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Uttarakhand

बदरीनाथ सीट जीते तो समझो सरकार बना ली

  • संजय कुंवर
बदरीनाथ विधानसभा क्षेत्र को लेकर मिथक है कि जिस पार्टी का यहां से विधायक चुना जाता है, प्रदेश में उसी की सरकार बनती है। मिथक यूं ही नहीं बना, बल्कि पिछले सभी चुनावी नतीजे इसकी पुष्टि करते हैं। इस बार इस विधानसभा सीट पर भाजपा के लिए बड़ी चुनौती यह है कि देवस्थानम् बोर्ड में स्थानीय लोगों के हक-हकूक की उपेक्षा का मुद्दा जोर पकड़ रहा है। विधायक के कामकाज से जनता संतुष्ट नहीं है और भाजपा के कई कार्यकर्ता पार्टी छोड़कर ‘आप’ में चले गए हैं। फिर कांग्रेस एवं आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता बढ़ती महंगाई के मुद्दे को भी जोर-शोर से उठा रहे हैं।
ऐसा लग रहा है कि 2022 में इस क्षेत्र में कांग्रेस, भाजपा और आप के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होने के आसार हैं
गढ़वाल संसदीय क्षेत्र की बदरीनाथ विधानसभा सीट के साथ एक रोचक मिथक जुड़ा हुआ है। इस मिथक को विश्वसनीय मानने वाले इसके लिए अकाट्य तर्क देते हैं। मिथक है कि इस सीट पर जिस भी राजनीतिक दल का प्रत्याशी जीतता है, राज्य में सरकार उसी दल की बनती है। इस मिथक के पीछे पिछले चार चुनावों की हार-जीत का तर्क सामने रखा जाता है। वर्ष 2002 में पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी डॉ अनुसूया प्रसाद मैखुरी यहां से विजयी हुए थे। तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी। 2007 में भाजपा के केदार सिंह फोनिया ने अपनी जीत दर्ज कराई। इत्तेफाकन उस वर्ष राज्य में भाजपा को सत्ता संभालने का अवसर भी मिला था। 2012 के चुनाव में कांग्रेस के राजेंद्र सिंह भंडारी यहां से विजयी हुए और सरकार भी कांग्रेस की ही बनी। 2017 में एक बार फिर सत्ता भाजपा के हाथों में चली गई। इस वर्ष बदरीनाथ ने भाजपा प्रत्याशी महेंद्र भट्ट को अपना विधायक चुना था। आगामी विधानसभा चुनाव पूर्व ही एक बार फिर से कहा जाने लगा है कि जो भी पार्टी इस सीट पर भगवान बदरीनाथ का आशीर्वाद पाएगी, सरकार उसी की बनेगी। इस मिथक के चलते सत्तारूढ़ भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने यहां पर अपनी राजनीतिक सरगर्मियां तेज कर दी हैं।
विधायक महेंद्र भट्ट ने जारी की सड़क निर्माण कार्यों की

भाजपा के विधायक महेंद्र भट्ट अपने कार्यकाल में सड़कों के बिछाए गए जाल को उपलब्धि बता जनता के बीच वोट मांगने की तैयारी में जुट गए हैं, तो वहीं कांग्रेस के नेता एवं पूर्व काबीना मंत्री राजेंद्र भंडारी भी सरकार की विफलता, मंहगाई और रोजगार के मुद्दे को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो भाजपा से टिकट के मजबूत दावेदार महेंद्र भट्ट ही रहेंगे, जबकि भाजपा से जिला अध्यक्ष रघुवीर बिष्ट भी टिकट के लिए जोड़-तोड़ लगा रहे हैं। दूसरी तरफ कांग्रेसी राजेंद्र भंडारी टिकट के मजबूत दावेदार हैं, वही प्रदेश में कमान हरीश रावत के हाथों में होने से उनके करीबी नंदन बिष्ट भी टिकट के लिए पूरी कोशिश में लगे हैं। उन्होंने भी विधानसभा में पहुंचने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। आम आदमी पार्टी से विनोद कपरवाण को बदरीनाथ विधानसभा सीट से टिकट मिल सकता है इसके लिए वह 6 माह पहले से ही तैयारी में जुटे हुए हैं। मुकाबला जहां भाजपा कांग्रेस के बीच ही होने वाला है वहीं आप की उपस्थिति इस बार यहां के समीकरण गड़बड़ा सकती है जिसका खामियाजा कांग्रेस से कहीं अधिक भाजपा को भुगतना पड़ सकता है।

