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Uttarakhand

अधिकारियों में अंदरखाने तलवारबाजी

हरिद्वार में राजनेताओं की पत्नियों से लेकर बच्चों तक को गनर उपलब्ध हैं। ऐसे में एसडीएम की सुरक्षा में तैनात गनर को हटाना पुलिस और प्रशासन के बीच की तनातनी का कारण माना जा रहा है

जनपद में इनदिनों विभागीय अधिकारियों के बीच अंदरुनी रूप से तलवारें खिंची हैं। पुलिस और जिला प्रशासन के बीच तनातनी के समय-समय पर पुख्ता प्रमाण भी मिलते रहे हैं। जिलाधिकारी दीपक रावत पुलिस की हालिया कार्यशैली से पूरी तरह नाखुश नजर आ रहे हैं। जिसकी टीस कई बार उनके बयानों में देखने को मिली है। हाल ही में एसडीएम मनीष सिंह की सुरक्षा में तैनात गनर को पुलिस प्रशासन द्वारा बिना किसी वजह के हटा लिया गया जिसे जिला प्रशासन और पुलिस के बीच खटापटी का बड़ा प्रमाण माना जा रहा है। लेकिन सवाल उठ रहा है कि जनपद के 45 से ज्यादा गैर सरकारी लोगों को गनर मुहैया कराने वाली पुलिस प्रशासन को अचानक एसडीएम मनीष सिंह के गनर को क्यों हटाना पड़ा, जबकि विधायक देशराज कर्णवाल की पत्नी वैजयंती माला ही नहीं
भाजपा जिला अध्यक्ष जयपाल सिंह चौहान तक गनर लेकर चलते हैं। यही नहीं खानपुर विधायक कुंवर प्रणव सिंह चौंपियन की पत्नी देवयानी ,बेटा दिव्य प्रताप और पिता नरेंद्र सिंह भी गनर लेकर चलते हैं। अब सवाल यह है कि एसडीएम के गनर को वापस लेने की क्या आवश्यकता आ पड़ी? चर्चा है कि इसका कारण वो पत्र बना जिसमें एसडीएम ने जिलाधिकारी को लिखा था कि पुलिस अतिक्रमण हटाओ अभियान में पर्याप्त सहयोग नहीं कर रही।
बता दें कि एसडीएम को कई बार शिकायत पर छापेमारी में जाना पड़ता है। खासकर अवैध खनन की शिकायत पर भी एसडीएम को कई बार खुद ही जाना पड़ता है। छापेमारी के दौरान स्थानीय पुलिस को साथ ले जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं रहता, जबकि पुलिस की भूमिका संदिग्ध नजर आती है।
पिछले दिनों जिला आबकारी अधिकारी प्रशांत कुमार पर रानीपुर कोतवाली में हुए मुकदमे में ऐसी बन गई थी जब एक शराब तस्कर की शिकायत के बाद पुलिस ने जिले के एक विभाग के प्रमुख अधिकारी के खिलाफ तुरंत मुकदमा दर्ज कर लिया था। आबकारी अधिकारी प्रशांत कुमार के नेतृत्व में सलेमपुर दादूपूर में आधी रात को छापेमारी की गई थी जिसमें शराब तस्कर राजा को शराब की फैक्ट्री सहित पकड़ा गया था। उस समय राजा ने बयान दिया था कि वह रानीपुर कोतवाली को घूस देता है। उसके इस बयान से पुलिस की बहुत किरकिरी हुई थी। जेल से छूटते ही राजा ने रानीपुर कोतवाली में शिकायत की थी जिला आबकारी अधिकारी प्रशांत कुमार ने जबरन पुलिस के खिलाफ बयानबाजी कराई थी। पुलिस ने तुरंत मुकदमा दर्ज कर लिया। हालांकि चर्चा है कि पुलिस ने उस शराब तस्कर को विवश किया था कि वह ऐसा करे। उस दौरान आबकारी विभाग की व्यवस्था बिगड़ने के कारण लाखों की राजस्व की हानि हुई थी जिससे कहीं ना कहीं जिलाधिकारी दीपक रावत भी खासा नाखुश हुए।
दोनों के बीच तनातनी का उदाहरण एक और मामले में भी देखने को मिला। दिल्ली निवासी अमरजीत सिंह ने रोशनाबाद पहुंचकर डीएम दीपक रावत के जनता दरबार में गुहार लगाई कि गोल्ड़न बाबा ने उन्हें विल्केश्वर कॉलोनी स्थित अपने मकान को बेच दिया था। कब्जा भी दे दिया था। लेकिन बाद में उन्होंने अपने आदमियां सहित उस समय मकान पर जबरन कब्जा कर लिया। इस प्रकरण में डीएम दीपक रावत ने तुरंत एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए, लेकिन पुलिस ने इस संबंध में कोई मामला दर्ज नहीं किया जिससे खुद जिलाधिकारी दीपक रावत की भी किरकिरी होती दिखाई दी।
पुलिस और जिला प्रशासन के बीच तनातनी का प्रभाव कही ना कहीं इनकी कार्यशैली पर भी पड़ता नजर आ रहा है क्योंकि दोनों ही एक दूसरे को तवज्जो देते दिखाई नहीं पड़ रहे हैं। एडवोकेट अरुण भदौरिया द्वारा आरटीआई में प्राप्त सूचनाओं में यह खुलासा हुआ कि पिछले 1 वर्ष के दौरान 31 मार्च 2018 तक पुलिस ने 109 लोगों के खिलाफ गुंडा एक्ट की कार्रवाई कर रिपोर्ट जिला प्रशासन को भेजी। जिसमें से मात्र 17 लोगों को खिलाफ जिला बदर की कार्यवाही की गई। इसी तरह सितंबर 2018 तक 42 लोगों पर गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई की गई पर उनमें से केवल 9 को ही जिला बदर किया गया। यह कार्रवाई दिखाती है कि दोनों के बीच किस कदर तालमेल और विश्वास और आपसी सहयोग की कमी है। बात अगर मातृ सदन के परमाध्यक्ष शिवानंद की सुनें तो पुलिस कप्तान कøष्ण कुमार वीके की तारीफों के पुल बांधे नहीं थकते जबकि जिलाधिकारी दीपक रावत के खिलाफ जमकर आग उगलते नजर आते हैं।

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