पुष्कर सिंह धामी जब पहली बार मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने घोषणा की कि सूबे के सभी तेरह जिलों में मेडिकल कॉलेज बनेंगे। राज्य के चमोली, उत्तरकाशी, रूद्रप्रयाग, बागेश्वर, चंपावत समेत टिहरी जिले के लिए अभी तक मेडिकल कॉलेज मंजूर नहीं हुए हैं जबकि अन्य जिलों में या तो मेडिकल कॉलेज बन गए हैं या फिर स्वीकृत हो गए हैं। टिहरी के विधायक किशोर उपाध्याय मेडिकल कॉलेज की स्थापना को लेकर सक्रिय हैं। वे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया के साथ ही सीएम धामी और प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत से इस संबंध में मुलाकात कर चुके हैं। दो माह पूर्व जब सीएम धामी टिहरी प्रवास पर आए तो उन्होंने अपनी घोषणा को आगे बढ़ाते हुए टिहरी में मेडिकल कॉलेज बनाने का प्रस्ताव बनाकर भेजने के आदेश दिए। इसके बाद प्रशासन ने मेडिकल कॉलेज के लिए जमीन का सर्वे शुरू कर दिया है। इससे किशोर उपाध्याय के टिहरी में मेडिकल कॉलेज की स्थापना के सपने को पंख लगते दिखाई दे रहे हैं
टिहरी का बौराड़ी क्षेत्र चारधाम का केंद्र बिंदु है। यह गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ के बीचोबीच में पड़ता है। यहां मेडिकल कॉलेज बनाया जाना नितांत जरूरी है। यहां पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करने के लिए टिहरी झील बहुत महत्वपूर्ण है। यहां पर्यटन के क्षेत्र में जब 2000 करोड़ की योजना बनाई जाएंगी तो यह क्षेत्र देश का पर्यटन हब बन जाएगा। इसी के साथ ही यह इलाका इन्वेस्टर्स के लिए भी बहुत उपयुक्त है। इन्वेस्टर्स यहां आएंगे तो उनके लिए समुचित सुविधाओं का होना जरूरी है। इसके चलते यहां अच्छे स्कूल और हॉस्पिटल बनने चाहिए। ऋषिकेश में बेशक एम्स जैसा बड़ा चिकित्सा संस्थान है, लेकिन वह टिहरी के लिए दूर की कौड़ी साबित हो रहा है। पर्वतीय क्षेत्र को उससे कोई फायदा नहीं है। इसलिए बौराड़ी में मेडिकल हॉस्पिटल का बनना समय की जरूरत है। यह कहना है टिहरी के भाजपा विधायक किशोर उपाध्याय का। मेडिकल कॉलेज के मद्देनजर वह दिल्ली में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत से मिलकर अपनी मांग उनके सम्मुख रख चुके हैं।
24 फरवरी के दिन जब प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी टिहरी के बौराड़ी में आए और मेडिकल कॉलेज निर्माण की घोषणा की तो उस दिन से ही टिहरी विधायक किशोर उपाध्याय के सपनों को जैसे पंख लग गए। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा था कि मेडिकल कॉलेज का प्रस्ताव बनाकर जल्दी भेजें। इसके बाद किशोर उपाध्याय ने जिला प्रशासन द्वारा प्रस्तावित अस्पताल एवं मेडिकल कॉलेज का संलग्न प्रस्ताव मुख्यमंत्री धामी को जल्द से जल्द सकारात्मक निर्णय के लिए भेज दिया। उन्होंने एक पत्र मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भेजते हुए उनके द्वारा बौराड़ी स्थित चिकित्सालय के विस्तारीकरण के लिए उनका आभार जताया। उपाध्याय की प्राथमिकताओं में फिलहाल टिहरी में मेडिकल कॉलेज बनाना है। उपाध्याय के टिहरी में मेडिकल कॉलेज स्थापित कराने के सपने को पूरा करने के लिए प्रशासन ने भी कमर कस ली है। उधर जब से किशोर उपाध्याय को यह ज्ञात हुआ है कि उनके साथी प्रताप नगर विधायक विक्रम सिंह नेगी ने भी मुख्यमंत्री से नई टिहरी में मेडिकल कॉलेज की स्थापना का अनुरोध किया है तो उन्हें राजनीतिक के साथ ही नैतिक बल भी मिल गया।
