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भाजपा देश भर में अपना विस्तार कर रही है। इसी सिलसिले में पार्टी देश के सभी जिलों, तहसीलों और प्रखण्डों में कार्यालय खोल रही है। प्रदेश के चंपावत जिले में बन रहा पार्टी कार्यालय पर सवाल खड़े हो गए हैं। नदी किनारे कार्यालय का निर्माण एनजीटी के नियमों का खुला उल्लंघन है। सरकारी जमीन अतिक्रमण का भी आरोप लग रहा हैं जिसके मद्देजनर प्रशासन ने निर्माण काम रूकवा दिया है

काली कुमाऊं के नाम से प्रसिद्ध चंपावत में सत्ताशीन भाजपा सरकार ने अपने ही कथन जीरो टॉलरेंस की धज्जियां उड़ा दी है। देश भर में बन रहे कार्यालयों की तरह यहां भी भाजपा का जिला मुख्यालय का निर्माण जोर-शोर से चल रहा है। लेकिन निर्माणाधीन पार्टी कार्यालय में नियम-कानूनों की जमकर अवहेलना की गई है। चाल-चरित्र और चेहरे की बात करने वाली भाजपा का जिला मुख्यालय कार्यालय न केवल एनजीटी के आदेशों को दरकिनार करके बना रहा है, बल्कि इस कार्यालय के निर्माण से पहले नक्शा तक पास नहीं कराया गया। कार्यालय जिस जमीन पर बन रहा है वहां नहर विभाग की जमीन पर अतिक्रमण की बातें भी सामने आ रही है।

एनजीटी का स्पष्ट आदेश है कि नदी, नहर, नालों से 200 मीटर की दूरी पर ही पक्का निर्माण कार्य किया जाए। 2013 में जब केदारनाथ आपदा आई और जन धन की हानि हुई तब से इसे प्रदेश में सख्ती से लागू किया गया। बरसात के मौसम में नदी नालों और नहरों के पानी के जरिए आने वाली आफत से निपटने के लिए एनजीटी के आदेशों को सख्ती से लागू किया गया। लेकिन चंपावत के पार्टी जिला कार्यालय की जमीन खरीदने से पहले और बाद में इस तथ्य की अनदेखी कर दी है। अब कांग्रेस ने इस मुद्दे पर भाजपा की जमकर घेराबंदी करना शुरू कर दी है।

दूसरी तरफ भाजपा के जिला मुख्यालय कार्यालय के मामले में चंपावत के जिलाधिकारी डॉ. अहमद इकबाल ने जांच के आदेश दे दिए हैं। जांच पूरी होने तक फिलहाल पार्टी कार्यालय का निर्माण कार्य रोक दिया गया है। जिलाधिकारी डॉ अहमद इकबाल ने एसडीएम सदर सीमा विश्वकर्मा को जांच के आदेश दे दिए हैं। भाजपा के वर्तमान जिला अध्यक्ष ने कार्यालय निर्माण को नियमों के तहत ही बनना बताया है। सर्वविदित है कि दो साल पूर्व जब कार्यालय के लिए जमीन खरीदी गई थी तभी कांग्रेस ने गंडक नदी के किनारे बनने के साथ ही सरकारी जमीन पर अतिक्रमण के आरोप लगाए थे। उस दौरान मामले को रफा-दफा कर दिया गया था।

लोहाघाट के पूर्व विधायक केसी पुनेठा के अनुसार पार्टी कार्यालय के निर्माण में किसी भी विवाद से बचने के मद्देनजर जमीन पहले कलेक्ट्रेट के पास जमीन चिÐत की गई थी। वहां कार्यालय के निर्माण के लिए सात नाली जमीन दिखाई गई थी। उस सात नाली जमीन की कीमत सिर्फ 35 लाख थी। लेकिन कुछ लेगों के स्वहित आड़े आ रहे थे। जिसके चलते वहां कार्यालय के लिए जमीन का प्रस्ताव निरस्त कर दिया गया। कार्यालय निर्माण के लिए जमीन तलाशने भाजपा के प्रदेश कोषाध्यक्ष आशीष गुप्ता खुद चंपावत आए थे। बताया जाता है कि इस दौरान उन्हें प्राइम लोकेशन की अच्छी जमीनें दिखाई गई। लेकिन दर्जनों जगह जमीन दिखाने के बाद उन्होंने छतार स्थित गंडक नदी के किनारे वाली यह जमीन पसंद की। यह जमीन आरएसएस के एक वरिष्ठ नेता की है। आरएसएस के इस नेता का नाम बलवंत सिंह बोहरा है। गंदक नदी के किनारे से बिल्कुल सटा कर कार्यालय का निर्माण चल रहा है। फिलहाल कार्यालय निर्माण की नींव रख दी गई है और लोहे के बीम भी खड़े किए जा चुके हैं।

