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Uttarakhand

लाचार मंत्री, त्रस्त जनता

प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के पास पीडब्ल्यूडी जैसा भारी-भरकम मंत्रालय है। लेकिन वे अपने विधानसभा क्षेत्र चौबट्टाखाल की सबसे बड़ी समस्या बांघाट पुल की मरम्मत का प्रस्ताव तक पास नहीं कर पा रहे हैं। सतपुली-कांसखेत मोटर मार्ग पर 1979 में बना दो विधानसभाओं को जोड़ने वाला बांघाट पुल क्षतिग्रस्त होने से 5 किलोमीटर का सफर 90 किलोमीटर का बन चुका है

उत्तराखण्ड सरकार द्वारा पुराने और क्षतिग्रस्त पुलों की मरम्मत किए जाने के बड़े-बड़े दावे मंत्री सतपाल महाराज की विधानसभा में ध्वस्त होते नजर आ रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि जिस विभाग पर इन पुलों को बनाने और मरम्मत कराने की जिम्मेदारी है उस लोक निर्माण विभाग के मुखिया सतपाल महाराज हैं। बावजूद इसके बांघाट लोहे के पुल के क्षतिग्रस्त होने के पांच माह के बाद भी पुल की मरम्मत का प्रस्ताव शासन और विभाग के बीच ही घूम रहा है। क्षतिग्रस्त हो चुके पुल को भारी वाहनां के आवागमन के लिए जहां बंद कर दिया गया है लेकिन वहीं खनन के कारोबारियों के लिए कोई रोक-टोक नहीं है। सबसे गंभीर बात तो यह है कि एम्बुलेंस तक को भी इस पुल से नहीं जाने दिया जा रहा है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि सतपाल महाराज लोक निर्माण विभाग के मंत्री हैं और यह क्षेत्र उनकी विधानसभा का क्षेत्र है। बावजूद इसके महाराज अपने ही क्षेत्र के हजारों निवासियों को अपने ही विभाग से कोई राहत तक नहीं दिलवा पा रहे हैं। अस्थाई पुल के लिए करीब एक करोड़ रुपया खर्च करने के बजाय समय पर विभाग और मंत्री जी चेत जाते तो यह समस्या नहीं होती। गुजरात में वर्षों पुराने झूला पुल के टूटने से कई लोगों की मौत के बाद राज्य में भी पुराने पुलों का धरातलीय निरीक्षण की आवश्यता जताई जाने लगी। देहरादून में भोपाल पानी पुल के क्षतिग्रस्त होने के बाद राज्य सरकार की नींद टूटी। राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी पुलों का धरातलीय निरीक्षण करवाए जाने के आदेश दिए। जिसमें करीब दो दर्जन से भी ज्यादा पुलों को खतरनाक माना गया। इसी बीच 42 वर्ष पूर्व नयार नदी पर बनाया गया लोहे के गार्डर के पुल में अनेक स्थानों पर गड्ढ़े बन गए जिससे पुल पर आवागमन खतरनाक हो गया।

लोक निर्माण विभाग की सुस्ती का यह आलम है कि सितंबर माह में पुल आवागमन के लिए खतरनाक माना गया। लेकिन दो माह तक इसके लिए केवल पत्राचार ही होता रहा। बांघाट पुल के एक छोर पर पोड़ी विधानसभा तो दूसरे छोर पर चौबट्टा खाल विधानसभा का क्षेत्र है। इस तरह से बंघाट पुल दोनों विधानसभा क्षेत्रों के लिए भी पुल का काम करता है। पौड़ी कांसखेत-मरचूला, सराईखेत-सतपुली मोटर राजमार्ग 32 के बांघाट में लौह पुल का स्लैब कई जगह से क्षतिग्रस्त हो गया है। जिसके चलते लोक निर्माण विभाग पोड़ी डिविजन ने पुल पर भारी वाहनों की आवाजाही को तुरंत रोक दिया था। मजबूरन इस क्षेत्र के बौंसाल, भेंटी, मुंडनेश्वर मार्ग जो कि 50-60 किमी लंबा मार्ग है, से ही आवागमन किया जा रहा है। जिसके चलते मालभाड़े में बढ़ोतरी हो रही है। घंडयाल, कांसखेत, कल्जीखाल, पहेडाखाल, सकनीखेत, ब्यासघाट आदी क्षेत्रों के करीब चार सौ गावों की बड़ी आबादी के लिए बड़े-बड़े ट्रकों से रसोई गैस की सप्लाई होती थी वह अब छोटे ट्रकों द्वारा हो रही है जिसके चलते मालभाड़ा बढ़ चुका है।

