[gtranslate]

 


पुष्कर सिंह धामी सरकार ने सौ दिन पूरे कर लिए हैं। इस दौरान सरकार ने नौकरशाही पर लगाम लगाने के साथ ही जीरो टॉलरेंस की नीति को भी आगे बढ़ाया है। सरकार आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मतदाताओं को कई रियायतें देने की ओर काम करती दखाई दे रही है तो शिक्षा और स्वास्थ्य के मामले सरकार के 100 दिन के उत्साह को कमजोर कर रहे हैं

 

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पार्ट टू के सौ दिनों के कार्यकाल को देखें तो सधे हुए कदमों से शुरुआत कही जा सकती है। जहां एक ओर मुख्यमंत्री ने जनता के बीच अपनी लोकप्रियता दिखाई है तो वहीं सरकारी नीति और नियत में भी समानता बनाये रखने का प्रयास किया है। नौकरशाही पर लगाम कसने के साथ ही दागी और आरोपी अधिकारियों पर कड़ी कार्यवाही करके अधिकारियों को कड़ा संदेश भी दिया है तो बेहतर काम करने वाले अधिकारियों को अपनी टीम में जगह दी है। सचिवालय में सत्ता का ताकत के सेंटर को कम करने में भी धामी सरकार ने संदेश दिया है कि काम करने वालों को ही सरकार में जगह दी जाएगी। प्रदेशवासियों को मूलभूत सुविधाओं की सौगात देकर अपने सौ दिनों की सरकार के काम समाने तो रखे ही हैं साथ ही आने वाले पांच साल में सरकार के इरादे भी जाहिर कर दिए हैं।


30 जून को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार के सौ दिनों का कार्यकाल पूरा हुआ। इस अवसर पर सौ दिनों का लेखा -जोखा सरकार ने जनता के सामने रखा। जिसमें सरकार की तमाम उपलब्धियों को सामने रखते हुए अनेक योजनाओं को सिलसिलेवार प्रस्तुत किया गया है, जिसमें ज्यादातर सरकार की ऐसी योजनाएं हैं जिनको चुनाव में मतदाताओं से वायदा किया गया था।
मूलभूत सुविधाओं की योजनाओं की बात करें तो पेयजल के लिये ‘जल जीवन मिशन’ योजना के अलावा प्रदेश के 38 कस्बों और छोटे नगरों के लिए पीने का पानी मुहैया कराने के लिए 1600 करोड़ की उत्तराखंड अर्बन वाटर सप्लाई प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई है। यह योजना राज्य में पेयजल की सुविधा के लिए बहुत अच्छी मानी जा रही है। वर्षों से राज्य में पीने के पानी की किल्लत के चलते सरकार पर भारी दबाव भी बना हुआ था। साथ ही जिस तरह से प्रदेश के बड़े-बडे शहरों में तेजी से फैलाव हो रहा है उससे आने वाले समय में पेयजल की बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है।

 


देहरादून इसका सबसे बड़ा प्रमाण बन कर उभरा है। राजधानी होने के बावजूद देहरादून के अनेक छोटे-छोटे कस्बे जो राज्य बनने के बाद तेजी से छोटे नगरों में तब्दील हुए हैं, उनमें पीने के पानी की भारी कमी आज भी हैं। इसके लिये पूर्ववती त्रिवेंद्र रावत सरकार के समय 2100 करोड़ की ‘सोंग नदी बांध परियोजना’ का आरंभ किया गया था। अब धामी सरकार इस योजना को तेजी से आगे बढ़ा रही है। 2050 के लिए देहरादून की अनुमानित आबादी के मद्देनजर यह योजना बेहद अहम है। अगर सरकार के दावे पर भरोसा करें तो एक वर्ष के भीतर ही यह परियोजना काम करने लगेगी। इसी तरह से केंद्र सरकार के द्वारा भी राज्य में कई योजनाओं की स्वीकृति मिल चुकी है जिसमें 952 करोड़ की ‘क्लाईमेट रेन फेड फार्मिंग योजना’ और 1750 करोड़ की लागत से ‘डेवलपमेंट ऑफ बेस्ट इन क्लास ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्टैक्चर’ इन देहरादून एंड मसूरी को स्वीकृती मिल चुकी है। करोड़ो की इस भारी भरकम योजना से हाईवे के चौड़ीकरण और नए मार्गों का निर्माण होना है।


