उत्तराखंड में पुलिस के उच्चाधिकारियों की बात मानने को निचले स्तर पर अधिकारी तैयार नहीं है। इसका ताजा उदाहरण देखने को मिल रहा है हरिद्वार जिले में। जहां पत्रकार एहसान अंसारी प्रकरण में पुलिस की कलई खुल गई है। इस प्रकरण में शुरू से ही पुलिस की हील हवाली सामने आती रही है। एक बार पहले भी प्रदेश के डीजीपी द्वारा एहसान अंसारी के मुकदमों को दूसरे थानों में स्थानांतरण करने के निर्देश दिए जा चुके थे। तब भी उनके निर्देशों को गंभीरता से नहीं लिया गया।
लेकिन इस बार प्रदेश के डीजीपी (अपराध एवं कानून व्यवस्था) अशोक कुमार ने 24 जून को लिखित में आदेश दिए हैं। जिन आदेशों में एहसान अंसारी प्रकरण से जुड़े तीनों मामलों को थाना ज्वालापुर से स्थानांतरित कर नये सिरे से जांच करने के लिए कहा गया है। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि आज 3 सप्ताह बाद भी उनके आदेशों पर कोई एक्शन नहीं हुआ है।
हरिद्वार में पुलिस महानिदेशक (अपराध एवं कानून व्यवस्था) सहित जनपद के पुलिस कप्तान द्वारा जारी आदेशों को मानने में इस कदर लापरवाही सामने आई है। दोनों अधिकारियों द्वारा ज्वालापुर कोतवाली में दर्ज दो मुकदमों की विवेचना स्थानांतरित किए जाने को लेकर तीन सप्ताह पूर्व जारी आदेशों के बावजूद पुलिस विवेचना नए जांच अधिकारी को सौंपने को ही तैयार नहीं है।
गौरतलब है कि पूर्व में हरिद्वार की ज्वालापुर कोतवाली में तैनात रहे निरीक्षक योगेश देव द्वारा पड्यंत्र कर पत्रकार अहसान अंसारी के विरूढ़ मुकदमे दर्ज किए गए थे। बाद में मीडिया पर आने के बाद इन मुकदमों का मामला तूल पकड़ गया है। इसके पश्चात योगेश देव को ज्वालापुर कोतवाली से हटा दिया गया था। वहीं दूसरी ओर पत्रकार अहसान अंसारी के विरुद्ध कोतवाल द्वारा लिखे गए मुकदमों की निष्पक्ष जांच के मद्देनजर पुलिस महानिदेशक (अपराध एवं कानून व्यवस्था) अशोक कुमार द्वारा मुकदमों की जांच ज्वालापुर कोतवाली से हटा कर अन्य थाना कोतवाली से कराए जाने के स्पष्ट आदेश दिए। लेकिन योगेश देव के चहेते दरोगा वर्तमान में एसएसआई ज्वालापुर सुनील रावत अहसान अंसारी के मामलों पर कुंडली मार कर बैठे हैं।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार डीजीपी और कप्तान द्वारा 24 जून को जारी आदेशों के बावजूद दरोगा सुनील रावत द्वारा अपने उच्चाधिकारियों के आदेशों की लगातार अवहेलना की गयी। जिसके चलते मुकदमा संख्या 556/19 व 563/19 की विवेचना नए विवेचना अधिकारी को नहीं सौंपी गई है। पत्रकार अहसान अंसारी के मुकदमा ट्रांसफर के संबंध में जारी किए गए आदेशों को 3 सप्ताह से अधिक का समय बीतने के बावजूद भी दरोगा सुनील रावत द्वारा नए विवेचना अधिकारी को पत्रावली न सौंपे जाने को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
इस संबंध में पीड़ित पत्रकार अहसान अंसारी द्वारा अपने विरुद्ध रचे जा रहे षड्यंत्र और पिछली तिथियों में पर्चे काटे जाने की आशंका जाहिर की है। अंसारी ने उच्चाधिकारी के आदेशों की अवहेलना कर जांच अपने पास ही दबाए बैठे दरोगा सुनील रावत के विरुद्ध कार्रवाई हेतु पुलिस महानिदेशक को पत्र भेजकर कार्रवाई की मांग की है। सवाल यह भी है कि आखिर अपने उच्च अधिकारियों के आदेश ना मानकर अपने पास ही जांच दबाए बैठे सुनील रावत किसके इशारे पर यह कार्य कर रहे हैं?