वर्ष 2021 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले डॉ इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद सुमित हृदयेश को 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बनाया था। सुमित ने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी और वर्तमान में हल्द्वानी के मेयर डॉ. जोगेन्द्र पाल सिंह रौतेला को पराजित कर सीट पर कांग्रेस का कब्जा बरकरार रखा। हल्द्वानी के विकास के संदर्भ में सुमित हृदयेश से अपने कार्यकाल की उपलब्धि के विषय पर जब वो ‘हम एक साल से संघर्ष ही कर रहे हैं’ कहते हैं तो पता चलता है कि विपक्ष के विधायकों को अपने विधानसभा क्षेत्र में कार्यों के लिए कितनी मशक्कत करनी पड़ती है। कांग्रेस के नैनीताल जिले के अध्यक्ष राहुल छिमवाल का कहना है कि सुमित हृदयेश स्व इंदिरा हृदयेश की विकासवादी सोच की परंपरा के वाहक हैं। हल्द्वानी में कैथलैब और सुशीला तिवारी अस्पताल में ट्रामा सेंटर की घोषणा विधायक सुमित हृदयेश की महत्वपूर्ण उपलब्धि है। दूसरी तरफ भाजपा नेता डॉ. अनिल डब्बू के अनुसार हल्द्वानी के विधायक का एक वर्ष का कार्यकाल निराशाजनक रहा है। वे कहते हैं कि ‘हल्द्वानी के विकास कार्यों में उनका योगदान शून्य है। सरकार द्वारा कराए जा रहे विकास कार्यों की आलोचना समझ से परे है। विधायक सबसे ज्यादा विधायक निधि खर्च होने का दावा करते हैं तो उस विधायक निधि का विकास कार्य नजर क्यों नहीं आ रहा?’
उत्तराखण्ड विधानसभा के चुनाव को एक साल का समय बीत चुका है। सरकार के साथ-साथ जनता द्वारा चुने गए विधायकों ने अपने एक वर्ष का कार्यकाल पूरा कर लिया है। हालांकि एक वर्ष के कार्यकाल में जनप्रतिनिधियों की सफलता- असफलता का मूल्यांकन करने के लिए पर्याप्त नहीं है। लेकिन भविष्य में उनके अपने विधानसभा क्षेत्र के लिए क्या रूप-रेखा रहेगी, उसकी एक झलक तो देखी ही जा सकती है। उत्तराखण्ड के कुमाऊं का प्रवेश द्वारा कहे जाने वाले हल्द्वानी विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कांग्रेस से विधायक सुमित हृदयेश करते हैं। 2021 के विधानसभा चुनाव से एन पूर्व डॉ इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद सुमित हृदयेश को 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बनाया था। सुमित ने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी और वर्तमान में हल्द्वानी के मेयर डॉ. जोगेन्द्र पाल सिंह रौतेला को हटाकर इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा बरकरार रखा था। 2017 के विधानसभा चुनाव में जोगेन्द्र पाल सिंह रौतेला को डॉ इंदिरा हृदयेश से पराजित होना पड़ा था। 2019 के नगर निकाय चुनाव में डॉ जोगेन्द्र पाल सिंह रौतेला ने सुमित हृदयेश को मेयर के चुनाव में पराजित किया था। 2019 से पूर्व हल्द्वानी विधानसभा और नगर निगम का क्षेत्रफल लगभग बराबर ही था। लेकिन 2018 में हुए नए परिसीमन के पश्चात् हल्द्वानी नगर निगम में कालाढूंगी और लालकुआं विधानसभा क्षेत्र के कुछ क्षेत्रों को शामिल कर इसका विस्तार किया गया था। उत्तराखण्ड राज्य निर्माण के पश्चात् हल्द्वानी विधानसभा क्षेत्र में 2007 को छोड़ दें तो हृदयेश परिवार का ही कब्जा रहा है।
