गदरपुर के विधायक अरविंद पांडेय ने जब से राजनीति में कदम रखा, तब से वे लगातार विवादों में रहे हैं। वजह कभी बयान बने तो कभी अपने विधानसभा क्षेत्र में सरकारी कार्यों में बाधा उत्पन्न करना। विधायक रहते हुए उन पर कई अधिकारियों की पिटाई के भी आरोप लगे, जिसमें उन्हें जेल जाना पड़ा। वे सबसे ज्यादा बाजपुर के मूर्ति देवी हत्याकांड में घिरे रहे। हालांकि पूर्ववर्ती त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने उन पर लगे कई मुकदमें वापस ले लिए। एक बार फिर वे चर्चाओं में हैं। इस बार गदरपुर के प्रतीक्षित बाईपास को लेकर पांडेय लोगों के निशाने पर हैं। एनएचएआई के स्पष्ट मना करने और सेफ्टी रिपोर्ट न आने के बावजूद भी पांडेय ने बाईपास को जबरन खोल एक बार फिर अपनी दबंगई का परिचय दिया। लेकिन इस बार यह कदम उन पर भारी पड़ा
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और गदरपुर से भाजपा विधायक अरविंद पांडेय के बीच बाईपास को लेकर जो शीत युद्ध शुरू हुआ उसकी मार एक गरीब और बेकसूर पिता पर पड़ेगी किसी ने सोचा भी न था। गदरपुर के वार्ड नंबर 4 स्थित सुखमनी विहार कॉलोनी निवासी उमेश सिंह बिष्ट का पुत्र बाईपास को जबरन खोलने की भेट चढ़ गया। उमेश कुमार बिष्ट का पुत्र सुरेंद्र (28) रोजाना की भाती एक फैक्ट्री में मजदूरी करके मोटरसाइकिल पर अपने घर जा रहा था। बाईपास पर भारी वाहन नहीं चलते थे। लेकिन 10 दिसंबर की रात अचानक सामने से आ रहे ट्रक ने उसको अपनी चपेट में ले लिया। बेचारे सुरेंद्र सिंह को यह पता ही नहीं था कि उसके बाईपास पर चढ़ने से दो घंटे पहले ही इस मार्ग को भारी वाहनों के लिए स्थानीय विधायक ने जबरन खोल दिया है।
जिस गदरपुर बाईपास का इंतजार स्थानीय लोग पिछले 14 साल से कर रहे थे उस सड़क के खुलने का इंतजार भाजपा विधायक अरविंद पांडेय 14 दिन नहीं कर सके। विधायक ने 8 दिसंबर को एनएचएआई को बाईपास खोलने की बाबत आगाह किया और एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जिसमें अगले दिन यानी 10 दिसंबर को बाईपास को शुरू करने का एलान कर दिया। यही नहीं बल्कि कहा तो यहां तक जा रहा है कि 11 दिसंबर को
बाईपास शुरू हो जाने के बाद विधायक का सम्मान समारोह आयोजित होना भी तय हो चुका था। हालांकि इसे लोगों द्वारा विधायक का राजनीतिक शिगूफा करार दिया गया और कहा गया कि जो बाईपास अभी पूरा नहीं हुआ है जिसके अभी सेफ्टी प्वॉइंट तक पूरे नहीं हुए हैं उसको एनएचएआई महज दो दिन में पूरा कैसे कर पाता।
विधायक द्वारा एनएचएआई को समय दिया जाना चाहिए था जिससे वह अपने अधूरे काम को पूरा कर पाता। उसके बाद ही बाईपास खोलने की तैयारी की जानी चाहिए थी। सबसे बड़ी बात यह है कि जब तक किसी भी बाईपास या हाइवे की एनएचएआई द्वारा सेफ्टी रिपोर्ट नहीं दी जाती है तब तक कोई भी सड़क मार्ग आम जनता के लिए नहीं खोला जा सकता है। लेकिन अधिकतर मामलों में धैर्य खो देने वाले विधायक पांडेय ने इस मामले में भी धीरज से काम नहीं लिया। आनन-फानन में ही शाम के समय तय कार्यक्रम के अनुसार 11 दिसंबर को बाईपास पर लगे बेरिकेट हटाकर उन्हें वाहनों के लिए खोल दिया।