इसी तरह विद्युत समस्या से जुझते ऊर्जा प्रदेश में लखवाड़ बहुद्देश्य जल विद्युत परियोना के लिये टेंडर आंमत्रित किए गए हैं 1930 करोड़ की ‘टिहरी लेक डेवलपमेंट योजना’ पर भी तेजी से काम आरंभ हो चुका है। ‘अमृत योजना’ के तहत राज्य में 593 करोड़ की 151 योजनाएं शुरू हो चुकी हैं जिसमें सीवरेज, पेयजल, ड्रेनेज और पार्कों का निर्माण किया जाना है। साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना में 55 हजार आवासों को देने का लक्ष्य रखा गया है। स्वास्थ्य को लेकर भी धामी सरकार के द्वारा प्रदेश की आम जनता को बड़ी राहत दी गई है। प्रदेश के नागरिको को पांच लाख तक का मुफ्त ईलाज की सुविधा के साथ-साथ राज्य के सभी सरकारी अस्पतालां में विभिन्न प्रकार की 250 चिकित्सकीय जांच भी मुफ्त कर दी गई है। प्राइवेट लैब चंदन डाईग्नोसिस को भी इसके लिए अधिकृत किया जा चुका है जो सरकारी अस्पतालों के अलावा ऐसी जांचे जो सरकारी अस्पताल में उपलब्ध नहीं है, को इसके द्वारा मुफ्त में किया जाएगा। इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि चंदन डाईग्नोसिस सरकारी अस्पताल में ही जांच का नमूना लेगी और फिर सरकारी अस्पतालों में ही अपनी रिपोर्ट मरीजों को देगी। यह धामी सरकार का स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर सबसे बड़ा कदम माना जा रहा है। राजकीय मेडिकल कॉलेज अल्मोड़ा के लिए एमबीबीएस की सौ सीट पर कोर्स आरंभ किया जा चुका है। ऊधमसिंह नगर जिले में एम्स का सेटेलाईट सेंटर स्थापित करने की दिशा में सरकार काम कर रही है।


राज्य में औद्योगिक विकास और निवेश को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने प्रदेश में भू उपयोग परिवर्तन को और भी सरल कर दिया है। उद्योगों को विभिन्न विभागों से एनओसी की प्रक्रिया में तीन वर्ष की छूट का प्रावधान करके अनेक उद्योगों को स्थापित करने की दिशा में बेहतर काम किया है। इसमें जिला और राज्य स्तर पर निवेश प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद ही उद्योग स्थापित हो सकेंगे और एनओसी के लिए उनको तीन वर्ष की छूट देने से उद्योगो की समस्याएं कम हो सकेंगी। पूर्व में एनओसी के मामले में देरी के चलते उद्योगों की स्थापना में बड़ी देरी हो रही थी। त्रिवेंद्र सरकार के समय में निवेशकों के लिए एनओसी का सिंगल बिंडो सिस्टम ही उद्योगों की स्थापना और निर्माण में भारी रूकावट माना जा रहा था।


स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए एक जिले के दो उत्पाद योजना से युवाओं को जोड़ने के लिए अवसर प्रदान करने के दिशा में सरकार काम कर रही है। इसमें ‘मुख्यमंत्री अति सूक्ष्म उद्योग योजना’ को शुरू किया गया है जिसमें 50 हजार तक का ऋण दिया जा रहा है। धामी सरकार ने प्रशासनिक कार्यशैली में भी बड़ा बदलाव किया है। बार-बार सरकारी कार्यालयों के चक्कर न काटने पड़े इसके लिए ‘ई ऑफिस योजना’ को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए ‘अपनी सरकार’ पोर्टल के माध्यम से सरकारी विभागों की योजनाएं ऑन लाईन कर दी गई है। जिसमें आय प्रमाण पत्र, जति प्रमाण और अन्य तमाम तरह के प्रमाण पत्रों के लिए पहले जहां चक्कर काटने पड़ते थे वे अब आनलाईन कर दिए गए हैं।


कार्मिक विभाग द्वारा सेवा का अधिकार के तहत दी जाने वाली सेवाओं की समय अवधि में संशोधन किया जा चुका है। अब पहले की अपेक्षा कम समय में ही सभी प्रकार की सुविधाएं नागरिकों को जल्द मिलेगी। इसमें अनेक प्रकार के प्रमाण पत्रों के लिए 15 दिन, दैवीय आपदा आर्थिक सहायता के लिए 2 से 3 दिन, मुख्यमंत्री राहत कोष की सहायता के लिए 5 दिन निश्चित किया गया है। भूमि आदि के प्रमाण पत्रों और राजस्व अभिलेखों की प्राप्ति के लिए भूमि मानचित्र के लिए 3 दिन तथा खासरे की कॉपी के लिए आवेदन के दिन ही मिल सकेंगे तथा तहसील आदी राजस्व अभिलेखों में टाइपिंग की त्रुटि को सुधारने के लिए 5 दिन तय किए गए हैं। कई अन्य कार्य जैसे मत्स्य पालक, पशु मृत्यु प्रमाण पत्र आदि के लिए भी समय निश्चित किया गया है। राज्य के सभी सरकारी कार्यालयों में बायोमैट्रिक हाजिरी का निर्णय के साथ ही सचिवालय में आम नागरिकों के लिए अधिकारियों से मिलने को प्रत्येक सोमवार नो मीटिंग डे तय किया गया है। इस दिन अधिकारी जनता से सीधे मिलेंगे और उनकी समस्या का निराकरण करेंगे।