‘दि संडे पोस्ट’ ने भाजपा कार्यालय के निर्माण के लिए खरीदी गई जमीन की पड़ताल की। जिसके तहत जमीन के खसरा-खतौनी के दस्तावेज सामने लाए गए। इन साक्ष्यों में जमीन काली कुमाऊं तहसील एवं जनपद चंपावत के तहत दर्ज है। जमीन का कुल रकबा तीन नाली तेरह मुट्ठी है। जिसमें से दो नाली जमीन भाजपा कार्यालय के लिए बेची गई है। दिनांक 13 अप्रैल 2016 को यह जमीन बलवंत सिंह बोहरा एवं चंद्रकिशोर सिंह पुत्रगण जोध सिंह बोहरा ने भारतीय जनता पार्टी 11 अशोक रोड, नई दिल्ली के नाम पर दर्ज की है। जिस जमीन को भाजपा के नाम कराया गया है वह त्रिकोणी आकार में है। जमीन के सामने एवं एक तरफ का हिस्सा गंडक नदी के किनारे से करीब 5 से 9 फुट दूर पर स्थित है। जिस जमीन पर भाजपा कार्यालय बन रहा है उसके पिछले हिस्से में आरएसएस नेता बलवंत सिंह बोहरा का आकाशदीप नाम से एक आलीशान दो मंजिला होटल बना हुआ है। होटल के बिल्कुल सामने खाली पड़ी जमीन पर भाजपा के कार्यालय का निर्माण कार्य कई माह पूर्व ही शुरू हो चुका है। इस तरह तीन नाली तेरह मुट्ठी जमीन पर आरएसएस नेता का दो मंजिला होटल और भाजपा का निर्माणधीन कार्यालय है। स्थानीय लोगों की मानें तो कम से कम दो नाली में तो आरएसएस नेता का आकाशदीप होटल ही बना हुआ है। जबकि दो नाली जमीन भाजपा के कार्यालय के लिए बेच दी गई है। ऐसे में यह जमीन करीब चार नाली होती है। लेकिन आरएसएस नेता बलवंत सिंह बोहरा और चंद्र किशोर सिंह के नाम यहां सिर्फ तीन नाली तेरह मुट्ठी जमीन ही है। एक नाली जमीन में 16 मुट्ठी जमीन होती हैं इस तरह देखा जाए तो तीन नाली जमीन अतिक्रमण के दायरे में आती है। जांच का पहलू सिंचाई विभाग द्वारा बनाई गई वह सुरक्षा दीवाल भी है, जिसके अंदर की सारी जमीन पर स्वतः ही आरएसएस नेता बलवंत सिंह बोहरा का कब्जा हो चुका है। सिंचाई विभाग की सुरक्षा दीवार के पीछे बलवंत सिंह वोहरा की जमीन का तार-बाड़ कहीं नहीं है। जबकि बोहरा की जमीन की हदबंदी होनी चाहिए थी। सिंचाई विभाग की इसमें मिलीभगत नजर आती है।

