यदि आप शरीर की किसी बड़ी बीमारी से परेशान है और आप अंग्रेजी दवाओं का सेवन कर रहे हैं, तो जाहिर है आप इन दवाओं के साइड इफेक्ट से भी डर रहे होंगे, लेकिन यदि ऐसा है तो आपको बिल्कुल भी डरने की जरूरत नहीं है, आप किसी भी बड़ी बीमारी के इलाज में वन औषधियों का प्रयोग कर अंग्रेजी दवाओं के साइड इफेक्ट से निजात पा सकते हैं, जिसके लिए आपको हल्द्वानी के वन अनुसंधान केंद्र आना होगा।
पूरे देश मे दुर्लभ वनस्पतियों को संरक्षित करने वाले वन अनुसंधान केंद्र ने अब एक अलग ही तरह की वाटिका तैयार की है। नाम है ‘मानव अंग वाटिका’ हल्द्वानी के एफआरआई स्थित नर्सरी में बनी इस वाटिका में शरीर के अलग-अलग अंगों के मर्ज में लाभदायक मानी जानी वाली औषधियां तैयार की गई हैं। सिर, पेट, श्वांस, त्वचा के अलावा हड्डी रोग से संबंधित अलग-अलग बीमारियों को ठीक करने वाले औषधीय पौधे यहां तैयार हो चुके हैं।
इन पौधों को अलग-अलग नर्सरियों में तैयार किया जाता है। बकायदा बोर्ड लगाकर लोगों को हर पौधे का नाम और महत्व भी बताया गया है। खासकर किडनी, लीवर औऱ शुगर में रामबाण माने जाने वाली औषधि ‘कासनी’ भारत ही नही विदेश में भी अपनी खासी पहचान बना चुकी है। अति दुर्लभ वनस्पतियों पर वन अनुसंधान केंद्र लंबे समय से काम कर रहा है, ख़ासकर उन पौधों पर जिनका किसी भी रूप में औषधीय महत्व है।
एफआरआई हल्द्वानी में अभी तक सौ से अधिक प्रजातियों की खोज कर उन्हें संरक्षित किया जा चुका है। औषधीय गुणों वाली करीब 27 प्रजाति के आगे अनुसंधान केंद्र ने नाम व इस्तेमाल करने का तरीका लिखा है। शोधार्थी भी यहां पहुंचकर जानकारी जुटाते हैं, बोर्ड व पौधों के आगे रखी नेमप्लेट से यहां आने वाले हर व्यक्ति को इन औषधियों की जानकारी मिल जाएगी। मानव अंग वाटिका द्वारा मनुष्य को आयुर्वेद के साथ जोड़ने और वनो में पैदा होने वाले दुर्लभ औषधीय प्रजातियों के महत्व को जानने का मौका मिलेगा। उम्मीद की जानी चाहिए मानव अंग वाटिका के माध्यम से हल्द्वानी वन अनुसंधान केन्द्र आम आदमी को आयुर्वेद से जोड़ने सफल हो।