प्रेमनाथ का काला साम्राज्य/भाग-दो
पंद्रह बरस पहले दिल्ली के एक एनजीओ ‘प्लीजेंट वैली फाउंडेशन’ को उत्तराखण्ड सरकार ने गरीब बच्चों के लिए स्कूल खोलने की स्वीकृति दी थी। स्वीकृति सख्त भू-कानून के चलते मात्र दो हेक्टेयर जमीन खरीदने के लिए दी गई थी। 2008 में इस स्वीकृति के बाद इस एनजीओ ने मजलूमों के लिए स्कूल खोलने के नाम पर सरकारी जमीन पर कब्जा, अवैध वृक्ष कटान, अवैध भवन निर्माण आदि का खेला शुरू कर दिया। ‘दि संडे पोस्ट’ की खोजी खबरों ने जब प्लीजेंट वैली फाउंडेशन नाम के इस एनजीओ की छानबीन की तो कई चाैंकाने वाले खुलासे हुए। 2011 में अल्मोड़ा प्रशासन ने राजस्व विभाग को अपनी एक रिपोर्ट भेजी जिसमें एनजीओ को दी गई स्वीकृति निरस्त करने और इसके द्वारा खरीदी गई जमीन को जब्त करने की संस्तुति की गई थी। 11 बरस तक राजस्व विभाग इस संस्तुति को दबाए रहा। एनजीओ के कर्ताधर्ता दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ए.वी. प्रेमनाथ की पॉस्को एक्ट के तहत गिरफ्तारी के बाद जनवरी 2023 में राजस्व विभाग की नींद टूटी और उसने एनजीओ को एक नोटिस जारी किया। 10 महीने इस नोटिस को जारी किए बीत चुके हैं लेकिन एक बार फिर से राजस्व विभाग जिसके मंत्री स्वयं राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हैं, इस मामले में खामोशी औढ़ चुका है। इस बीच दिल्ली के एंटीकरप्शन ब्यूरो ने प्लीजेंट वैली फाउंडेशन की संपत्ति को ए.वी. प्रेमनाथ द्वारा भ्रष्टाचार के जरिए अर्जित संपत्ति घोषित कर एफआईआर दर्ज कर ली है और केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस अधिकारी को ‘संदिग्ध निष्ठा वाला’ घोषित कर उसे जबरन सेवानिवृत्त कर दिया है। भ्रष्टाचार के खिलाफ केंद्र सरकार की सक्रियता के बावजूद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अधीन राजस्व विभाग अभी भी कंुभकर्णी नींद में है जिससे शंका पैदा होती है कि राज्य सरकार का भ्रष्टाचार के खिलाफ लिया गया सकंल्प दिखावा मात्र है

अगले अंक में खुलासा कि कैसे निजी जमीन कब्जा कर प्रेमनाथ ने बनाया स्कूल का डायनिंग हॉल
वर्ष था 2010, महीना था जून, आज से ठीक तेरह बरस पूर्व जब ‘दि संडे पोस्ट’ ने अल्मोड़ा जिले के गांव डांडा-कांडा में दिल्ली के एक एनजीओ द्वारा ग्रामसभा की जमीन पर अतिक्रमण करने और एक ग्रामीण बिशन सिंह अधिकारी की जमीन कब्जाने की बाबत समाचार प्रकाशित किया था। अगस्त, 2010 में प्रकाशित हुआ दूसरा समाचार जिसमें ‘दि संडे पोस्ट’ ने इस एनजीओ के तार धन शौधन यानी मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े होने के प्रमाण सामने रखे थे। यह भी तथ्य सामने रखे कि एनजीओ प्लीजेंट वैली फाउंडेशन द्वारा निर्माण कार्यों के दौरान अवैध वृक्ष कटान और अवैध बोरिंग की गई है। हमारे द्वारा लगातार इस एनजीओ की बाबत समाचार प्रकाशित किए जाने बाद जिला अल्मोड़ा का सोया हुआ तंत्र जागा। एनजीओ को नोटिस जारी किए गए और उस पर कार्यवाही की शुरूआत होने की आस जगी। उत्तराखण्ड परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष और प्रदेश में जनआंदोलनों का चेहरा रहे पी ़सी ़ तिवारी ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठा जिला प्रशासन पर दबाव बनाने का काम किया। ‘दि संडे पोस्ट’ और पी ़सी ़ तिवारी की जुगलबंदी लेकिन भ्रष्टतंत्र और इस एनजीओ के कर्ताधर्ताओं