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Uttarakhand

विधायक महेश नेगी की बढ़ी मुश्किलें,सीबीआई जांच के लिए हाईकोर्ट जाएगी पीड़ित महिला

उत्तराखण्ड के भाजपा विधायक महेश नेगी की  यौन शोषण और बलात्कार के मामले में मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। विधायक की दिक़्कत यह है कि उन पर दुष्कर्म और बलात्कार का आरोप लगाने वाली महिला सीबीआई जाँच के लिए संबंधित अधिकारियों से जोर -शोर से मांग कर रही है। फिर इसने अपने इरादे भी बता दिए हैं कि वह इस मांग को लेकर हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में भी उठाएंगी ,विधायक की एक बड़ी समस्या यह है कि वो पुलिस जवान उनके पक्ष में गवाह था उसका  एक कथित ऑडियो इन दिनों वायरल हो रहा है। जिमे उसने कहा है कि उसे मार -पीटकर विधायक के पक्ष में बयान देने को कहा गया।

दरअसल  हाल ही में भाजपा के  द्वाराहाट विधानसभा क्षेत्र के विधायक महेश नेगी पर एक महिला के द्वारा जबरन यौन शोषण और बलात्कार करने का  आरोप लगाया गया है।  महिला का दावा है कि उसकी पुत्री के पिता भी महेश नेगी ही हैं। अपने आरोपों की पुष्टि के लिए  महिला डीएनए जांच करवाने की भी मांग कर रही है।  जबकि विधायक महेश नेगी की पत्नी ने महिला के खिलाफ विधायक को बदनाम करने और ब्लैकमंलिग के आरोप लगाते हुये रिपोर्ट दर्ज करवाई है ।

महिला के मुताबिक उसकी लड़की की डीएनए जांच करवाई गई तो उसके पति से मिलान नहीं हुआ। ऐसा इसलिए कि विधायक ही उसकी  लड़की के पिता हैं। उसने मांग की है कि विधायक का डीएनए टेस्ट करवाया जाए।

अब द्वारहाट के विधायक महेश नेगी के खिलाफ यौन  शोषण मामले में जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे ही इसमें नए  मोड़  सामने आ रहे हैं।  अब विधायक पक्ष की ओर से 5 सितंबर को गवाही देने वाले पीएसी जवान के कथित वायरल ऑडियो की जांच अलग से की जा रही है।  इसके लिए उसके यूनिट अधिकारी को पत्र लिखा गया है। इसमें  इस बात की भी जांच की जाएगी कि जवान अपनी यूनिट से बिना अनुमति के कैसे देहरादून विधायक हॉस्टल में जा पहुंचा था।

इस मामले  में पीएसी जवान के पहले दर्ज कराए गए  विरोधाभासी बयान को देखते हुए कल 15 सितंबर को एक बार फिर नए सिरे से देहरादून में उसके वीडियो रिकॉर्ड बयान दर्ज कराए गए हैं। .

दरअसल,  बीजेपी विधायक से जुड़े ब्लैकमेल और दुष्कर्म मामले में जांच टीम ने पीएसी के इस जवान को गवाह के रूप में  शामिल किया है।  उसी के तहत गत  पांच सितंबर को उसके बयान जांच अधिकारी अनुज कुमार के सामने दर्ज किए गए थे।  हालांकि, बयान दर्ज होने के बाद जवान का एक ऑडियो वायरल हुआ, जिसमें उसने दुष्कर्म पीड़िता से बातचीत करते हुए बताया  कि उसको 31 अगस्त को विधायक पक्ष ने  बहला-फुसलाकर पहले देहरादून विधायक हॉस्टल बुलवाया और फिर उसके साथ मारपीट की और जान से मारने की  धमकी देते हुए उनके पक्ष में बयान देने के लिए मजबूर किया।

हालांकि, वायरल ऑडियो मामले में अभी तक पुलिस के पास कोई शिकायत नहीं आई है, लेकिन इस बात पर सवाल उठ रहे हैं कि कैसे एक जवान को यूनिट से बाहर लाकर ऐसा किया जा सकता है।  देहरादून डीआईजी अरुण मोहन जोशी का कहना है कि तथाकथित वायरल ऑडियो से कई विरोधाभास सामने आए हैं।  ऐसे में इस केस की निष्पक्षता को बरकरार रखते हुए  एक बार फिर जवान को यूनिट से अधिकारिक रूप में बुलाकर उसके वीडियो बयान नए सिरे से दर्ज किए गए हैं।  इतना ही नहीं, पीएसी जवान के यूनिट अधिकारी को पत्र लिखकर ऑडियो प्रकरण की जांच पड़ताल के लिए कहा गया है।

इस बीच  विधायक महेश नेगी से जुड़े दुष्कर्म मामले में अब पीड़िता ने सीबीआई से जांच कराने की मांग को लेकर गृह सचिव नितेश झा को पत्र दिया है।  पीड़िता के अधिवक्ता एसपी सिंह का कहना है कि अगर गृह विभाग ने एक हफ्ते के अंदर सीबीआई जांच की मांग पर कोई संज्ञान नहीं लिया तो हाई कोर्ट का रुख  किया जाएगा।

दुष्कर्म मामले में पीड़िता द्वारा उत्तराखंड गृह विभाग को भेजे गए प्रार्थना पत्र में आरोप लगाया गया है कि दो साल पहले विधायक ने उसका अश्लील वीडियो बनाया था।  उस वीडियो के सहारे विधायक ब्लैकमेल कर उसके साथ दो साल से जबरन शारीरिक शोषण करता रहा।

जब 18 मई 2020 को बेटी का जन्म हुआ, तब से इस मामले को दबाने के लिए विधायक पक्ष उसे रुपयों का प्रलोभन दे रहा था।  जब बात नहीं बनी तो उसके खिलाफ ब्लैकमेलिंग का मुकदमा दर्ज करा दिया।

सीबीआई जांच प्रार्थना पत्र में पीड़िता ने यह भी आरोप लगाया है कि इस मामले में जब कोर्ट के आदेश के बाद विधायक के खिलाफ धारा 376 में दुष्कर्म के आरोप में जब से मुकदमा दर्ज हुआ, उसके बाद से विधायक लगातार राजनीतिक दबाव बनाकर जांच व गवाहों को जबरन प्रभावित करने का प्रयास कर रहा है. ऐसे में पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए।

पीड़िता के वकील एसपी सिंह के मुताबिक, नियमानुसार किसी भी मामले की सीबीआई जांच के लिए पहले राज्य सरकार को प्रार्थना पत्र दिया जाता है।  इस मामले पर भी प्रदेश सरकार के गृह विभाग को सीबीआई जांच का प्रार्थना पत्र दिया गया है।  अगर गृह विभाग द्वारा इस मामले में कोई संज्ञान नहीं लिया जाता तो वह लोग हाई कोर्ट से लेकर सर्वोच्च न्यायालय की शरण में भी जाएंगे।

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