दून घाटी भूकंप के लिहाज से संवेदनशील व अतिसंवेदनशील जोन में आती है। यहां भवन निर्माण के लिए वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान व भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के विज्ञानी जमीन की क्षमता को खास तवज्जो देते रहे हैं। इसके लिए दून में भूकंप के लिहाज से सिस्मिक माइक्रोजोनेशन भी किया जा चुका है। इस तरह की गतिविधि न सिर्फ पर्यावरण के लिए खतरनाक है, बल्कि भवन निर्माण के लिए भी सुरक्षित नहीं है। बावजूद इसके सफेदपोशों के संरक्षण में भूमाफिया और प्रॉपर्टी डीलर पहाड़ काटकर उसे समतल कर प्लांटिंग कर देते हैं। एक बार फिर दून घाटी के दिल कैनाल रोड पर भूमाफियाओं ने चीरा लगाया है
प्रदेश में सत्ता और पावर के साथ-साथ विभागों के अधिकारियों की मिलीभगत से हर वो काम संभव हो जाता है जो नियम के विरुद्ध हो। कुछ ऐसा की कारनामा देहरादून के कैनाल रोड पर देखने को मिला है जिसमें खनन अधिकारियों की मिलीभगत के चलते न सिर्फ एक बड़े भूभाग में फैले टीले को काटकर समतल बना दिया गया है। साथ ही जमकर उपखनिज का दोहन किया गया है। हैरानी इस बात की है कि इसी मामले में पहले भी जिलाधिकारी देहरादून द्वारा जुर्माना तक लगाया जा चुका है।
बावजूद इसके खनन विभाग आंखें मूंदे सोता रहा।
देहरादून की नव नियुक्त जिलाधिकारी सोनिका द्वारा राजपुर रोड के समीप कैनाल रोड पर पहाड़ी को काट कर समतल करने के मामले में कार्यवाही करते हुए खान और भूगर्भ अधिकारी के अलावा एमडीडीए के दो सुपरवाईजर को निलंबित करके आरोपित के खिलाफ डालनवाना कोतवाली में मुकदमा दर्ज करवा दिया है। डीएम देहरादून की इस बड़ी कार्यवाही से यह साफ हो गया है कि प्रदेश में खास तौर पर देहरादून में किस तरह से भू कारोबारियों और अधिकारियों की मिलीभगत से सभी वो काम जो नियम विरुद्ध है, को आसानी से पूरा किया जाता रहा है।
देहरादून के राजपुर रोड से सटी रिज कैनाल रोड पर अवैध प्लॉटिंग और भूमि कटान की शिकायत मिलने पर जिलाधिकारी देहरादून द्वारा स्थलीय निरीक्षण किया गया जिसके बाद मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण द्वारा अवैध प्लॉटिंग को ध्वस्त कर दिया गया और निर्माण कार्य पर रोक लगा दी गई। इस पूरे प्रकरण में लापरवाही के अरोप में खान अधिकारी विरेंद्र सिंह और भूगर्भ अधिकारी अनिल कुमार के अलावा एमडीडीए के दो सुपरवाईजर प्यारे लाल और महावीर सिंह को निलंबित कर दिया गया।
गौर करने वाली बात यह है कि जिस भूमि के कटान पर कार्यवाही की गई है उस भूमि को समतल करने के लिए पूर्व में जिलाधिकारी देहरादून द्वारा 8 नवंबर 2021 से 8 फरवरी 2022 तक यानी तीन माह की अनुमति दी गई थी। अनुमति के लिए समतलीकरण और उपखनिजों की रॉयल्टी तथा कीमत भी निर्धारित करते हुए शुल्क जमा करवाया गया था। अनुमति के विपरीत खनन ज्यादा करने पर 28 मई 2022 को तत्कालीन जिलाधिकारी डॉ राजेश द्वारा अनिल कुमार गुप्ता पर 4 लाख 76 हजार 960 रुपए का जुर्माना भी लगाया गया था।
