केन्द्र सरकार के द्वारा उत्तराखण्ड की जीवनदायिनी दवा फैक्ट्री आईडीपीएल को बंद कर चुकी है। इस सम्बध में आदेश भी जारी हो चुका है। मौजूदा समय में कोरोना संक्रमण के चलते आईडीपीएल को फिर से पुर्नजीवित करने की मांग उठने लगी है। इसके लिये यह तर्क दिये जा रहे है कि जिस तरह से मलेरिया की दवा हाईड्रोक्सीक्लोरोक्वीन जो कि कोरोना के इलाज में चिकित्सकों के द्वारा प्रयोग करने की बात कही जा रही है और इसके चलते विश्व भर में हाईड्रोक्सीक्लोरोक्वीन मांग हो रही है।
भारत विश्व में हाईड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का सबसे बड़ा निर्माता है लेकिन आज इस दवा की सैकड़ो देशो में मांग हो रही है और स्वयं भारत को भी इस दवा की जरूरत पड़ सकती है तो इसके लिये सबसे आसान तरीका यही है कि आईडीपीएल फैक्ट्री को पुर्नजीवित कर के इस में हाईड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा का निर्माण हो सकता है। भाजपा के नेता और वरिष्ठ उत्तराखण्ड राज्य आंदेालनकारी रविन्द्र जुगराण के अलावा कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने सरकार से आईडीपीएल को पुर्नजीवन देने की मांग की है।
उनका कहना हेै कि आईडीपीएल उत्तराखण्ड राज्य की एक अति महत्वपूर्ण दावा कारखाना रही है। लेकिन सरकार की नीतियों के चलते इसे बंदकर दिया गया है। अगर आईडीपीएल को फिर से पुर्नजीवित किया जाए तो अकेला यह कारखाना पूरे विश्व को मलेरिया की दवा हाईड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का निर्माण कर के आपूर्ति करने में सक्षम हो सकता है। इस से न सिर्फ कोरोना के इलाज में दवा की कमी नहीं होगी साथ ही देश को दवा उद्योग में भी आगे बढ़ने का अवसर मिल सकता है।
वैसे देखो जाए तो आईडीपीएल कोई छोटी मोटी फैक्ट्री नही है। पूर्व में भी नब्बे के दशक में जब भारत में प्लेग का बड़ा भारी संक्रमण हुआ था तो देश भर में प्लेग की दवा का सबसे प्रमुख रासायन ट्रेक्टासाईक्लीन की भारी कमी हो गई थी। इसके चेलते तमाम फार्मा कम्पनियों में दवा का निमार्ण नही हो पा रहा था। उसी सम में ऋषिकेश केआईडीपीएल फैक्ट्री एक फरिश्ते से तौर पर सामने आई और लगातार रात दिन फैक्ट्री में ट्रेक्टासाईक्लीन का निर्माण किया गया और देश की अन्य फार्मा कम्पनियों में इसी आपूर्ती की गई।
आईडीपीएल के कारण ही गुजरात के सूरत से निकला प्लेग एक माह में ही पूरी तरह स नियंत्रण में आ गया और महाराष्ट्र गुजरात दिल्ली के अलावा किसी अन्य राज्य में इसका संक्रमण नहीं फैल पाया। यह सब ऋषिकेश की आईडीपीएल फैक्ट्री के ही कारण संभव हो पाया। यही नहीं जब जब जीनदायिनी और संक्रमण को रोकने की दवाओं की देश में कमी हुई तो ऋषिकेश की आईडीपीएल फैक्ट्री ही सबसे आगे रही और जरूरी रसायनों और दवाओं का निर्माण करके देश ओर देशवासियों को बड़े संकट से उबारने का काम किया।
हालांकि, अब केन्द्र सरकार के द्वारा आईडीपीएल फैक्ट्री को पूरी तरह से बंद करने का आदेश जारी कर दिया है और इस की सैकड़ों एकड़ भूमि में प्रदेश सरकार के वेलनेस सेंन्टर और 200 एकड़ ऋषिकेश के एम्स को देने का निर्णय लिया जा चुका है। अब फिर से इसको पुर्नजीवित करने की मांग उठने लगी है।
लेकिन जिस तरह से आईडीपीएल को लेकर यूपीए और एनडीए सरकारे इस पर कोई ठोस नीति नहीं बना पाई और मौजूदा केन्द्र की मोदी सरकार ने इसे पूरी रतह से बंद करने का निर्णय लेकर सभी अटकलों को सामप्त कर दिया उस से तो नही लगता कि भविष्य में आईडीपीएल को जीवित किया जा सकेगा।
लेकिन कोरोना संकट के चलते राज्य में इस को फिर से जीवित करने की मांग उठने से एक आशा वनती हुई दिख रही है पर देखन होगा कि इस पर राज्य सरकार क्या कदम उठाती है। जबकि प्रदेश सरकार ने केन्द्र सरकार को आईडीपीएल के पुर्नजीवति करने का कोई प्रस्ताव तक नहीं भेजा और हाथ पर हाथ धरे बैठी रही जिसके चलते सबसे पहले एचएमटी का करखाना बंद हुआ और फिर आईडीपीएल बंद हो गई।