अल्मोड़ा स्थित जयश्री कॉलेज प्रकरण में छात्रों की आंशिक जीत हुई है। प्रशासन ने उनके साथ हुए फर्जीवाड़े का संज्ञान लिया है। ‘दि संडे पोस्ट’ ने इस पूरे प्रकरण को सबसे पहले पाठकों तक पहुंचाया था। फिलहाल अवैट्टा रूप से संचालित हो रहे पैरामेडिकल कोर्स को बंद करने के आदेश दे दिए गए हैं। लेकिन अभी भी छात्रों के साथ न्याय अट्टारा है। जब तक छात्रों का रजिस्ट्रेशन ‘पैरामेडिकल काउंसिल ऑफ उत्तराखण्ड’ में नहीं हो जाता तब तक उनकी यह लड़ाई जारी रहेगी
वर्ष 2010 में जयश्री सोसाइटी के नाम से पंजीकृत अल्मोड़ा का जयश्री कॉलेज बीते कुछ महीनों से छात्रों से धोखाधड़ी के मामले में विवादों से घिरा है। दरअसल कॉलेज से बीएमएलटी और डीएमएलटी का कोर्स कर चुके छात्रों को उनकी डिग्री व पंजीकरण के लिए कॉलेज प्रशासन द्वारा पिछले दो वर्षों से लगातार गुमराह किया जा रहा है। पैरामेडिकल काउंसिल ऑफ उत्तराखण्ड में पंजीकृत न होने के कारण इस कॉलेज से पास आउट हो चुके छात्र किसी भी सरकारी या निजी संस्थान में नौकरी पाने के योग्य नहीं हैं। लगातार छले जाने की वजह से अंततः कॉलेज से पास आउट हो चुके 37 छात्रों ने कॉलेज के चेयरमैन भानु प्रकाश जोशी के खिलाफ धारा 420, 406 आदि के तहत 16 अप्रैल 2022 को अल्मोड़ा कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया था। मुकदमा दर्ज होने के बाद 24 अप्रैल को जिलाधिकारी अल्मोड़ा द्वारा जब एसडीएम को जयश्री कॉलेज में जांच के लिए भेजा गया तब उनके समक्ष कॉलेज के चेयरमैन भानु प्रकाश जोशी ने कुछ छात्रों को डिग्री बांट दी। लेकिन यह डिग्री संदेहों से घिरी हुई है। छात्रों का कहना है कि हमने जयश्री कॉलेज से कोर्स किया लेकिन डिग्री में कॉलेज का कहीं भी नाम न होकर मात्र यूनिवर्सिटी का ही नाम है। छात्रों की नजर में यह डिग्री वैध नहीं है क्योंकि यह ‘पैरामेडिकल काउंसिल ऑफ उत्तराखण्ड’ में पंजीकृत नहीं है। ‘पैरामेडिकल काउंसिल ऑफ उत्तराखण्ड’ में पंजीकृत न होने के कारण यहां से डिग्री प्राप्त करने के बावजूद भी छात्र किसी भी सरकारी या निजी संस्थान में कार्य करने के लिए वैध नहीं है।
‘दि संडे पोस्ट’ ने इस पूरे मामले में पहले ‘पैरामेडिकल कोर्स के नाम पर ठगी’ तथा बाद में ‘डिग्री नहीं डेट मिल रही’ शीर्षक से दो खबरें प्रकाशित की थी। जिसमें छात्रों ने बताया कि बीते दो वर्षों से उन्हें डिग्री के नाम पर केवल तारीखें ही दी जा रही हैं। जिस कारण छात्रों ने अपनी मांगें कॉलेज के समक्ष रखते हुए प्रदर्शन भी किया था। परंतु इस प्रदर्शन के बाद भी एक बार फिर से कॉलेज प्रशासन ने छात्रों से पुनः समय मांगा और साथ ही छात्रों से 30 जून तक किसी भी तरह का प्रदर्शन न करने और सोशल मीडिया पर पोस्ट न डालने को लेकर प्रदर्शन कर रहे छात्रों से हस्ताक्षर करवा लिए। परंतु एक बार पुनः समय लेने के बाद भी पंजीकरण की प्रक्रिया पर कोई कोशिश नहीं की गई।
जयश्री कॉलेज ने कई बार अपनी यूनिवर्सिटी बदली है। पहले यह कॉलेज हिमालयन यूनिवर्सिटी ईटानगर से संबद्ध था परंतु फिर कुछ समय बाद वर्ष 2017 से पूर्व यह कॉलेज उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय से संबद्ध रहा। लेकिन 2017 में जारी सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय ने अपने सभी ऑफ कैंपस या ऑफ स्टडी सेंटर बंद कर दिए। जिसके बाद वर्ष 2017 में ही जयश्री कॉलेज ने ‘सिंघानिया यूनिवर्सिटी’ राजस्थान से