उत्तराखण्ड की हल्द्वानी विधानसभा की जनता ने उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद बदलती हल्द्वानी को देखा है। उस दौर में इंदिरा हृदयेश ने हल्द्वानी के हर मोहल्ले तक पक्की सड़कों का जाल बिछा दिया था। पेयजल की कई नई योजनाओं की शुरुआत की थी। लोक निर्माण विभाग के बजट का एक बड़ा हिस्सा हल्द्वानी विधानसभा क्षेत्र में ही खप जाता है, जैसे आरोपों को नजरअंदाज कर इंदिरा हृदयेश ने हल्द्वानी के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। 2012 से 2017 का दौर भी विकास की उसी कहानी को कहता है। 2012 से 2017 तक वित्तमंत्री रहते उन्होंने वृहत्तर हल्द्वानी के विकास की परिकल्पना की थी जिसमें हल्द्वानी, लालकुआं और कालाढूंगी विधानसभा के हल्द्वानी से सटे क्षेत्रों को लेकर विकास का एक बड़ा खाका खींचा था। उन्होंने हल्द्वानी के विकास के नाम पर अपनी विधानसभा को ही प्राथमिता नहीं दी थी। गौलापार जो लालकुआं विधानसभा क्षेत्र में आता है, को अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम, अंतरराज्यीय बस टर्मिनल (आईएसबीटी), अंतरराष्ट्रीय चिड़ियाघर उनकी व्यापक सोच की परिकल्पना का ही परिणाम था। अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम का काफी कुछ कार्य वह अपने वित्तमंत्री रहते करवा गई थीं। आईएसबीटी राजनीतिक दुराग्रहों का शिकार हो गया।
इसी प्रकार अंतरराष्ट्रीय चिड़ियाघर भी कांग्रेस की सरकार जाने के बाद अधर में लटक गया। त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री रहते 2017 में रिंग रोड की घोषणा, घोषणा भर होकर रह गई। 2017 के बाद उत्तराखण्ड में भारतीय जनता पार्टी की सरकार और हल्द्वानी से विधायक कांग्रेस का शायद इसका खामियाजा हल्द्वानी शहर ने इस दौरान निश्चित तौर पर भुगता है। हल्द्वानी के विकास के संदर्भ में सुमित हृदयेश से अपने कार्यकाल की उपलब्धि के विषय पर जब वो ‘हम एक साल से संघर्ष ही कर रहे हैं।’ कहते हैं तो पता चलता है कि विपक्ष के विधायकों को अपने विधानसभा क्षेत्र में कार्यों के लिए कितनी मशक्कत करनी पड़ती है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा उत्तराखण्ड के प्रत्येक विधायक से अपने क्षेत्र की विकास योजनाओं के विषय में दस प्रस्ताव मांगे जाने पर सुमित हृदयेश, डॉ इंदिरा हृदयेश द्वारा परिकल्पना की गई योजनाओं को आगे बढ़ाते नजर आते हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री द्वारा मांगे गए विकास कार्यों की सूची में आईएसबीटी, अंतरराष्ट्रीय चिड़ियाघर, रिंग रोड की मांगों को प्राथमिकता की सूची में रखा है। साथ ही स्कूलों के भवनों की मरम्मत, बाजार की मुख्य सड़कों में 21 किमी का बजट, रकसिया और कलसिया नालों की मरम्मत तथा दमुवाढूगा, शीशमहल में पेयजल समस्या के समाधान के लिए नलकूप और ओवरहैंड टैंकों के लिए धनराशि की मांग की है। इस प्रकार 2250 करोड़ के प्रस्ताव उनके द्वारा दिए गए हैं।
आईएसबीटी को अन्यत्र स्थपित करने का दबाव तो काम कर गया, मगर छह सालों बाद भी सरकार उसके लिए नई जगह जमीन नहीं ढूंढ़ पाई। एक बार तीनपानी में नए आईएसबीटी के लिए नई जगह की मंजूरी का जश्न भाजपा पदाधिकारियों ने जमकर बनाया था, मगर वह प्रक्रिया कहां तक पहुंची न भाजपाई, न ही सरकार इस पर मुंह खोलने पर राजी है। हाईकोर्ट ने भी आरटीआई कार्यकर्ता रविशंकर जोशी की जनहित याचिका पर सरकार से इस संबंध में जवाब मांगा है। 400 करोड़ की शुरुआती लागत वाली रिंग रोड परियोजना की लागत आज 2100 करोड़ पहुंच चुकी है। लगभग डेढ़ करोड़ इसकी फिजीबिलिटी रिपोर्ट बनाने में खर्च कर दिए गए। बताया जाता है कि इस पर अब केंद्र से धन आने की बात कही जा रही है। 412 हेक्टेयर में बनने वाला अंतरराष्ट्रीय चिड़ियाघर सिर्फ चारदीवारी बनने से आगे नहीं बढ़ पाया। सुमित हृदयेश कहते हैं ‘ये योजनाएं तो हल्द्वानी विधानसभा क्षेत्र से बाहर बननी थी इनका समग्र लाभ भाजपा विधायकों के विधानसभा क्षेत्रों को भी मिलता लेकिन राजनीतिक संकीर्णता के चलते विकास की इन दीर्घकालीन योजनाओं को अवरुद्ध कर दिया गया। विधायक निधि से विकास व खर्च के मामलों में सुमित हृदयेश के अनुसार उन्होंने अधिकांश राशि विकास कार्यों के लिए अवमुक्त कर दी है।