कहा जाता है कि जल्दबाजी का नतीजा खतरनाक होता है। हुआ भी यही। विधायक पांडेय के द्वारा बाईपास शुरू करने के महज दो घंटे बाद ही एक युवक की दुर्घटना में दर्दनाक मौत हो गई। ऐसा नहीं है कि गदरपुर में पहले दुर्घटना में मौत नहीं हुई, लेकिन यह गदरपुर बाईपास पर हुई पहली घटना थी जिसने भाजपा विधायक को घेरे में ले लिया। विपक्ष ने इसे बड़ा मुद्दा बना लिया है। दुर्घटना में हुई सुरेंद्र नामक युवक की मौत का जिम्मेदार स्थानीय विधायक अरविंद पांडेय को माना जा रहा है। पांडेय को इस मौत का दोषी करार देते हुए कांग्रेस नेताआें ने उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की मांग के साथ ही धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया है। एक तरफ जहां कांग्रेस नेता इस मौत के लिए विधायक को जिम्मेदार बता रहे हैं तो दूसरी तरफ विधायक पांडेय युवक की मौत का ठीकरा एनएचएआई के सिर फोड़ रहे हैं। फिलहाल गदरपुर में युवक की मौत पर राजनीति शुरू हो चुकी है।
गदरपुर में एन एच 74 पर बन रहे आठ किलोमीटर लंबे बाईपास का निर्माण 2016 में पूरा हो जाना था लेकिन तमाम वजहों से बाईपास निर्माण लंबा खिंचता चला गया और वर्तमान में कार्य अंतिम चरण में है। स्थानीय लोगों के साथ ही गदरपुर विधायक अरविंद पांडेय बाईपास जल्द शुरू कराने को लेकर कार्यदायी संस्था गल्फार कंपनी पर दबाव बना रहे थे। याद रहे कि गदरपुर बाईपास का मुद्दा पिछले कई बार के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी गूंजता रहा है। इसके निर्माण को लेकर कई बार जनता और विपक्षी दल कांग्रेस ने आवाज उठाई। गदरपुर के व्यापारी मनीष फुटेला तो इस मामले को लेकर हाईकोर्ट तक गए थे। फुटेला ने तय समय में निर्माण पूरा नहीं करने पर कोर्ट में अवमानना याचिका भी दाखिल की थी। हाईकोर्ट में जज मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। गदरपुर निवासी मनीष फुटेला ने हाई कोर्ट में कहा था कि 2020 में एनएचआई की ओर से हाई कोर्ट में हलफनामा देकर कहा गया था कि जनवरी 2021 तक बाईपास निर्माण कार्य पूरा कर दिया जाएगा। लेकिन इसके बाद भी अभी तक बाईपास निर्माण नहीं हुआ। सुनवाई के दौरान एनएचएआई की ओर से बताया गया था कि ठेकेदार के साथ विवाद का निस्तारण हो चुका है। बाईपास के लिए 88 करोड़ मंजूर हो चुके हैं। फुटेला की इस याचिका पर हाईकोर्ट ने 28 सितंबर 2022 तक निर्माण पूरा करने के आदेश दिए थे। लेकिन इसके बावजूद अब तक निर्माण अधूरा है।
गत् 25 नवंबर को जिलाधिकारी युगल किशोर पंत ने निर्माणाधीन गदरपुर बाईपास सड़क का स्थलीय निरीक्षण कर निर्माण कार्यों का जायजा लिया था। जिलाधिकारी ने कार्यदायी संस्था के अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि शीघ्रता से सड़क निर्माण कार्य को पूरा करना सुनिश्चित करें ताकि रोड सेफ्टी टीम द्वारा ऑडिट करा कर आवागमन प्रारंभ किया जा सके। जिलाधिकारी ने यह भी निर्देश दिए कि नेशनल हाईवे से नीचे की ओर जाने वाली सर्विस रोड के निर्माण को भी शीघ्रता से पूर्ण किया जाए ताकि लोगों के आवागमन में किसी प्रकार की परेशानी न हो। साथ ही उन्होंने कहा कि हाईवे पर सांकेतिक चिÐ भी लगाए जाएं।
वर्तमान में निर्माणाधीन गदरपुर बाईपास को सेफ्टी प्वॉइंट से देखे तो बाईपास की एक साइड खुली हुई है, जिस पर आवागमन हो रहा है। एसआइएमटी के पास वर्तमान में जो अवरोध लगाए गए हैं, उन पर पीली पट्टी तक नहीं लगी है। एसआइएमटी मुख्य गेट के सामने विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के वाहन खड़े होते हैं।