इस क्षेत्र में बांघाट और अदवाणी में राज्य खाद्य निगम के गोदाम से भी पोड़ी जिले के कई क्षेत्रों को खाद्यान पहुंचाने के लिय 50 किमी अतिरिक्त मार्ग तय करना पड़ रहा है जिसके चलते खाद्यान आपूर्ति पर भी असर पड़ रहा है। माना जा रहा है कि आने वाले समय में इन क्षेत्रों में खाद्यान संकट भी हो सकता है। बांघाट पुल के क्षतिग्रस्त होने का असर केवल इन क्षेत्रों पर ही पड़ रहा है ऐसा भी नहीं है। इस पूरे इलाके के लिए सबसे बड़ा बाजार कोटद्वार का है जहां हर प्रकार का सामान इस क्षेत्र में आता है फिर चाहे वह खाद्यान हो या रसोई गैस की आपूर्ति या रोजमर्रा की जरूरी सामान। साथ ही ऋषिकेश से भी कई जरूरी सामान इस क्षेत्र को आपूर्ति किया जाता है। यहां तक कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे प्रोजेक्ट के लिए सीमेंट की सप्लाई भी इसी मार्ग से होती है जो कि अब 60 किमी से भी ज्यादा कोटद्वार, द्वारीखाल मार्ग से हो रही है।

पौड़ी प्रांतीय खंड ने अक्टूबर 2022 में पुल की मरम्मत के लिए 1 करोड़ 94 लाख 29 हजार का प्रस्ताव बनाकर लोक निर्माण विभाग के मुख्यालय देहरादून को भेजा जहां से 1 दिसंबर 2022 को यह प्रस्ताव शासन को भेजा गया लेकिन शासन ने इस प्रस्ताव पर कई स्पष्टीकरण मांगते हुए फिर से लोक निर्माण विभाग को ही वापस भेज दिया गया। तब से यह पुल अपनी मरम्मत की बाट जोह रहा है। इसके अलावा लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खंड पौड़ी द्वारा बांघाट पुल की मरम्मत के दौरान यातायात संचालन के लिए 98 लाख 80 हजार का डायवर्जन का प्रस्ताव भी दिया जिसमें नयार नदी पर हयूम पाइप डालकर अस्थाई मार्ग बनाए जाने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया।

हैरानी की बात यह है कि शासन ने न तो अभी तक पुल की मरम्मत का प्रस्ताव स्वीकृत किया है और न ही डाईवर्जन का प्रस्ताव माना है। जबकि पांच माह के बाद राज्य में मानसून शुरू हो जाएगा और नयार नदी पर बना अस्थाई पुल भी किसी काम का नहीं रहेगा। स्थानीय ग्रामीणों की मानें तो बांघाट पुल की मरम्मत के लिए कम से कम छह माह का समय लगना तय है। प्रस्ताव पास होने के बाद टेंडर प्रक्रिया आरंभ होगी जिसमें भी समय लगना निश्चित है। उनका कहना है कि बांघाट पुल की मरम्मत अक्टूबर माह से ही आरंभ हो जाती तो बरसात तक पुल पर यातायात सुचारू हो सकता था।

बांघाट पुल जहां शासन और लोक निर्माण विभाग की कार्यशैली को बताने के लिए एक बानगी है तो वहीं जनप्रतिनिधियां की अपने क्षेत्र के प्रति घोर उदासीनता भी दर्शाती है। पौड़ी से सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत का यह गृह क्षेत्र है साथ ही वे चौबट्टाखाल से विधायक भी रह चुके हैं लेकिन बांघाट पुल के मामले में वे भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं। पौड़ी के विधायक राजकुमार पोरी भी इस अति महत्वपूर्ण बांघाट पुल पर बयान देने से ज्यादा कुछ नहीं करते नजर आ रहे हैं। हालांकि राजकुमार पोरी अवैध और सरकारी भूमि पर बनी मजारों के लिए विधायक निधि देने के मामले में सबसे आगे रहे हैं लेकिन इस मामले में उनकी सक्रियता शून्य है।

 

