विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ यात्रा साइबर लुटेरों के निशाने पर है। गूगल पर फर्जी वेबसाइट बनाकर घात लगाकर बैठे इन लुटेरों ने उन लोगों को अपना शिकार बनाया है जो हेली सेवा के जरिए केदारनाथ यात्रा करने की तैयारी कर रहे हैं। हवाई यात्रा कराने की एवज में लोगों से लाखों की लूट की जा चुकी है। दर्जनों मामले सामने आने पर भी लुटेरे बेखौफ हैं। लुटेरों पर कड़ी कार्रवाई न होने से उत्तराखण्ड पुलिस पर सवाल उठने लगे हैं
यह पहली बार है जब केदारनाथ यात्रा के नाम पर साइबर लुटेरों ने जमकर लूटपाट शुरू की है। यह साइबर लुटेरे उन श्रद्धालुओं को अपना निशाना बना रहे हैं जो हेली सेवा के जरिए बाबा केदारनाथ के दर्शन करने की अभिलाषा पाले हुए है। साइबर लुटेरों ने सरकार की हेली सेवा बुकिंग को बनाई गई वेबसाइट से मिलती जुलती वेबसाइट बनाकर गूगल और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को अपना लूट का केंद्र बना डाला। जहां हेली सेवा के लिए टिकट बुक कराने के नाम पर दर्जनों लोगों से लाखो की ठगी कर डाली है। हालांकि ऐसे मामलों में ठगी का शिकार हुए लोगो ने मुकदमे दर्ज करा दिए हैं। केदारनाथ यात्रा के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट में छेड़छाड़ के साथ ही हेली सेवा के नाम पर धोखाधड़ी के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। ऐसे मामलों में दो मई से 30 मई के बीच ही कुल 14 मुकदमें दर्ज किए जा चुके हैं। इनमें टिहरी, चमोली व रुद्रप्रयाग में तीन-तीन और देहरादून में पांच मुकदमे दर्ज हैं। उत्तराखण्ड पुलिस का साइबर क्राइम सेल सक्रिय भी हुआ जिसके चलते कुछ लोगों की गिरफ्तारी भी हुई। तब उत्तराखण्ड पुलिस ने खुद ही अपनी पीठ ठोकी और दावा किया गया कि बिहार और झारखण्ड के आदिवासी इलाके से लुटेरे केदारनाथ यात्रा करने वालो को शिकार बना रहे थे। जहां से उनकी गिरफ्तारी के बाद यह भी कहा गया कि अब ऐसे मामलों पर विराम लग जाएगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। आज भी साइबर लुटेरे केदारनाथ की यात्रा करने के इच्छुक लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं।
गौरतलब है कि कोरोना की वजह से केदारनाथ सहित चारों धामों की यात्रा दो साल बंद रही। यात्रा बंद रहने के बाद उत्तराखण्ड में केदार धाम यात्रा इस बार नौ मई को शुरू हुई। तब यात्रा के प्रति श्रद्धालुओं का आकर्षण इतना था कि वे केदारनाथ दर्शन के लिए महीनों पहले ही ऑनलाइन हेली सेवा बुक करा रहे थे। लेकिन तीर्थयात्रियों की संख्या ज्यादा होने और हेलीकॉप्टर कम होने के चलते उन्हें समय से बुकिंग नहीं मिल रही थी। ज्यादातर टिकट पहले ही बुक हो चुके थे। तब वे दूसरे विकल्प की ओर तलाश में गए तो उन्हें ठगी का शिकार होना पड़ा। साइबर वेबसाइट पर पहले से ही घात लगाए बैठे साइबर लुटेरे शायद पूर्व नियोजित तरीके से श्रद्धालुओं की प्रतीक्षा कर रहे थे। ऐसे लुटेरों के शिकार अकेले उत्तराखण्ड ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ जैसे देशभर के राज्यों के लोग इस तरह की बुकिंग कराने के चक्कर में लाखों की रकम गंवा रहे हैं। ठगी का यह तरीका यूट्यूब, गूगल और याहू सर्च इंजन में फर्जी कस्टमर केयर बनाकर किया गया। जिसमे बकायदा हेली सेवा के नाम से मोबाइल नंबर दिए गए। इन मोबाइल नंबर के जरिए ही यात्रियों को अपने जाल में फंसाया गया और उन्हें ठगी का शिकार बनाया गया। यह बताना भी जरूरी है कि गत तीन अप्रैल से ही बुकिंग शुरू कराने की घोषणा के साथ ही यह खेल शुरू हो गया था।