भारतीय जनता पार्टी के एक नेता सुमित हृदयेश पर विकास कार्यों के प्रति संजीदा न होने का आरोप लगाते हुए कहते हैं ‘जरूरी नहीं हर कार्य का श्रेय उन्हें मिले। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के अनुरूप 2000 करोड़ की धनराशि से हल्द्वानी शहर के विकास की दीर्घाकलीन योजनाओं पर काम चल रहा है जो जल्द ही धरातल पर दिखने लगेगी। विधायक अपने कार्यकाल की विफलता को सरकार की नाकामी कहकर जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। विधायक को चाहिए कि वो जिम्मेदारी पूर्वक सरकार के साथ मिलकर काम कर हल्द्वानी के विकास में योगदान दें।’ 2022 के विधानसभा चुनाव से पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हल्द्वानी के विकास के लिए घोषित 2200 करोड़ के पैकेज को अपनी उपलब्धि मानते हुए भाजपा नेताओं का कहना है कि इस पैकेज से विकास के हर पहलू को छुआ गया है। काठगोदाम में रोडवेज के परिसर में पर्वतीय क्षेत्रों के लिए बस अड्डे की परियोजना तैयार की जा रही है। एलिवेटेड रोड, फ्लाई ओवर की परियोजनाओं की फिजिबिलिटी पर कार्य चल रहा है। नहर कवरिंग का कार्य भाजपा सरकार की ही परिकल्पना रही है जिस पर कार्य चल रहा है। भाजपा नेताओं का कहना है कि शहर में विकास कार्य तीव्र गति से चल रहे हैं। ये सरकार की उपलब्धि है। इसे विधायक के मूल्यांकन से न जोड़ें, क्योंकि ये योजनाएं भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं की विकासवादी सोच का परिणाम है।
तो इसके ठीक उलट भाजपा नेता डॉ अनिल डब्बू के अनुसार हल्द्वानी के विधायक का एक वर्ष का कार्यकाल निराशाजनक रहा है। वे कहते हैं कि हल्द्वानी के विकास कार्यों में उनका योगदान शून्य है। सरकार द्वारा कराए जा रहे विकास कार्यों की आलोचना समझ से परे है। विधायक सबसे ज्यादा विधायक निधि खर्च होने का दावा करते हैं तो उस विधायक निधि का विकास कार्य नजर क्यों नहीं आ रहा? अनिल डब्बू का कहना है कि हल्द्वानी के विकास कार्यों पर मुख्यमंत्री की व्यक्तिगत रुचि के चलते नहर कवरिंग, सड़कों के कार्य, खेल विश्वविद्यालय की स्थापना जैसे कार्यों पर मुहर लगी है। कांग्रेस के नैनीताल जिले के अध्यक्ष राहुल छिमवाल का कहना है कि सुमित हृदयेश स्व इंदिरा हृदयेश की विकासवादी सोच की परंपरा के वाहक हैं। हल्द्वानी में कैथलैब और सुशीला तिवारी अस्पताल में ट्रामा सेंसर की घोषणा विधायक सुमित हृदयेश की महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
कुल मिलाकर हल्द्वानी विधायक सुमित हृदयेश के एक साल के कार्यकाल के आकलन पर प्रतिक्रियाएं राजनीतिक प्रतिबद्धताओं के अनुरूप मिली-जुली है। शायद पहली बार के विधायक और एक साल के कार्यकाल पर आकलन बहुत नकारात्मक तो नहीं ही है। आगे आने वाले सालों में निश्चित ही उन्हें जनता के सवालों से रूबरू होना होगा।
बात अपनी-अपनी
हल्द्वानी के विकास के लिए पिछले एक साल से संघर्ष ही कर रहा हूं। मुख्यमंत्री जी ने उत्तराखण्ड के प्रत्येक विधायक से अपनी विधानसभा के लिए विकास योजनाओं के विकास के लिए प्रस्ताव मांगे थे। मैंने भी अपनी विधानसभा के लिए प्रस्ताव दिए हैं जिनमें आईएसबीटी का निर्माण अंतराष्ट्रीय चिड़ियाघर, रिंग रोड और शहर की पेयजल तथा सड़कों के लिए धनराशि मांगी है। सुशीला तिवारी अस्पताल में कैथलैब और ट्रामा सेंटर का निर्माण स्वीकृत कराया है।
सुमित हृदयेश, विधायक हल्द्वानी
विधायक का एक वर्ष का कार्यकाल निराशाजनक रहा है। उनका काम सिर्फ विरोध करना रह गया है। मुख्यमंत्री जी ने हल्द्वानी के विकास में व्यक्तिगत रुचि ली है। आज हल्द्वानी में जो भी विकास कार्य चल रहे हैं वे मुख्यमंत्री की विशेष रुचि का परिणाम है। विधायक का इसमें कोई योगदान नहीं है।
डॉ. अनिल डब्बू, वरिष्ठ नेता पूर्व अध्यक्ष भाजयुमो उत्तराखण्ड