देहरादून। वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की राजनीति में हर बार कोई नया रंग दिखाई देता है। पार्टी में अपने विरोधियों पर किस समय और किस तरह से प्रहार किया जाए, इस पर हरीश रावत की एक अलग शैली होती है। वे सरकारी नीतियों के खिलाफ हर बार अपनी मुहिम को नए रंग और नए कलेवर में ढालकर प्रस्तुत करते रहे हैं। यह उनसे बेहतर कोई और नहीं कर सकता। कभी रावत धरने पर बैठ जाते हैं तो कभी बैलगाड़ी में चढ़ सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते रहे हैं। अब उन्होंने सोशल मीडिया में केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार के साढ़े तीन साल के कार्यकाल में बेरोजगारी और रिक्त सरकारी पदों को न भरे जाने के खिलाफ तुकबंदी के माध्यम से मोर्चा खोला है। जनता से अपील की है कि उनके द्वारा रची गई तुकबंदी के जवाब में जो सबसे बेहतर तुकबंदी की रचना करेगा उसे हरीश रावत पांच हजार की धनराशि इनाम के तौर पर देंगे।
प्रदेश सरकार ने रिक्त पदों को भरने और सरकारी नौकरियों के लिए तमाम तरह की घोषणाएं की हैं। लेकिन अभी तक यह सिर्फ घोषणाओं में ही रही हैं। सरकार ने किसी तरह वन दारोगा की भर्ती परीक्षा की तो वह भी नकल के विवाद में फंस गई। तमाम विभागों में भर्तियों की प्रक्रिया आरंभ नहीं हो पाई है, जबकि सरकार के अनुसार प्रदेश को इस वर्ष रोजगार वर्ष घोषित किया गया है और हजारों पदों पर भर्तियां होने की बात स्वयं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत भी कर चुके हैं। सरकार के इसी रवेये के चलते हरीश रावत ने सरकारी नौकरियों के लिए तरसते नौजवानों के मुद्दे को फेसबुक के माध्यम से उठाया है। भले ही इसे तुकबंदी के नाम से सोशल मीडिया में जारी किया गया हो।
‘‘साढ़े तीन साल यूं ही बीत गए, तीज-त्योहार सब आये और चले गये, पर अच्छे दिन और दूर भये। मन की बात कहते-कहते भैय्या भूल गये, जनधन के खाते सूखे रह गये।
ना आमदनी दुगनी हुई, न महंगाई कम हुई, कर्ज माफ नहीं हुआ यूं ही मर गये, फिर भी वो मन की बात कहते चले गये। डबल इंजन दिया, बीस हजार पद खाली, फिर भी नौकरी को तरस गये। अब तौ भैय्या नौकरी का दरवाजा खोला कभी तो युवा मन की बात बोलो, उठो भैय्या दिल का दरवाजा खोलो, वक्त बीत रहा अब तो मन की आंखें खोलो, अब तौ नौकरी का दरवाजा खोलो।’’
ये तुकबंदी की पंक्तियां हरीश रावत ने अपने फेसबुक वॉल में लिखी है। केंद्र की मोदी सरकार के साथ-साथ प्रदेश की त्रिवेंद्र रावत सरकार पर तंज कसते हुए कहा है कि न तो मैं कवि हूं और न ही कवि हृदय, विशुद्ध राजनीतिक हूं, मगर नौजवानों ने पिछले चार वर्षों से नमो नमो के स्वर को गुंजायमान करके अपना गला फाड़ दिया है उन नौजवानों की उपेक्षा हो रही है। नौजवानों के लिए कुछ नौकरियों के अवसर घट रहे हैं, मैं चितिंत हूं व्यथित हूं। मैंने अपने दोस्तों को, जिन तक ये तुकबंदी पहुंचेगी उनसे आग्रह किया है कि जो इसको और बेहतर बना देगा, इसे परिमार्जित कर लयमय कविता बना देगा ऐसे सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति को 5 हजार रुपए एवं जो मेरी इस तुकबंदी के विरोध में दूसरी तुकबंदी बनाकर मेरी तुकबंदी में उठाए गए सवालों का जवाब देगा उसे भी 5 हजार रुपया ईनाम के तौर पर दिया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने अपने कुछ विद्वान लोगों को इस तुकबंदी के लिए जज पैनल में शामिल होने का आग्रह किया है। इसमें जिसकी तुकबंदी सबसे बेहतर होगी उसे ईनाम दिया जा सके।
हरीश रावत द्वारा इस पोस्ट को जारी करने के बाद जिस तरह से उनको समर्थन मिल रहा है इससे साफ होता है कि प्रदेश में बेरोजगारी और सरकारी उदासीनता के चलते नाराजगी जनता में है। हालांकि हरीश रावत की इस पोस्ट में बहुत से लोगों ने उनको ही निशाने पर लिया है जिसमें कई लोगों का कहना है कि उनकी सरकार में जिस तरह से भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया गया है उससे वे बच नहीं सकते। जबकि कुछ लोगों ने हरीश रावत की तुकबंदी को आगे बढ़ाकर अपनी तुकबंदी भी पोस्ट की है। और कुछ ने तो हरीश रावत सरकार के समय बेरोजगारों पर पुलिसिया दमन और बेरोजगारों को छलने की बात कहकर इसके लिए दोषी माना है।
जिस तरह से हरीश रावत की फेसबुक वॉल में आरोप-प्रत्यारोप और समर्थन-विरोध देखने को मिल रहा है वह अपने आप में ही दिलचस्प है। बहुत से लोग अपनी तुकबंदियां हरीश रावत की वॉल में पोस्ट करने लगे हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि हरीश रावत द्वारा सरकार के खिलाफ बेरोजगारी पर फेसबुकिया पोस्ट करने वाले का क्या अंदाज रहता है। साथ ही प्रदेश सरकार अपनी ओर उठ रहे सवालों का क्या जबाब देती है।
त्रिवेंद्र सरकार के लिए यह बात तब और भी जरूरी हो जाती है कि जब स्वयं मुख्यमंत्री ने भाजपा के सोशल मीडिया प्लेटफार्म चलाने वाली टीम को नसीहत दी है कि सरकार के खिलाफ सोशल मीडिया में आरोप लगने पर पूरे तथ्यों और तर्कों के साथ जवाब दिया जाए जिससे सरकार की छवि को कोई नुकसान न पहुंचे।
अब देखना होगा कि हरीश रावत की नई रणनीति की काट में भाजपा और सरकार की सोशल मीडिया टीम किस तरह से जबाब देती है। हरीश रावत की तुकबंदी में उठाए गए सवालों के जवाब में सरकार द्वारा किए गए कामों का किस तरह से उल्लेख कर तुकबंदी का जवाब हरीश रावत को मिला है। साथ ही यह भी देखना खासा दिलचस्प होगा कि आखिर कौन हरीश रावत द्वारा घोषित पांच हजार का ईनाम पाता है। फिलहाल तो हरीश रावत अपने इस नए विरोध के हथियार से सुर्खियों में हैं।