जून तक ऑनलाइन हेली सेवा फिलहाल बुक बताई जा रही है। सभी स्लॉट बुक हो चुके हैं। लेकिन अभी भी स्लॉट खाली बनाकर इस काम को अंजाम दिया जा रहा है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि ऐसे में आने वाले दिनों में कितने लोगों के साथ हेली यात्रा सेवा में यह ठगी हुई है, इसका आंकड़ा यात्रा बुकिंग की तारीख नजदीक आने के साथ ही सामने आ सकता है। क्योंकि ठगी का शिकार हुए व्यक्ति को अधिकतर पता ही उस समय चलता है जब वह फर्जी टिकट को ले जाकर हेली सेवा के जरिए केदारनाथ दर्शन को उड़ने की तैयारी कर रहा होता है। मामले की गंभीरता को इससे समझा जा सकता है कि प्रदेश के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार को सामने आना पड़ा। उन्होंने इस बाबत बकायदा एक वीडियो जारी की। जिसमें सरकार की ऑथोराइज वेबसाइट का नाम बताकर लोगों को अन्य वेबसाइट पर सर्च करने के साथ ही हेली सेवा के टिकट बुक न कराने की अपील भी की।
अब तक ठगी के जो मामले सामने आए है उनमे हरियाणा के यात्रियों को भी इसका शिकार होना पड़ा। 28 मई को फरीदाबाद के पलवल में मोती कॉलोनी निवासी जिला रेडक्रॉस सोसायटी में लेखाकार के पद पर तैनात अंजली भ्याना ने ऐसे ही एक मामले की रिपोर्ट दर्ज कराई। उनके ग्रुप की महिलाओं ने दो जून को केदारनाथ यात्रा पर जाने का मन बनाया था। उन्होंने केदारधाम जाने के लिए हेलिकॉप्टर सर्विस को खोजा तो इंटरनेट पर एक नामी कंपनी की सर्विस मिली, जिस पर दिए गए मोबाइल नंबर पर संपर्क किया गया। उस पर बातचीत के बाद उसके पास एक मेसेज आया जिसमें उन्होंने अपने आपको कर्मचारी बताया। उसके बाद उन्होंने डिटेल मांगी जिसमें नाम, आधार नंबर व उम्र जो मांगे गए उन्होंने सभी भेज दिए । इसके बाद उन्होंने बैंक अकाउंट नंबर लिया, जिसमें पीड़िता ने अपनी साथी रेनू चुघ के खाते से 61,360 रुपये भेज दिए।
अंजलि को बताया गया कि आपकी टिकट बुक हो गई है। जिनके नंबर उन्होंने दे दिए। लेकिन पीड़िता ने तीन और टिकट बुक करने के लिए कहा तो उन्होंने दूसरा बैंक खाता नंबर दिया। जिसमें 14,160 रुपये जमा कराए गए। इसके बाद टिकट मांगने को जब कहा गया तो उधर से बताया गया कि आपको 32,200 रुपये और भेजने होंगे, जिनसे पहले आपका बीमा होगा, उक्त रुपये भी उन्होंने भेज दिए। इसके बाद एनओसी लेने के लिए 26,250 रुपये और मांगे गए। वह पैसे भी पीड़िता की ओर से जमा करवा दिए गए। इसके बाद न तो उन्हें हेलिकॉप्टर की टिकट ही मिली और न ही पैसा वापस मिला।
30 मई को देहरादून निवासी मुकुल कोरी ने हेली टिकटों की बुकिंग के लिए उसने परिचित मनोज रावत से संपर्क किया। उसने मुकुल से 48 हजार रुपये लिए और फाटा से केदारनाथ जाने के लिए छह व्यक्तियों का टिकट ऑनलाइन बुक करा दिया। टिकट बुक करने के लिए मनोज ने जिस वेबसाइट पर संपर्क किया, वहां उसकी बात किसी यासीन नाम के व्यक्ति से हुई। इसके बाद वेबसाइट से टिकट भेज दिए गए। टिकटों की प्रति 20 मई को मुकुल ने व्हाट्सएप के जरिए टिकट अपने परिचित को कोलकाता भेज दी। इसके बाद 28 मई को मुकुल को पता चला कि टिकट फर्जी हैं, क्योंकि उन पर क्यूआर कोड नहीं था।
ऐसे ही एक मामले में 22 मई को प्रशांत यादव ने शिकायत की थी कि हेली सेवा का टिकट बुक कराने के नाम पर उनसे साइबर ठगों ने 1.18 लाख रुपये ठग लिए हैं। उन्होंने इंटरनेट पर वेबसाइट पर संपर्क किया था। इस मामले में मुकदमा दर्ज कराने के बाद जांच शुरू की तो खातों की जांच करते-करते बिहार प्रांत का नाम सामने आया। मामले में बिहार के नवादा से दो युवकों को गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तार आरोपियों में नवादा का सेंटी कुमार उर्फ विकास कुमार और निक्कू कुमार हैं। आरोपियों ने बताया कि वे कई फर्जी