सिंचाई विभाग की जमीन पर अतिक्रमण के अलावा यहां जिस जमीन पर कार्याल्य बन रहा है उसमें नक्शा पास न कराना सबसे बड़ा पहलू है। एक पार्टी जो प्रदेश में सत्तारूढ़ है और वह प्रत्येक नियम कानून को अच्छे से जानती है, वह अपने कार्यालय निर्माण में मानचित्र पास तक नहीं कराना अपने आप में अनियमितताएं साबित करता है। गौरतलब है कि चंपावत शहर नगर पालिका के अंतर्गत आता है। यहां जो भी निर्माण कार्य किया जाता है उससे पहले जिला विकास प्राधिकरण से मानचित्र स्वीेकृत कराना आवश्यक होता है। लेकिन भाजपा के जिला मुख्यालय कार्यालय के लिए नक्शा तक पास नहीं कराया गया है। इसीके साथ एनजीटी के मानकों का उल्लंघन करना भी अनियमितता के दायरे में आ जाता है। हालांकि ऐसा भी नहीं है कि कार्यालय का निर्माण आनन-फानन में ही कर दिया गया है। दो साल पूर्व कार्यालय के लिए जमीन खरीदी गई। क्या इन दो सालों में भाजपा के नेताओं को निर्माण कार्य शुरू करने से पहले नियम कानून पूरे करने की भी सुध नहीं रही। यहां ‘जब सैंया भेय कोतवाल तो डर काहे का’ वाली कहावत चरितार्थ होती है। लेकिन सवाल यह भी है कि क्या नियम कानून सिर्फ दूसरों के लिए होते हैं।

 

कार्यालय निर्माण से जिलाध्यक्ष की विदाई

चंपावत में चर्चा है कि भाजपा के जिला मुख्यालय कार्यालय निर्माण के लिए जमीन खरीदने में बड़ा घपला हुआ है। इस घपले में भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष हिमेश कलखुडिया का नाम सामने आ रहा है। बताया तो यहां तक जा रहा है कि कार्यालय के लिए जमीन खरीदने में सर्किल रेट से करीब 22 गुणा अधिक रेट पर जमीन खरीदी गई। जिस छतार वाले क्षेत्र में भाजपा कार्यालय के लिए जमीन खरीदी गई वहां सर्किल रेट करीब चार लाख 71 हजार रुपए नाली है। स्थानीय पटवारी सुंदर नेगी के अनुसार छतार शहर में थोड़ा बाहर की तरफ है इसका सर्किल रेट वर्तमान में 4 लाख 71 हजार है। दो साल पूर्व यहां का सर्किल रेट साढ़े तीन लाख के करीब था। इस तरह जमीन पर 8 प्रतिशत स्टांप लगाया गया तो यह जमीन कुल 17000 के स्टांप के साथ कुल सात लाख 17000 में खरीदी गई। जबकि चर्चा यह है कि यह दो नाली जमीन भाजपा ने 70 लाख में खरीदी है। बताया जा रहा है कि जमीन की ज्यादा कीमत दिलाने और सौदा तय कराने में पूर्व जिलाध्यक्ष हिमेश कलखुड़िया की भूमिका संदिग्ध रही थी। इसके लिए पूर्व जिलाध्यक्ष को विक्रेता चंद्र किशोर वोहरा द्वारा 5 लाख रुपया बतौर कमीशन दिया जाना तय हुआ था। 2 लाख रूपया दे भी दिया गया था। लेकिन बाद में तीन लाख रूपये देने पर विक्रेता और पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष के बीच विवाद हो गया। इसकी शिकायत की गई। जमीन विक्रेता चन्द्र किशोर के चंपावत और लोहाघाट के विधायकों की शह पर इस मामले को प्रदेश स्तर तक शिकायत की गई। जिसके चलते हिमेश कलखुड़िया को हटा दिया गया।

 

बात अपनी-अपनी

हमने निर्माण कार्य रूकवा दिया है। फिलहाल मामले की जांच एसडीएम सदर सीमा विश्वकर्मा कर रही हैं।
डॉ. अहमद इकबाल, जिलाधिकारी चंपावत

भाजपा कार्यालय का निर्माण नियमों के तहत किया जा रहा है। कहीं कोई गड़बड़ नहीं है। यह विपक्ष का बनाया हुआ मुद्दा है।
रामदत्त जोशी, जिलाध्यक्ष भाजपा

भाजपा का कार्यालय नियम कानूनों के विपरीत बन रहा है। सिंचाई विभाग की जमीन पर अतिक्रमण हुआ है। एनजीटी के आदेशों का पालन भी नहीं हुआ।
उत्तम देव, जिलाध्यक्ष कांग्रेस चंपावत

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