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Uttarakhand

कुंभ तैयारियों की खुली पोल

पिछले एक वर्ष से कुंभ की तैयारियों में जुटी राज्य सरकार और मेला प्रशासन ने कुंभ को दिव्य और भव्य बनाने के जो दावे किये वे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं। सवाल है कि श्रद्धालुओं के लिए की जाने वाली व्यवस्थाओं में लेटलतीफी या अस्थाई कार्यों में विलंब के बावजूद आखिर मेला प्रशासन किस आधार पर दिव्य व भव्य कुंभ के दावे कर रहा है? 596 हेक्टेयर क्षेत्र में सम्पन्न होने जा रहे कुंभ की तैयारियों को लेकर कुंभकर्णी नींद में नजर आ रहा मेला प्रशासन बार-बार कुंभ कार्यों के सम्पन्न होने को लेकर जारी डेड लाइन बढ़ाता रहा। इसके बावजूद अभी तक भी कुंभ से जुड़े कार्यों को पूरा नहीं करा सका है

हमेशा कुंभ स्नान पर्व में शामिल रहने वाला 2021 का बसंत पंचमी स्नान संपन्न हो चुका है। इससे पूर्व मकर संक्रांति एवं मौनी अमावस्या का स्नान भी बिना व्यवस्थाओं के संपन्न हो चुके है। यहां अफसोसजनक बात यह है कि इस बार मेला प्रशासन ने कुंभ के इन तीनों महत्वपूर्ण स्नान पर्व को कुंभ स्नान नहीं माना है। कुंभ मेले की तैयारियों को लेकर लंबे-चैड़े दावे करने वाली त्रिवेंद्र सरकार और सोशल मीडिया फेम मेला अधिकारी दीपक रावत अभी तक भी कुंभ की तैयारियों को अंतिम रूप नहीं दे सके हैं। लेटलतीफी का आलम यह है कि दिसंबर में जारी होने वाली कुंभ की अधिसूचना समय पर जारी न किए जाने पर सवाल खड़े हो रहे हैं?

निर्माण कार्यों की हकीकत बयां करती ये तस्वीर

युद्ध स्तर पर मेला तैयारियों के दावे करने वाले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भले ही मेला प्रशासन की पीठ थपथपाने में लगे हों, परंतु मेला तैयारियों को लेकर हकीकत उनके तमाम दावों के विपरीत नजर आती है। मेला से जुड़े निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार खुलकर सामने आने लगा है। पिछले दिनों दूधाधारी चैक से जटवाड़ा पुल तक 9 करोड़ रुपए की लागत से बन रही महत्वपूर्ण सड़क के निर्माण में गुणवत्ता का यह आलम रहा कि 13 फरवरी रात को बनाई गई सड़क 14 की सुबह उखड़ी नजर आई। जिसको लेकर स्थानीय व्यापारियों ने सड़क निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए प्रदर्शन तक किया। यही हाल अपर रोड पर लोक निर्माण विभाग द्वारा कुंभ निधि से बनाई जाने वाली सड़क का भी सामने आया। यह सड़क हरिद्वार कोतवाली से आगे रात को निर्मित की गई और सुबह उखड़ी हुई नजर आई। यह हाल मात्र हरिद्वार का ही नहीं है। दक्ष नगरी कनखल में भी कुंभ निधि से हुए निर्माण कार्यों का कमोवेश यही हाल सामने आ रहा है। कनखल में 10 दिन पूर्व बनी सड़क में निर्माण सामग्री से भरा डंपर धंसने से यहां भी कुंभ कार्यों में गुणवत्ता की पोल खुलती नजर आई। इसके अतिरिक्त ज्वालापुर रेल पुलिस चैकी के सामने ईंटों से भरी ट्रैक्टर ट्राॅली भी कुंभ निधि से बनी सड़क में धंसने से मेला प्रशासन द्वारा निर्माण कार्यों में उच्च गुणवत्ता पूर्ण सामग्री के इस्तेमाल को लेकर किए गए दावे हास्यास्पद नजर आए। सरकार भले ही तैयारियों को लेकर तमाम दावे कर रही हो परंतु देवभूमि के 4 जनपदों देहरादून, टिहरी, पौड़ी, हरिद्वार तक फैले कुंभ क्षेत्र में तैयारियों को लेकर मेला प्रशासन फिसड्डी साबित हुआ है।

