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Uttarakhand

संघर्ष का संकल्प: फिर शहादत की राह पर मातृसदन

गंगा को बचाने के अपने संकल्प के साथ हरिद्वार स्थित मातृसदन आश्रम एक बार फिर से आंदोलरत है। 1997 में स्थापित यह आश्रम गंगा नदी के संरक्षण और उसकी धारा की अविरलता बनाए रखने के लिए संघर्ष के चलते दुनिया भर में प्रसिद्ध है। 2011 में आश्रम के संत ब्रह्मचारी निगमानंद ने 68 दिनों तक आमरण अनशन कर केंद्र और तत्कालीन राज्य सरकार की चूलें हिला डाली थी। निगमानंद ने गंगा के लिए शहादत दी। उस वक्त बड़े-बड़े वादे मातृसदन पहुंचे नेताओं ने गंगा में हो रहे अवैध खनन को रोकने के बाबत किए, लेकिन धरातल पर कुछ किया नहीं। इसके बावजूद मातृसदन के संस्थापक स्वामी शिवानंद ने हार नहीं मानी है। उनका धर्म युद्ध निरंतर जारी है।

वर्ष 2018 में ख्याति प्राप्त पर्यावरणविद् प्रोफेसर जीडी अग्रवाल उर्फ स्वामी सानंद ने गंगा की रक्षा के लिए आमरण अनशन में जाने की बात कही। फरवरी, 2018 में प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में प्रो. अग्रवाल ने प्रधानमंत्री से तत्काल गंगा संरक्षण के लिए ठोस उपाय करने की मांग की और चेताया कि यदि चार माह के भीतर उनकी मांगों पर कार्यवाही नहीं हुई तो वे आमरण अनशन पर बैठ जाएंगे। अपनी बात के धनी प्रो अग्रवाल 22 जून 2018 को मातृसदन में आमरण अनशन पर बैठ गए। 86 वर्षीय प्रो अग्रवाल ने 111 दिन के अनशन बाद प्राण त्याग दिए। इस बीच तत्कालीन जल मंत्री नितिन गडकरी से लेकर खुद को मां गंगा की बेटी कहने वाली उमा भारती तक प्रो अग्रवाल का अनशन तुड़वाने के लिए सच्चेःझूठे वादों का सहारा लेती रहीं, लेकिन प्रो ़ अग्रवाल टस के मस नहीं हुए।

जीडी अग्रवाल और निगमानंद की शहादत के बावजूद हरिद्वार में गंगा का दोहन बदस्तूर जारी है। इससे चिंतित होकर मातृसदन की साध्वी पद्मावती पिछले 66 दिनों से यहां अनशन पर बैठी हैं। 23 वर्षीय इस साध्वी पर राज्य सरकार अनशन तोड़ने का भारी दबाव तो बना ही रही है, उनके चरित्र पर भी छीटांकशी कर साध्वी को हतोत्साहित करने का प्रयास जोरों पर है। साध्वी ने मांग की है कि ‘केंद्र सरकार को जल्दी ही गंगा एक्ट बनाना चाहिए।’ उन्होंने उत्तराखण्ड में प्रस्तावित चार जल विद्युत परियोजनाओं को तुरंत निरस्त करने की भी मांग उठाई है। साध्वी के अनुसार ‘बार-बार वादा करने के बाद भी गंगा में समुचित जल नहीं छोड़ा जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मातृसदन के पत्र पर जून 2019 में तुरंत कार्रवाई की थी और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने मातृ सदन की सभी मांगों को मान लेने की बात दिल्ली में एक प्रतिनिधिमंडल से कही थी, लेकिन अब तक राज्य सरकार उदासीन बनी हुई है।’

इस मामले पर ‘दि संडे पोस्ट’ से बात करते हुए स्वामी शिवानंद सरस्वती ने सवाल उठाया कि ‘राज्य सरकार हरिद्वार में गंगा में खुलेआम अवैध खनन करा रही है इसलिए उनके आश्रम की अनुयायी साध्वी पद्मावती ने गंगा की रक्षा के लिए अनशन करने का निर्णय लिया है।’ आमरण-अनशन कर रहीं साध्वीं पद्मावती को 30 जनवरी 2020 को स्थानीय पुलिस रात 11 बजे जबरन उठाकर दून अस्पताल ले गई। उसी समय तत्काल ब्रह्ममचारी आत्मबोधानंद अनशन पर बैठ गए और तभी से मातृसदन की मांगों को लेकर अनशन पर हैं। 31 जनवरी को अस्पताल से साध्वी पद्मावती को डिस्चार्ज कर दिया जाता है। इस दौरान पद्मावती ने डॉक्टरों एवं पुलिसकर्मियों पर अपने साथ दुर्व्यवहार का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि ‘‘पुलिस मेरे साथ अपराधी की तरह पेश आई है और अस्पताल में मुझसे लगातार छेड़खानी की गई। इतना ही नहीं मुझ पर गर्भवती होने का भी झूठा आरोप लगाया।’’