सीमांत चमोली जिले की हॉट सीट बदरीनाथ विधानसभा क्षेत्र में वर्तमान विधायक महेंद्र भट्ट की कोई बड़ी उपलब्धि नहीं रही है। यह जरूर है कि महेंद्र भट्ट के कार्यकाल में दूरस्थ क्षेत्रों में सड़कों का कार्य जमकर हुआ है। सीमांत जोशीमठ क्षेत्र में पल्ला-जखोला मोटर मार्ग का निर्माण करवाने और डुमक- कलगोठ क्षेत्र में सड़क निर्माण कार्य शुरू कराने में विधायक का अहम योगदान रहा है। इसके अतिरिक्त इस सीमांत क्षेत्र में वे कुछ खास नहीं कर पाए। लोगों की मांग केंद्र में 27 फीसद आरक्षण देने की है ताकि सीमांत के लोगों को इसका लाभ मिल सके। जनता का आरोप है कि विधायक महेंद्र भट्ट द्वारा जोशीमठ को केंद्र से ओबीसी कोटा का 27 फीसद आरक्षण दिलाना तो दूर इसके लिए प्रयास तक नहीं किया गया। वहीं फरवरी माह 2021 में ग्लेशियर टूटने से रैंणी तपोवन क्षेत्र में सैकड़ों लोग काल के गाल में समा गए। जहां सुरंग में अभी कई लोग दबे हुए हैं। इनको निकालने के लिए विधायक द्वारा विगत 6 महीनों में कोई भी दिलचस्पी नहीं दिखाई गई। जिसके चलते तपोवन नीति घाटी के लोगों में भारी आक्रोश है। जोशीमठ में मुख्यमंत्री द्वारा कोल्ड स्टोर की घोषणा की गई थी जिस पर आज तक कोई भी कार्य शुरू नहीं हुआ है। वहीं देवस्थानम् बोर्ड के विरोध में तीर्थ पुरोहितों, हकूकधारियों और पंडा समाज द्वारा भी बदरीनाथ में विधायक की खोजबीन जारी है। महेंद्र भट्ट ने जोशीमठ में अपने पिछले चुनावी घोषणा पत्र में आलू चिप्स की फैक्ट्री लगाने का वादा किया था। जिसे विधायक अब भूल ही गए हैं। दशोली ब्लॉक इस सरकार के पूरे कार्यकाल में उपेक्षित रहा। पोखरी में सड़कों के कुछ कार्य जरूर हुए और कुछ पर कार्य गतिमान है। इसके अतिरिक्त कोई बड़ी उपलब्धि पोखरी में भी नहीं है। कोरोनाकाल में जहां सामाजिक संस्थाओं और जनप्रतिनिधियों द्वारा अपने क्षेत्र में लोगों को इस महामारी से बचने के लिए जागरूक किया गया, वहीं महेंद्र भट्ट पूरे कोरोनाकाल में अपने विधानसभा क्षेत्र में जनता के बीच से नदारद रहे। महेंद्र भट्ट का जनता के बीच सीधा संवाद का नहीं होना उनकी हार का एक बड़ा कारण बन सकता है।
जैसाल गांव: वर्षों से दो किलोमीटर की सड़क का इंतजार
कांग्रेस के राजेंद्र भंडारी जहां वर्तमान सरकार की साढ़े 4 साल की विफलताओं को लेकर आम जनता के बीच पहुंच रहे हैं, वहीं भाजपा सरकार में  स्वास्थ्य रोजगार पर कोई भी कार्य ना होने से जो खामियाजा यहां की जनता और युवाओं को भुगतना पड़ रहा है उसके लिए भाजपा को दोषी मान रहे हैं। साथ ही जिस तरह से भाजपा काल में महंगाई बढ़ी है, आम जनता का जीना दूभर हुआ है उसको भी मुद्दा बनाकर जनता के बीच जा रहे हैं। भंडारी खुलकर विधायक पर निशाना साधते हुए महेंद्र भट्ट द्वारा कोठियालसैंण में बनाए गए निजी भवन को ही उनकी एक मात्र उपलब्धि कह रहे हैं। जोशीमठ क्षेत्र में अपने कार्यकाल में कराए गए विकास कार्यों का विवरण भी भंडारी जनता के सामने रख रहे हैं। इसमें मुख्य रूप से क्षेत्र को अदर बैकवर्ड कास्ट (ओबीसी) इलाका घोषित कराया जाना शामिल है। साथ ही हरीश रावत के नजदीकी और खासम खास रहे कांग्रेस नेता नंदन सिंह बिष्ट भी बदीनाथ विधानसभा सीट से टिकट मांग रहे हैं।
देवस्थानम् बोर्ड का विरोध
आम आदमी पार्टी से बदरीनाथ के विनोद कपरवाण दावेदार होंगे जो पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष रह चुके हैं। कपरवाण ने पिछले दिनों भाजपा से इस्तीफा दे आप का दामन थाम लिया था। उनका आप में शामिल होना भाजपा के लिए खासा नुकसानदायक साबित हो सकता है। उनके कई समर्थक पहले ही आप में शामिल हो चुके हैं और आने वाले समय में बहुत सारे असंतुष्ट भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं के आप में जाने की पूरी संभावना बताई जा रही है। कुल मिलाकर इस सीट में मुकाबला त्रिकोणीय होना तय है। सत्तारूढ़ भाजपा एंटी इन्कमबेंसी फैक्टर के चलते बैकफुट पर तो हरीश रावत को चुनावी कमान सौंपे जाने से उत्साहित कांग्रेसी फ्रंटफुट पर अपनी तैयारी करते नजर आ रहे हैं।
अब तक नहीं बन पाए हैं आपदा में टूटे पुल
करोड़ों की लागत से बनी सड़कें

