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Uttarakhand

कटघरे में कुंभ मेला अधिकारी

कुंभ तैयारियों की हकीकत/भाग-आठ

सवाल उठ रहे हैं कि अपर मेला अधिकारी हरवीर सिंह को अव्यवस्थाओं से आक्रोशित संतों ने पीट तक दिया, लेकिन मेला अधिकारी दीपक रावत ने घटना स्थल पर जाने की जरूरत क्यों नहीं समझी? क्या साधु-संतों के आक्रोश का सामना करने के लिए हरवीर सिंह जैसे कर्मठ अधिकारी ही आगे किए जाएंगे? क्या मेला अधिकारी दीपक रावत सिर्फ सोशल मीडिया फेम ही बने रहेंगे?

आखिरकार काफी देरी से कुंभ को लेकर सरकारी अधिसूचना जारी तो हुई, लेकिन व्यवस्थाएं अब भी दुरुस्त नहीं हैं। अधिसूचना के अनुसार 1 अप्रैल से 28 अप्रैल तक कुंभ का आयोजन होना है, परंतु महज 28 दिन के इस कुंभ को संभालने में ही सरकार और मेला प्रशासन के हाथ-पांव फूले हुए हैं। मेला क्षेत्र में बिजली, पानी, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध न होने के चलते संतों में रोष बना हुआ है। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी ने 6 अप्रैल को कुंभ नगरी में सीएम की मौजूदगी में ही मुख्य सचिव ओम प्रकाश को मेले में होने वाली अव्यवस्थाओं का जिम्मेदार भी ठहराया। मेला प्रारंभ होने के पहले ही दिन बैरागी अखाड़ों के संत मेला क्षेत्र में व्याप्त अव्यवस्थाओं से इस कदर क्रोधित हुए कि उन्होंने अपने बीच पहुंचे अपर मेला अधिकारी सरदार हरवीर सिंह की जमकर पिटाई कर डाली। यही नहीं उनको बचाने आए सुरक्षाकर्मी की भी पिटाई कर दी। दरअसल, जिस बैरागी कैंप में निर्मोही अखाड़े के बाहर अपर मेलाधिकारी सरदार हरवीर सिंह को संतों द्वारा पीटे जाने का मामला सामने आया उसी स्थान पर पिछले 1 वर्ष से बैरागी संत सुविधाएं उपलब्ध कराने के संबंध में मेला प्रशासन को बार-बार आग्रह कर रहे थे, परंतु प्रशासन इसमें नाकामयाब रहा जिसका परिणाम हरवीर सिंह की पिटाई के रूप में सामने आया। इस घटना से मेला प्रशासन में हड़कंप मच गया। इस दौरान जहां एक ओर मेला प्रशासन ने पूरी घटना पर चुप्पी साधना उचित समझा तो वहीं दूसरी ओर कुंभ नगरी की जनता सोशल मीडिया पर हरवीर सिंह के समर्थन में उतर आई। खास बात यह है कि जो आमजन सोशल मीडिया पर हरवीर का समर्थन कर रहे थे वही लोग मेला अधिकारी दीपक रावत की कार्यशैली पर भी चुटकी लेने से नहीं चूके। सोशल मीडिया यूजर्स द्वारा ‘करे कोई, भरे कोई’ जैसे स्लोगन लिखकर मेला अधिकारी के प्रति अपनी नाराजगी का इजहार किया गया। कुछ यूजर्स ने बैरागी कैंप में इतने बड़े पैमाने पर व्याप्त अव्यवस्थाओं को लेकर मेला अधिकारी दीपक रावत के बैरागी कैंप न पहुंचने को लेकर भी सवाल खड़े किए। सवाल इसलिए भी उठता है कि छोटी से छोटी घटना को लेकर वीडियो बनाने वाले सोशल मीडिया फेम मेला अधिकारी दीपक रावत अपर मेला अधिकारी हरवीर सिंह के साथ हुई मारपीट के बावजूद घटनास्थल पर नहीं पहुंचे। कुंभ मेले से जुड़े अधिकारियों में इस बात को लेकर कानाफूसी होती नजर आई तो कुंभ नगरी के लोगों ने खुलकर दीपक रावत पर अपनी भड़ास निकाली।

