वर्ष 2013 की त्रासदी में केदारनाथ उजड़ गया था। शंका की जाने लगी थी कि शायद ही भगवान शिव की इस नगरी में फिर कभी भक्तों की बहार आए। लेकिन केदार के द्वार इस बार आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। यात्रा ने तमाम रिकॉर्ड तोड़ नए कीर्तिमान स्थापित किए। पहली बार 15 लाख 61 हजार यात्री केदार दर्शन को पहुंचे। इस दौरान करीब 400 करोड़ का कारोबार हुआ। इससे जहां स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त हुए वहीं सरकार को भी 8 करोड़ से अधिक का राजस्व मिला। कोरोना काल के बाद इस यात्रा से राज्य में पर्यटन तेजी से पटरी पर लौट आया है। मुख्यमंत्री धामी केदारनाथ का पुनर्निर्माण करने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देते हैं जो यहां 6 बार आ चुके हैं
याद कीजिए वह दिल दहलाने वाली 16-17 जून 2013 कीरात। जब दैवीय आपदा ने केदारनाथ धाम में तांडव मचा दिया था। तब ऐसा माहौल बन गया था कि उत्तराखण्ड अब पर्यटन और तीर्थाटन के लिए सुरक्षित नहीं रह गया है। उस समय उत्तराखण्ड में विजय बहुगुणा मुख्यमंत्री थे और केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। उस दौरान नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। केदारनाथ के प्रति मोदी की श्रद्धा ही थी कि उन्होंने आपदा से जूझ रही देवभूमि की बाबत उत्तराखण्ड सरकार ,उत्तराखण्ड सरकार से केदारनाथ के
पुनर्निर्माण का प्रस्ताव रखा। तब सरकार ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी। लेकिन एक साल बाद जब वे देश के प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने केदारनाथ के पुनर्निर्माण का बीड़ा उठाया।
प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा केदारनाथ त्रासदी से लोगो को उबार पाने में सफल नहीं हुए तो इसी दौरान कांग्रेस आलाकमान ने नेतृत्व परिवर्तन कर उत्तराखण्ड की सत्ता हरीश रावत के हाथों में सौप दी थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने केदारनाथ का कायाकल्प करने की पहल करते हुए इस तरफ से तीर्थयात्रियों के मन में बैठ चुके डर को निकलने में सफलता हासिल की। प्रधानमंत्री मोदी छह बार केदारनाथ आए और देश और दुनिया के लोगों को ‘सेव उत्तराखण्ड’ का संदेश देते रहे। इसमें कोई दो राय नहीं कि मोदी अपने आप में एक बड़े ब्रांड एम्बेसडर हैं। उनके द्वारा किया गया कोई प्रमोशन फीका नहीं रहता। शायद यह भी एक कारण है कि केदारनाथ तीर्थाटन का केंद्र बिंदु बन गया है। इसके अलावा श्रद्धालुओं की बाबा केदार के प्रति अपार श्रद्धा से भी यात्रा में बढ़ोतरी हुई।
कोरोनाकाल के दो साल छोड़ दें तो यहां आने वाले यात्रियों की संख्या हर वर्ष बढ़ती ही गई है। केदारनाथ धाम की यात्रा में इस बार कई नए कीर्तिमान बने हैं। पूरे यात्रा काल में 15 लाख 61 हजार से अधिक तीर्थयात्रियों ने बाबा केदार के दर्शन किए। वहीं घोड़े-खच्चर से कुल 1 अरब 9 करोड़ का कारोबार हुआ है। इस कारोबार में 1 अरब 1 करोड़ 34 लाख सीधे घोड़ा खच्चर स्वामियों को मिला है। वही डंडी-कंडी वालों ने 86 लाख रुपए की कमाई की। सीतापुर और सोनप्रयाग पार्किंग से लगभग 75 लाख का राजस्व सरकार को प्राप्त हुआ। जबकि गढ़वाल मंडल विकास निगम को पहली बार रिकॉर्ड तोड़ 50 लाख का राजस्व प्राप्त हुआ। कुल मिलकर सरकार को 8 करोड़ 1 लाख 80 हजार 250 का राजस्व मिला है। इसका श्रेय प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को जाता है जिनके नेतृत्व में तीर्थाटन को बढ़ाने और यात्रियों को हरसंभव सुविधाए उपलब्ध कराई गई। हालांकि केदारनाथ यात्रा का एक स्याह पक्ष भी है जो सैकड़ों यात्रियों और घोड़े- खच्चर की मौत के रूप में सामने आया था। जब यात्रा अपने अंतिम पड़ाव पर थी तब हेलीकॉप्टर क्रेश होने की घटना ने भी मृतकों के परिजनों को गमगीन किया।