बात करें तैयारियों की तो पिछले दिनों ज्वालापुर के पांडेवाला से निकलने वाली जूना अखाड़े की पेशवाई मार्ग के जर्जर हालत में होने व संतों के ठहरने के स्थान पर शौचालयों एवं लाइट का प्रबंध न होने पर जूना अखाड़े से जुड़े संतों ने बाकायदा मेला अधिकारी के कार्यालय पर प्रदर्शन तक किया। संतों के प्रदर्शन से हरकत में आए मेला प्रशासन की तैयारियों का आलम यह कि अभी तक भी जूना अखाड़े की पेशवाई वाला मार्ग पूर्ण रूप से निर्मित नहीं किया जा सका है। वर्तमान में भी पाण्डेवाला से
पुलजटवाड़ा तक के मार्ग का आधा अधूरा निर्माण कार्य मेला प्रशासन का मुंह चिढ़ाता नजर आ रहा है। धर्मनगरी हरिद्वार के भीतरी हिस्सों में तैयारियों की बात करें तो शिव मूर्ति के सामने वाले क्षेत्र सहित तमाम इलाकों में आंतरिक गलियां टूटी-फूटी हालत में पड़ी हुई हैं। सड़कों की अंदरूनी हालत बेहद खराब है। 15 फरवरी को अपर मेलाधिकारी ललित नारायण मिश्रा द्वारा कुंभ कार्यों के संबंध में की गई समीक्षा बैठक के दौरान यह सामने आया कि लोक निर्माण विभाग द्वारा कुल 10 वाॅच टावर बनाए जाने थे जिसमें से मात्र तीन जगह ही फायर वाॅच टावर का निर्माण हो सका है। वहीं दूसरी ओर मेले में स्नान कोे आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए स्थाई रूप से निर्मित किए जाने वाले रैन बसेरों का भी कार्य अभी तक पूरा नहीं हो सका है। इसी बैठक में ज्वालापुर क्षेत्र के सड़क निर्माण कार्यों को लेकर यहां भी सामने आया कि अभी तक ज्वालापुर क्षेत्र में भी सड़कों के निर्माण का कार्य पूरा नहीं किया जा सका है। निर्माण कार्यों के साथ-साथ मेला क्षेत्र में सफाई व्यवस्था की बात करें तो करोड़ों रुपये बजट वाले सफाई व्यवस्था कार्यों में अभी तक भी मेला प्रशासन मेला क्षेत्र को साफ सुथरा रखने में कामयाब नहीं हुआ है। मेला क्षेत्र में जगह-जगह लगे कूड़े के ढेर मेला प्रशासन द्वारा सफाई व्यवस्था को लेकर किए जा रहे दावों की धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे हैं।

पेशवाई मार्ग ही अधूरा: इसी मार्ग से निकलेगी जूना अखाड़े की पेशवाई

सफाई के साथ-साथ कमोवेश यही हाल मेला क्षेत्र में उपलब्ध कराई जाने वाली चिकित्सा सुविधाओं को लेकर बना हुआ है। 2004 अर्द्धकंुभ मेले के दौरान प्रदेश की तिवारी सरकार द्वारा निर्मित कराया गया मेला अस्पताल अपनी बदहाली पर आंसू बहाता नजर आ रहा है। करोड़ों की लागत से निर्मित कराए गए हरिद्वार के इस मेला अस्पताल में डाॅक्टरों की तैनाती का आलम यह है कि यहां मात्र एक डाॅक्टर तैनात है। वह भी अल्ट्रासाउंड के लिए। बावजूद इसके मेला क्षेत्र में चिकित्सा सुविधाओं के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च करते हुए अस्थाई चिकित्सालयों का निर्माण किया जा रहा है जो अभी तक पूरा नहीं किया जा सका है। मेला भले ही विधिवत रूप से प्रारम्भ करने में सरकार विफल साबित हो रही हो परन्तु कुंभ निधि से निर्मित हो रहे निर्माण कार्यों की तकनीकी जांच में गुणवत्ता की पोल खुलनी शुरू हो गई है। कुंभ विकास कार्यों के अंतर्गत बनाई गई कुछ सड़कों की गुणवत्ता निर्धारित मानकों पर फेल हो गई है। सुखीे नदी पर निर्मित डबल लेन, बो-स्ट्रिंग पुल भी थर्ड पार्टी की तकनीकी जांच में फेल हो गया है। सड़क और पुल की गुणवत्ता खराब होने से निर्माण एजेंसियों का जवाब तलब किया गया है। हरिद्वार में करोड़ों की लागत से कुंभ कार्य हो रहे हैं। कुंभ मेला प्रशासन की ओर से निर्माण कार्यों के भुगतान कराने से पहले थर्ड पार्टी तकनीकी जांच कराई जा रही है। जांच में कई खामियां सामने आ रही हैं।