यही नहीं बल्कि एक दर्जन गांवों के लोगों ने उनका सहयोग करते हुए मेडिकल कॉलेज के लिए नि शुल्क जमीन देने का भी एलान किया है। जिनमें पांगरखाल के बीडीसी सदस्य शिवराज सजवाण, सुषमा उनियाल ने गांव की 800 नाली से अधिक भूमि निःशुल्क देने, कोलधार के सुरेंद्र उनियाल ने दो हजार से अधिक नाली, पूर्व ब्लॉक प्रमुख जगदंबा रतूड़ी ने नकोट, प्रदीप भट्ट ने भटकंडा, साबली, जगधार, देवरी तल्ली, मल्ली, भाटूसैण, गौंसारी, इडिया, पाटा, तानगला, लालसी चेक आदि ग्राम समाज और सरकारी भूमि के प्रस्ताव पेश किए। इसके बाद उपाध्याय ने जिला प्रशासन को भूमि उपलब्ध कराने के प्रस्ताव दिए हैं। जिसके तहत पाटा की 577 नाली भूमि, ग्राम कोलधार में 1000 नाली, ग्राम पागरखाल में लगभग 2000 नाली भूमि तथा ग्राम इंडियाना के निकल भागरथीपुरम में 2000 नाली भूमि मेडिकल कॉलेज की स्थापना में भूमि उपलब्ध मानकों से कहीं अधिक है। गौरतलब है कि मेडिकल कॉलेज के लिए कम से कम 10 हेक्टेयर भूमि उपलब्ध होनी जरूरी है।
किशोर उपाध्याय बताते हैं कि मुख्य चिकित्साधिकारी द्वारा टिहरी में मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग, नई दिल्ली के नवीन मानकों के परीक्षण पश्चात अपनी आख्या आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित कर दी है। जिससे मेडिकल कॉलेज का मसला कुछ आगे बढ़ा है। उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज का मामला जिला प्रशासन से राज्य स्तर तक अग्रसारित हो गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री, मुख्यमंत्री और प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री से व्यक्तिगत रूप से मिलकर वह अनुरोध कर चुके हैं। सभी के सकारात्मक विचार हैं। उन्हें आशा ही नहीं, बल्कि पूरी उम्मीद है कि शीघ्र ही मेडिकल कॉलेज पर कार्य आरम्भ होगा।
बात अपनी-अपनी
हम फिलहाल मेडिकल कॉलेज के लिए जमीन का सर्वे कर रहे हैं। मेडिकल कॉलेज के लिए 10 हेक्टेयर भूमि उपलब्ध होने के साथ ही यह भी देखा जाएगा कि उसमें वन भूमि या सामुदायिक भूमि न हो। भूमि चयन में यह भी ध्यान रखा जाएगा कि जमीन तीव्र ढालदार न हो तथा वहां धूप की कमी न हो। मुख्य चिकित्सा अधिकारी को निर्देशित किया गया है कि भूमि चयन के दौरान स्वास्थ्य विभाग से नामित अधिकारी भी समन्वय करे और उस क्षेत्र में स्थापित सीएचसी, पीएचसी उपयोगिता का जीपीएस का प्लान उपलब्ध कराए। मेडिकल कॉलेज को लेकर भूगर्भीय जांच सहित अन्य मूलभूत आवश्यकताओं को लेकर भी संबंधित विभागों से चर्चा की जा रही है।
डॉ. सौरभ गहरवार, जिलाधिकारी टिहरी गढ़वाल
मैं जिला प्रशासन, चिकित्सा कर्मियों का आभारी हूं कि उन्होंने अथक परिश्रम कर संलग्न भूमि एवं भवनों की उपलब्धता सुनिश्चित कर ली है जो लगभग 17.50 एकड़ है। यह जमीन मानकों से कहीं अधिक है। मेडिकल कॉलेज बनाए जाने से पहले 300 बेड का अस्पताल बनाया जाना जरूरी है। जिसके लिए जमीन का सर्वे चल रहा है।
किशोर उपाध्याय, विधायक टिहरी