हालांकि इस यात्रा के दौरान यह भी पहली बार सामने आया कि हैली सेवा के ऑनलाइन टिकट बुक कराने के नाम पर लाखों रुपए का फर्जीवाड़ा भी हुआ। हेलीकॉप्टर के जरिए केदार दर्शन करने के इच्छुक तीर्थयात्रियों से धोखेबाज लोगां ने ऑनलाइन फर्जी टिकट बुक कराते हुए उनसे ठगी की। इस बाबत देहरादून सहित उत्तराखण्ड के कई थानों में आईटी एक्ट के तहत मुकदमे दर्ज कराए गए। अकेले देहरादून में ही फर्जीवाड़े के 26 मामले दर्ज किए गए। केदारनाथ धाम के लिए इस बार 9 हेलीकॉप्टर कंपनियों ने सेवाएं दीं, इसमें अलग-अलग हेलीपैड्स से 1,50,801 तीर्थयात्री केदारनाथ धाम के लिए उड़े, जबकि 1,49,049 तीर्थयात्री केदारनाथ से हेली सेवा से वापस आए। इस तरह सभी हेली कंपनियों ने प्रति यात्री औसतन पांच हजार रुपए किराए के हिसाब से करीब 75 करोड़ 40 लाख का करोबार किया।
लोगों की मानें तो देश के प्रधानमंत्री मोदी चारों धाम केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री में बुनियादी सुविधाओं का भी विस्तार कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कोई असुविधा न हो। केंद्र सरकार चारों धामों में बुनियादी सुविधाओं के बेहतरी के लिए अब तक करीब 709 करोड़ की राशि खर्च कर चुकी है। भविष्य के रोडमैप के तहत ही चारधाम की ऑल वेदर रोड के प्रोजेक्ट से राज्य की सड़कों को सुरक्षित सफर के लिए तैयार किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार 12072 करोड़ रुपए की लागत से कुल 825 किमी सड़क का निर्माण इस परियोजना के अंतर्गत हो रहा है। इसी के साथ ही बहुप्रतीक्षित ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना का काम भी तेज गति से जारी है। अब पहाड़ के लोगों को ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन तैयार होने का तत्परता और उत्सुकता है। करीब 16 हजार करोड़ रुपए लागत की 125 किलोमीटर लंबा यह प्रोजेक्ट सामरिक दृष्टि से भी बेहद अहम सिद्ध होगा। कहा जा रहा है कि केदारनाथ यात्रा में तीर्थयात्रियों की बेतहाशा वृद्धि के पीछे चौड़ी और सुरक्षित सड़कें बनना भी एक महत्वपूर्ण कारण है। दिल्ली और एनसीआर के साथ ही आस-पास के श्रद्धालु अपने वाहनों के साथ यात्रा करने पहुंचते हैं। वाहनों की अधिक संख्या होने के चलते बार-बार माणा हाइवे जाम होता रहा है।
मोदी ने देवभूमि के बारे में कहा कि 21वीं सदी का तीसरा दशक उत्तराखण्ड का होगा। उन्होंने दीपावली से ठीक पहले 21-22 अक्टूबर को बदरीनाथ-केदारनाथ धाम में पूजा अर्चना कर देश की खुशहाली के कामना की। साथ ही दोनों धामों में 3400 करोड़ का शिलान्यास किया। उन्होंने केदारनाथ धाम के लिए गौरीकुंड सोनप्रयाग से केदारनाथ के लिए लगभग 12 सौ करोड़ और इतने ही धनराशि से हेमकुंड साहिब के लिए रोपवे का भी शिलान्यास किया। उन्होंने कहा कि इस बार चारधाम में रिकॉर्ड तोड़ श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। मोदी ने दावा किया कि ऑल वेदर रोड, रेल एवं रोपवे से प्रतिवर्ष चारधाम में करोड़ों तीर्थयात्री दर्शन कर पाएंगे। इससे उत्तराखण्ड के साथ ही यात्रा से जुड़े व्यवसायियों की आर्थिकी भी मजबूत होगी। उन्होंने देश के अंतिम गांव माणा में स्थानीय उत्पाद के लिए भोटिया जनजाति को प्रोत्साहित किया। इस सीजन में 45 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने चारधाम यात्रा कर पुण्य अर्जित किया। साथ ही सीजन में लगभग चार सौ करोड़ से ऊपर का व्यवसाय भी हुआ है। इससे पहाड़ की आर्थिक भी मजबूत हुई है। स्वयं देश के प्रधानमंत्री ने देशवासियों से लोकल उत्पाद खरीदने के लिए अपने कुल बजट का पांच फीसद यहां के उत्पाद पर खर्च करने का आग्रह किया है।