बाईपास पर पर्याप्त लाइट भी नहीं है। डायवर्जन बोर्ड नहीं है जिससे सड़क हादसे होने का खतरा बना हुआ है। इसके अलावा सकैनिया मोड़ भी ब्लैक स्पाट चिन्हित है। जहां पर हादसे होते हैं। हाईवे पर स्कूल, अस्पताल, पेट्रोल पंप या अन्य संस्थान हैं तो वहां पर संबंधित साइन बोर्ड लगा होना चाहिए, लेकिन वह नहीं है। हालांकि कुछ स्थानों पर लाइटें लग रही हैं। लेकिन अधिकतर स्थानों पर लाइटें नहीं हैं। इससे रात में वाहन चलाना मुश्किल हो जाता है। ऐसी स्थिति में रात में सामने से आने वाले वाहनों की लाइट की चमक सीधे चालक पर पड़ने से सड़क हादसे होने की संभावना बनी रहती है।

गदरपुर बाईपास को लेकर भाजपा के दो जनप्रतिनिधियों में श्रेय लेने की राजनीति भी क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है। स्थानीय विधायक जहां अपने विकास कार्यों में गदरपुर बाईपास को गिनाते रहे हैं, वही नैनीताल-ऊधमसिंह नगर के सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री अजय भट्ट भी इसके निर्माण को पूरा करने के लिए बार-बार प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक करते रहे हैं। अजय भट्ट द्वारा गत् 21 अगस्त को इस बाईपास का अपने समर्थकों के साथ निरीक्षण किया गया था। तब से ही एकाएक यह चर्चा चली की केंद्रीय राज्य मंत्री इस बाईपास का जल्द ही उद्घाटन कर सकते हैं। इस चर्चाआें से स्थानीय विधायक
अरविंद पांडेय को अपना यह विकास का अजेंडा भट्ट की झोली में जाता हुआ नजर आया। लोगां का कहना है कि इससे पहले की अजय भट्ट इस बाईपास का उद्धघाटन करके श्रेय लेते विधायक पांडेय ने इसे जबरन खोल कर राजनीतिक वाहवाही लेनी चाही थी। लेकिन सुरेंद्र सिंह की मौत ने उनके राजनीतिक अरमानां पर पानी फेर दिया।
बात अपनी-अपनी
कुछ लोग इस मुद्दे पर राजनीति कर रहे हैं। ये वही हैं जो मुझे चुनावों में निपटाने में लगे थे। मैं मृतक के परिजनों से मिला हूं उन्हें न्याय दिलाने तथा मुख्यमंत्री जी से उचित मुआवजा दिलाने का वायदा करके आया हूं।
अरविंद पांडेय, विधायक गदरपुर
बाईपास को जबरदस्ती खोला गया और वह भी तब जब सेफ्टी रिपोर्ट तक नहीं आई थी। ऐसे में सुरेंद्र की मौत के लिए वह जनप्रतिनिधि दोषी है जिसने बाईपास खुलवाया। उनके खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज होनी चाहिए।
यशपाल आर्य, नेता प्रतिपक्ष
जबरन बाईपास खुलवाने की घटना को लेकर कार्यदायी संस्था गल्फार की ओर से कानूनी कार्रवाई की जा रही है। इस मामले में पुलिस को तहरीर दी गई है। जब तक सेफ्टी जांच रिपोर्ट नहीं आती है तब तक बाईपास को यातायात के लिए नहीं खोला जाएगा।
योगेंद्र शर्मा, परियोजना निदेशक एनएचएआई
हमारे साथ अन्याय हुआ है। हमारा बेटा विधायक और कंपनी की लापरवाही का शिकार हुआ है जो भी इसके दोषी हैं उनके खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए।
उमेश सिंह बिष्ट, मृतक का पिता
मैंने मृतक के परिजनों को 50 लाख रुपए मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की। साथ ही जनप्रतिनिधि अरविंद पांडेय के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने को थाने में तहरीर दे दी है। उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज होनी चाहिए क्योंकि उन्होंने जबरन बाईपास को खुलवाया और एक युवक की जान ले ली है। अगर इस मामले में एनएचएआई और गल्फार की लापरवाही है तो उस पर भी कार्रवाई हो।
सिद्धार्थ भुसरी, नगर अध्यक्ष कांग्रेस गदरपुर