भाजपा संगठन और सरकार को जनहित में आवाज उठाना कतई मंजूर नही है। अगर किसी ने जनता के हित के नाम पर पार्टी संगठन और सरकार के खिलाफ जरा भी आवाज उइाई तो उसे पार्टी से बाहर का रास्ता भी दिखाया जा सकता है। जीं हां उत्तराखण्ड में कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है जिसमें भाजपा के एक नेता के द्वारा जनता की मांगो के साथ खड़े होने और सरकार पर जनता की मांगो की अनदेखी करने पर सवाल खड़े किये तो उसे पार्टी अनुशासन के नाम पर कारण बताओं नोटिस जारी कर दिया गया है। हैरानी की बात यह है कि जनता की मांगो पर पहले भी कई बड़े भाजपा के दिग्गज नेता सवाल खड़े कर चुके है लेकिन उनके खिलाफ इस तरह की कोई कार्यवाही अमल मे नही लाई गई जबकि जिस नेता को पार्टी अनुशान के खिलाफ बात करने के लिये नोटिस जारी किया गया है वह भाजपा में नव आंगतुक नेता है। इस से यह भी माना जा रहा है कि पार्टी संगइन और सरकार अपने ही उन भाजपा नेताओं को एक कड़ा संदेश देने का प्रयास किया गया है जो गाहे बगाहे पार्टी ओर सरकार की नीतियो पर सवाल खड़े करते रहे है।
दर असल यह बेहद चर्चित मामला रहा है। प्रदेश में कोरोना संकट के चलते लाॅकडाउन में सभी सरकारी ओर गैर सरकारी स्कूल बंद पड़े है। लेकिन प्राईवेट स्कूलों के द्वारा छात्रो और उनके अभिभावकों को लाॅकडाउन के दौरान भी तीन माह की फीस लेने का भारी दबाब बनाया जा रहा है। जनता में इस बात को लेकर भारी विरोध बना हुआ है।
शिक्षा मंत्री अरबिंद पांडे के द्वारा घोषणा की गई कि प्राईवेट स्कूल केवल ट्यूशन फीस ही ले सकते है अन्य किसी मद में कोई धनराशी नही ले सकते। शिक्षा मंत्री की इस घोषण की भाजपा के द्वारा जम कर प्रचार किया गया ओर इसे राज्य के अभिभावको के हित में उठाया गया बड़ा और एतिहासिक कदम बता कर सरकार की जम कर सराहना की गई। जबकि इस घोषणा के बावजूद हकीकत मे अभिाभावकों को करो राहत नही मिलती दिखाई दी तो भाजपा के नेता कुंवर जपेन्द्र के द्वारा अपनी ही सरकार की घोषणा पर सवाल खड़ै किये गये। इसके लिये बकायदा कुवंर जपेन्द्र के द्वारा एक स्थानियो दैनिक समाचार पत्र में विज्ञापन तक जारी कर के अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ ही सवाल खड़े किये गये। विज्ञापन में बड़े बड़े अक्षरो में लिखा गया कि शिक्षा अधिकार है ब्यापार नही। इसके अलावा राज्य के शिक्षा मंत्री के लिये लिाखा गया कि ‘‘ उत्तराखण्ड का कितना बड़ा दुर्भाग्य है कि शिक्षा मंत्री को प्राईवेट स्कूल्स के फीस स्टक्चर का ही पता नहीं है। फीस स्टक्चर का 70 फीसदी ट्यूशन फीस के नाम पर वसूला दिया जाता है। या तो प्राईवेट शिक्षा माफिया ने उत्तराखण्ड सरकार को गुमराह कर दिया है या सरकार संवेदनहीन बनी हुई है।’’
अपनी ही सरकार पर सवाल खड़े करते हुये विज्ञापन में लिखा गया है कि ‘‘ मध्यमवर्गीय परिवारो/ अभिभावकों का एक बड़ा सवाल, अभी तक हमारी फीस माफी को लेकर सरकार खामोश क्यों , राज्य का फीस एक्ट कब लागू होगा? अन्य राज्यों मंे राहत , लाखों मध्यमवर्गीय परिवारो की सरकार द्वारा अनदेखी क्यों?। सरकार प्राईवेट स्कूलो के दबाब में।
कुवंर जपेन्द्र सिंह के इस विज्ञापन में प्रदेश सरकार के प्राईवेट स्कूल के दबाब में आने और जनता के प्रति संवेदनहीन के आरोप स्पष्ट तौर पर लगाये जाते प्रतीत हो रहे थे। इसके चलते प्रदेश सरकार और भाजपा संगठन में खासी हलचल और बैचैनी पैदा हो गई। प्रदेश भाजपा महामंत्री कुलदीप कुमार के द्वारा कुवंर जपेन्द्र सिंह को कारण बताओं नोटिस जारी किया है। नोटिस में कहा गया है कि कवुर जपेन्द्र सिंह क द्वारा समाचार पत्रो और सोशल मीडिया में सरकार और संगठन के खिलाफ प्रचार प्रसार किया है जो कि अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है। कुवंर जपेन्द्र सिंह को एक सप्ताह के भीतर अपना जाबा प्रदेश अध्यक्ष या प्रदेश महामंत्री को देने का अदेश दिया गया है।
