साल भर अपनी मेहनत से देश को सींचने वाले मजदूरों का अपना ही दिन कोरोना वायरस की काली छाया में खामोशी के साथ गुज़र गया। अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस सूना सूना सा रहा। कोरोना वायरस कोविड-19 के चलते लॉकडाउन ने वो अवसर उपलब्ध कराया ही नहीं कि इस महत्वपूर्ण दिवस पर मजदूर अपने हक़ की आवाज उठा सकें। कोरोना वायरस महामारी ने अगर किसी को सर्वाधिक प्रभावित किया है तो वो देश का मज़दूर वर्ग ही है। वैश्वीकरण के इस दौर में मजदूरों के पास यही एक दिन 1 मई है जिसमें मजदूर अपनी बात को जोरशोर से उठा पाता है। सब मजदूर साथियों के साथ मिलकर इस दिवस को एक त्योहार की तरह मनाते आ रहे हैं, परंतु इस वर्ष कोरोना (कोविड-19)नामक एक भयंकर महामारी ने पूरे विश्व की खुशीयों को ग्रहण लगाने का काम कर दिया है, परंतु सब का विश्वास है कि एक साथ मिलकर इसे पराजित करेंगे एवं अगले वर्ष के मजदूर दिवस को व्यापक रूप देकर हर्षोल्लास के साथ अपने मजदूर साथियों के साथ मनाएंगे।
By Sanjay Swar
मजदूर संगठन इंटक के राष्ट्रीय महासचिव तथा उत्तराखंड राज्य इंटक के युवा विंग के प्रदेश अध्यक्ष लवेन्द्र सिंह चिलवाल का कहना है कि इस बार कोरोना महामारी के चलते हम एक जगह एकत्रित होकर तो मजदूर दिवस नहीं मना सके परंतु इंटक के केंद्रीय नेतृत्व की अपील पर सभी ने अपने अपने घरों में शाम 7 बजे एक दीप जलाकर तथा 5 मिनट का मौन धारण कर उन मजदूर साथियों को श्रद्धांजलि दी जिन्होंने हमारे हक़ की लड़ाई लड़, हमें हमारा हक दिलवाई, इस लड़ाई में कई ने अपने प्राण तक न्यौछावर कर दिए। इस अवसर पर इंटक की उत्तराखंड इकाई के अध्यक्ष हीरा सिंह बिष्ट सहित सभी पदाधिकारियों ने मजदूरों को मजदूर दिवस के अवसर पर शुभकामनाएं दीं।