की जुगलबंदी के आगे कमजोर साबित हुई। एनजीओ को राजस्व विभाग के स्थानीय अधिकारियों का पूरा संरक्षण मिलता रहा जिस चलते ग्रामसभा और बिशन सिंह की जमीन कब्जाने, वृक्षों की अवैध कटान करने और बगैर परमिशन बोरिंग कर पानी निकालने का सिलसिला जारी रहा। इस बीच इस एनजीओ के कर्ताधर्ताओं ने ‘दि संडे पोस्ट’ के संपादक पर निशाना साधने का काम युद्ध स्तर पर शुरू कर दिया। इस काम को अंजाम दिया गया संपादक पर नाना प्रकार के आरोप लगाने वाले शिकायती पत्रों के जरिए जिन्हें केंद्र और राज्य सरकारों की जांच एजेंसियों को भेजा जाने लगा। 2010 में ही हमारे द्वारा एक सनसनीखेज खुलासा इस एनजीओ के कर्ताधर्ताओं की बाबत सामने लाया गया। यह खुलासा था एनजीओ की अध्यक्ष आशा प्रेमनाथ द्वारा फर्जी दस्तावेजों के सहारे मैणी गांव, जिला अल्मोड़ा में 100 नाली जमीन की खरीद करना। इस जमीन को आशा यादव के नाम से खरीदा गया था। आशा यादव ने खुद को उत्तराखण्ड का मूल निवासी बताते हुए जमीन खरीदी थी। ‘दि संडे पोस्ट’ ने प्रमाणित कर दिया कि आशा यादव और आशा प्रेमनाथ एक ही हैं जिसने फर्जीवाड़ा कर यह जमीन खरीदी है। राज्य सरकार ने इस समाचार के बाद मैणी गांव में हुई खरीद- फरोख्त पर रोक लगाने के साथ-साथ आशा यादव उर्फ आशा प्रेमनाथ पर आपराधिक षड्यंत्र करने संबंधी मुकदमा दर्ज कर दिया। इस मुकदमे की सुनवाई अल्मोड़ा के जनपद न्यायालय में चल रही है। ‘दि संडे पोस्ट’ की खबरों के बाद हुई जांच से यह प्रमाणित हो चुका है कि आशा यादव उर्फ आशा प्रेमनाथ इस पूरे गोरखधंधे में चेहरा मात्र है। मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर हरेक आपराधिक कृत्य का मास्टर माइंड आशा का पति ए ़वी ़ प्रेमनाथ है। यह व्यक्ति दिल्ली सरकार का अधिकारी है जिसे गत् सप्ताह केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सरकारी सेवा से जबरन रिटायर कर दिया है। इस महाभ्रष्ट अधिकारी को हटाए जाने के पीछे इसके खिलाफ दर्ज कई मुकदमे रहे जिनमें से एक प्लीजेंट वैली फाउंडेशन की आड़ में बेनामी संपत्ति का साम्राज्य खड़ा करना भी है।
केंद्र सरकार सख्त, धामी सरकार उदासीन
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार में तैनात दानिक्स सेवा (दिल्ली अंडमान निकोबार आइसलैंड सर्विस) के इस महाभ्रष्ट अधिकारी पर कड़ी कार्यवाही करते हुए उसे सेवा से जबरन रिटायर कर दिया है। ‘दि संडे पोस्ट’ को मिली जानकारी अनुसार केंद्र सरकार ने यह कठोर कदम दिल्ली सरकार के विजिलेंस निदेशालय की एक रिपोर्ट के आधार पर उठाया है। सूत्रों के अनुसार 300 पन्नों की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ए.वी. प्रेमनाथ द्वारा उत्तराखण्ड में शुरू किए गए एनजीओ प्लीजेंट वैली फाउंडेशन में भ्रष्टाचार से कमाई गई अकूत धनराशि को लगाया गया है। गौरतलब है कि दिल्ली सरकार का एंटीकरप्शन ब्यूरो (एसीबी) इस बाबत भ्रष्टाचार उन्मूलन अधिनियम 1988 के अंतर्गत ए.वी.प्रेमनाथ पर एफआईआर दर्ज कर चुका है। इस एफआईआर में कहा गया है- ‘Enquiry has further revealed that Sh. A.V. Premnath set up Pleasent Valley School at village DadaKada, Post Bainskhet, Tehsil District Almora, Uttrakhand in the year 2007 through Pleasant Valley foundation in which his wife Smt. Asha Premnath is the Chairperson and one of the members is Mrs. Sushma (Mother-in-law) of Mr. A.V. Premnath… Statement of Various persons have been recorded which revealed that Sh. A.V. Premnath alone controls the affairs and functioning of the foundation. It has also been revealed that Sh. A.V. Premnath has also been making payment in cash’ (जांच के दौरान सामने आया है कि श्री ए .