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Uttarakhand

वीर सैनिकों की शौर्य गाथाएं

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जनपद पिथौरागढ़ के शहीद स्मारक स्थल में कारगिल विजय दिवस के अवसर पर शौर्य दिवस धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान यहां उपस्थित लोग अपने इन शूरवीरों के जीवन व विजय गाथाओं से परिचित हुए। कारगिल युद्ध में अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले इन शहीदों के जीवन बलिदान की कहानी युवाओं को भी कहीं गहरे तक प्रेरित कर गई। कार्यक्रम की शुरुआत में जिलाधिकारी रीना जोशी ने जनपद के चारों शहीदों कुंडल सिंह बेलाल, जोहार सिंह, किशन सिंह व गिरीश सिंह के चित्रों पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रृद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद जिला सैनिक कल्याण व पुर्नवास अधिकारी कर्नल सीबी पुन के नेतृत्व में शहीदों की वीर नारियों को शाॅल उड़ाकर सम्मानित किया गया। इस दौरान शहीदों को गार्ड ऑफ ऑनर्र भी दिया गया। इस दौरान स्कूली छात्राओं ने समूह गान प्रस्तुत किया। एनसीसी कैडट द्वारा मार्च पास्ट निकाला गया। खेल व निबंध प्रतियोगिताओं के विजेताओं को प्रशस्ति पत्र व स्मृति-चिन्ह भी भेंट किए गए। कारगिल युद्ध में जनपद के चार सैनिक शहीद हुए थे। इसमें नायक कुंडल सिंह बेलाल सेना की 10 पैरा कंपनी से थे, जो आॅपरेशन विजय के दौरान वह शहीद हो गए। कुंडल सिंह बर्फ में कहीं गहरे घंस गगए। उनका पार्थिव शरीर आज तक नहीं मिल पाया। दूसरे हवलदार गिरीश सिंह सामंत थे, वह सेना के  9 पैरा रेजीमेंट से थे। तीसरे किशन सिंह भंडारी थे जो 18 गढ़वाल रेजीमेंट से थे। उन्होंने 12 साल बिहार रेजीमेंट में भी सेवा दी थी। किशन सिंह प्वांइट 4700 पोस्ट को फतह करने के पश्चात दुश्मनों की गोली का शिकार बने थे। चैथे, अमर शहीद जोहार सिंह थे। कारगिल युद्ध में जनपद का एक ऐसा रणबांकुरा भी था जिसे शहीद का दर्जा प्राप्त नहीं हो पाया। जीवानन्द उपे्रती नामक यह रणबाकुंरा 15 हजार फिट की ऊंचाई पर कारगिल ऑपरेशन के दौरान पुंछ राजौरी सेक्टर में खूब लड़ा। शहीद का दर्जा न मिलने कारण यह माना गया कि उनकी शहादत युद्ध क्षेत्र से बाहर हुई।

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पिथौरागढ़ जिला वीर भूमि रहा है। 17 शौर्य चक्र, 5 कीर्ति चक्र, 2 अशोक चक्र, 25 वीर चक्र, 1 महावीर चक्र यहां के वीर सैनिकों को प्राप्त हो चुका है। इसके अलावा 1947-48 में भारत पाक युद्ध में 76, वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध में 72, वर्ष 1965 में भारत-पाक युद्ध में 63, वर्ष 1972 के भारत-पाक युद्ध में 87, आॅपरेशन ब्लू स्टार में 03 जवान शहीद हुए। वहीं आतंकवादी गतिविधियों के लिए चले ऑपरेशन पवन युद्व में 22, ऑपरेशन मेघदूत में 32, ऑपरेशन हिफाजत में 02, ऑपरेशन इमीडिएट में 03, ऑपरेशन रक्षक में 54 सैनिक शहीद हुए। जनपद पिथौरागढ़ के वीर सैनिकों की वीर गाथाओं की कहानी यहीं खत्म नहीं होती, बल्कि आजादी से पहले भी यहां की शौर्य गाथाएं बताती हैं कि यह जनपद के लोग देश रक्षा के लिए कितने प्रतिबद्ध रहे हैं। प्रथम विश्व युद्व (1914-19) में भी यहां के 1005 सैनिकों ने भाग लिया था जिसमें 32 सैनिकों ने अपने प्राण न्यौछावर किए थे। इसके अलावा 08 मिलिट्री क्रास वीरता पुरस्कार, 01 मिलट्री माॅडल, 05 आईडीएसएम पदक, 02 एमबीई पदक, 01 यूएसएसआर पदक मुख्य है। देश सेवा यहां के लोगों के खून में समाहित है। 100 से अधिक स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने देश हित में अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया था। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1999 में पाकिस्तानी घुसपैठिए भारतीय सीमा में घुसे और कारगिल क्षेत्र में अपना कब्जा किया। फिर भारतीय सेपा ने ऑपरेशन विजय अभियान चलाया। 60 दिनों तक चले इस युद्ध में अंततः भारतीय सेना को फतह हासिल हुई। इस पूरे अभियान में भारत के 527 सैनिकों ने शहादत दी। इसमें उत्तराखण्ड से 75 सैनिक शहीद हुए थे। इनमें से 37 जवानों को युद्ध के बाद बहादुरी के लिए पुरस्कार मिला था। जिसमें देहरादून जनपद के 28, पौड़ी के 13, टिहरी के 08, नैनीताल व चमौली के 5-5, अल्मोड़ा व पिथौरागढ़ के 04-04 व बागेश्वर व यूएसनगर के 02-02 के साथ ही उत्तरकाशी जनपद का 01 जवान शहीद हुआ था। कारगिल युद्ध के बाद उत्तराखण्ड के वीर शहीद महावीर चक्र, वीर चक्र, सेना मैडल, मेन्स इन डिस्पैच से नवाजे गगए। जिसमें प्रदेश के मेजर विवेक गुप्ता व मेजर राजेश अधिकारी को महावीर चक्र प्रदान किया गया। वहीं राजेश शाह, रूपेश प्रधान, कश्मीर सिंह, बृजमोहन सिंह, कुलदीप सिंह, अनुसूया प्रसाद, एके सिन्हा, खुशीमन गुरूंग, शशि भूषण घिल्डियाल को वीर चक्र व संजय, सुरेंद्र सिंह, शिव सिंह, किशन सिंह, मोहन सिंह, चंदन सिंह, डबल सिंह, सुरमान सिंह, जगत सिंह, देवेन्द प्रसाद, नरपाल सिंह, हरि बहादुर, मोहन सिंह, टीबी क्षेत्री को सेना मेडल विजेता से नवाजा गया। इसके अलावा अनिल कुमार, अर्जुन सेन, राम सिंह, हरि सिंह थापा, देवेन्द्र सिंह, विक्रम सिंह, मंगत सिंह, मान सिंह, बलवंत सिंह, अमित डबराल, प्रवीण कश्यप को मेन्स इन डिस्पैच से नवाजा गया।

बात अपनी-अपनी
कारगिल युद्ध में हमारे सैनिकों ने विषम भौगोलिक परिस्थितियों में कारगिल युद्ध लड़ा एवं विजय प्राप्त की। हम अपने वीर शहीदों के बलिदान की बदौलत ही सुरक्षित हैं। उन्हीं की बदौलत हमारा लोकतंत्र सुरक्षित है।
रीना जोशी, जिलाधिकारी, पिथौरागढ़

कारगिल युद्ध में शहीद हुए वीर सैनिक हमारी नई पीढी के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। इन वीर शहीदों का संदेश साफ है कि देश सेवा से बढ़कर दूसरी कोई बड़ी सेवा नहीं है। इन्हीं सैनिकों की बदौलत हम सुरक्षित हैं। हमारे सैनिक विषम परिस्थितियों में काम करते हैं। देश की सीमाओं की हिफाजत उनका प्रथम कर्तव्य है। इसके लिए वह जान भी कुर्बान कर देते हैं। जिला सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास बोर्ड वीर शहीदों के आश्रितों एवं पूर्व सैनिकों की समस्याओं के लिए लगातार कार्य कर रहा है।
कर्नल सीबी पुन, जिला सैनिक कल्याण अधिकारी 

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