जमरानी बांध परियोजना को केंद्रीय वित्त मंत्रालय से वित्तीय स्वीकृति मिलने के साथ ही पुनर्वास की कार्रवाई भी जोर-शोर से चल रही है। राजस्व व सिंचाई विभाग की संयुक्त टीम ने बांध निर्माण से डूब क्षेत्र में आने वाले ऊपरी हिस्से के 6 गांवों का सर्वे कर 595 खाताधारकों की जमीनें चिह्नित भी कर लिया हैं। ऊपरी हिस्से के अंतिम गांव के अलावा डूब क्षेत्र के निचले हिस्से के तीन गांवों का सर्वे भी जल्द पूरा होने की उम्मीद है। जमरानी बांध परियोजना के निर्माण की कवायद सन 1975 में शुरू हुई थी। करीब 44 साल की कड़ी मशक्कत के बाद केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने 2584 करोड़ रुपये की परियोजना को स्वीकृति दी है, एडीबी ने सभी दस्तावेजों के साथ ही पुनर्वास की प्रक्रिया पूरी होने पर ही धनराशि देने के लिए कहा है। जिलाधिकारी के मुताबिक राजस्व व सिंचाई विभाग की संयुक्त टीमें फाइनल सर्वे रिपोर्ट तैयार कर रही है। अब तक डूब क्षेत्र के ऊपरी हिस्से में रहने वाले 6 गांवों में सर्वे का काम पूरा हो चुका है। अब ऊपरी हिस्से के अंतिम गांव हैड़ाखान का सर्वे चल रहा है। डूब क्षेत्र के नीचे के हिस्से के गांवों का भी सर्वे जल्द पूरा कर लिया जाएगा। सिंचाई विभाग के द्वारा की गई एकल सर्वे में जमरानी बांध से प्रभावित होने वाले परिवारों की संख्या 320 थी लेकिन जॉइंट सर्वे में परिवारों की संख्या बढ़कर 384 हो चुकी है। जमरानी बांध जैसी महत्त्वपूर्ण योजना को जल्द ही पंख लग सकते हैं, केंद्रीय वित्त मंत्रालय की स्वीकृति की मंजूरी मिलने से परियोजना का काम जल्दी आगे बढ़ सकता है। जिस बांध को करीब 45 साल पहले 61 करोड़ में बनना था आज उसी परियोजन की लागत 2600 करोड़ के आसपास पहुँच गयी है, 1975 में बांध निर्माण की स्वीकृति, करीब 9 किलोमीटर की लंबाई में 130 मीटर ऊँचा और 480 मीटर चौड़ा बांध, 45 साल पहले बांध की लागत 61करोड़ वर्तमान में बांध परियोजना की लागत 2600 करोड़ के आसपास, यानी 45 सालो में लागत 39 गुना बढ़ गयी, स्थानीय लोगों के मुताबिक जमरानी बांध के बनने का रास्ता साफ हो जाने से लोगों ने एक नई उम्मीद जगी है, क्योंकि यह मामला पिछले 45 सालों से लंबित पड़ा है और जैसे-जैसे जमरानी बांध की प्रक्रिया आगे बढ़ रही है वैसे वैसे स्थानीय लोगों में जमरानी बांध बनने की एक नई उम्मीद की जग रही है। जमरानी बांध के निर्माण से उत्तराखण्ड को करीब 9458 हेक्टेयर और उत्तर प्रदेश को 47607 हेक्टेयर में अतिरिक्त सिचाई की सुविधा मिलेगी, इस बांध से 14 मेगावाट बिजली का उत्पादन भी प्रस्तावित है, जबकि उत्तराखण्ड को 52 क्यूबिक मीटर पानी भी पेयजल के लिए मिल सकेगा, वही उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड को 57 और 43 के अनुपात में पानी बटेगा, उम्मीद है की इस परियोजना से पर्यटन गतिविधियों में भी तेजी आएगी। जमरानी बांध बनने के बाद कुमाऊँ के सबसे बड़े शहर हल्द्वानी के साथ साथ उत्तर प्रदेश के कई जिलों को इसका फायदा मिलेगा।