वी. प्रेमनाथ ने उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा जिले के गांव डांडा-कांडा में एक स्कूल प्लीजेंट वैली के नाम से वर्ष 2007 में शुरू किया है। यह स्कूल प्लीजेंट वैली फाउंडेशन के द्वारा चलाया जा रहा है। इस संस्था की अध्यक्ष ए.वी. प्रेमनाथ की पत्नी श्रीमती आशा प्रेमनाथ हैं तथा एक अन्य सदस्य श्रीमती सुषमा है जो श्री ए ़वी ़प्रेमनाथ की सास है…कई व्यक्तियों के बयान दर्ज किए गए जिनसे स्पष्ट होता है कि श्री ए.वी . प्रेमनाथ ही इस फाउंडेशन का कर्ताधर्ता है और वही इस संस्था की गतिविधियों को संचालित करता। यह भी जांच में सामने आया है कि ए.वी. प्रेमनाथ नकद धनराशि के जरिए भुगतान करता है) एंटीकरप्शन ब्यूरो ने तो अपनी जांच ईमानदारी पूर्वक पूरी कर एफआईआर दर्ज कर ली, दिल्ली सरकार के विजिलेंस निदेशालय ने भी ए.वी. प्रेमनाथ की काली करतूतों का विस्तृत ब्योरा तैयार करने में देर नहीं लगाई और केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस रिपोर्ट के आधार पर कठोर कार्यवाही करते हुए इस अधिकारी को समयपूर्व सेवा से हटाने का निर्णय ले डाला, उत्तराखण्ड की सरकार लेकिन पूरे प्रकरण में आंख मूंद सो रही है।
बारह बरस और ढाई कोस का सफर
राजस्व विभाग का नकारापन

2011 की जांच रिपोर्ट जिसमें प्लीजेंट वैली की भूमि को जब्त करने की बात कही गई है
प्लीजेंट वैली फाउंडेशन को दिसंबर 2008 में अल्मोड़ा के ग्राम डांडा-कांडा में चैरिटेबल स्कूल एवं हॉस्टल के निर्माण हेतु 2 ़00 हेक्टेयर भूमि खरीदने की अनुमति राजस्व विभाग, उत्तराखण्ड शासन द्वारा अपने पंत्राक संख्या 1340/18(2)/ 2008-01(37)/08 के जरिए दी गई थी। इस पत्र में कई शर्तें/ प्रतिबंध इस संस्था पर लगाए गए थे और स्पष्ट लिखा गया था कि ‘‘उपरोक्त शर्तों/प्रतिबंधों का पूर्णतः अनुपालन न होने, भिन्न उपयोग करने, उल्लंघन होने पर अथवा किसी अन्य कारणों से, जिसे शासन उचित समझता हो, प्रश्नगत् स्वीकृति निरस्त कर दी जाएगी।’’ ऐसा लेकिन हुआ नहीं और यह संस्था (प्लीजेंट वैली फाउंडेशन) एक के बाद एक ऐसे काम करती चली गई जो इसे मिली स्वीकृति को तत्काल प्रभाव से निरस्त करने के लिए काफी हैं। शासन द्वारा भूमि खरीदने के लिए दिया गया स्वीकृत पत्र में स्पष्ट लिखा है कि ‘‘किसी भी दशा में प्रस्तावित क्रेताओं को प्रस्तावित भूमि के अतिरिक्त अन्य भूमि के उपयोग की अनुमति नहीं होगी एवं सार्वजनिक उपयोग की भूमि या अन्य भूमि पर कब्जा न हो इसके लिए भूमि क्रय के तत्काल बाद उसका सीमांकन कर लिया जाए।’’ इस शर्त की धज्जियां उड़ाते हुए ए.वी. प्रेमनाथ की यह संस्था लगातार सरकारी एवं निजी जमीन पर अतिक्रमण, अवैध निर्माण, अवैध वृक्ष कटान करती रही लेकिन जिला प्रशासन से लेकर राजस्व विभाग के उच्चाधिकारी अपनी आंख मूंदे रहे। नतीजा आपराधिक प्रवृत्ति के ए.वी. प्रेमनाथ का हौसला बढ़ना रहा जिसका नतीजा एक नाबालिग के साथ इस कथित स्कूल में यौन शोषण के रूप में सामने आया। अंकिता भंडारी हत्याकांड से शर्मसार राज्य को प्रेमनाथ की इस काली करतूत चलते दोबारा से शर्मिंदा होना पड़ा था। दिल्ली सरकार ने इस मामले में प्रेमनाथ की गिरफ्तारी के बाद उसे तुरंत ही निलंबित करा और अब उसको नौकरी से निकाल बाहर किया है लेकिन राज्य सरकार की आंखें अभी भी नहीं खुली हैं।