दो सड़कों और एक पुल के निर्माण की गुणवत्ता तकनीकी फेल होने से कुंभ कार्यों की गुणवत्ता की पोल खुलती नजर आ रही है। मेला कार्यों में हो रही लेट-लतीफी को देखकर संत भी अब तैयारियों पर सवाल खड़े करने लगे हैं। पिछले दिनों अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने बैरागी कैंप में तीनों बैरागी अखाड़ों के कुंभ मेला कार्यों का जब जायजा लिया तो वह देखकर अवाक् रह गए कि वहां पर अभी तक कोई व्यवस्था नहीं की गई थी। जिस पर नरेंद्र गिरी ने कहा कि अगर टेंट और शिविर नहीं लगते हैं तो संत कहां रहेंगे। नरेंद्र गिरी के साथ मौजूद राजेंद्र दास श्रीमहंत ने कहा कि कुंभ मेले के कार्य धीमी गति से चल रहे हैं। मेला प्रशासन तत्काल ही बैरागी क्षेत्र को चिन्हित कर भूमि आवंटन का कार्य प्रारंभ करे और तीनों वैष्णो अखाड़ों से जुड़े संतों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। मेले में पड़े अधूरे कार्यों को 15 फरवरी तक पूर्ण किए जाने का दावा करने वाला मेला प्रशासन मेले से जुड़े अस्थाई अथवा स्थाई कार्यों को अंतिम रूप देने में विफल साबित हुआ है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार 2021 कंुभ में एक अनूठा प्रयोग करते हुए मेला प्रशासन ने मेला तैयारियों के दृष्टिगत पहली बार अखाड़ों को एक-एक करोड़ रुपए प्रत्येक अखाड़े के हिसाब से 13 अखाड़ों को व्यवस्थाओं के लिए उपलब्ध कराए हैं। इससे पूर्व अखाड़ों में होने वाले समस्त निर्माण कार्यों अथवा व्यवस्थाओं को पूर्ण कराने की जिम्मेदारी मेला प्रशासन ही निभाता रहा है। अखाड़ों को एक-एक करोड़ रुपये दिए जाने को लेकर संतांें में भी आपसी मनमुटाव नजर आ रहा है। कुछ बड़े संतों का कहना है कि कुंभ कार्यों पर संतों का मुंह बंद रखने को लेकर एक-एक करोड़ रुपये अखाड़ों को दिए जाने की योजना बनाकर मेला प्रशासन ने संतों को अखाड़ों में सीमित कर दिया है।

बीच सड़क पर धंसी टैªक्टर ट्राॅली

कुंभ की अव्यवस्थाओं से बेहद नाराज मातृसदन के अध्यक्ष स्वामी शिवानंद ने तो सीधे सीएम पर प्रहार करते हुए उन्हें भ्रष्टाचारी कह डाला है। शिवानंद का कहना है कि ‘‘जहां सीसीटीवी कैमरा का ठेका 55 करोड़ का दिया जा रहा था उसी काम को पुलिस ने 38 करोड़ 13 लाख में कर दिखाया है। जहां भी ठेका दिया गया है चार-चार गुणा ज्यादा रकम का दिया गया है। इतना भ्रष्टाचार हो रहा है कुंभ में। 1-1 करोड़ रुपए अखाड़ों को देकर उनका मुंह बंद करा दिया गया है। इस बार बसंत पंचमी के स्नान में इतनी सख्ती की गई है कि इतने कम लोग तो नाॅर्मल स्नान में ही आ जाते हैं। अगर सर्व-साधारण को नहीं आने दिया जाएगा तो क्यों कुंभ करा रहे हो। स्नान से ही कोरोना फैल रहा है, तो सिनेमा हाॅल क्यों खोले? इस सख्ती को देखते हुए यहां कौन आएगा? किसी भी संस्था को जगह नहीं दी जा रही है।’’

  • मुख्यमंत्री और मेला अधिकाारी के दावे फेल
  • समय पर जारी नहीं हुई अधिसूचना
  • बिना तैयारियों के निकल गए मौनी अमावस्या, मकर संक्रांति और बसंत पंचमी जैसे बड़े स्नान
  • अखाड़ों के पेशवाई मार्ग तक जर्जर
  • ठहरने की उचित व्यवस्था न होने पर संतों ने किया मेला अधिकारी के कार्यालय पर प्रदर्शन
  • महज एक डाॅक्टर के भरोसे मेला अस्पताल
  • विकास कार्यों की गुणवत्ता पर उठे सवाल
  • विकास कार्यों में लेटलतीफी ही नहीं भ्रष्टाचार की भी आ रही दुर्गंध