एक तरफ तो जैंसाल के ग्रामीण सड़क न होने पर चुनाव बहिष्कार करने की चेतावनी दे रहे हैं, दूसरी तरफ विधायक महेंद्र भट्ट का दावा है कि उनके कार्यकाल में करोड़ों की सड़कें बनी और कई स्वीकृत की गई हैं। उन्होंने 9 पेज की एक सूची जारी की है जिसमें करोड़ों के लागत से निर्मित,

निर्माणाधीन और स्वीकृत सड़कों और पुलों का जिक्र किया गया है। इसमें से पोखरी ब्लॉक पीएमजीएसवाई के तहत में 13 तथा लोक निर्माण विभाग की 14, जोशीमठ में 15, दशोली, गोपेश्वर में 13 सड़कें हैं। इसके साथ ही विधायक ने पर्यटन, शिक्षा, उच्च शिक्षा, सिंचाई, पेयजल, स्वास्थ्य एवं अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों के महत्वपूर्ण विकास कार्यों का भी इस सूची में उल्लेख किया है।

पहाड़ में सबसे बड़ी समस्या पलायन की है। इस पर सरकार ने कोई कार्यवाही नहीं की। सरकार ने पलायन आयोग तो बनाया, लेकिन इसके अध्यक्ष ही पलायन कर गए। प्रदेश में सशक्त भू-कानून बने। लेकिन भाजपा ने उद्योगों के नाम पर भू-माफियाओं को जो छूट दे दी है उस पर रोक लगनी चाहिए। वन कानून में संशोधन करके स्थानीय लोगों के हितों की रक्षा की बात होनी चाहिए। सरकार कह रही है हम बेरोजगारों को स्वरोजगार से जोड़ रहे हैं, जबकि सच यह है कि बेरोजगार घर में बैठे हुए हैं और लाचार-परेशान हैं। पहाड़वासियों की मांग गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने की है। भाजपा ने ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा कर जनता की भावनाओं के साथ छलावा किया है।
नंदन सिंह बिष्ट, कांग्रेस नेता
चुनाव बहिष्कार की चेतावनी
बदरीनाथ विधानसभा क्षेत्र के दशोली ब्लॉक के जैंसाल गांव के ग्रामीणों द्वारा लंबे समय से सड़क की मांग की जा रही है। इसके लिए उन्होंने विधायक महेंद्र भट्ट और शासन- प्रशासन से कई बार गुहार लगाई है। लेकिन उनकी मांग को किसी ने भी गंभीरता से नहीं लिया है। अब ग्रामीणों ने बैठक कर 2022 चुनाव बहिष्कार की चेतावनी दी है।
पिछले विधानसभा चुनाव में ग्रामीणों ने महेंद्र भट्ट को लगभग 97 फीसदी वोट एकतरफा दिया। तब ग्रामीणों को उम्मीद थी कि माननीय विधायक गांव को सड़क से जोड़ने के लिए काम करेंगे और उनके गांव को सड़क सुविधा से जोड़ेंगे। लगभग 40 परिवारों वाले जैंसाल गांव को जोड़ने के लिए लगभग दो किमी सड़क की जरूरत है, लेकिन साढ़े चार सालों में विधायक महेंद्र भट्ट ने भी सड़क के लिए कोई प्रयास नहीं किए जिसके चलते अब ग्रामीणों ने थक-हारकर 2022 के विधानसभा चुनाव बहिष्कार करने की चेतावनी दी है। प्रधान जैंसाल अनिता देवी ने ग्रामीणों की बैठक कर प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर सड़क सुविधा की मांग की है। कहा है कि जब तक गांव सड़क से नहीं जुड़ जाता तब तक ग्रामीणों द्वारा सभी चुनावों का बहिष्कार किया जाएगा।
स्वयं के श्रमदान से सड़क बनाते ग्रामीण