कॉलेज को संबद्ध किया। वर्ष 2018 में सिंघानिया यूनिवर्सिटी फर्जीवाड़े के विवादों से घिर गई। तब जयश्री कॉलेज ने तुरंत इस कॉलेज को हिमालयन गढ़वाल यूनिवर्सिटी से संबद्ध किया, जिसका नाम अब बदलकर महाराजा अग्रसेन हिमालयन गढ़वाल यूनिवर्सिटी कर दिया गया है। वर्तमान में यह कॉलेज पौड़ी गढ़वाल में स्थित महाराजा अग्रसेन हिमालयन गढ़वाल यूनिवर्सिटी से संबद्ध है लेकिन सूचना का अधिकार 2005 के अंतर्गत मांगी गई सूचना के अनुसार यूजीसी की नियमावली ने महाराजा अग्रसेन हिमालयन गढ़वाल यूनिवर्सिटी अपना कोई भी ऑफ स्टडी सेंटर नहीं खोल सकती। परंतु जयश्री कॉलेज के प्रकरण में यूनिवर्सिटी किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं दे रही और इतना ही नहीं जयश्री कॉलेज में वितरित डिग्री पर जयश्री का नाम न होकर महाराजा अग्रसेन हिमालयन गढ़वाल यूनिवर्सिटी का ही नाम है। कॉलेज प्रशासन का दावा है कि कॉलेज में शुल्क से लेकर परीक्षाएं व डिग्री यूनिवर्सिटी पर ही निर्भर है।
इस मामले में संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी अल्मोड़ा द्वारा महानिदेशालय, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण को एक पत्र लिखा। जिसके बाद महानिदेशालय द्वारा अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य सीपी भैसोड़ा और सीएमओ डॉ . आर ़सी ़ पंत को जांच अधिकारी बनाते हुए कॉलेज की जांच कराई गई। इन जांच अधिकारियों को चिकित्सा परिषद् उत्तराखण्ड में कॉलेज का पंजीकरण प्राप्त नहीं हुआ साथ ही छात्रों द्वारा दर्ज की गई शिकायत की भी पुष्टि हो गई। इसके तुरंत बाद ही महानिदेशालय ने कॉलेज को बंद कराने के आदेश जारी कर दिए। कॉलेज के चेयरमैन भानु प्रकाश जोशी ने दलील देते हुए कहा कि कॉलेज में पैरामेडिकल कोर्स के अलावा होटल मैनेजमेंट जैसे अन्य कोर्स भी संचालित कराए जाते हैं और यदि पूरा कॉलेज बंद हो गया तो अन्य छात्रों की पढ़ाई भी बाधित होगी। इसके बाद महानिदेशालय, चिकित्सा एवं परिवार कल्याण ने अपने आदेश को संशोधित कर जयश्री कॉलेज का पैरामेडिकल अनुभाग बंद करने का आदेश जारी किया। हालांकि जयश्री कॉलेज प्रशासन की दलील यह भी है कि वर्ष 2020 से न यूनिवर्सिटी ने पैरामेडिकल के अंतर्गत किसी कोर्स में प्रवेश लिया गया न ही जयश्री कॉलेज में, अतः 2020 के बाद से जयश्री ने पैरामेडिकल कोर्स बंद कर दिए थे।
हालांकि सूचना के अधिकार 2005 के माध्यम से यूनिवर्सिटी का पक्ष यह है कि ‘पैरामेडिकल काउंसिल ऑफ उत्तराखण्ड’ में रजिस्ट्रेशन न होने के कारण यूनिवर्सिटी ने वर्ष 2017 के बाद पैरामेडिकल के सारे कोर्स बंद कर दिए थे। परंतु जिन छात्रों ने 2016 और 2017 में इस यूनिवर्सिटी के अंतर्गत पैरामेडिकल कोर्स किए उनका काउंसिल रजिस्ट्रेशन करवाने हेतु भी यूनिवर्सिटी द्वारा उत्तराखण्ड पैरामेडिकल परिषद् अधिनियम 2009 एवं विनियम 2014 के प्रावधान के अंतर्गत परिषद् से मान्यता लेने के लिए आवेदन नहीं किया। जिस कारण हिमालयन गढ़वाल यूनिवर्सिटी द्वारा बांटी गई कोई भी डिग्री उत्तराखण्ड पैरामेडिकल काउंसिल में रजिस्ट्रेशन के लिए वैध नहीं है। इतना ही नहीं बल्कि यूजीसी के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करते हुए हिमालयन गढ़वाल यूनिवर्सिटी ने जयश्री कॉलेज को शिक्षण सत्र 2018-19 के लिए अपना प्राधिकृत अकादमिक प्रशिक्षण केंद्र और प्लेसमेंट पार्टनर बनाते हुए 21 अगस्त 2018 को