पूरे मामले को गहराई से देखें तो इस प्रकरण में सत्ता और खनन माफिया का गठजोड़ उभरता स्पष्ट नजर आता है। भूमि के मौजूदा मालिक अनिल कुमार गुप्ता उत्तराखण्ड में पहले से ही खासे चर्चित व्यक्ति है। दक्षिण अफ्रीका के चर्चित और भगोड़े गुप्ता बंधुओं के नजदीकी रिश्तेदार अनिल कुमार गुप्ता कांग्रेस की विजय बहुगुणा सरकार में दर्जाधारी राज्यमंत्री थे। गुप्ता बंधुओं की उत्तराखण्ड में राजनीतिक पकड़ बनाने में इन्हीं अनिल कुमार गुप्ता की भूमिका रही है। पूर्ववर्ती भाजपा की त्रिवेंद्र रावत सरकार के समय गुप्ता बंधुओं के पारिवारिक विवाह का आयोजन तमाम नियमों और विरोध के बावजूद औली में करवाने के लिए सरकार द्वारा अनुमति दी गई थी।
इन्हीं अनिल कुमार गुप्ता ने कैनाल रोड के इस भूखंड जो कि एक पहाड़ी टीले पर है, को मंजीत जौहर से खरीदा। जानकारी के अनुसार इस भूखंड पर भव्य माल और होटल बनाए जाने की योजना है। पहाड़ी पर स्थित यह भूखंड पूर्व दिशा से कैनाल रोड और पश्चिम दिशा से राजपुर रोड को जोड़ता है। इसके चलते यह भूखंड बेहद कीमती हो गया है। करोड़ों के इस भूखंड को राजपुर रोड से जोड़ने के लिए इस टीले को काटकर समतल मैदान बनाया गया जिसके लिए बकायदा जिला प्रशासन से अनुमति तक ली गई। इसी अनुमति में बड़ा खेल रचा गया महज तीन माह में समतल करने के काम की समय सीमा खत्म होने के बावजूद समतली करण का काम किया जाता रहा।
हैरानी की बात यह है कि अति व्यस्तम रोड और शासन प्रशासन के उच्चाधिकारियों का इस कैनाल रोड से नियमित आना-जाना होता रहा है लेकिन इस समतलीकरण के काम पर किसी की नजर तक नहीं पड़ी या यूं कहें कि देखने की जहमत किसी ने नहीं उठाई जिसके चलते समतलीकरण का काम निर्बाध तौर पर चलता रहा। डीएम देहारादून को इसकी शिकायत मिली तो कार्यवाही की गई।
इस पूरे प्रकरण में कार्यवाही और निलंबन पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। जो खनन विभाग छोटी-छोटी बात पर आम लोगों पर कार्यवाही करने में सबसे आगे रहता है। वह खनन विभाग इतने बड़े पहाड़ी टीले के कटान पर चुप रहा जबकि सिर्फ तीन माह के लिए समतलीकरण की अनुमति दी गई थी। फिर किस आधार पर अनुमति के छह माह बाद भी कटान होता रहा। साथ ही अनुमति से ज्यादा खनन होने पर जुर्माना लगाया जा चुका था तो फिर इसके बाद किस तरह से पहाड़ी टीले को काटकर खनन किया जाता रहा।
जिलाधिकारी देहारादून द्वारा जिस भूगर्भीय अधिकारी अनिल कुमार को लापरवाही और गलत तथ्य देने पर निलंबित किया गया है उस अधिकारी की इस मामले में कोई भूमिका नहीं होने की जानकारी आ रही है। जिलाधिकारी देहरादून द्वारा समतलीकरण की अनुमति की प्रक्रिया में स्थलीय निरीक्षण के लिए भूगर्भीय अधिकारी अनिल कुमार को इसके लिए निर्देश तक नहीं दिए गए थे। इससे यह तो साफ हो गया है कि समतलीकरण की अनुमति के दौरान प्रक्रिया में आवश्यक भूगर्भीय रिपोर्ट को नजरअंदाज किया गया। लेकिन वर्तमान जिलाधिकारी द्वारा अनिल कुमार को भी निलंबित किया गया है।