प्रदेश के सभी जिला प्रशासन, तहसील और अन्य जनता से सीधे जुड़े विभागीय अधिकारियों को भी इसी तरह से सप्ताह में एक निश्चित दिन जनता से मिलने के लिए तय करने का निर्देश जारी किया है। जल्द ही राज्य के अनेक सरकारी विभागों और प्रशासन में एक-एक दिन तय किया जा सकेगा। पुष्कर सिंह धामी ने अपनी सरकार के सौ दिनों का कार्यकाल जनता के सामने रखते हुए वर्ष 2025 को राज्य को सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने की दिशा में काम को अपनी पहली प्राथमिकता माना है। अपने पांच वर्ष में पर्यटन, पलायन रोकने, स्वरोजगार और अवस्थापना विकास की विस्तृत कार्ययोजना तैयार करने का निर्देश जारी किया है। इसमें सरकार का पहला उद्देश्य जनता से चुनाव में किए गए वायदों को हर हाल में समय पर पूरा करना और जनता को ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं देना अपनी प्राथमिकता में रखा है। जिसमें सबसे पहले अंत्योदय परिवार को साल में तीन गैस सिलेंडर मुफ्त देने का आदेश जारी कर के धामी सरकार ने अपनी चुनावी घोषणाओं पर अमल करना शुरू कर दिया है। साथ ही बुजुर्ग दंपतियों, दिव्यांगों और वृद्धों की पेशन में वृद्धि कर दी गई है। इसमें पहले वृद्ध दंपति में से केवल एक को ही पेंशन दिए जाने का प्रावधान था जिसे धामी सरकार ने बदल कर दोनों को ही वृद्धावस्था पेंशन दिए जाने का निर्णय लिया है।


भ्रष्टाचार के खिलाफ धामी सरकार ने कड़े कदम उठाए हैं। राज्य में पहली बार किसी आईएएस अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्यवाही धामी सरकार के कार्यकाल में ही हुई है। जबकि पूर्व में तिवारी सरकार के समय पटवारी भर्ती घोटाले में एक आईएएस को बर्खास्त जरूर किया गया था लेकिन उनको जेल नहीं भेजा गया था। आय से अधिक संपति के मामले में आईएएस राम विलास यादव को न सिर्फ निलंबित किया गया बल्कि उनको जेल भी भेजा गया। इसी तरह से आरटीओ कार्यालय में अनियमिताओं के चलते आरटीओ का निलंबन और कर्मकार बोर्ड में हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच के आदेश भी धामी सरकार द्वारा दिए गए हैं। जबकि पूर्व में मुख्यमंत्री तीन आईएफएस के अधिकारियों के खिलाफ कड़े एक्शन ले चुके हैं। जिसमें एक डीएफओ किशन चंद को निलंबित भी किया जा चुका है। इसके अलावा सिंचाई विभाग और लोक निर्माण विभाग के कई मामलों में सरकार कड़े एक्शन लिए जाने का संकेत दे चुकी है।


देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाए जाने की बात हो या अपनी सरकार के विजन को सामने रखने की बात हो, धामी सरकार की कई नीतियां में राज्य की तरक्की का खाका तो खींचा ही है लेकिन जिस तरह से सरकार के कई कामों पर सवाल खड़े हो रहे हैं उनसे धामी सरकार को अभी जूझना पड़ सकता है। राज्य में उच्च शिक्षा का स्तर सतही तौर पर सुनहरा दिखाई दे रहा हो लेकिन इस पर हकीकत में बहुत काम होना है। जिस पर धामी सरकार ने अभी तक कोई सार्थक पहल नहीं की है। राज्य के तमाम राजकीय विश्वविद्यालयों में विवाद और भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे हैं। इसके अलावा राज्य की प्राथमिक शिक्षा की बदहाली निरंतर बढ़ रही है। सैकड़ों स्कूल बंद हो गए हैं। सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या निरंतर घट रही है। स्वास्थ्य सेवा निरंतर बदहाल है। आज भी सड़कों और एम्बुलेंस में प्रसव की घटनाओं का सच स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत बता रहा है। सरकारी अस्पताल रेफर सेंटर में तब्दील होते जा रहे हैं जिससे जनता को राहत नहीं मिल पा रही है।

You may also like

MERA DDDD DDD DD