उत्तराखण्ड राज्य गठन के बीस साल बाद भी पंचायतें अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही हैं। सरकार उन्हें संविधान प्रदत्त अधिकारों को नहीं देना चाहती। इससे भी बड़ी विडंबना यह है कि सरकारी अधिकारी पंचायतों में अनावश्यक हस्तक्षेप या मनमानी करते रहे हैं। इससे जनता के चुने हुए पंचायत प्रतिनिधियों को अंदोलन भी करने पड़े हैं। पौड़ी जिले के पाबौ ब्लाॅक में भी इन दिनों जनप्रतिनिधि नाराज हैं। यहां ग्राम प्रधान के चयन को लेकर विवाद हो गया है। ब्लाॅक प्रमुख पाबौ के नेतृत्व में ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से प्रधान पद पर चयन को लेकर जारी हुए जिला पंचायतराज अधिकारी के आदेश को तत्काल निरस्त किए जाने की मांग की है।
ग्रामीणों का कहना है कि प्रधान के आकस्मिक निधन के बाद जिला पंचायत राज अधिकारी ने मनमाने ढंग से प्रधान पद पर वार्ड सदस्य का चयन किया है। ग्रामीणों ने मामले में जल्द ठोस कार्यवाही नहीं किए जाने पर आंदोलन एवं न्यायालय की शरण में जाने की चेतावनी दी है। इस बारे में ब्लाॅक प्रमुख पाबौ डाॅ रजनी रावत के नेतृत्व में ग्राम पंचायत ताल के ग्रामीणों ने मुख्यालय पौड़ी पहुंच जिलाधिकारी विजय कुमार जोगदंडे से मुलाकात की। ब्लाॅक प्रमुख डाॅ रावत ने बताया कि ग्राम पंचायत ताल में 12 फरवरी 2020 को ग्राम प्रधान अरविंद गुसांई का आकस्मिक निधन हो गया था। जिसके बाद से पंचायत में प्रधान पद रिक्त चल रहा था। लेकिन इस बीच एक वर्ष का समय बीत जाने के बावजूद प्रधान पद पर निर्वाचन नहीं हुआ। बावजूद इसके जिला पंचायत राज अधिकारी ने मानकों के विपरीत एक वार्ड सदस्य को प्रधान नामित कर दिया है। जिसके बाद से ग्रामीणों में खासा आक्रोश है।
उन्होंने बताया कि नियमानुसार प्रधान के निधन पर उपप्रधान को दायित्व सौंपा जाता है, लेकिन ताल में उपप्रधान का पद भी रिक्त चल रहा है। ऐसे में ग्राम पंचायत की बैठक आयोजित कर वार्ड सदस्यों से रायशुमारी की जाती है। मनोज रावत ने आरोप लगाया कि जिला पंचायतराज अधिकारी ने नियम विरुद्ध पंचायत की बैठक के बिना ही एक वार्ड सदस्य को प्रधान नियुक्त कर दिया है। साथ ही खंड विकास अधिकारी को उन्हें शपथ दिलाए जाने के निर्देश भी दिए हैं। ग्रामीणों ने कहा कि विभागीय अधिकारी के मनमाने आदेश को जल्द निरस्त नहीं किया गया, तो आंदोलन किए जाने के साथ ही न्यायालय की शरण भी ली जाएगी।
ताल ग्राम पंचायत में न सिर्फ प्रधान, बल्कि पंचायत भवन के शिलान्यास को लेकर भी विवाद हो चुका है। इस बारे में पाबौ प्रमुख रजनी रावत ने स्थानीय विधायक व उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत पर भेदभावपूर्ण व्यवहार करने का आरोप लगाया है। ग्राम पंचायत ताल में पंचायत भवन के शिलान्यास पर सवाल उठे थे। ब्लाॅक प्रमुख ने कहा है कि उक्त ग्राम पंचायत में प्रधान पद रिक्त है। बावजूद इसके शिलापट पर ग्राम प्रधान का नाम लिखा गया है, जबकि शिलापट पर प्रमुख का नाम अंकित नहीं किया गया। दरअसल, प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डाॅ धन सिंह रावत ने पाबौ ब्लाॅक में बीते एक फरवरी को ताल ग्राम पंचायत में ग्राम पंचायत भवन का शिलान्यास किया था। 24 लाख की लागत से बनने वाले इस भवन के निर्माण के लिए 20 लाख रुपए की धनराशि पंचायती राज एवं 4 लाख रुपए की धनराशि मनरेगा से आवंटित होगी।
लेकिन भवन निर्माण से पूर्व ही इस पर विवाद शुरू हो गया है। पाबौ ब्लाॅक प्रमुख रजनी रावत ने शिलान्यास पर सवाल उठाते हुए कहा कि शिलापट पर ग्राम प्रधान का नाम अंकित किया गया है। जबकि उक्त ग्राम पंचायत में प्रधान पद रिक्त है। उक्त भवन निर्माण के लिए ब्लाॅक से भी धनराशि आवंटित होनी है। बावजूद इसके शिलापट पर न तो ब्लाॅक प्रमुख का नाम है और न ही संबंधित क्षेत्र पंचायत सदस्य का नाम अंकित है। प्रमुख के कहा कि पौड़ी जनपद में प्रधान के 29 पद खाली हैं, उनमें क्यों नहीं प्रधान नियुक्ति किये गए।
प्रोटोकाॅल के अनुसार ब्लाॅक निधि से हुए कार्यों पर प्रमुख का नाम शिलापट पर होना चाहिए। लेकिन ग्राम सभा ताल में डीपीआरओ द्वारा अपनी मर्जी से ही वार्ड सदस्य को प्रधान पद पर नियुक्त कर दिया गया है। शिलापट पर भी भाजपा के ही नेताओं के नाम हैं।
रजनी रावत, ब्लाॅक प्रमुख पाबौ