बात अपनी-अपनी

पार्दिशता नाम की कोई चीज कुंभ में नहीं है। कुंभ के सौंदर्यकरण का पता नहीं, लेकिन जेबों का भारीकरण जरूर हुआ है। कुंभ के कार्य तीव्र गति से होंगे या धीमी गति से यह तभी तय होगा जब काम स्वीकøत हुए होंगे। कुछ मुखौटा चित्रण व सौंदर्यकरण के नाम पर पैटर्न जरूर बदला है।

हरीश रावत, पूर्व मुख्यमंत्री

शासन-प्रशासन की तमाम पाबंदियों से कुंभ का आयोजन नाम मात्र का रह जाएगा। पूरे देश में यातायात व्यवस्था, हवाई जहाज सुचारू रूप से चल रहे हैं तो फिर हरिद्वार में यह आडंबर क्यों?

अम्बरीष कुमार, पूर्व विधायक हरिद्वार

इतना दिखाने की आखिर क्या आवश्यकता है? केवल शाही स्नान ही कुंभ नहीं है। श्रद्धालुओं को भी कुंभ में आने की इजाजत देनी चाहिए। प्रशासन जितनी भी सख्ताई श्रद्धालुओं पर कर रहा है, यह एक अपराध है।
स्वामी शिवानन्द महाराज, परम अध्यक्ष मातृ सदन

उत्तराखण्ड सरकार कुंभ को सीमित करने का प्रयास कर रही है। सरकार ने प्रत्येक अखाड़े को एक करोड़ रुपए दिए हैं जिस कारण कुंभ को सीमित करने के सरकार के प्रयासों पर अखाड़े चुप्पी साधे हुए हैं।

स्वामी अच्युतानंद तीर्थ, भूमा पीठाधीश्वर
प्रशासन और अखाड़ों की व्यवस्था साथ-साथ होती है। लेकिन इस बार अधिकारी अपने आप नियम बना रहे हैं। अधिकारी कह रहे हैं पंडाल नहीं लगेंगे, न ही भजन कीर्तन होगा। ऐसा लगता है अधिकारियों की कुंभ कराने की मंशा नहीं है।
श्री महंत नरेंद्र गिरि, अध्यक्ष अखाड़ा परिषद

ज्वालापुर पेशवाई मार्ग को दुरुस्त करने को लेकर जूना अखाड़े के महामंत्री हरी गिरी महाराज से गंगासभा पदाधिकारियों की वार्ता हुई हैं। पेशवाई मार्ग जहां-जहां दुरुस्त नहीं है मेला प्रशासन को बता दिया गया है, मेला प्रशासन ने आश्वासन दिया हे कि पेशवाई निकलने से पहले मार्ग ठीक कर दिया जाएगा अगर मेला प्रशासन की तरफ से लापरवाही सामने आती है तो गंगासभा जोर देकर व्यवस्थाओं को समय से पूर्व कराने को प्रतिबद्ध है।
तन्मय वशिष्ठ, महामंत्री गंगासभा हरिद्वार

हरिद्वार के व्यापारी और जनता वैसे भी इस कोरोनाकाल में परेशान थे। ऊपर से शासन-प्रशासन की गाइड लाइन आ जाने से सभी का मन दुखी है। हरिद्वार में कई सालों बाद कुंभ से सभी के मन में एक आशा जगी थी, परंतु इस गाइड लाइन ने सभी को निराशा में बदल दिया।
विशाल गर्ग, समाजसेवी

मेला सिर्फ कागजों में चल रहा है। व्यापारियों का व्यापार पूरी तरह से ठप हो गया है, पर सरकार और मेला प्रशासन को इसकी चिंता है।
संजय त्रिपाल, व्यापारी नेता
कुंभ केवल धनवान लोगों के लिए है। गरीब लोगों का कुंभ में आना असंभव है। अगर सरकार ने जल्दी ही अपने एसओपी के फैसले को नहीं बदला तो इसके विरोध में आंदोलन की रणनीति बनाई जाएगी।
आशु शर्मा, अध्यक्ष होटल एसोसिएशन

  • बबिता भाटिया

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