माननीय कार्यक्रमों में व्यस्त, ग्रामण सड़क खोलने में पस्त

पहाड़ों में लोकनिर्माण विभाग की उदासीनता का आलम यह है कि बरसात में विभाग सेया रहता है और ग्रामीणों को खुद गैंती-फावड़ा लेकर बंद सड़कों को खोलने के लिए विवश होना पड़ता है।
चमोली जिले का अमरपुर कम्यार मोटर मार्ग इसका उदाहरण है। दरअसल, अमरपुर-कम्यार पांच किमी मोटर मार्ग का निर्माण कार्य लोक निर्माण विभाग के ठेकेदार द्वारा 2016 में शुरू किया गया। शुरुआत से ही यह सड़क विवादों में रही। पांच किमी सड़क कटिंग के लिए विभाग को तीन-तीन ठेकेदार बदलने पड़े। बावजूद सड़क की स्थिति जस की तस बनी हुई है। हर बरसात में सड़क ग्रामीणों के लिए परेशानी का सबब बन जाती है। पिछले सप्ताह हुई भारी बारिश से कम्यार मोटर मार्ग जगह-जगह बंद हो गई थी। ग्रामीणों ने सड़क खोलने के शासन-प्रशासन से मांग की। लेकिन कहीं से भी कोई सुनवाई नहीं हुई। तब ग्रामीणों ने खुद ही गैंती सब्बल उठाकर सड़क खोलने का कार्य शुरू कर दिया। सोशल मीडिया में मामला आने पर विभाग हरकत में आया। और सड़क खोलने के लिए जेसीबी मशीन भेजी गई।
कम्यार क्षेत्र पंचायत सदस्य प्रेमा देवी ने कहा कि लोक निर्माण विभाग द्वारा अमरपुर-कम्यार मोटर मार्ग को कभी भी गंभीरता से नहीं लिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि मोटर मार्ग विभाग एवं ठेकेदार के लिए कामधेनु बनी हुई है। जिसके चलते विभाग के तीन-तीन ठेकेदार सड़क आज तक नहीं बना पाए। प्रेमा देवी ने कहा कि बदरीनाथ के विधायक महेंद्र भट्ट दिसंबर 2020 में पांडव नृत्य में कम्यार पहुंचे थे। तब विधायक ने आश्वासन दिया था कि छह महीने के भीतर पक्की सड़क गांव तक पहुंचा दी जाएगी, लेकिन स्थिति अब भी जस की तस बनी हुई है।
हम जनता के बीच 300 यूनिट फ्री बिजली देने का गारंटी कार्ड दे रहे हैं। इसके लिए हम सभी गांवों में जाकर लोगों को विश्वास दिला रहे हैं। अब तक हम 6000 लोगों तक गारंटी कार्ड बांट चुके हैं। ये सरकार केवल जनता को गुमराह कर रही है। इनका ऐसा कोई भी काम नहीं है जिसकी सराहना की जाए। सरकार केवल मंदिर-मस्जिद के नाम पर  लोगों के बीच सांप्रदायिकता फैला रही है। इनके सभी 57 विधायक नकारा हैं, इनमें से कोई भी मुख्यमंत्री के लायक नहीं है। जिसके चलते प्रदेश में तीन-तीन मुख्यमंत्री दिए गए हैं। देश के इतिहास में