वैश्विक महामारी कोरोना के चलते लाॅक डाउन के चलते आम जनजीवन भले ही अस्तव्यस्त हो चला है लेकिन यह प्रकृति और पर्यावरण के लिये वरदान के तौर पर देखने को मिल रहा है। एक माह के लाॅक डाउन के चलते गंगा नदी 80 फीसदी स्वच्छ और निर्मल हो चुकी है। राज्य के प्रदूषण नियंत्रण एवं पर्यावरण बोर्ड के द्वारा किये गये आंकलन से यह सामने आया है। देवप्रयाग से लेकर हरिद्वार तक गंगा नदी में हानिकारक जिवाणुओं की संख्या मे भारी कमी आई है।
उत्तराखण्ड के प्रदूषण नियंत्रण एवं पर्यावरण बोर्ड के द्वारा जारी किये गये आंकड़ो के अनुसार लाकडाउन के दौरान हरिद्वार मे गंगा नदी में बायोआक्सीजन डिमांड में तकरीबन 20 फीसदी की कमी आई है। इसका अर्थ यह है कि गंगा मे जिवाणुओं को जैविक कणो को तोड़ने के लिये आक्सीजन के लिये 20 प्रतिशत की कम जरूरत हो रही है। साथ ही देव प्रयाग से लेकर हरिद्वार तक हानिकारक कालीफार्म बैक्टीरिया की मौजूदगी मे भी बड़ी कमी आई है जबकि मार्च में इसी उपस्थिति 26 प्रतिशत थी जो अब घटकर 17 प्रतिशत रह गई है। लक्ष्मण झूला और ऋषिकेश में हानिकारक कोलीफार्म बैक्टीरिया में तो 47 प्रतिशत की बड़ी कमी आई है। जिसके चलते अब ऋषिकेश तक गंगा का पानी ए श्रेणी में आ चुका है यानी अब इसे आसानी से पीने के उपयोग में लाया जा सकता है।
सबसें बड़ी बात यह है कि हरिद्वारा जिले के जगजीत पुर जहां गांगा सीबरेज ट्रटमेंट प्लंाट कार्यरत है वहां भी गंगा में हानिकारक कालीफार्म बैकटीरिया में कमी आई है। मार्च 2020 में जहां जगजीत पुर में कालीफार्म की उपस्थिति 110 थी वह अप्रैल में घट कर 80 रहा गई है। यानी गंगा में प्रदूषण में बहुत कमी आ रही है। यहां भी गंगा के जल की श्रेणी बी में है जबकि हर की पौड़ी में पहले यह बी श्रेणी की थी जो अब ए श्रेणी में आ चुकी है।
यही नही गंगा दनी के जल का पीएच मान भी बढ़ गया है। देव प्रयाग से लेकर जगजीत पुर तक जल का पीएच मान मार्च की अपेक्ष बढ़ चुका है।
प्रयावरणविदो के लिये गंगा नदी मे ंप्रदुषण का स्तर कम होना बड़े आश्चर्य की बात है जबकि हजारो करोड़ रूपये गंगा एक्शन प्लान के नाम पर खर्च हो चुके है। मोदी सरकार के नमानी गंगे प्रोजैक्ट पर भी हजारो करोड़ का खर्च किया जा चुका है लेकिन गंगा नदी को निर्मल नही किया जा सका। एक कोरोना महामारी के चलते आज प्रकृति को अपने आप सुरक्षित और प्रदुषण मुक्त करने में बड़ी सफलता मिलती दिखाई दे रही है। जानकारो की माने तो यह दौर प्रकृति के लिये एक बड़े वददान के तोर पर सामने आया है लेकिन जेसे की लाॅकडाउन समाप्त होगा और आम जनरीवन सामन्य हो जायेगा फिर से वही स्थितियां बनने लगेगी जिसके लिये अब नये तरीके ओै येाजनाओं पर ध्यान देना जरूरी है। यह अवसर हम सबके लिये नई सोच के तौेर पर सामने आया है