वेबसाइट बनाते थे। उन पर कई नंबर भी लिखते थे। इन नंबरों पर जब फोन आते थे तो वह लोगों को जाल में फंसा लेते थे। आरोपियों के पास से पुलिस को पांच मोबाइल और लाखो की नगदी भी मिली। चौंकाने वाली बात यह है कि आरोपी किसी मकान या ऑफिस से ठगी को अंजाम नहीं देते थे, बल्कि जंगल में एक पेड़ पर वाईफाई राउटर को टांग देते थे। ऐसे में कोई वाईफाई को ट्रेस करे तो किसी गांव शहर में न पहुंच पाए। बावजूद इसके उत्तराखण्ड की एसटीएफ ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
इस मामले में पुलिस ने दावा किया कि इस पूरे रैकेट को नेस्तनाबूद कर दिया गया है। तब लगा कि अब शायद आगे से ऐसी ठगी नहीं होगी। लेकिन इसके दो दिन बाद ही एक और ऐसा ही मामला देहरादून में दर्ज हुआ। पीड़ित के साथ 30 हजार रुपये का फ्रॉड हुआ। पीड़ित ने इस मामले में हिमालयन हेली सर्विस वेबसाइट का नाम उजागर किया। इस वेबसाइट के जरिये ही उसके साथ ठगी हुई थी। पीड़ित ने केदारनाथ की हेली सेवा संबंधी सर्च गूगल पर किया तो उन्हें ‘हिमालयन हेली सर्विसेज’ का वेबपेज मिला। यहां किसी आकाश सिंह का नंबर मिला। जिसने हेली का किराया प्रति व्यक्ति 4860 रुपये बताया और वॉट्सएप नंबर पर हर पैसेंजर के आधार कार्ड की फोटो कॉपियां मंगवाईं। इसके बाद अलग अलग बैंक अकाउंटों में रकम जमा करवाई गई। बैंक अकाउंट ‘हिमालयन हेली सर्विसेज’ के नाम पर था। उन खातों में दो बार रकम ट्रांसफर की गई। इसके बाद ट्रांजेक्शन फेल होने की बात कहकर पेमेंट रिसीव न होने की बात कही गई साथ ही कोई बुकिंग टिकट भी नहीं भेजा गया। बाद में पीड़ितों को पता चला कि हेली सर्विस की कोई बुंकग नहीं हुई।
9 जुलाई को देहरादून में जोगीवाला निवासी एक व्यक्ति ने नेहरू कॉलोनी थाने पर अज्ञात के खिलाफ शिकायत दर्ज करते बताया कि 26 अप्रैल को उसने केदारनाथ के लिए हेली सेवा व होटल बुकिंग के लिए गूगल पर सर्च किया। जिसके बाद उन्हें एक लिंक प्राप्त हुआ। जिस पर क्लिक करने के बाद सामने आए पेज पर कुछ जानकारी मांगी गई। पीड़ित के अनुसार डिटेल भरने के बाद उसे एक अज्ञात व्यक्ति ने फोन किया और खुद को संबंधित कंपनी का कर्मचारी बताकर कुछ और जानकारी मांगी। पीड़ित दीपक के अनुसार जानकारी उपलब्ध कराने के बाद साइबर ठग ने उससे आधार कार्ड नंबर की फोटो कापी मांगी और अपने खाते में टिकट व होटल बुकिंग के नाम पर 57 हजार रुपये आनलाइन ट्रांसफर करवा दिए। बाद में साइबर ठग ने वाट्सएप पर जो टिकट भेजा वह जांच में फर्जी पाया गया। इसी तरह 20 मई को संगीता कुंडा और उनके साथियो को भी हेलीकॉप्टर से केदारनाथ जाना था। संगीता ने इस बाबत एक अंशुमान साहू नमक व्यक्ति को एक वेबसाइट पर संपर्क होने के बाद टिकटों के 49,560 रुपये गूगल पे से और 40 हजार नकद दिए थे। संगीता के अनुसार उसने जो टिकटें बुक कराई थीं, वे फर्जी थी। 11 जून को भी एक मामला दर्ज किया गया। इस मामले में शशांक जैन ने केदारनाथ जाने के लिए हेली सेवा के नाम पर साइबर ठग ने एक व्यक्ति से 76 हजार रुपये ठग लिए। देहरादून की रायपुर थाना पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया।
यात्रियों को यह ध्यान रखना चाहिए कि कभी भी किसी टूरिज्म या हेली सेवा बुकिंग कंपनी का संपर्क नंबर टोल फ्री होता है न कि कोई मोबाइल नंबर, इसलिए इंटरनेट सर्च इंजन के बुकिंग मोबाइल नंबर से भी बचें। किसी भी तरह की ऑनलाइन फाइनेंशियल ठगी से बचने के लिए जागरूकता बेहद जरूरी है। इसके बावजूद भी अगर किसी के साथ वित्तीय लेन-देन वाली धोखाधड़ी होती है तो तत्काल समय रहते टोल फ्री नंबर 1930 पर साइबर पुलिस से संपर्क करें।
अशोक कुमार, डीजीपी, उत्तराखण्ड पुलिस