भी लेटर भेजा। लेटर में यह स्पष्ट किया गया कि जयश्री कॉलेज विश्वविद्यालय के लिए प्रवेश ले सकता है। इस लेटर में यह भी स्पष्ट है कि जयश्री कॉलेज यूनिवर्सिटी के पक्ष में डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से छात्रों से फीस लेगा और कॉलेज में चलाए जा रहे कोर्स, फीस स्ट्रक्चर, प्लेसमेंट और कैंपस में उपलब्ध अन्य सुविधाओं की जानकारी यूनिवर्सिटी को देगा। यूजीसी के नियमों का उल्लंघन करने व पंजीकृत न होने कारण यह यूनिवर्सिटी भी संदेह और विवादों के घेरे में है।
कॉलेज के पैरामेडिकल अनुभाग को बंद करने आदेश जारी करते हुए चिकित्सा एवं परिवार कल्याण के महानिदेशक आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि जयश्री कॉलेज का पैरामेडिकल काउंसिल में पंजीकरण नहीं पाया गया जिस कारण उसके पराचिकित्सकीय अनुभाग को बंद करने के आदेश जारी किए गए और साथ ही अब कई अन्य पैरामेडिकल संस्थानों की भी जांच चल रही है जिन पर कार्यवाही की जाएगी और शीघ्र ही ऐसे गैर मान्य संस्थानों पर शिकंजा कसा जाएगा।
आदेश के तुरंत बाद 02 जुलाई 2022 को छात्र प्रदर्शन के लिए जयश्री कॉलेज पहुंचे ही थे कि मौके पर तहसीलदार कुलदीप कुमार पांडेय व एसएसपी अल्मोड़ा ने पुलिस बल के साथ पहुंचकर जानकारी दी कि कॉलेज के पैरामेडिकल अनुभाग को बंद करने के आदेश प्राप्त हो चुके हैं। तत्पश्चात् कॉलेज का यह अनुभाग सील कर दिया गया। चूंकि जयश्री कॉलेज ने वर्ष 2020 में भी पैरामेडिकल कोर्स बीएमएलटी के तहत प्रवेश लिया था। इस वर्ष में प्रवेश लेने वाले छात्रों का कॉलेज में अंतिम वर्ष चल रहा था। परंतु कॉलेज बंद होने के बाद जयश्री ने यहां अध्ययनरत इन छात्रों को उनके द्वारा जमा की गई फीस रिफंड की है। इन छात्रों का कहना है कि जयश्री कॉलेज में उनके समय की काफी बर्बादी हुई है और अब उन्हें दोबारा शुरू से किसी कॉलेज में एडमिशन करा कर कोर्स करना होगा। छात्रों ने बातचीत के दौरान बताया कि मुख्य सवाल पंजीकरण का है, कॉलेज का फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद अभी भी पंजीकरण को लेकर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। छात्रों ने कहा कि पंजीकरण समय पर न होने पर वे प्रदर्शन तथा आंदोलन करने को बाध्य होंगे।
मेरी राजनीतिक हत्या की साजिशमैं फिलहाल देहरादून में हूं। छात्रों के टच में हूं रजिस्ट्रेशन के प्रोसेस के लिए सभी प्रक्रियाएं शुरू हो चुकी है। शासन की तरफ से छात्रों के रजिस्ट्रेशन की परमिशन लगभग हो चुकी है। एक-एक बच्चे का रजिस्ट्रेशन करा दिया जाएगा। फिलहाल हिमालयन गढ़वाल यूनिवर्सिटी पर पेनल्टी लगा कर पंजीकृत किए जाने की प्रक्रिया चल रही है। यह मामला मेरी राजनीतिक हत्या की साजिश का है। प्रदेश में और भी कई यूनिवर्सिटी हैं जिन पर मामले चल रहे हैं। लेकिन सिर्फ मुझे ही टारगेट किया गया। हमें हमारे कॉलेज से संबंधित कोई पूर्व सूचना नहीं दी जाती है और सीधे आदेश किए जाते हैं।
भानु प्रकाश जोशी, चेयरमैन जयश्री कॉलेज अल्मोड़ा
भूल सुधार
‘दि संडे पोस्ट’ के अंक-03 (09 जुलाई 2022) में ‘पहाड़ से ढलान पर शिक्षा’ शीर्षक से प्रकाशित समाचार में तकनीकी गड़बड़ी के कारण उच्च शिक्षामंत्री श्री धन सिंह रावत के नाम से गलत बयान प्रकाशित हो गया था जिसके लिए खेद है। साथ ही उक्त समाचार श्री दिनेश पंत के नाम से प्रकाशित हो गया था जो वस्तुतः श्री कृष्ण कुमार द्वारा प्रेषित था।