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मुख्यमंत्री के दौरे से विवाद का केंद्र बना गुरूद्वारा नानकमत्ता

उत्तराखंड में सिखों के तीन पवित्र स्थल है। जिनमें हेमकुंड साहिब और रीठा साहिब के साथ ही नानकमत्ता गुरुद्वारा भी है। पिछले दिनों उत्तराखंड के नवनियुक्त मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जब उधम सिंह नगर के तीन दिवसीय दौरे पर गुरूद्वारा नानकमत्ता पहुंचे तो एक विवाद ने जन्म ले लिया। यह विवाद गुरुद्वारे में एक स्कूल की छात्राओं के द्वारा लोक नृत्य से पैदा हुआ ।
इसी के साथ गुरुद्वारा परिसर में भाजपा और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नारे लगाना तथा इस बीच गुरबाणी को रोक देना पवित्र स्थल की मर्यादा टूटने का कारण रहा। सिखों के पवित्र स्थल की मर्यादा टूटने के बाद मामले ने राजनीतिक रूप धारण कर लिया। इसके बाद सिख धर्म के अनुयायियों द्वारा धरना – प्रदर्शन किए गए। हालांकि बाद में इसकी शिकायत अकाल तख्त तक कर दी गई। जिसके बाद अकाल तख्त अमृतसर ने एक जांच दल को उत्तराखंड भेज कर सच जानने का प्रयास किया।  हालांकि अभी जांच कमेटी का निर्णय आना बाकी है। लेकिन उससे पहले ही नानकमत्ता गुरुद्वारा कमेटी का इस्तीफा ले लिया गया है, तथा जांच के दौरान एक कार्यवाहक कमेटी का गठन कर दिया गया है।
 उत्तराखंड के जिला उधम सिंह नगर में नानकमत्ता गुरुद्वारा का इतिहास बहुत पुराना है। बताते हैं कि 1515 में यहां कैलाश पर्वत की यात्रा करने के बाद सिखों के प्रथम गुरु नानक देव भ्रमण के दौरान अपने शिष्य मर्दाना के साथ इस गुरुद्वारे में रुके थे। यही नहीं बल्कि बाद में सिखों के छठें  गुरु हरगोविंद सिंह के चरण भी इस गुरुद्वारे में पड़े। जिसके चलते इस गुरद्वारे को प्रदेश के सभी गुरुद्वारों में प्रमुख स्थान मिला हुआ है।
 गत 24 जुलाई को प्रदेश के नवनियुक्त मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के चरण भी यहां पड़े। लेकिन उनके चरण पड़ते ही मामला विवादों में आ गया। विवादों में आने का कारण यहां पर पहली बार गुरुद्वारा परिसर के अंदर किसी पार्टी विशेष और मुख्यमंत्री के लिए नारेबाजी की गई। जबकि इससे पहले गुरुद्वारे में सत श्री अकाल, वाहे गुरु दा खालसा, वाहेगुरु दी फतेह की ही आवाज गूंजती रही है। जब गुरुद्वारे के अंदर भारतीय जनता पार्टी और पुष्कर सिंह धामी के लिए लगाए गए नारे गूंजे तो मामला विवादास्पद हो गया।
24 जुलाई को पवित्र तीर्थ स्थल नानकमत्ता गुरुद्वारा में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दौरे के दौरान अनैतिक काम हुआ है या नहीं इसकी जांच कराई जा रही है। फिलहाल हमने तत्कालीन गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी को निलंबित कर दिया है। साथ ही कमेटी को 15 दिन के लिए सफाई पेश करने का मौका दिया है। इस दौरान जांच में अगर कमेटी दोषी पाई जाती है तो उन्हें बर्खास्त कर दिया जाएगा। अगर उन पर आरोप सिद्ध नहीं होते हैं तो उन्हें बहाल कर दिया जाएगा।
–  ज्ञानी मलकीत सिंह , हेड ग्रंथि अकाल तख्त अमृतसर
कहा गया कि इस दौरान मुख्यमंत्री के दौरे से अखंड गुरुवाणी के पाठ में विध्न पड़ा तथा उनके स्वागत में एक कार्यक्रम आयोजित हुआ। जिसमें स्कूली छात्राओं ने लोक नृत्य की प्रस्तुति दी। यही नहीं बल्कि मुख्यमंत्री को सम्मान स्वरूप पहनाया गया चांदी का मुकुट भी इस गुरुद्वारे की परंपराओं के खिलाफ बताया गया। साथ ही यह भी कहा गया कि ऐसा अब तक इस गुरुद्वारे के अंदर नहीं हुआ था ।
 हालांकि लोगों का कहना है कि 24 जुलाई को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी गुरुद्वारा नानकमत्ता में मत्था टेक कर सूबे की खुशहाली की मन्नत मांगने आए थे। लेकिन उन्हें क्या पता था कि मामला विवादों के केंद्र में चला जाएगा। इस मामले की शिकायत अमृतसर स्थित अकाल तख्त को की गई। अकाल तख्त ने जांच के लिए 3 सदस्यीय कमेटी का गठन किया। यही नहीं बल्कि यह कमेटी अमृतसर से नानकमत्ता भेजी गई। जिसमें आपातकालीन बैठक बुलाई गई। इस आपातकालीन बैठक में 27 सदस्यों ने हिस्सा लिया ।
इस दौरान अकाल तख्त अमृतसर के हेड ग्रंथी ज्ञानी मलकीत सिंह, प्रचारक ज्ञानी सर्वजीत सिंह, ढोढी, धर्म प्रचारक ज्ञानी अजीत सिंह ने नानकमत्ता गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान सेवा सिंह, मीत प्रधान जसविंदर सिंह गिल, जनरल सेक्रेटरी धन्ना सिंह एवं सेक्रेटरी केहर सिंह को गुरु घर में अनैतिकता के आरोप में साहिबान के फैसले लेने तक इस्तीफा ले लिया गया। साथ ही जिन लोगों से इस्तीफा लिया गया उन्हें 15 दिन का समय दिया गया कि इस दौरान वह अपना पक्ष अकाल तख्त अमृतसर के सामने रख सकते हैं। इसी के बाद अकाल तख्त अमृतसर यह निर्णय लेगा कि कमेटी को स्थाई रूप से बर्खास्त किया जाए या उसे दोबारा बहाल किया जा सकता है।
 फिलहाल विवाद के हल के लिए पुरानी प्रबंधन कमेटी का इस्तीफा लेकर पांच सदस्यीय कार्यवाहक कमेटी का गठन कर दिया गया है। इस कमेटी में सरदार जरनैल सिंह, सरदार सुखदीप सिंह उर्फ लाडी, सरदार जसवीर सिंह, सरदार अमरजीत सिंह और सरदार कुलदीप सिंह को शामिल किया गया है। गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के गठन तक यह 5 सदस्य कमेटी गुरुद्वारा का काम देखेगी।

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