गौरतलब है कि कुंभ मेला 2021 की व्यवस्थाओं को लेकर राज्य सरकार लगातार अधिसूचना का समय बढ़ाती रही है। बावजूद इसके कुंभ मेला प्रशासन मेले की व्यवस्थाओं को समय से पूर्ण करने में विफल साबित हुआ है। पिछले सप्ताह उच्च न्यायालय नैनीताल में दायर एक जनहित याचिका के जवाब में मेला क्षेत्र में सभी व्यवस्थाएं पूरी करने का शपथ पत्र मेला अधिकारी की ओर से प्रस्तुत किया गया था, परंतु सच्चाई इस शपथ पत्र के बिल्कुल विपरीत नजर आती है। राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार कुंभ मेले का पहला शाही स्नान संपन्न होने में मात्र 1 सप्ताह का समय ही रह गया है, लेकिन मेला क्षेत्र में अव्यवस्थाओं का अंबार नजर आता है। नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के दावों के बावजूद मेला क्षेत्र में आंतरिक मार्गों की हालत बद से बदतर हो चुकी है। अभी तक भी आंतरिक मार्गों का निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं किया गया है। कमोबेश यही हाल उस बैरागी कैंप का भी है जहां सैकड़ों वर्षों से बैरागी संतों के टेंट-तंबू लगते रहे हैं। इस बैरागी कैंप के अंतर्गत मेला क्षेत्र में लापरवाही का आलम यह है कि पिछले 15 दिनों के भीतर दो बार इस कैंप में आग लगने की बड़ी घटना सामने आ चुकी है जिसमें भारी नुकसान हुआ।

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार बैरागी कैंप में लाइट का प्रबंध न होने को लेकर निर्मोही अखाड़े के संतों ने मेला प्रशासन के सामने अपना विरोध दर्ज कराया और मेले से जुड़े अधिकारियों को मौके पर पहुंचकर स्थिति को देखने के लिए कहा गया, परंतु न तो मेला अधिकारी और न ही बैरागी कैंप के लिए नियुक्त सेक्टर मजिस्ट्रेट बैरागी संतों के बीच पहुंचे। मेला प्रशासन ने एक बार फिर संकट मोचक के तौर पर हरवीर सिंह को नाराज संतों के बीच में उन्हें मनाने को भेज दिया। सूत्र बताते हैं कि बिजली की व्यवस्था न होने और मेला क्षेत्र में अंधकार होने के चलते क्रोधित निर्मोही अखाड़े से जुड़े संतों को समझाने में अपर मेला अधिकारी हरवीर सिंह नाकामयाब रहे। इस दौरान हुई गरमा-गरम बहस में हरवीर सिंह को संतों ने पीट डाला।

आपको बताते चलें कि ‘दि संडे पोस्ट’ ने 22 फरवरी 2020 के अंक में ‘अधर में कुंभ की तैयारियां’ शीर्षक के तहत प्रकाशित अपनी रिपोर्ट के माध्यम से कुंभ की कुव्यवस्थाओं पर फोकस किया था। उस दौरान अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष सहित अन्य प्रमुख संत मुख्यमंत्री के साथ होने वाली बैठक का बहिष्कार कर बैठक स्थल से बाहर चले गए थे। मेला प्रशासन की अधूरी तैयारियों से नाराज अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेन्द्र गिरी सहित अन्य प्रमुख संतों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री के सामने अपनी नाराजगी जताते हुए स्पष्ट कहा था कि बार-बार बैठक बुलाए जाने के बावजूद कुंभ के कार्य गति नहीं पकड़ रहे हैं। यही नहीं छावनी में होने वाले निर्माण कार्य को कराने के वादे को भी गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। उस समय स्थिति इतनी विकट हो चुकी थी कि अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और महामंत्री हरि गिरि महाराज अपने फोन स्विच आॅफ कर बैठ गए थे। 40 मिनट इंतजार करने के बाद जब संत बैठक में नहीं पहुंचे तो मेला प्रशासन हरकत में आया और आनन- फानन में संतों को मनाने के लिए अपर मेला अधिकारी हरवीर सिंह को भेजा गया था। हरवीर सिंह के मनाने पर नाराज संतों ने मुख्यमंत्री की बैठक में हिस्सा लिया था। यही नहीं जूना अखाड़े के पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी महाराज भी इससे पूर्व मेला अधिकारी के पद पर दीपक रावत की नियुक्ति को लेकर साफ-साफ नाराजगी जाहिर कर चुके थे। यही कारण था उस दौरान अवधेशानंद महाराज की नाराजगी को देखते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को स्वयं हरिहर आश्रम कनखल जाना पड़ा था। आज 1 वर्ष से अधिक समय बीतने के बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है।

राज्य में भले ही मुखिया चेंज हो गए हों, परंतु अधिकारियों की कार्यशैली मेला प्रशासन के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है। अभी तक बैरागी संतों को भूमि आवंटन का कार्य पूरा नहीं हो सका है। यह हाल तब है जब सूबे के मुखिया तीरथ सिंह रावत हों या फिर मुख्य सचिव ओम प्रकाश सभी मेला संबंधी होने वाली बैठकों में बार-बार भूमि आवंटन का दावा कर रहे हैं, परंतु सीएम और सीएस के दावे मेला प्रशासन की लापरवाही के चलते हवा हवाई होते नजर आ रहे हैं। बहरहाल अब सरकार की अधिसूचना के अनुसार मेला सिर पर है, परंतु तैयारियां जीरो नजर आ रही हैं। अस्थाई शौचालय भले ही संपूर्ण मेला क्षेत्र में स्थापित करा दिए गए हों, लेकिन शौचालय में पानी और लाइट की व्यवस्था न होना तैयारियों को लेकर बड़े सवाल खड़े कर रहा है? दूसरी ओर संपूर्ण मेला क्षेत्र में पेयजल की समस्या भी बनी हुई है। कुछ स्थानों पर पेयजल विभाग द्वारा बिछाई गई पानी की लाइन में श्रद्धालुओं को पेयजल ही उपलब्ध नहीं हो रहा है। मेले में बनाई गई दर्जनों अस्थाई पार्किंग में अव्यवस्थाओं का बोलबाला है, लेकिन सुनने वाला कोई नहीं।

कुंभ मेले को दिव्य और भव्य बनाने के नाम पर हाईवे और धार्मिक चित्रकारी भले ही चमक रही हो, परंतु मेला क्षेत्र की आंतरिक मार्गों में स्थिति बहुत अच्छी नहीं कही जा सकती। दक्ष नगरी कनखल में जहां निर्मल अखाड़ा, बड़ा अखाड़ा सहित संतों के बड़े मठ स्थित हैं वहां के आंतरिक मार्गों में मौजूद बड़े-बड़े गड्ढे मेला प्रशासन के तमाम दावों की पोल खोलते नजर आते हैं। सवाल उठ रहा है कि क्या सरकारी और धार्मिक संपत्तियों पर पौराणिक चित्रकारी कराने से ही मेला दिव्य हो सकता है? क्या अव्यवस्थाओं का आक्रोश झेलने हरवीर सिंह जैसे कर्मठ अधिकारी ही आगे किए जाएंगे? क्या दीपक रावत सोशल मीडिया फेम ही बने रहेंगे? 12 अप्रैल को होने वाले स्नान में काफी कम समय रहने के चलते ऐसा लगता नहीं है कि कुंभ मेले से संबंधित कार्य पूरे हो पाएंगे।

  • दीक्षित हुए एक हजार नागा संन्यासी
  • बबीता भाटिया
  • संन्यासियों के सबसे बड़े अखाड़े श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े में इस बार एक हजार नागा संन्यासियों को दीक्षित किया गया। सभी नव दीक्षित संन्यासियों को बर्फानी नागा संन्यासी का दर्जा प्रदान किया गया। जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक एवं अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि के दिशा-निर्देश एवं अंतरराष्ट्रीय सभापति श्रीमहंत प्रेम गिरि के संयोजन में दीक्षा कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। श्रीमहंत हरि गिरि जी ने बताया कि अखाड़े द्वारा सनातन धर्म को मजबूत करने का कार्य लगातार किया जा रहा है। अखाड़े में सबसे महत्वपूर्ण माने जाने वाले संन्यासियों को दीक्षित किए जाने की प्रक्रिया इसी का एक और प्रयास है। उन्होंने सभी नव दीक्षित संन्यासियों से अखाड़े के साथ-साथ संन्यास परम्परा के अनुरूप चलने का आह्नान किया। जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय सचिव श्रीमहंत महेशपुरी ने बताया कि 5 अप्रैल को करीब एक हजार नागा संन्यासियों को दीक्षित करने की प्रक्रिया प्रारंभ हुई। सभी इच्छुक संन्यासियों ने मुंडन प्रक्रिया के बाद गंगा स्नान किया।
  • इस दौरान संन्यासियों ने स्नान करते हुए जीते जी अपना श्राद्ध तर्पण ब्राह्मण पंडितों के मंत्रोच्चार के बीच किया। सभी नव दीक्षित नागा संन्यासी सायंकाल धर्म ध्वजा पर पहंुचे, जहां पर विद्वान पंडितों द्वारा बिरजा होम की प्रक्रिया हुई। मध्य रात्रि साढ़े बारह बजे आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी धर्म ध्वजा पर पहुंचे एवं हवन की पूर्णाहूति कराई। इसके बाद नव दीक्षित संन्यासियों को लेकर गंगातट पहुंचे, जहां पर दंड कमंडल गंगा में विसर्जित कराया। छह अप्रैल तड़के सभी संन्यासी तट पर पहुंचकर स्नान कर संन्यास धारण करने का संकल्प लेते हुए स्वयं को संन्यासी घोषित कर गंगा में 108 डुबकियां लगाई। फिर आचार्य महामंडलेश्वर ने सभी नव दीक्षित संन्यासियों को धर्मध्वजा पर आकर ओंकार उठाया। आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी ने सभी को प्रेयस मंत्र देकर दीक्षित किया। ये सभी नवदीक्षित संन्यासी बर्फानी संन्यासी कहलाएंगे।

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