बात अपनी-अपनी
मैंने कल ही जिलाधिकारी पौड़ी और पीडब्ल्यूडी चीफ के साथबैठक की है और बांघाट पुल की मरम्मत के लिए इस्टीमेट पास करने और जब तक पुल की मरम्मत होती है तब तक एक वैकल्पिक मार्ग के निर्माण के लिए तत्काल कार्य करने के आदेश दिए हैं, 98 लाख का अस्थायी वैकल्पिक मार्ग का प्रस्ताव को जल्द स्वीकृति के लिए भी आदेश दिए हैं, मुझे लगता है कि दो चार दिन में पुल की मरम्मत और वैकल्पिक मार्ग दोनों के इस्टीमेट पास हो जाएंगे और काम शुरू हो जाएगा, रेता बजरी के ट्रकों को पुल से आने जाने पर कठोरता से कार्यवाही करने के भी आदेश दिए हैं।
तीरथ सिंह रावत, पूर्व मुख्यमंत्री एवं सांसद पौड़ी

पुल है भाई साहब, ऐसे ही थोड़े बन जाएगा, पीडब्ल्यूडी ने दो प्रस्ताव बना कर भेजे हैं। एक पुल की मरम्मत और एक वैकल्पिक व्यवस्था के। जैसे ही पैसा स्वीकृत हो जाएगा पुल की मरम्मत और वैकल्पिक मार्ग का निर्माण शुरू हो जाएगा, हल्के वाहन तो चल ही रहे हैं, खनन के ट्रक पुल से जा रहे हैं ये ना मेरे संज्ञान मे है और ना किसी ने मुझे बताया।
राज कुमार पोरी, विधायक ,पौड़ी

जब प्रस्ताव आएगा तब उस पर कार्यवाही होगी, मुझे यह पता नहीं है कि दोबारा प्रस्ताव शासन को भेजा गया है या नहीं, मैं इसका पता लगाता हूं।
विनीत कुमार, अपर सचिव, लोक निर्माण विभाग

हम एक सप्ताह के भीतर नया प्रस्ताव शासन को भेज देंगे। अगर प्रस्ताव स्वीकार हो गया तो हम 90 दिनों के भीतर पुल की मरम्मत करवा कर उसे यातायात के लिए खोल देंगे। तब तक हमने नयार नदी पर ह्यूम पाइपों द्वारा अस्थाई पुल और मार्ग का प्रस्ताव शासन को भेजा है लेकिन वह भी वापस आ गया है। इसे भी जल्द ही शासन को भेज देंगे। पुल पर भारी वाहनों की आवाजाही पर पूरी तरह से रोक लगाई जा चुकी है लेकिन कुछ लोग जबरन पुल पर वाहन ले जा रहे हैं। दो बार हमारी बनाई बैरीकेटिंग भी तोड़ दी है। हमने अब इस पर सख्ती से रोक लगाने के लिए कार्रवाई कर दी है।
डीसी नौटियाल, अधीक्षण अभियंता, पीडब्ल्यूडी प्रांतीय खण्ड पौड़ी

यह लोक निर्माण विभाग और मंत्री सतपाल महाराज की ही नाकामी है कि पांच महीने बीत जाने के बाद भी पुल की मरम्मत नहीं हो पाई है। पीडब्ल्यूडी मंत्री होने के बावजूद सतपाल महाराज अपने ही विभाग से काम नहीं करवा पा रहे हैं तो इससे ज्यादा बुरा क्या हो सकता है। सांसद और विधायक पौड़ी भी लापता हैं और इस मामले में दिखाई ही नहीं दे रहे हैं। हम पत्रकार होकर समाचार भी लिख रहे हैं और शिकायत कर रहे हैं तो आप समझ जाइए कि क्या हालत हो रही है।
अनिल बहुगुणा, वरिष्ठ पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता

इस प्रदेश का कुछ नहीं हो सकता जब मंत्री अपने ही विभाग पर नियंत्रण नहीं रख पा रहा है तो और क्या होगा। एम्बुलेंस के लिए तो रोक लगा देते हैं लेकिन खनन के कारोबारियों के लिए खुले आम पुल पर आवाजाही करवाई जा रही है। विभाग तो अंधा हो चुका है और वह देख नहीं रहा है कि इस पुल पर जहां 16 टन की क्षमता है वहीं टुटे हुए पुल पर क्षमता से कई गुना ज्यादा खनन के ट्रक चल रहे हैं। खनन के ट्रकों की क्षमता से अधिक भार के कारण ही यह पुल क्षतिग्रस्त हुआ है। अस्थाई पुल बरसात में टूट जाएगा और इसके लिए 98 लाख रुपए का प्रस्ताव भेजा जा रहा है। विभाग और शासन प्रस्ताव प्रस्ताव खेल रहे हैं और जनता पूरी तरह से त्रस्त हो चुकी है।
अजय रावत, वरिष्ठ पत्रकार

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