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Uttarakhand

सामिया का अवैध साम्राज्य

तीन माह पहले ही सूबे की धामी सरकार ने उत्तराखण्ड भू संपदा विनियमन एवं विकास नियमावली को मंजूरी दी है। जिसमें खरीददार और बिल्डर के बीच कई मामलों पर सहमति बनी है। बिल्डरों पर आरोप है कि नियमावली लागू होने से पहले खरीददार और उनके बीच होने वाले अनुबंध को वे अपनी मनमर्जी से तैयार करते थे। सरकार का दावा है कि इस नियमावली के लागू होने पर बिल्डर अपनी मनमानी नहीं कर पाएंगे। लेकिन रुद्रपुर स्थित सामिया बिल्डर ने सभी नियम-कानूनों के विपरीत जाकर काम किया। रेरा अदालत के आदेशों के बावजूद भी करोड़ो रुपए की रिकवरी जमा नहीं की गई। जमीन को सरकार ने कुर्क किया। लेकिन सामिया बिल्डर का अवैध साम्राज्य कायम रहा। चर्चा है कि बिल्डर बेखौफ होकर सरकार के कुर्क कानून को चुनौती दे रहा है। एक तरफ सरकार जमीन कुर्क करने की कार्यवाही करती रही तो दूसरी तरफ सामिया बिल्डर प्लॉटिंग करता रहा

उत्तराखण्ड सरकार ने बिल्डरों की मनमानी को रोकने के लिए बड़ा कदम उठाया है। प्रदेश मंत्रिमंडल ने गत् अगस्त माह में उत्तराखण्ड भू संपदा विनियमन एवं विकास (विक्रय करार) नियमावली को मंजूरी दी है। इसके तहत मकान या प्लॉट खरीदने वाले और बिल्डर के बीच क्रय-विक्रय अनुबंध के लिए एक प्रारूप तैयार करने पर सहमति बनी है। नियमावली में निर्माण के आधार पर खरीदारों से भुगतान समेत अन्य शर्तें तय की गई हैं। सरकार का दावा है कि नियमावली तैयार होने से उपभोक्ताओं को फायदा होगा। दरअसल अभी तक अनुबंध को बिल्डर अपनी मनमर्जी से तैयार करते थे, जिसमें खरीददारों के साथ धोखाधड़ी की अधिक आशंकाएं रहती हैं। नई नियमावली लागू होने पर बिल्डर अपनी मनमानी नहीं कर पाएंगे। इसके बावजूद भी बिल्डर अभी भी प्रदेश के लोगों के साथ अनियमितता का खेल खेल रहे हैं। जिनमें रुद्रपुर स्थित सामिया बिल्डर का नाम प्रमुखता से सामने आ रहा है। जिस पर रेरा कानून का उल्लंघन करने और उपभोक्ताओं को समय पर पजेशन न दिए जाने के आरोप लग रहे हैं। बार-बार नोटिस देने के बावजूद भी जब बिल्डर ने
उपभोक्ताओं को उनके प्लॉट अलॉट नहीं कराए तो रिकवरी के आदेश दिए गए। फिलहाल प्रशासन ने सामिया बिल्डर्स की 17 एकड़ जमीन को भी कुर्क कर लिया है। हद तो तब हो गई जब कुर्क जमीन पर ही बिल्डर ने कई प्लॉटों की रजिस्ट्री कर डाली।

रुद्रपुर में काशीपुर हाईवे पर स्थित ग्राम दानपुर में सामिया इंटरनेशनल बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड सामिया लेक सिटी के नाम से कॉलोनी काट रहा है। केंद्र सरकार ने बिल्डरों पर लगाम कसने के लिए 2016 में एक कानून बनाया रेरा यानी रियल एस्टेट रेग्युलेटिंग एक्ट। कुछ लोगों ने रजिस्ट्री कराने के बाद भी प्लाट न मिलने की शिकायत रेरा कोर्ट में की तो रेरा ने रिकवरी के आदेश दिए। जिस पर सामिया बिल्डर ने करीब 1.38 करोड़ रुपये जमा कर दिए थे। रेरा कोर्ट ने 16 और मामलों में जिला प्रशासन को 2.60 करोड़ रुपए रिकवरी करने के आदेश जारी किए हैं। सामिया को 2.60 करोड़ रुपए तहसील रुद्रपुर में जमा करने हैं। कालोनी में प्लॉट की रजिस्ट्री कराने के बाद जब उपभोक्ता को प्लॉट नहीं मिलता है या रुपए वापस नहीं होते हैं तो वह कॉलोनाइजर के खिलाफ रेरा कोर्ट में शिकायत करता है। सुनवाई के बाद कोर्ट संबंधित जिलाधिकारी से रिकवरी के आदेश जारी करता है। जिलाधिकारी के आदेश पर एसडीएम रिकवरी के लिए आरसी जारी करता है। इस मामले को प्रशासन ने गंभीरता से लिया और एसडीएम रुद्रपुर को कार्रवाई करने को कहा। रुपए जमा न करने पर तहसील प्रशासन ने सामिया को कई बार नोटिस भेजे। लेकिन सामिया बिल्डर ने फिर भी रुपए जमा नहीं किए।

