अंकिता भंडारी हत्याकांड में आरोपी पुलकित आर्य के पिता विनोद आर्य की संघ में गहरी पैठ रही है। इस पैठ के बलबूते ही वह भाजपा की सभी सरकारों में अपनी मनमानी करता रहा है। भाजपा के राज में यह परिवार शस्त्र लाइसेंस से लेकर करोड़ों रुपए का सरकारी अनुदान पाने में सफल रहा है। पिता-पुत्र के पास पिस्टल के लाइसेंस होने के बावजूद एक बार फिर गत अगस्त में शस्त्र लाइसेंस के लिए आवेदन किया गया था। अंकिता भंडारी हत्याकांड न होता तो यह परिवार दूसरी बार भी शस्त्र लाइसेंस लेने में कामयाब हो जाता। राज्य ही नहीं केंद्र सरकार की मेहरबानियां भी इस परिवार पर रही हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वंतरा रिसॉर्ट के पीछे स्थित आमला कैंडी फैक्ट्री के नाम पर करोड़ों का अनुदान हासिल कर लिया गया। इसी के साथ आर्य परिवार ने फॉर्मेसी कल्सटर बनाकर जनकल्याण फॉर्मेसी और स्वदेशी फॉर्मेसी का उच्चीकरण करने के मामले में 9 करोड़ का अनुदान हासिल कर लिया। चौंकाने वाली बात यह है कि फॉर्मेसी कल्सटर में जिस कंपनी को मोटा अनुदान दिया गया वह सिर्फ कागजों में चल रही है। जबकि जमीनी हकीकत यह है कि वह कंपनी बंद पड़ी हुई है। अपनी एक कंपनी को आर्य परिवार द्वारा भारत सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी आईएमपीसीएल को किराए पर देकर किराया वसूला जा रहा है
राज्य गठन के बाद भाजपा के नेतृत्व वाली तमाम सरकारों ने आर्य परिवार पर जमकर मेहरबानिया लुटाई। विभिन्न योजनाओं के नाम पर राज्य सरकार ही क्या केंद्र सरकार से भी विनोद आर्य ने करोड़ों रुपया अनुदान के रूप में प्राप्त कर अपने बिगड़ेल पुत्र पुलकित आर्य के ऐशो-आराम पर भी जमकर खर्च किए। सरकार के दौरान ही विनोद आर्य के दिन भी बदलने शुरू हो गए। तब से शुरू हुआ विनोद आर्य का यह सफर वर्तमान की पुष्कर सिंह धामी सरकार के समय में भी लगातार जारी रहा। पिता-पुत्र को शस्त्र लाइसेंस जारी करने का मामला हो या फिर केंद्र सरकार के आयुष मंत्रालय के माध्यम से स्वदेशी फार्मेसी के उच्चीकरण के नाम पर करोड़ों रुपए डकारने का, सभी मामलों में इन्होंने अपने रसूख का जमकर इस्तेमाल किया।
अंकिता भंडारी हत्याकांड का आरोपी पुलकित आर्य हो या फिर उसके पिता विनोद आर्य या उसका भाई अंकित आर्य, सब पर उत्तराखण्ड में अभी तक बनी भाजपा की तमाम सरकारें खासी मेहरबान रही हैं। राज्य गठन के पश्चात् तमाम कायदे कानूनों को ताक पर रखते हुए आर्य परिवार के प्रति तत्कालीन सरकार ने दरियादिली दिखाते हुए शस्त्र लाइसेंस जारी करने से लेकर राज्य मंत्री का ओहदा देने तक में परहेज नहीं किया। 2008 में विनोद आर्य व उसके पुत्र अंकित आर्य को पिस्टल का शस्त्र लाइसेंस जारी किया गया। 2017 में त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में गठित हुई भाजपा नीत प्रदेश सरकार ने भी आर्य परिवार पर प्यार उड़ेलते हुए विनोद आर्य को माटी कला बोर्ड में राज्यमंत्री का दर्जा प्रदान किया। उधर भाजपा सरकारें आर्य परिवार को ओहदो से नवाजने में लगी रहीं। तो वहीं दूसरी ओर सत्ता संरक्षण में पल रहे पुलकित की उदंडता भी लगातार बढ़ती रही। 2022 में पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली प्रदेश सरकार ने एक बार फिर पूर्ववर्ती सरकारों का अनुसरण करते हुए आर्य परिवार के बड़े पुत्र अंकित आर्य को अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग में उपाध्यक्ष का पद दे दिया।
भाजपा के संरक्षण में लगातार पनप रहे आर्य परिवार के कदम यही नहीं थमे बल्कि 2008 में शस्त्र लाइसेंस लेने के बावजूद अगस्त 2022 में अंकिता भंडारी हत्याकांड के आरोपी पुलकित आर्य सहित विनोद आर्य व अंकित आर्य ने एक बार फिर शस्त्र लाइसेंस के लिए आवेदन किया था। लोगों का कहना है कि अगर अंकिता हत्याकांड न सामने आता तो शायद तीनों बाप-बेटों को अब तक शस्त्र लाइसेंस जारी हो गया होता। अगस्त में शस्त्र लाइसेंस के आवेदन करने के बाद आचार संहिता लगी होने के चलते आवेदन पर जिला प्रशासन कोई निर्णय नहीं ले पाया है। फिलहाल बदली हुई परिस्थितियों में बाप-बेटों का शस्त्र लाइसेंस जारी होने की प्रक्रिया पर ब्रेक लग गया हो लेकिन जिस प्रकार सत्ता संरक्षण में पनपे पुलकित ने अंकिता हत्याकांड को अंजाम दिया, वह भाजपा की ‘बेटी-बचाओ, बेटी-पढ़ाओ’ के नारे पर भी प्रश्न चिन्ह लगाता है?

सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार अंकिता भंडारी हत्याकांड का गवाह बने वंतरा रिजोर्ट के पीछे स्थित आमला केंडी की फैक्ट्री को दिखाकर विनोद आर्य ने आयुर्वेद मंत्रालय भारत सरकार से फूड प्रेजिवेशन के नाम पर मोटा अनुदान प्राप्त कर अपनी तिजोरी भरी। यही नहीं विनोद आर्य ने अपने राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए भारत सरकार के ही आयुष विभाग की एक अन्य योजना ‘फार्मेसी कलस्टर’ के नाम पर 9 करोड़ रुपये का अनुदान प्राप्त कर लिया। दरअसल भारत सरकार द्वारा फार्मेसी कलस्टर योजना के माध्यम से फार्मेसी उच्चीकरण के लिए 5 फार्मेसी का समूह बनाकर अनुदान दिए जाने की योजना प्रारंभ की। सूत्र बताते हैं कि तत्कालीन आयुष मंत्री के माध्यम से विनोद आर्य ने स्वदेशी फार्मेसी, जनकल्याण फार्मेसी के साथ ही रुड़की के इमली खेड़ा स्थित लगाई गई स्वदेशी फार्मेसी को जोड़कर कलस्टर योजना में 9 करोड़ रुपये प्राप्त किए। चौकाने वाली बात यह है कि फार्मेसी कलस्टर में दर्शाई गई जनकल्याण फार्मेसी बंद पड़ी हुई थी।
बावजूद इसके भारत सरकार का आयुष मंत्रालय विनोद आर्य को आंख मूंदकर अनुदान देता रहा। यहीं नहीं भारत सरकार से 9 करोड़ रुपया अनुदान के रूप में प्राप्त करने वाले विनोद आर्य ने इमली खेड़ा स्थित स्वदेशी फार्मेसी का उच्चीकरण करते हुए भारत सरकार के ही स्वामित्व वाली अल्मोड़ा स्थित (आईएमपीसीएल) मोहान में स्थित दवाई कारखाने को अपने स्वदेशी फार्मेसी मोटे किराये पर दे दी और भारत सरकार से अच्छा खासा पैसा वसूलता रहा। जो कि वर्तमान तक भी लगातार जारी है।
बात अपनी-अपनी
विनोद आर्य जैसे लोगों को डबल इंजन सरकार का बखूबी फायदा मिल रहा है। बड़े रसूखदारों को रिसोर्ट में स्पेशल सुविधा देने के कारण इस तरह के लोगों को भारत सरकार द्वारा अनुदान दिया गया है,जिस स्थान पर रिसॉर्ट चलता रहा था उसकी परमिशन फैक्ट्री के नाम पर अलॉट हुई और मौके पर जमीन पर रिसॉर्ट चलाया जा रहा था। अंकिता हत्याकांड होने के कारण यह मामला सामने आ पाया नहीं तो डबल इंजन की सरकार व रसूखदारओ के चलते यह मामला दबा हुआ था। करोड़ों रुपए अनुदान ली जाने के संबंध में ईडी व सीबीआई से जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की जाए।
करण महारा, प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस कमेटी उत्तराखण्ड
फार्मेसी कलस्टर भारत सरकार के आयुष मंत्रालय की योजना थी। यह योजना 5 वर्ष पूर्व चलाई गई थी। इस योजना के अंतर्गत विनोद आर्य ने भारत सरकार से अनुदान प्राप्त किया है। इससे हमारा कोई लेना-देना नहीं है। हां, मैंने सुना जरूर है कि ऐसा कोई अनुदान इनके द्वारा लिया गया है, बाकी आप कार्यालय में आ जाएं तो मैं आपको फाइल दिखा दूंगा।
डॉ. राजीव वर्मा, जिला आयुर्वेदिक यूनानी अधिकारी हरिद्वार
विनोद आर्य जैसे लोग इस राज्य के संसाधनों का दोहन करने में जुटे हैं। आयुष मंत्रालय से फार्मेसी उच्च करण के नाम पर करोड़ों रुपए अनुदान प्राप्त करने का मामला अगर सामने आया है तो विनोद आर्य के खिलाफ कठोर कार्रवाई होने के साथ-साथ सरकारी धन की रिकवरी भी की जाए।
शिव प्रसाद सेमवाल, केंद्रीय मीडिया प्रभारी उत्तराखण्ड क्रांति दल
जिस प्रकार भाजपा भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस का दावा करती रही है वहां कहीं दिखाई नहीं देता अगर वास्तव में भाजपा सरकार जीरो टॉलरेंस लाना चाहती है तो अंकिता हत्याकांड सहित विनोद आर्य द्वारा लिए गए करोड़ों रुपए के अनुदान और उसके काले कारोबार के संबंध में उच्च स्तरीय जांच कराई जाने का आदेश जारी करें तथा विनोद आर्य के तमाम प्रतिष्ठानों के संबंध में ईडी से भी जांच कराई जाए तब दूध का दूध पानी का पानी सामने आ सकेगा।
फुरकान अली, एडवोकेट पूर्व राज्य मंत्री उत्तराखण्ड सरकार