साध्वी को बेवजह गर्भवती बताए जाने और 31 जनवरी 2020 को ही डिस्चार्ज कर देने के मामले में मातृसदन के संतों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। ‘दि संडे पोस्ट’ से बातचीत करते हुए स्वामी शिवानंद सरस्वती ने कहा कि ‘‘पद्मावती साध्वी हैं और गंगा की रक्षा के लिए तप कर रही हैं। वैसे तो इस तरह की बात किसी युवती के लिए नहीं की जानी चाहिए, लेकिन साध्वी के बारे में की गई टिप्पणी बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। इसे लेकर वे स्थानीय कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे। अगर इंसाफ नहीं मिला तो अंतरराष्ट्रीय कोर्ट तक भी गुहार लगाएंगे। उन्होंने देहरादून की सीएमओ मीनाक्षी जोशी तथा डॉ विजय भंडारी के नाम पर सौ करोड़ मानहानि का नोटिस भेजने की भी बात कही। कहा कि फिलहाल, सीएमओ से पद्मावती को उठाए जाने के बाद से लेकर डिस्चार्ज किए जाने तक का वीडियोग्राफ मांगा गया है, ताकि सारी बातें पता चल सकें।’

सदन में भी साध्वी पद्मावती के अनशन का मामला उठाया गया। गंगा की रक्षा के लिए एक्ट बनाने समेत कई मांगों को लेकर साध्वी पद्मावती लगभग दो माह से अनशन पर हैं। 4 फरवरी 2020 को यह मामला संसद में भी गूंजा। नालंदा के सांसद कौशलेंद्र कुमार ने बजट सत्र के दौरान यह मुद्दा उठाया। उन्होंने साध्वी की मांगों का समर्थन करते हुए सरकार से अनशन समाप्त कराने की अपील की। कौशलेंद्र कुमार बीते दिनों बिहार के जल संसाधन मंत्री सजंय झा के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का समर्थन पत्र लेकर हरिद्वार भी पहुंचे थे। मातृसदन ने कौशलेंद्र कुमार का इसके लिए आभार जताया है।

मातृसदन के अध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती ने कहा कि कौशलेंद्र कुमार ने अपने लोकसभा क्षेत्र की साध्वी का मुद्दा उठाकर एक जिम्मेदार जनप्रतिनिधि का दायित्व निभाया है। साध्वी पद्मावती बिहार के नालंदा की ही रहने वाली हैं। स्वामी शिवानंद ने यह भी कहा कि सरकार को यदि मातृसदन की तप भूमि से गंगा के गंगत्व को लेकर बलिदान ही चाहिए, तो बलिदान की श्रृंखला तैयार है। स्वामी सानंद की मांगों को सरकार को पूरा करना ही होगा। उन्होंने पत्र भेजकर देश के प्रधानमंत्री सहित सभी को अवगत करा दिया है।

हरिद्वार में गंगा को अविरल और निर्मल बनाए रखने सहित अन्य मांगों को लेकर आमरण अनशन कर रही मातृसदन की अनुयायी साध्वी पद्मावती के अनशन को लेकर बिहार सरकार के बाद अब यूपी सरकार भी चेती है। योगी सरकार के निर्देश पर मुजफ्फरनगर के एसडीएम और सीओ ने मातृसदन पहुंचकर साध्वी का हालचाल जाना। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से इस बारे में क्या कदम उठाए जा सकते हैं, इस बारे में भी चर्चा की। यूपी के दोनों अधिकारियों के साथ ही हरिद्वार के जिलाधिकारी और एसएसपी भी मातृसदन पहुंचे।

इस दौरान मातृसदन पहुंचे देश के 17 राज्यों और नेपाल व कनाडा से आए प्रतिनिधियों ने गंगा एवं पर्यावरण की रक्षा के लिए प्रभावी कदम उठाने की जरूरत बताई। मातृसदन ने संयुक्त राष्ट्र से भी अपील की है कि वह भी गंगा और साध्वी पद्मावती का जीवन बचाने के लिए हस्तक्षेप करें। केंद्र सरकार नमामि गंगे जैसी योजनाओं पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। इसके बावजूद गंगा की चिंता नहीं की जा रही है। मौजूदा सरकार गंगा और पर्यावरण को लेकर संवेदनहीन है। न्यायपालिका, सरकार और राजनीतिक दल और संयुक्त राष्ट्र से मातृसदन ने यही अपील की है कि गंगा की निर्मलता के लिए वे प्रभावी कदम उठाएं। इसके अलावा मातृसदन द्वारा जल यात्रा निकालने का भी निर्णय लिया गया है।

 

बेअसर नमामि गंगे योजना

वर्ष 2014 में सत्ता में आते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनएमसीजी (नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा) के तहत ‘नमामि गंगे प्रोग्राम’ की शुरुआत की। जिसमें प्रारंभिक :प में बीस हजार करोड़ रुपये के बजट का अनुदान किया गया। जून 2014 से लेकर अभी तक बीजेपी द्वारा इस प्रोग्राम को बड़े जोरःशोर से प्रायोजित किया जाता रहा है। लेकिन इन सबके बावजूद अभी तक गंगा नदी को न तो प्रदूषण रहित बनाया जा सकता है और न ही नदी के संरक्षण को लेकर कोई बड़ा कदम उठाया गया है।

अभी तक नामामि गंगे परियोजना की अध्यक्षता बीजेपी नेता नितिन गडकरी कर रहे थे। अब इस परियोजना का प्रभार जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत को सौंपा गया है। बीते 27 जनवरी 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के कानपुर में गंगा यात्रा के दौरान ‘नामामि गंगा परियोजना’ की समीक्षा की। अब देखना यह होगा कि 1985 में बनी फिल्म ‘राम तेरी मैली’ का गीत ‘‘राम तेरी गंगा मैली हो गयी ़ ़ ़ ‘सही साबित होता रहेगा या सरकारें गंगा नदी के प्रति गंभीरता से ध्यान देंगी?

-साथ में कोहिनूर चौधरी

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