इस पर 6 जनवरी 2021 को तत्कालीन उपजिलाधिकारी के आदेश पर रुद्रपुर तहसील प्रशासन ने सामिया इंटरनेशनल बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड की करीब 17 हेक्टेयर जमीन को कुर्क कर लिया है। जिसका विवरण भी बकायदा ग्राम दानपुर के खाता खतौनी संख्या 00825 और 00826 में भी दर्ज है। कुर्क जमीन को नीलाम करने के लिए दो बार नीलामी की तारीख तय की गई, मगर किसी ने बोली नहीं लगाई। बताया जा रहा है कि जमीन महंगी होने की वजह से कोई बोली नहीं लगा पा रहा है। चौंकाने वाली बात यह है कि कुर्क की गई जमीन का विवरण खसरा खतौनी में तहसील प्रशासन द्वारा दर्ज किए जाने के बावजूद भी रुद्रपुर के सब रजिस्ट्रार ने नियम कानूनों को ताक पर रखकर कुर्क की गई भूमि में मौजूद कई प्लॉटों की रजिस्ट्री कर दी है। सवाल यह है कि इन प्लॉटों की रजिस्ट्री तो हो गई पर इनका दाखिल खारिज कैसे होगा, क्योंकि खसरा खतौनी में तो उपरोक्त भूमि कुर्क हो चुकी है। ऐसे में यह प्लॉट खरीदने वाले सभी लोग अपने आपको ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। बात यहीं पर नहीं रूकी है बल्कि गत् 10 नवंबर को भी सामिया बिल्डर के निदेशक सगीर खान ने कुर्क की हुई खसरा संख्या 375 में मौजूद लगभग आधा एकड़ भूमि की तीन अलग-अलग रजिस्ट्री करवाई है। बीते डेढ़ सालों में सामिया बिल्डर ने सब रजिस्ट्रार कार्यालय में जितनी भी जमीन की रजिस्ट्री करवाई है वे सभी तहसील प्रशासन ने दस्तावेजों में कुर्क कर रखी है परबावजूद इसके एक के बाद एक कुर्क भूमि की भी रजिस्ट्री हो रही है। सवाल यह भी है कि अभी भी कुर्क जमीन पर रजिस्ट्री कैसे और किसके इशारे पर की जा रही है।

यह भी बताना जरूरी है कि सामिया बिल्डर के रेरा रजिस्ट्रेशन नंबर की वैधता बीते वर्ष 2018 में ही समाप्त हो गई है। नियमानुसार जिस बिल्डर अथवा डेवलपर के रजिस्ट्रेशन नंबर की वैधता समाप्त हो जाती है वह अपनी प्रस्तावित कॉलोनी में मौजूद प्लॉट अथवा मकान की रजिस्ट्री नहीं करवा सकता है।

बावजूद इसके सामिया लेक सिटी की रजिस्ट्री धड़ल्ले से की जा रही है, जबकि अभी हाल ही में सामिया लेक सिटी कॉलोनी का नक्शा भी लगभग दो करोड़ रुपए का रिवाइज शुल्क जमा न करने के कारण पेंडिंग है।

सामिया बिल्डर की सरकार द्वारा कुर्कशुदा भूमि

बताया तो यह भी जा रहा है कि ऊधमसिंह नगर जिला विकास प्राधिकरण ने सामिया लेक सिटी कॉलोनी का नक्शा निरस्त कर दिया है। इस के साथ ही प्राधिकरण ने कॉलोनी में किसी भी प्रकार के नए निर्माण कार्य पर रोक लगा दी गई।

पत्रकार पर रंगदारी का आरोप
सामिया बिल्डर के खिलाफ समाचार प्रकाशित करने पर रुद्रपुर के पत्रकार पूरन रावत पर रंगदारी के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। पेश है रावत की कहानी उनकी जुबानी . . . ‘बिल्डर ने मुझ पर यह आरोप लगाया है कि पूरन रावत ने बीते अगस्त माह में हम से रंगदारी मांगी थी और उसके एवज में हमने 20000 रुपए उनके अकाउंट में ट्रांसफर किए थे। जबकि बीते वर्ष 2021 के अगस्त माह में बिल्डर द्वारा हमें 15 अगस्त का विज्ञापन दिया गया था। जिसका भुगतान बामुश्किल 1 साल बाद बिल्डर ने हमें इस वर्ष अगस्त माह में बकायदा अकाउंट पर चेक देकर किया था। कोई भी व्यक्ति क्या कभी अकाउंट पर चेक से रिश्वत लेता है या रंगदारी मांगता है? अगर कोई रिश्वत अथवा रंगदारी लेगा तो क्या चेक से अकाउंट पर लेगा?