2011 में जमीन जब्त करने की हुई थी संस्तुति

‘दि संडे पोस्ट’ द्वारा अवैध निर्माण, वृक्ष कटान एवं सरकारी जमीन पर कब्जा किए जाने की बाबत समाचार प्रकाशित किए जाने के बाद जिलाधिकारी अल्मोड़ा द्वारा अक्टूबर 2010 में उत्तराखण्ड परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष पी.सी. तिवारी के शिकायती पत्र पर एक जांच समिति का गठन किया गया था। इस जांच समिति ने 12 दिसंबर 2011 यानी एक बरस बाद ही अपनी रिपोर्ट में सरकारी जमीन पर कब्जा होने, अवैध भवन निर्माण करने, अवैध वृक्ष कटान करने तथा अवैध खनन करने के आरोप सत्य पाते हुए प्लीजेंट वैली फाउंडेशन को भूमि क्रय के लिए दी गई सहमति निरस्त करने एवं समस्त भूमि को जब्त करने की संस्तुति की। इस रिपोर्ट में कहा गया है- ‘अतः समिति के विचार में अपर सचिव, उत्तराखण्ड, राजस्व अनुभाग-2 देहरादून के शासनादेश संख्या 1340/18(2)/2008-0137)/08 दिनांक 2-12-2008 जिनके अंतर्गत प्लीजेंट वैली को कतिपय शर्तों के अंतर्गत स्कूल एवं हॉस्टल के निर्माण हेतु भूमि क्रय करने स्वीकृति प्रदान की गई है, के शर्त प्रतिबंध संख्या 9 का उल्लंघन हुआ है। ऐसी स्थिति में उपरोक्त प्रकरण से संबंधित भूमि शासन द्वारा क्रय किए जाने की स्वीकृति का निरस्त किए जाने हेतु शासन को संदर्भित करना उचित होगा तथा शासन द्वारा स्वीकृति निरस्त करने की अनुमति प्राप्त होने उपरांत प्रश्नगत भूमि को राज्य सरकार मंे निहित करने की कार्यवाही करना उचित होगा।’
12 बरस बीत गए लेकिन कार्यवाही नहीं हुई
प्लीजेंट वैली फाउंडेशन के कर्माधर्ता ए ़वी ़ प्रेमनाथ का जलवा उत्तराखण्ड के राजस्व विभाग में इस कदर प्रभावी है कि 12 बरस बीत जाने के बाद भी इस जांच रिपोर्ट पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है। प्रेमनाथ की पॉक्सो एक्ट में गिरफ्तारी बाद 24 जनवरी, 2023 को राजस्व विभाग जागा लेकिन केवल दिखावे के लिए। राजस्व सचिव सचिन कुर्वे ने प्लीजेंट वैली फाउंडेशन को एक कारण बताओ नोटिस जारी करके अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली। इस नोटिस को भेजे नौ माह बीत चुके हैं। लेकिन कार्यवाही के नाम पर कुछ नहीं किया गया है।
अब बड़े फर्जीवाडे़ की तैयारी
एक तरफ उत्तराखण्ड का राजस्व महकमा प्लीजेंट वैली फाउंडेशन की अवैध गतिविधियों पर आंखे मूंदे बैठा है तो दूसरी तरफ ‘दि संडे पोस्ट’ को मिली पुख्ता जानकारी के अनुसार ए ़वी ़प्रेमनाथ और उसके गुर्गे अब प्लीजेंट वैली फाउंडेशन की संपत्ति को बैंक में गिरवी रख कर करोड़ों का ऋण उठाने की जुगत में हैं। जिस संपत्ति को एंटी करप्शन ब्यूरो, दिल्ली द्वारा दर्ज एफआईआर में प्रेमनाथ की बेनामी संपत्ति बताया गया हो, उसे प्राप्त जानकारी के अनुसार सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की दौलाघाट शाखा को दिए गए एक ऋण प्रस्ताव में गिरवी रखने का प्रयास किया जा रहा है। हमारे द्वारा इस बारे में दौलाघाट शाखा के शाखा प्रबंधक को लिखित एवं मौखिक रूप से सूचित करा गया। शाखा प्रबंधक बिरेंद्र सिंह ने यह स्वीकारा है कि प्लीजेंट वैली फाउंडेशन की तरफ से ऋण हेतु एक प्रस्ताव बैंक के पास लंबित है।