गौरतलब है कि चारधाम यात्रा पहाड़ की आर्थिकी की मेरुदंड रही है। इस यात्रा से लाखों लोगों का रोजगार भी जुड़ा हुआ है। कोरोनाकाल से पहले वर्ष 2019 में चारधाम की यात्रा के साथ ही शीतकाल में भी तीर्थाटन एवं पर्यटन व्यवसाय अच्छा चल रहा था। जिससे लोगों की आर्थिकी भी मजबूत हुई। लेकिन अचानक से वर्ष 2020 में वैश्विक महामारी कोरोना बीमारी से सब चौपट हो गया। जिससे उबरने में दो साल का समय लग गया। जिसके चलते 2020 में केवल चारों धामों के कपाट पूजा अर्चना के लिए खोले गए। तीर्थयात्रियों एवं स्थानीय लोगों को भी भगवान दर्शन नहीं दे पाए। जबकि वर्ष 2021 में कोविड गाइड लाइन से चारों धामों में श्रद्धालुओं ने सीमित संख्या में भगवान के दर्शन किए।
सरकार का स्याह पक्ष
केदारनाथ में तीर्थयात्रियों की मौत के मामले में 10 साल का रिकॉर्ड टूटा, केदारनाथ धाम की यात्रा के दौरान में करीब 164 लोगो की मौत हो गई। केदारनाथ में वर्ष 2012 में 72 यात्रियों की मौत हुई थी, यह आंकड़ा छह महीने के दौरान केदारनाथ यात्रा का है। लेकिन इस वर्ष मात्र डेढ़ महीने की यात्रा में ही मरने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या 75 पार कर गई थी। तीर्थयात्रियों की मौत पर विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया था कि वह यात्रियों को स्वास्थ्य सेवाएं नहीं दे सकी जिसके चलते अधिकतर यात्री ऑक्सीजन और हार्टअटैक से मरे। जबकि पहली बार बड़ी संख्या में घोड़ा-खच्चर की भी मौत हुई। इस पर पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने भी प्रदेश सरकार पर पशुआें की मौत पर लापरवाही का आरोप लगाया था।
यात्रा खत्म होने के अंतिम पड़ाव पर 18 अक्टूबर को केदारनाथ से एक दुखद खबर सामने आई। जब एक हेलीकॉप्टर हादसे में सात लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में केदारनाथ दर्शन को गए छह तीर्थयात्रियों समेत हेलीकॉप्टर का चालक भी था। ये हेलीकॉप्टर केदारनाथ से तीर्थयात्रियों को लेकर गुप्तकाशी की ओर जा रहा था। केदारनाथ धाम से दो किमी दूर गरुड़चट्टी के पास खराब मौसम की वजह से ये हादसा हो गया। केदारनाथ के दर्शन के लिए पहुंचने के लिए हेलीकॉप्टर की मदद लेने वाले यात्रियों को हेलीकॉप्टर में सवार होकर दो संकरी घाटियों से होकर गुजरना पड़ता है। इस दौरान अगर कोहरा और बादल हों तो ये सफर जानलेवा बन जाता है। कई बार तो हेलीकॉप्टर की सेवा खराब मौसम की वजह से लंबित रहती है या निरस्त भी हो जाती है। लेकिन केदारनाथ की घांटी में खराब मौसम होने के बावजूद भी हेलीकॉप्टर का तीर्थ यात्रियों को लेकर उड़ना जांच का विषय बन गया।
इस बार केदारनाथ यात्रा बहुत उत्साहवर्धक रही है। प्रदेश की आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिला है। प्रधानमंत्री जी द्वारा धार्मिक स्थलों पर आने वाले तीर्थ यात्रियों को स्थानीय उत्पादों की ख़रीद पर पांच प्रतिशत खर्च करने के लिए अपील की गई है। आने वाले समय में हम स्थानीय उत्पादों के बिक्री की व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे। मानस खंड कॉरीडोर के मास्टर प्लान का काम भी शीघ्र प्रारंभ किया जाएगा। हमारी सरकार का उद्देश्य समस्त पौराणिक मंदिरों को संवारने और उन्हें पर्यटन से जोड़ना है।
पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड