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चमोली। चमोली जिले में कुदरत का कहर इस कदर बरपा कि एक सप्ताह में 14 जिंदगियां जिंदा दफन हो गई हैं। बदरीनाथ हाईवे लामबगड़ में चट्टान टूटने से 6 लोगों की जानें गई। देवाल ब्लाॅक के फल्दिया गांव में बादल फटने से मां- बेटी मलबे में दब गईं। उनका कोई सुराग नहीं लग पाया है। 12 अगस्त को घाट ब्लाॅक में फिर बादल फटने से छह लोग जिंदा दफन हो गए। इस प्राकøतिक आपदा में 9 माह की एक नन्हीं जान इस दुनिया को देखने से पहले ही चली गई। आपदा में 3 दर्जन से अधिक घर कष्ट हुए। सैकड़ों लोग बेघर हुए हैं। दर्जनों बेजुबान पशुओं की भी मौत हुई है। जिला प्रशासन द्वारा प्रभावितों को सुरक्षित स्थानों पर रखा गया है। लोगों को दैनिक उपयोग की खाद्य सामग्री वितरित की गई है। बेघरों को चेक द्वारा फौरी तौर पर मुआवजा राशि दी गई है। प्रदेश के मुख्यमंत्री अभी तक प्रभावितों के आंसू पोछने नहीं पहुंचे। जिससे लोेगों में सरकार के प्रति नाराजगी भी बनी है।
आपदा से चारों ओर आहाकार मचा हुआ है। करुण क्रंदन न करते। लोग कह रहे हैं, ‘हे भगवान यदि चंदा जैसी 9 माह की मासूम को इस संसार को देखने से पहले ही विदा करना था तो फिर उसे इस धरती पे आने ही क्यों दिया?’ मासूम बच्चों के शवों को देखकर हर किसी की आंखों में पानी बह रहा है। सीमांत चमोली जिले में हर तरफ पानी ही पानी बरस रहा है। जिससे कहीं बादल फट रहा है तो कहीं भूस्खलन का खतरा मंडरा रहा है। भूस्खलन से बदरीनाथ नेशनल हाईवे पर सफर करना खतरा बना हुआ है। गांवों को जोड़ने वाली दर्जनों सड़कंे बंद पड़ी हैं। लोग जान जोखिम में डालकर उन सड़कों पर आवाजाही कर रहे हैं। गांवों के संपर्क मार्ग के साथ ही पुलों के बहने से ग्रामीण व स्कूली नौनिहाल जान हथेली पर रखकर आवागमन करने को मजबूर हैं।
बदरीनाथ हाईवे पर 6 अगस्त को लामबगड़ स्लाइड जोन पर चट्टान टूटने से एक बस दब गई जिसमें 13 लोग सवार थे। जिसमें छह लोग जिंदा दफन हो गए, जबकि अन्य घायल हुए। गुरुवार 8 अगस्त को आसमानी बारिश से देवाल ब्लाॅक के फल्दिया गांव में बादल फटने से मां-बेटी मलवे में लापता हो गए, एनडीआरएफ एवं एसडीआरएफ द्वारा खोजबीन के बाद भी उनका कहीं पता नहीं चल पया। इस घटना में 12 से अधिक घरों को नुकसान पहुंचा, वहीं 15 से अधिक गाय, भंैस भी दब गए। जिलाधिकारी चमोली स्वाति एस भदौरिया ने फलदिया गांव पहुंचकर मौके का निरीक्षण किया। साथ ही क्षेत्रीय विधायक मुन्नी देवी साह ने भी आपदा प्रभावितों के बीच जाकर उन्हें सांत्वना दी और हर संभव मदद का भरोसा दिलाया।
प्रशासन ने इस घटना में प्रभावितों को सुरक्षित घरों में रखने के साथ ही मूलभूत सुविधएं वितरित की। इस घटना को अभी 4 दिन ही बीते थे कि सोमवार 12 अगस्त को घाट ब्लाॅक में बादल फटने से 6 लोगों की मौत हो गई इसमें अधिकतर छोटे बच्चे थे। 9 माह की नन्हीं जान चंदा भी इस आपदा में काल के गाल में समा गई। जिस किसी ने भी इस घटना को करीब से देखा लोगों के आंखों में आंसू छलक आए। आपदा में सैकोट, घुडसाल, मैठाना में भी जल भराव के साथ ही तीन कर जमींदोज हुए हैं। बेघर हुए लोग खुले आसमान के नीचे अपना आसरा बनाए हुए हैं।
मानसून सीजन के लिए जिला प्रशासन व आपदा प्रबंधन की आधा-अध्ूारी तैयारी के चलते लोगों में आक्रोश है। घाट ब्लाॅक में स्वास्थ्य विभाग की टीम के समय पर न पहुंचने से क्षेत्र के लोगों में गुस्सा रहा तो लोगों ने इसकी शिकायत थराली की विधायक मुन्नी देवी साह से की तो मुन्नी देवी ने सीएमओ चमोली को फोन किया गया। स्पष्ट जवाब न मिलने पर विधायक ने सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से शिकायत कर सीएमओे चमोली को सस्पेंड करने की मांग की। जिले में भारी बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त हुआ है। लगातार हो रही मूसलाधार बारिश से लोग अपने ही घर में शरणार्थियों सा जीवन व्यतीत करने को मजबूर हैं। दशोली ब्लाॅक के सैकोट, गुडसाल, मैठाणा और टेडा खंसाल में भारी वर्षा एवं अतिवृष्टि के कारण टेडा खंसाल के 12, मैठाणा के 01 व घुडसाल के 01 घर प्रभावित हुए हैं। प्रभावितों को प्रशासन ने कम्बल, रजाई, सोलर लाइट खाने बनाने के बर्तन के साथ जरूरी खाद्य सामग्री दी। बदरीनाथ के विधायक महेंद्र भट््ट ने आपदा प्रभावित गांवों में पहुंचकर लोगों की समस्याएं सुनी। उन्होंने लोगों को भरोसा दिलाया कि सरकार द्वारा उनकी हर संभव मदद की जाएगी। दूसरी तरफ इतनी बड़ी त्रासदी के बाद भी सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आपदा प्रभावित चमोली के लोगों का आंसू पोछना उचित नहीं समझा। इस वर्ष मानसून सीजन की सबसे बड़ी त्रासदी चमोली जिले में होने के बाद भी 14 अगस्त तक सीएम प्रभावित क्षेत्रें का दौरे के लिए नहीं पहुंचे हैं। प्रभावितों में मुख्यमंत्री के न पहुंचने से जहां नाराजगी और मायूसी भी है।
तीन पंचायतों को जोड़ने वाली सड़क पीपलकोटी ग्रेफ के पास गैस गोदाम की दीवार टूटने से आवाजाही जानलेवा बना हुआ है। पूर्व में उपजिलाधिकारी चमोली बुशरा अंसारी द्वारा जेसीबी भेजकर 4 दिनों बाद इसे खुलवाया था। लेकिन लगातार हो रही मूशलाधर बारिश से यहां पर सड़क धंसी हुई है साथ ही ऊपर से भूस्खलन भी हो रहा है। जहां पर क्षेत्र के लोग जान जोखिम में डालकर सफर कर रहे हैं। शासन-प्रशासन को कई बार सड़क को दुरुस्त करने के लिए कहा गया है, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है। साफ है कि शासन-प्रशासन एक बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है। समाजिक कार्यकर्ता मनोज कुमार ने बदरीनाथ के विधायक प्रतिनिधि को जेसीबी भेजकर सड़क खोलने की मांग की, लेकिन उनके द्वारा भी कोई कार्यवाही नहीं की गई है।
शासन-प्रशासन की बेरुखी से क्षेत्रीय जनता में सरकार के खिलाफ नाराजगी बनी है। उर्गम- कल्पेश्वर मोटर मार्ग कई जगह भूस्खलन से बाधित हो रहा है। उर्गम घाटी के दर्जनभर गांवों के लोग जान जोखिम में डालकर आवाजाही कर रहे हैं। बीमार मरीजों व गर्भवती महिलाओं के लिए सबसे अधिक दिक्कतें हो रही हैं। कुछ दिन पहले सड़क बाधित होने पर लोगों ने बीमार महिला को 4 किमी पैदल दूरी तक पालकी में लाकर स्वास्थ्य क्रेंद तक पहुंचाया। उर्गमघाटी के सामाजिक कार्यकर्ता रघुबीर सिंह नेगी ने सड़क निर्माण कंपनी पर घटिया निर्माण का आरोप लगाया है। बावजूद कंपनी पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है जिससे लोगों में नाराजगी है। उर्गम घाटी को जोड़ने वाली कल्पगंगा नदी पर बनी अस्थाई पुलिया के बहने से लोग जान जोखिम में डालकर गांव पहुंच रहे हैं। घाटी के लोगों की सुध लेने वाला कोई नहीं है।

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