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Uttarakhand

उत्तराखण्ड कांग्रेस में जबर्दस्त गुटबाजी

उत्तराखण्ड कांग्रेस के नेता अब भी ‘अपनी ढपली अपना राग’ वाली कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं। आगामी विधानसभा चुनाव के लिए संगठन को एकजुट और मजबूत करने के बजाय वे अपनी व्यक्तिगत राजनीति और छवि बनाने की कवायद के तौर पर अलग-अलग कार्यक्रम चला रहे हैं। इसे देखते हुए उत्तराखण्ड कांग्रेस प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह द्वारा प्रदेश कांग्रेस कमेटी को पत्र लिखना पड़ा जिसमें साफ तौर पर कहा गया है कि कांग्रेस नेताओं को पार्टी और संगठन को मजबूत करने का प्रयास करना चाहिए। इसके बाद से प्रदेश कांग्रेस में खासी हलचल मची हुई है।

दरअसल, प्रदेश में एक मात्र विपक्षी पार्टी होने के नाते कांग्रेस कभी भी एकजुट होकर अपनी ताकत सरकार के खिलाफ नहीं दिखा पाई। ऐसा नहीं है कि कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ कोई आंदोलन नहीं किया है, लेकिन इन सबके पीछे कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की अपनी व्यक्तिगत राजनीति और छवि को चमकाने की ही कवायद ज्यादा रही है। आज हालात यह हैं कि कांग्रेस के हर बड़े नेता अपने-अपने स्तर पर कार्यक्रम कर रहे हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपने समर्थकों को साथ लेकर मोदी सरकार ओैर प्रदेश सरकार के खिलाफ कई प्रर्दशन किए। लेकिन इन कार्यक्रमों में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ही नदारद थे। सूत्रों की मानें तो हरीश रावत का पूरा प्रयास था कि उनके सभी कार्यक्रमों में प्रदेश कांग्रेस कमेटी की भूमिका नगण्य ही रहे और कांग्रेस में यह संदेश दिया जा सके कि हरीश रावत उम्रदराज होने के बावजूद सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने में आज भी समर्थ हैं, जबकि कांग्रेस कमेटी सरकार के खिलाफ बोलने ओैर आंदोलन करने में कमजोर सबित हो।

इसी तरह नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदेश भी अपने क्षेत्र हल्द्वानी से बाहर निकलने की बजाय क्षेत्र में ही अपने समर्थकों के साथ सरकार पर हमलावर होती रही हैं, जबकि उनकी भूमिका पूरे प्रदेश कांग्रेस कार्यकर्ताओं में रहनी चाहिए। इसका बड़ा असर कांग्रेस कार्यकर्ताओं में देखने को मिला और कार्यकर्ता भी अपने-अपने नेताओं के कार्यक्रमों को देखकर शामिल होने लगे जिससे न तो कांग्रेस के कार्यक्रम सफल हो पाए और न ही सरकार पर कोई दबाव बनाने में कांग्रेस सफल हो पाई। करण माहरा और इंदिरा हृदयेश एक-दूसरे पर आरोप तक लगा चुके हैं। जिसका लब्बोलुआब भी अपने क्षेत्र विशेष से बाहर न निकलने की बात कही गई थी।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह पर भी अपने समर्थकों के साथ कार्यक्रम करने का आरोप लगता रहा है। हैरानी की बात यह है कि देहरादून के कांग्रेस भवन से घंटाघर ओैर गांधी पार्क तक ही कांग्रेस के कार्यक्रम देखने को मिलते रहे हैं, चाहे वह सरकार के खिलाफ धरना या पुतला फूंकना आदि कार्यक्रम रहे हों, कमोवेश हर कार्यक्रम का यही प्रमुख स्थान ही बना रहा। जिसको लेकर कांग्रेस पर कई तरह के तंज कसे जाने लगे हैं। कहा जाने लगा कि जिस तरह से ‘‘बहादुर शाह जफर की सल्तनत लाल किले से चांदनी चौक’’ उसी तरह से प्रदेश कांग्रेस की कांग्रेस भवन से क्वालिटी चौक’’ तक ही सीमित रह गई है।

पिछले दो वर्ष से यह देखा जा रहा है कि कांग्रेस का हर नेता अपने-अपने स्तर पर कार्यक्रम चला रहा है जिसमें कहीं भी प्रदेश कांग्रेस कमेटी के बीच सामंजस्य देखने को नहीं मिला। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय भी अपने वनाधिकार आंदोलन को लेकर अकेले ही मैदान में हैं, तो हरीश रावत भी कोरोना काल में अचानक तीन माह के बाद सक्रिय होकर अपने समर्थकों के साथ कार्यक्रम करने में जुटे हैं। चाहे वह पेट्रोल की कीमतों को लेकर किया गया बैलगाड़ी आंदोलन हो या फिर राजभवन के सामने धरना देने की बात हो, हर जगह हरीश रावत ही रहे जबकि प्रदेश कांग्रेस इससे दूर ही रही या रखी गई।

इसके अलावा कांग्रेस नेताओं के खिलाफ कोरोना संकट के दौरान मुकदमे दर्ज इसलिए किए गए हैं कि उन्होंने सरकार की गाइड लाइन को दरकिनार कर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला ओैर प्रदर्शन किया है, जबकि कांग्रेस इन मुकदमों को अपने ऊपर सरकार का दमन बताकर एक तरह से पीड़ित दिखाने की बात कर रही है। इसके चलते आज तकरीबन हर बड़े नेता के खिलाफ मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। कांग्रेस सूत्रों की मानें तो इसके पीछे स्वयं कांग्रेस के ही नेताओं की व्यक्तिगत राजनीति है। अपने-अपने समर्थकों को साथ लेकर अचानक कार्यक्रम बनाए जा रहे हैं जिसमें न तो किसी प्रकार की अनुमति ली जा रही है और न ही नेताओं द्वारा कार्यकर्ताओं के हुजूम को संभाला जा रहा है जिसके चलते गाइड लाइन का उल्लंघन हो रहा है औेर मुकदमे दर्ज हो रहे हैं।

हैरानी की बात यह है कि कांग्रेस इस तरह से अपने नेताओं के खिलाफ मुकदमे दर्ज होने पर स्वयं को पीड़ित होने का दिखावा कर रही है जबकि इससे आसानी से बचा जा सकता है। शायद इसको प्रदेश प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह भी भांप चुके हैं और इसी को देखते हुए कांग्रेस कमेटी को पत्र जारी कर आपसी सामंजस्य बनाने और कांग्रेस के ही बैनर पर आयोजन करने की बात कह रहे हैं। सूत्रों की मानें तो प्रदेश प्रभारी द्वारा कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं को यह स्पष्ट कर दिया है कि इस तरह से व्यक्तिगत कार्यक्रम चलाए जाने को पार्टी अनुशासनहीनता मानेगी और कार्यवाही करेगी। अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या कांग्रेस नेता अपने व्यक्तिगत कार्यक्रमों को करने के बजाय पार्टी के बैनर तले कार्यक्रम करेंगे या फिर प्रदेश प्रभारी के पत्र को एक रूटीन पत्र मानकर पहले जैसे ही सक्रियता दिखाएंगे।

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