केंद्र सरकार ने दी प्रेमनाथ पर मुकदमा चलाने की मंजूरी
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के निर्देश पर सतर्कता विभाग ए.वी. प्रेमनाथ, आशा प्रेमनाथ व अन्य पर अल्मोड़ा के तत्कालीन सिविल जज अभिषेक श्रीवास्तव के खिलाफ षड्यंत्र रच उनकी ख्याति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में एक एफआईआर 1, जून, 2021 में दर्ज की गई थी। इस मामले में प्रेमनाथ एवं उसकी पत्नी आशा प्रेमनाथ के खिलाफ गैरजमानती वारंट भी जारी हुए थे। उत्तराखण्ड शासन बीते दो वर्षों से प्रयासरत् था कि सरकारी अधिकारी होने के नाते केंद्र सरकार ए ़वी ़ प्रेमनाथ के खिलाफ मुकदमा चलाने की स्वीकृति प्रदान करे। ‘दि संडे पोस्ट’ को प्राप्त जानकारी के अनुसार केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्रेमनाथ को सेवा से जबरन हटाने के साथ-साथ उत्तराखण्ड शासन को उसके खिलाफ मुकदमा शुरू करने संबंधी सहमति पत्र भी भेज दिया है। अब देखना यह है कि राज्य सरकार कोई कठोर कार्यवाही कर प्लीजेंट वैली फाउंडेशन को राज्य में एनजीओ चलाने और जमीन खरीदने के लिए दी गई स्वीकृति रद्द कर इस संस्था की संपत्ति को अपने कब्जे में लेती है या प्रेमनाथ को संरक्षण देने का सिलसिला जारी रहता है।
बात अपनी-अपनी
प्लीजेंट वैली द्वारा एक लोन प्रपोजल दिया गया है। आपके द्वारा बताई गई जानकारी की बाबत हम विचार करेंगे। बैंक द्वारा कोई भी गलत ऋण नहीं दिया जाएगा।
राम प्रमोद आनंद, रीजनल हेड, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, देहरादून हम पूरी जांच-पड़ताल करने के बाद ही प्लीजेंट वैली को ऋण उपलब्ध कराएंगे। आपकी इस संबंध में हमारी बैंक के रीजनल मैनेजर से बात हो गई है। उनके आदेश से ही अब आगे की कार्यवाही की जाएगी।
विरेंद्र सिंह, शाखा प्रबंधक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, दौलाघाट अल्मोड़ा
इस मामले की मुझे पहले से ही जानकारी है। इस बाबत हमने डीएम को पत्र लिखा है। यह केस पहले से ही न्यायालय में विचाराधीन है। कुछ कह नहीं सकते।
सचिन कुर्वे, सचिव राजस्व, उत्तराखण्ड शासन
साल 2010 में जब ‘दि संडे पोस्ट’ ने प्लीजेंट वैली की खबरें प्रकाशित की उसके बाद उपपा ने इस पर धरना-प्रदर्शन किए और जांच की मांग की। जिसके बाद एडीएम के नेतृत्व में हुई जांच में ए .वी . प्रेमनाथ द्वारा डांडा-कांडा में सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे की बात सामने आई थी। हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा बर्खास्त किए गए दिल्ली सचिवालय में तैनात पूर्व दानिक्स अधिकारी ए .वी . प्रेमनाथ और उसके साथ मिले लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, जो सरकार व प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े करता है। उत्तराखण्ड में स्कूलों व संस्थाओं के नाम पर बाहरी लोगों द्वारा अवैध तरीके से जमीनों की खरीद-फरोख्त कर ऐशगाह व अय्याशी के अड्डे खोले जा रहे हैं और अवैध तरीके से जमीन कब्जाने का मुकदमा होने के बाद भी प्रेमनाथ के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने से पता चलता है कि सरकार भूमाफियाओं व रसूखदारों को संरक्षण दे रही है।
पी.सी. तिवारी, अध्यक्ष उत्तराखण्ड परिवर्तन पार्टी