इसी तरह से एमडीडीए द्वारा जिस तेजी से कार्यवाही की गई है वह अपने आप में चौंका रही है। एमडीडीए के वीसी बृजेश कुमार संत पर खनन का भी दायित्व है। जब मामला खुला तो त्वरित कार्यवाही करते हुए अवैध प्लॉटिंग को ध्वस्त कर दिया गया। साथ ही भूखंड पर तत्काल सूचना बोर्ड लगाकर उस पर नोटिस चस्पा कर दिया गया।
इस स्थान से महज कुछ मीटर दूर महालक्ष्मी विल्वैड के मालिक मनजीत जौहर का भी निर्माण कार्य चल रहा है। इस निर्माण कार्य के लिए भी पहाड़ को काटकर समतल किया गया था जिसकी अनुमति जिलाधिकारी कार्यालय द्वारा जारी की गई थी। लेकिन इसमें भी तय सीमा से बहुत ज्यादा पहाड़ को काट कर समतल कर खनन किया गया जिसके चलते 63 लाख 10 हजार 254 रुपए का जुर्माना लगया गया था। हैरानी की बात यह है कि अनिल कुमार गुप्ता की सम्पत्ति के ठीक बगल में एक पेट्रोल पंप का भी निर्माण किया गया है और इसके निर्माण में भी इसी तरह से पहाड़ी को काटकर भूमि को समतल किया गया। इसके अलावा इसी कैनाल रोड पर कई निर्माण कार्य इसी तरह से पहाड़ी को काटकर समतलीकरन करने का काम चल रहा है उन पर आज तक किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई है।
ऐसा नहीं है कि खनन विभाग का यह पहला मामला हो राज्य बनने के बाद कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिसमें जमकर खनन कर उपखनिज को ठिकाने लगाया गया है। हालांकि इस मामले में जुर्माने भी लगाए गए हैं लेकिन अधिकांश मामलों में जुर्माने की राशि को बेहद कम करके बिल्डरों और संस्थाओं को बड़ा फायदा पहुंचाया जाता रहा है।
दो बड़े मामले इसको सबसे बड़े उदाहरण हैं जिनमें पहला मामला जौलीग्रांट एयर पोर्ट के निर्माण के समय खनन को लेकर 17 करोड़ का जुर्माना किया गया था, परंतु इस जुर्माने को शासन में महज 17 लाख करके निपटा दिया गया। इसी तरह से सहस्रधारा रोड में यूनिटेक बिल्डर्स के शॉपिंग काम्पलेक्स में भी इसी तरह से जुर्माने राशि को कम कर दिया गया था।
इस मामले में भी खनन विभाग के अधिकारियों की संलिप्तता मानी जा रही है। अगर देहरादून की नई जिलाधिकारी इस पर नजर न डालती तो आसानी से बिल्डर्स अपना हित पूरा कर लेते।
हालांकि इस प्रकरण में अब एमडीडीए और जिला प्रशासन के अलावा खनन विभाग द्वारा बैठक की गई है जिसमें भविष्य में जिन निर्माण कार्यों में पहाड़ काट कर निर्माण कार्य होने हैं उनको अनूमति नहीं देने का निर्णय लिया गया है। यह देहरादून के पर्यावरण और सुंदरता के लिए बेहतर हो सकता है बशर्ते इस निर्णय में सत्ता और शासन का रसूख आडे़ न आए।
कैनाल रोड मामले में जांच के बाद कार्यवाही हो चुकी है। इसमें अब कुछ ऐसा नहीं बचा है जिसकी पुनः जांच कराई जाए। कुछ लोगों पर जुर्माना लगाया गया है। इसके आस-पास होने वाली गतिविधियों पर प्रशासन की पूरी नजर है। शहर में कुछ भी गलत नहीं होने दिया जाएगा।
सोनिका, जिलाधिकारी देहरादून