‘फौज में रहकर सरहद पर देश के लिए लड़े, अब लड़ाई है अपने प्रदेश के लिए
सोशल मीडिया पर इस टैगलाइन के साथ ट्विटर और फेसबुक पर मौजूद आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री चेहरा रहे कर्नल अजय कोठियाल ने जब 18 मई को इस्तीफा दिया तो चर्चाओं का दौर शुरू हो गया। आम आदमी पार्टी से भाजपा तक ले जाने में कौन ऐसा नेता रहा, किसने मध्यस्थ की भूमिका निभाई? आखिर क्या वजह रही कि कर्नल अजय कोठियाल आम आदमी पार्टी को छोड़ भाजपा की राह जाने को मजबूर हुए? भाजपा में जाकर कर्नल कोठियाल करेंगे क्या? क्या 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ेंगे या कोई सत्ता का लाभकारी पद ग्रहण करेंगे? भाजपा में जाते ही कोठियाल को लेकर इस तरह के कई सवाल राजनीतिक गलियारों में तैरने लगे।
गत विधानसभा चुनाव में गंगोत्री विधानसभा क्षेत्र से महज 5000 वोटों तक सिमट जाने वाले कर्नल अजय कोठियाल पर आम आदमी पार्टी ने मुख्यमंत्री चेहरा घोषित कर बड़ा दांव लगाया था। तब खुद कर्नल कोठियाल मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को निशाने पर लेकर आम आदमी पार्टी का चुनाव अभियान चला रहे थे। जिस तरह से उत्तराखण्ड में भाजपा के मुकाबले कांग्रेस कमजोर होती दिखाई दे रही थी उससे लग रहा था कि इस विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी मजबूती से उभरकर सामने आएगी। बल्कि राजनीतिक लोग तो यहां तक दावा कर रहे थे कि आम आदमी पार्टी प्रदेश में थर्ड विकल्प बनेगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। उत्तराखण्ड के मतदाताओं ने आम आदमी पार्टी को सिरे से नकार दिया। एक तरह के से कहा जाए तो आम आदमी पार्टी उत्तराखण्ड के लोगों की नब्ज नहीं पहचान सकी।
चुनाव के बाद कर्नल कोठियाल आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से नाराज बताए जा रहे थे। अपनी नाराजगी के भाव उन्होंने एक सैनिक पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने वाले नेता से कहें। सूत्रों के अनुसार वह नेता किच्छा के पूर्व विधायक राजेश शुक्ला के करीबी है। राजेश शुक्ला तक जैसे ही यह खबर पहुंची उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को कर्नल अजय कोठियाल की अरविंद केजरीवाल से नाराजगी की बात बताई और पार्टी में लाने की बात कही। हालांकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शुरू में इसके लिए सहमत नहीं थे। शुक्ला मुख्यमंत्री धामी के करीबी नेताओं में गिने जाते हैं। मुख्यमंत्री ने अंततः पूर्व विधायक राजेश शुक्ला को कर्नल कोठियाल को भाजपा में लाने की जिम्मेदारी सौंप दी। बताया जाता है कि राजेश शुक्ला ने कर्नल कोठियाल को पार्टी में लाने के लिए कवायद शुरू की। इसके बाद आम आदमी पार्टी से भाजपा में आने का कर्नल का रास्ता तैयार हो सका।
24 मई के दिन कर्नल कोठियाल देहरादून में भाजपा मुख्यालय में पार्टी ज्वाइन कर चुके हैं। लेकिन इसके बाद उनका अगला रास्ता क्या होगा इस पर सबकी नजर है। केदारनाथ आपदा के बाद वहां के पुनर्निर्माण में जिस तरह कर्नल अजय कोठियाल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई उससे वह जनता के दिलों में विशेष स्थान बना गए। कर्नल कोठियाल को केदारनाथ आपदा