भाजपा के सूत्रो की माने तो भाजपा और सरकार को कुवंर जपेन्द्र के द्वार नियमित समाचर पत्रों में जारी किये जा रहे विज्ञापनो में भाजपा के बड़े नेताओं की फोटो लगाये जाने और विज्ञापन में सरकार प्राईवेट स्कूल के दबाब में लिखे जाने से ही सबसे ज्यादा बैचैनी बनी हुई है। इसका एक बड़ा कारण यह है कि कुवरं जपेन्द्र भाजपा में नये नये नतो के तौर पर शमिल हुये है। इससे पूर्व कुवंर जपेन्द्र पंजाबी महासभा का गठन कर के अपनी राजनैतिक और सामातिक ताकत प्रदेश के राजनैतिक दलो को बता चुके है।
कुवंर जपेन्द्र अपने स्तर से नियमित जनसेवा करते रहे है कोरोना संकट के दौरान कुवर जपेन्द्र सिंह की टीम स्वयं ही रहात कार्य में जुटी हुई है। जबकि तकरीबन पूरी भाजपा मोदी किचन के नाम पर अपनी और अपने कार्यकर्ताओं की राजनीति मे लगी हुई है। यहां तक प्राईवेट सस्थानो या व्यक्तियो के द्वारा बगैर सरकारी पास के किसी तरह की राहत कार्य जेसे खाद्य रसद आदी के देने पर भी प्रतिबंध लगा हुआ है। जो भी राहत कार्य किया जा रहा है वह प्रशासन की ही देखरेख पर हो रहा है। जबकि कुवंर जपेन्द्र अपने साथियों और अीम के साथ कोरोना संकट के दौरान जुटे हुये है।
इसके अलावा कुवंर जपेन्द्र सिंह के द्वारा राज्यों के प्राईवेट स्कूलो के द्वारा तीन माह की फीस लिये जाने के मामलो को हाईकोर्ट में जनहित याचिका भी दाखिल कर चुके है जिसकी सुनवाई 11 मई को होनी है। इस याचिका के चलते भाजपा और प्रदेश सरकार खासी परेशानी में बताई जा रही है। माना जा रहा है कि अगर कोर्ट से कोई आदेश अभिाभावकों के पक्ष में आ गया तो सरकार की फजीहत होना तय है। जनता मे ंएक बड़ा संदेश जा सकता हे कि सरकार न जनता की बात नही सुनी और कोर्ट से ही राहत मिली है यह संदेश भाजपा को भी खासा परेशानी में डालने वाला है। 2022 में विधानसभा चुनाव होने हेै और भाजपा किसी भी सरत मे यह नही चाहती कि उसकी सरकार पर जनहित से अनदेखी के आरोप लगे।
वैसे राजनैतिक तौर पर यह भी देखा जा रहा है कि भाजपा में एक बड़ा वर्ग बाहर से भाजपा में आये मजबूत नेताओं के आने से खासा बैचैन बना हुआ है। कांग्रेस से भाजपा में आये बड़े बड़े नेताओं से सपहले भी भाजपा में बैचैनी लगातार देखने को मिलती रही है लेकिन जिस तरह से एकेसे नेता जो कि किसी न किसी वर्ग विशेष या अर्थिक तौर पर मजबूत है की पार्टी में अति सक्रियता से बड़ी बैचैनी बनी हुई है। शायद इस बैचैनी को कुवंर जपेन्द्र सिंह को जारी किये गये अनुशासनहीनता के नोटिय के तौर पर देखा जा रहा है।
वैसे यह बात कहीं न कहीं इसलिय सही प्रतीत होती है कि पूर्व में कई ऐसे नेता रहे है जो कि प्रदेश भाजपा संगठन और प्रदेश सरकार की नीतियों के खिलाफ जब कर सार्वजनिक तौर पर बयान देते रहे है। पूर्व भाजपा राज्य मंत्री और वरिष्ठ आंदेोलनकारी रविन्द्र जुगराण तो सरकार के नीतियों पर कई बार सवाल खड़े कर चुके है। पूर्व में प्राइ्रवेट आयुर्वेदे मडिकल कालेजो के फीस बृद्धि के मामले में केन्द्रीय मानव संशाधन विकास मंत्री और राज्य के श्रमिक और आयुष मंत्री हरक सिंह के खिलाफ अपराधिक मामला चलाये जाने की मां तक कर चुके है। लेकिन रविन्द्र जुगराण के खिलाफ न तो सरकार ओर न ही प्रदेश भाजपा संगठन कारण बताओं नोटिस जारी करने का साहस पैदा कर पाया।
जबकि इसी फीस के मामले में रविन्द्र जुगराण के द्वारा भाजपा सरकार पर प्रईवेट स्कूलो से संाठगाठ होने का आरोप तक लगा चुके है ओर इस मामले में सरकार की भूमिका को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने तक की बात कह कर सरकार ओर भाजपा को चेतावनी दे चुके है। बावजूद इसके न तो जुगराण के खिलाफ कोई कार्यवाही अमल में लाई जा सकी है और न ही उनसे कोई जबाब मांगा गया है। कुवंर जपेन्द्र सिंह का कहना है कि मुझ पर जो भी आरोप लगाये जा रहे है वह पूरी तरह से निराधार है। मैंने र्कोइ अनुशासनहीनता नही की। जिस दिन मुझे जोटिस दिया गया था मैने भी उसी दिन सोशल मीडिया में ही अपना जाबा दे दिया भा क्यांकि मुझे भी सोशलमीडिया के जरिये ही नोटिस दिया गया था।