राज्य की नौकरशाही के रवैये को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत सरकार के चार सालो के कार्यकाल में नौकरशाही के बेलगाम होने और मनमर्जी से काम करने के आरोप लगते रहे है। अब तीरथ सिंह रावत सरकार के समय में भी उसी तरह का माहौल देखने को मिल रहा है। इसका प्रमाध इस बात से लगाया जा सकता है कि सूबे के मुख्य सचिव के द्वार प्रदेश के अफसरो को प्रत्येक कार्यदिवस में कार्यालय में उपस्थित रहने और जनता से मिलने का फिर से फरमान जारी किया है। मुख्य सचिव के इस आदेश से यह तो साफ हो गया है कि भले ही राज्य में सरकार बदल गई हो लेकिन अफसरो का रवैया नही बदला है। आज भी अफसर सरकार के आदेशो पर अमल करने की बाजय टालमटोल की की संस्कृति पर चल रहे है। जबकि समय समय पर शासन से इस तरह के आदेश जारी होते रहे है लेकिन उन पर कितना अमल किया जा रहा है यह इस से ससाफ हो जाता है कि त्रिवेन्द्र रावत सरकार के समय में भी इस तरह के आदेश जारी किये जाते ही रहे है।
मुख्य सचिव ओम प्रकाश के द्वारा सभी जिला अधिकारियों और कमिश्नरों को आदेश जारी किया है कि वे अपने अपने कार्यलय में सभी कार्य दिवसों में उपस्थित रह कर जनता से मिले जिस से जनका की समस्याओं को दूर किया जा सके। हैरानी इस बात की है कि पूर्ववर्ती त्रिवेन्द्र रावत सरकार के समय में भी मुख्य सचिव ओम प्रकाश के द्वारा बमुश्किल 6 माह पूर्व ही इस तरह के आदेश जारी करने पड़े थे और अब फिर से उसी तरह के आदेश जारी करने से यह स्पष्ठ हो गया है कि राज्य के अधिकारी अपना रवेैया बदलने को तैयार नहीं है चाहे सरकार किसी की भी हो। प्रदेश में विधानसभा चुनाव ही आहट हो चुकी है ओर एक तरह से यह वर्ष चुनावी वर्ष के तौर पर देखा जा रहा है। महज नौ दस माह का समय ही तीरथ सरकार के पास अपने काम काज को बेहतर बनोन के लिये मिला हुआ है। इसलिये सरकार ने जनता के बीच सरकार के कामकाज और सरकार की छवि को सुधारने के लिये अधिकारियों को सरकार और जनता के बीच एक बेहतर तालमेल के लिये कार्यशैली बनाई है। जिसमें जनता की हर समस्याओं को हल निकाला जा सके।
इसी के चलते अधिकारियों खास तौर पर जिला प्रशासन और मण्डल स्तर पर सरकार का ज्यादा फोकस बना हुआ है। पंरतु जिस तरह से सराज्य की अफसर शाही उदासीन रहने के आरोप में घिरी हुई है वह सरकार के लिये आने वाले समय में एक बड़ी चुनौती बन सकती है। कोरोना की तीसरी लहर से प्रदेश में हाहाकार मचा हुआ है कई विभागों यहां तक कि सचिवालय के बड़े बड़े अधिकारी तक करोना संक्रमण के चपेट में आ चुके है। स्वयं मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत भी कोरोना का दंश झेल चुके है इस से जनता के साथ- साथ अधिकारियों मे भी कोरोना का भय बना हुआ है। इस भय को अधिकारी एक बड़ा बहाना बना कर जनता से दूरी बनाये रख रहे है जिसक चलते मुख्य सचिव को फरमान जारी करना पड़ रहा है। अब देखना दिलचस्प होगा कि मुख्य सचिव ओम प्रकाश के इस ताजा तरीन आदेश को पालन अधिकारी किस तरह से अपनाते है जबकि मुख्य सचिव के द्वारा देा दो सरकारो के समय में इस तरह के आदेश जारी करते रहे है।