पहली बार पेट्रोल, डीजल 100 रुपए से ऊपर बढ़ गया है और खाने वाला तेल 200 रुपया लीटर से अधिक पहुंच गया है। इस सरकार ने आम जनता के लिए 2 जून की रोटी के लिए समस्याएं पैदा कर दी हैं। शिक्षा स्वास्थ्य में हम दिल्ली मॉडल के तर्ज पर विकास करेंगे। प्रत्येक न्याय पंचायत पर हॉस्पिटल बनाकर जनता को स्वास्थ्य लाभ पहुंचाएंगे। यह हमारा विजन है। पलायन का मुख्य कारण शिक्षा स्वास्थ्य है जिस पर सरकारों ने कोई काम नहीं किया है। यदि जनता ने हमें अवसर दिया तो हम तीर्थाटन और पर्यटन पर काम करके युवाओं को रोजगार से जोड़ेंगे। इस समय हमारे चारों धाम सरकार ने बंद किए हैं और शराब की दुकानें खुली हुई है।
विनोद कपरवाण, नेता आम आदमी पार्टी
महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर हम आगामी विधानसभा चुनाव में जनता के बीच जा रहे हैं। सरकार ने लोगों को चुनाव में झूठे सपने दिखा कर जो वादे किए थे, उन्हें कितना पूरा किया है। कहा था कि प्रदेश में भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई करके उनको जेल भेजेंगे लेकिन भाजपा बताए उन्होंने अब तक किन-किन भ्रष्टाचारियों को जेल में डाला है। गैस सिलेंडर के दाम 400 रुपए से बढ़कर 1100 तक पहुंच गए हैं। बेरोजगारी चरम सीमा पर है और सरकार मुख्यमंत्री बदलने में लगी है। मुख्यमंत्री बदलने से कोई विकास होने वाला नहीं है। भाजपा ने देवस्थानम् बोर्ड बनाकर हमारे तीर्थ पुरोहितों के साथ कुठाराघात किया है इसमें संशोधन होना चाहिए। हमारे व्यापारी बंधुओं के प्रतिष्ठान कोरोना से डेढ़ वर्ष से बंद पड़े हैं सरकार ने इन्हें कोई आर्थिक पैकेज नहीं दिया है। वहीं परिवहन के बंधु भी डेढ़ साल से परेशान हैं, उनकी कोई मदद नहीं की गई। इन सभी का रोजगार चारधाम यात्रा से ही चलता था। इस नाकाम सरकार को लग रहा है कि वह धनबल, सत्ता की हनक से लोगों को डरा धमकाकर के वोट ले लेंगे, लेकिन यह सब होने वाला नहीं है। इन्होंने बंगाल में भी ऐसे किया और औंधेमुंह गिरे। कांग्रेस ने अपने प्रदेश सम्मेलन में संकल्प लिया कि जो सरकार रोजी-रोटी, मकान, शिक्षा, स्वास्थ्य रोजगार नहीं दे सकती ऐसी सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए जनता के बीच जाएंगे।
राजेंद्र भंडारी, पूर्व विधायक कांग्रेस

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