाल रेंज के डीआईजी सहित जिला
अधिकारी एवं आबकारी अधिकारी कार्यालय भी हैं इसके बावजूद शहर में ओवर रेटिंग पर शराब बिक्री हो रही है।

बताया जाता है कि पौड़ी मुख्यालय के अलावा श्रीनगर में भी इसी प्रकार के काम हो रहे हैं। श्रीनगर में स्थित सरकारी ठेके की शिकायत कई बार जिला आबकारी अधिकारी से भी की गई, पर उनके द्वारा शराब व्यवसायी पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती। जनपद पौड़ी में बोतलों की बिक्री हुई है यदि औसतन प्रति बोतल 80 से 100 रुपए भी अधिक वसूले गए हैं तो इस हिसाब से खुदरा विक्रेताओं द्वारा ग्राहकों से करीब करोड़ों रुपए की अवैध वसूली की गई है। गौरतलब है कि जनपद पौड़ी में मई माह में 449653 की बोतलों की बिक्री हुई है यदि औसतन प्रति बोतल 50 से 100 रुपए भी अधिक वसूले गए हैं तो इस हिसाब खुदरा विक्रेताओं द्वारा ग्राहकों से तकरीबन करोड़ की अवैध वसूली की गई है। इसी प्रकार जून में कितनी बोतलों की बिक्री हुई है, विभाग के पास हिसाब नहीं है। प्रति बोतल दर निकाला जाए तो करोड़ों रुपए से अधिक वसूली नजर आती है।

वहीं कुछ दिन पहले श्रीनगर में लॉकडाउन के दौरान खिड़की से शराब बेचने को लेकर एक वीडियो सोशल मीडिया पर भी आया था। लेकिन इस दुकान को लेकर शासन-प्रशासन पर आबकारी अधिकारी द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। देखा जाए तो इन 3 महीनों में श्रीनगर में एक भी चालान तक नहीं कर पाया है आबकारी विभाग। अभी तक इन मामलों को लेकर कोई भी कार्यवाही नहीं हुई है।
जनपद रुद्रप्रयाग के शिरोबगड़ स्थित शराब की दुकान पर भी यही स्थिति थी। यहां भी दो-तीन ग्राहकों से बात करने पर उन्होंने अधिक दाम वसूले जाने की बात दोहराई। ठेके से रॉयल स्टेज की कीमत 850 से 900 रुपए में दी जा रही है। यही हाल चमोली, टिहरी और गढ़वाल के अन्य जनपदों का भी है।

श्रीनगर के ठेके में शराब महंगी नहीं दी जा रही है। उनके पास पुराना स्टॉक था। नए रेट आए
तो रेट चिट लगाना
भूल गए होंगे।
राजेन्द्र लाल, आबकारी अधिकारी पौड़ी

 

फोन नहीं उठाते हैं आबकारी अधिकारी

पौड़ी जिले में हो रही ओवर रेटिंग के मामले में लोगों को जिला आबकारी अधिकारी से नाराजगी है। लोग बताते हैं कि इस संबंध में जब कभी भी आबकारी अधिकारी राजेन्द्र लाल को फोन करो तो वे फोन नहीं उठाते और न ही फोन देखकर बैक कॉल करते हैं। हालांकि अभी कुछ दिन पहले ही उपजिलाधिकारी पौड़ी एसएस राणा ने विदेशी मदिरा दुकान का औचक निरीक्षण किया। दुकान में पाई गई खामियों पर दुकानदार के विरुद्ध कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिए। उपजिलाधिकारी ने निरीक्षण में पाई गई खामियों की जानकारी दी कि दुकान पर प्रिंट मशीन उपलब्ध नहीं पाई गई, पूछने पर सेल्समैन द्वारा बताया गया कि मशीन खराब पड़ी हुई है। इसके अलावा दुकान पर मौजूद सेल्समैन की सूची भी उपलब्ध नहीं पाई गई जो कि गंभीर अनियमितता है। उन्होंने कहा कि विदेशी मदिरा दुकान विनोद नेगी लाइसेंसी के नाम पर इस वर्ष के लिए आवंटित है। दुकान में पाई गई अनियमितता पर जिला आबकारी अधिकारी पौड़ी को तत्काल संबंधित के विरुद्ध कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिए गए हैं।

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