पुनर्निर्माण के लिए ही नहीं बल्कि युवाओं में सेनाओं में भर्ती होने के लिए अभियान चलाने का श्रेय भी जाता है। राजनीति में आने से पहले उन्होंने सरकारी नौकरी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली। इसके बाद उन्होंने पहाड़ी क्षेत्र में जगह- जगह सैनिक कैंप लगवाएं। जिसमें उन्होंने युवाओं को सेना में भर्ती होने के लिए प्रोत्साहित ही नहीं किया बल्कि उन्हें परीक्षण भी दिया। प्रदेश में सैनिक बाहुल्य होने के चलते भाजपा के लिए कर्नल अजय कोठियाल महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।
भाजपा सूत्रों के अनुसार पार्टी उन्हें 2024 में किसी लोकसभा से चुनाव लड़ाने के लिए तैयार नहीं है। यही नहीं बल्कि जब कर्नल कोठियाल ने भाजपा को ज्वाइन किया तो उन्होंने ऐसी कोई शर्त भी नहीं रखी। हालांकि सूत्र यह भी बताते हैं कि पुष्कर सिंह धामी सरकार में कर्नल कोठियाल को सैनिकों की पृष्ठभूमि से जुड़े हुए किसी विशेष प्रयोजन का प्रभार सौपा जा सकता है। ऐसे में संभावना है कि उन्हें उत्तराखण्ड पूर्व सैनिक कल्याण निगम यानी उपनल का पदभार सौंप दिया जाए। इसमें सैनिक पृष्ठभूमि के लोगों को ही प्रमुखता दी जाती है। पिछले कई सालों से इसमें अनियमितताओं की बात भी सामने आ रही थी। प्रदेश सरकार की ओर से पूर्व सैनिकों एवं उनके आश्रितों के लिए 2004 में उपनल का गठन किया गया था ताकि इसके माध्यम से विभिन्न विभागों में नियुक्तियां की जा सके। लेकिन समय-समय पर इसमें गैर सैन्य पृष्ठभूमि के लोगों की भर्ती होती रही है। जिससे यह विवादास्पद होता रहा है।
पूर्व में वर्ष 2013 में तत्कालीन मुख्य सचिव ने पूर्व सैनिकों के अलावा गैर सैन्य पृष्ठभूमि के लोगों को भी उपनल में भर्ती का शासनादेश जारी किया था। पूर्व सैनिकों की नाराजगी के बाद इसे निरस्त किया गया था। जबकि वर्ष 2020 में कोविड-19 की वजह से गैर सैन्य पृष्ठभूमि के लोगों के लिए फिर से इसके माध्यम से नौकरी दिए जाने का रास्ता निकाल दिया गया। शुरुआत में 1 साल की नियुक्ति का रास्ता खुल जाने के बाद ही कुछ और समय के लिए इसे बढ़ाया गया है। इस समय प्रदेश में 20,000 से अधिक कर्मचारी कई विभागों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। सरकार चाहती है कि इस पर पूर्व सैनिकों के अलावा अन्य की नियुक्ति पर रोक लगे। इसके लिए नई योजनाएं शुरू की जा सके। उपनल के माध्यम से नए रोजगार सृजित किए जा सके। इसके मद्देनजर कर्नल अजय कोठियाल फिट बैठते हैं।
उपनल के अलावा पुष्कर सिंह धामी सरकार के पास एक और ‘हिम प्रहरी’ योजना भी प्रस्तावित है। यह योजना खास तौर पर पूर्व सैनिक और युवाओं के लिए है। गत् दिनों मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलकर इस योजना को लागू करने के लिए सहयोग मांगा था। इसके तहत राज्य की सीमा से लगे क्षेत्रों में पूर्व सैनिकों को बसाने की प्राथमिकता दी जाएगी। इस योजना का उद्देश्य उत्तराखण्ड के सीमा क्षेत्रों से लोगों के पलायन को रोकना है। योजना के तहत उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा जहां पलायन तेजी से होता है, ताकि लोग रुके रहे और बाहर किसी अन्य प्रांतीय स्थान पर न जाएं। याद रहे कि ‘हिम प्रहरी’ योजना की घोषणा भारतीय जनता पार्टी उत्तराखण्ड ने अपने 2022 के चुनावी घोषणा पत्र में भी की है।