अगर मैंने बिल्डर से कोई रंगदारी मांगी थी तो बिल्डर ने अगस्त माह में ही पुलिस को इसकी सूचना क्यों नहीं दी? 27 अक्टूबर को जब मैंने बिल्डर के कारनामों की खबर चलाई और फिर 1 नवंबर को जब बिल्डर के काले कारनामों की खबर दोबारा चलाई और वह भी पुख्ता प्रमाण के साथ तो बिल्डर ने मुझ पर दबाव बनाने के लिए रुद्रपुर कोतवाली में रंगदारी मांगने की तहरीर दे दी। बीते दो-ढाई सालों में मेरे अकाउंट के खाते में विज्ञापन के तौर पर दर्जनों चेक लगाकर विज्ञापन का भुगतान लिया गया है तो क्या वे सब भी रिश्वत अथवा रंगदारी हैं?’

दर्ज हो चुका है धोखाधड़ी का मुकदमा 30 जुलाई 2019 को सामिया बिल्डर पर 420 (धोखाधड़ी) का मुकदमा दर्ज किया जा चुका है। यह मुकदमा दुकान बनाकर देने के नाम पर सीबीआई अधिकारी से 3 लाख 11 हजार रुपये हड़पने के संबंध में दर्ज किया गया। पीड़ित का आरोप है कि कई साल बाद भी बिल्डर ने उन्हें न तो दुकान बनाकर दी और न रुपये वापस किए। पीड़ित की शिकायत पर नोएडा में थाना फेज-3 पुलिस ने सामिया इंटरनेशनल बिल्डर ग्रुप के निदेशक सगीर खान के खिलाफ केस दर्ज किया।

 

कुर्क होने के बावजूद होती रही रजिस्ट्रियां

गाजियाबाद में रहने वाले सुशील कुमार सीबीआई में सहायक सब-इंस्पेक्टर हैं। उनकी ओर से पुलिस को दी गई शिकायत में बताया गया कि उन्होंने वर्ष 2011 में सामिया इंटरनेशनल ग्रुप की ओर से उत्तराखण्ड के रुद्रपुर में बनाए जा रहे सामिया लेक सिटी मॉल में एक दुकान बुक कराई थी। बातचीत के बाद 4 लाख 50 हजार रुपए में दुकान बुक की थी। जिसमें से 3 लाख 11 हजार रुपए वह भुगतान कर चुके हैं। बिल्डर ने वादा किया था कि 3 साल के अंदर प्रोजेक्ट को पूरा कर उन्हें दुकान का पजेशन दे दिया जाएगा। आरोप है कि कई साल गुजर जाने के बाद भी निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ। उन्होंने रुपए वापस लेने के लिए नौकरी से छुट्टी लेकर रुद्रपुर और सेक्टर 63 में बने बिल्डर के ऑफिस के कई बार चक्कर काटे, लेकिन उन्हें पैसे वापस नहीं मिले। जिसके बाद उन्हें केस दर्ज करवाने के लिए मजबूर होना पड़ा।

बात अपनी-अपनी
सामिया बिल्डर ने अपनी आर्थिक परिस्थितियों का हवाला देते हुए नक्शा का रिवाइज शुल्क नहीं दिया है। जब तक नक्शा प्रस्तावित नहीं हो जाता है तब तक बिल्डर प्लॉट की रजिस्ट्री नहीं करवा सकेगा। फिलहाल सामिया बिल्डर ने कहा है कि वह जल्द ही प्राधिकरण का रिवाइज शुल्क जमा करा देंगे।
हरीश कांडपाल, उपाध्यक्ष, जिला विकास प्राधिकरण ऊधमसिंह नगर

सामिया इंटरनेशनल बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड ग्राम दानपुर में कॉलोनी काट रहा है। उससे रिकवरी की जानी है। रिकवरी जमा न करने पर उनकी जमीन को भी कुर्क कर लिया गया है। इसकी दो बार नीलामी की तारीख तय की जा चुकी है। रिकवरी के पैसों में से पिछले हफ्ते 50 लाख रुपए जमा कराए गए हैं अभी बहुत-सा पैसा बाकी है। हमने सामिया के दो खेत कुर्क किए हैं जिनमें अगर रजिस्ट्रियां हुई हैं तो वह नियम विरुद्ध है। हम इसकी जांच कराएंगे।
नीतू डागर, तहसीलदार रुद्रपुर

हमने सरकार के पैसे जमा कर दिए हैं कुछ जो बाकि धनराशि है वह जमा की जा रही है। इतने बड़े प्रोजेक्ट में थोड़ा- बहुत तो होता रहता है। आप हमसे हमारे ऑफिस आकर मिलिए तब आपको विस्तार से बताएंगे। जिस पत्रकार पर हमने रिपोर्ट दर्ज कराई है वह हमसे रंगदारी मांग रहा था।
सगीर खान, डायरेक्टर सामिया इंटरनेशनल बिल्डर्स प्रा.लि.

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