वन्य जीव शिकारियों औऱ तस्करों की अब खैर नही, वन विभाग ने स्पष्ट कर दिया है की बड़े शिकारियों पर वन अधिकारियों की नज़र है, खासकर बाघ के शिकारियों पर, बावरिया गैंग वन विभाग की लिस्ट में सबसे ऊपर है। वन्य जीव तस्करी पर मुख्य वन संरक्षक जयराज़ बेहद सख्त नज़र आ रहे हैं, उनके मुताबिक अगर किसी ने भी वनों या वन्य जीवों से छेड़छाड़ करने की कोशिश की तो उसका बहुत बुरा अंजाम होगा, यह शिकारियों के लिए एक बड़ी चुनौती भी है, उत्तराखंड वन महकमे के रडार पर उत्तराखंड सहित कई प्रदेशों के शिकारी रडार पर हैं। यह वन्यजीव तस्कर जंगलों में बाघ, गुलदार और हाथी का शिकार करते हैं। कई बार तस्कर फायदा उठाकर शिकारियों द्वारा वन्यजीव की तस्करी करने का काम किया जाता है। इससे पहले मानसून सीजन में उत्तराखंड वन विभाग ने 100 शिकारियों की एक लिस्ट तैयार भी की थी, ये शिकारी उत्तराखंड सहित कई प्रदेशों में अपने मंसूबों को अंजाम देते आये हैं। इस लिस्ट में 11 महिलाएं भी शामिल हैं, वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो ने शिकारियों की एक सूची तैयार की जिसमें सैकड़ो शिकारी शामिल हैं, इस सूची को अलग अलग राज्यों में भेजा गया है। जिसमें शिकारियों का नाम, पता, फोटो लेकर पूरा डेटा शामिल हैं, वाइल्ड लाइफ कंट्रोल ब्यूरो ने जो लिस्ट तैयार की उसमे देश के करीब 20 राज्यों के बड़े शिकारी हैं। सभी शिकारी फिलहाल सक्रिय और वन्यजीवों के अपराध में लिप्त हैं, अधिकारियों के मुताबिक तस्कर एक जगह घटना को अंजाम देने के बाद दूसरे स्थान पर चले जाते हैं। इस सूची में हरियाणा के तस्करों के संख्या सबसे ज्यादा 20 है, जबकि दिल्ली के 4 और उत्तराखंड के 5 शिकारी शामिल है. हैरानी की बात यह है कि इस सूची में 11 महिलाएं भी शामिल हैं. इसमें से कई तस्कर जेल से जमानत पर हैं. बताया जा रहा है कि इन शिकारियों के तार नेपाल से जुड़े हैं। साल 2014 में बावरिया औऱ भीमा गिरोह के शिकारियों को वन विभाग ने हिमांचल बार्डर और गुडगांव से सटे गांव से गिरफ्तार भी किया था, जो कॉर्बेट, कालागढ़ टाइगर रिज़र्व, राजाजी औऱ लैंसडाउन वन प्रभाग में कई घटनाओं को अंजाम दे चुके थे। उत्तराखंड में बाघों की संख्या बढ़ी तो वन मंत्री हरक सिंह रावत समेत वन विभाग के आला अधिकारी काफी खुश नजर आए, लेकिन वन मंत्री हरक सिंह रावत ने माना कि उत्तराखंड के लिए बहुत अच्छा संकेत है कि बाघों की संख्या में बढ़ोतरी हुई लेकिन इन बाघों को बचाना उनके लिए एक चुनौती भी है, इस चुनौती में सबसे पहले बाघों को शिकारियों की नजर से बचाना होगा तभी आने वाले दिनों में बाघों की संख्या में और इजाफा होने की उम्मीद जग सकती है, क्योंकि अभी तक उत्तराखंड में जितनी भी शिकारी वन महकमे के रडार पर थे या जिन्होंने वन्य जीव घटनाओं को अंजाम दिया उनकी रडार पर सबसे पहले बाघ थे। भले ही उत्तराखंड में बाघों की संख्या में इजाफा हुआ हो और इससे वन विभाग के आला अधिकारी काफी खुश नजर आ रहे हो लेकिन इन बाघों की सुरक्षा की सुरक्षा एक बड़ी चुनौती है, और शायद इसी चुनौती पर मुख्य वन संरक्षक जयराज ने दो टूक शब्दों में साफ कर दिया है कि उत्तराखंड के अंदर वन्य जीवो से किसी ने भी छेड़छाड़ करने की कोशिश की तो उसे किसी भी कीमत पर छोड़ा नहीं जाएगा।