उत्तराखण्ड में अंधेरगर्दी का सबसे विलक्षण नजारा देखना हो तो अल्मोड़ा के डांडा कांडा स्थित प्लीजेंट वैली फाउंडेशन को देखिए। जहां पिछले 14 सालों से सूबे की सरकारी मशीनरियां दिल्ली के एक अधिकारी एवी प्रेमनाथ की पहुंच और धमक के आगे नतमस्तक है। जिसके बल पर उस अधिकारी ने न केवल सरकारी जमीन पर कब्जा किया बल्कि उस जमीन पर बड़े भवन भी बना डाले। सरकारी जमीन पर अपने संस्थान प्लीजेंट वैली फाउंडेशन के लिए सड़क बना डाली। हरे पेड़ उखाड़ कर मिट्टी में मिला दिए। इसके साथ ही अवैध अतिक्रमण के उद्देश्य से दीवालबंदी, फील्ड और पानी की टंकी के साथ ही क्या कुछ ऐसा नहीं किया गया जिससे सरकार के नियम कानूनों को तिलांजलि नहीं दी गई। चाैंकाने वाली बात यह है कि कई जांच होने के बाद भी उसका बाल बांका तक नहीं हुआ। संस्थान अतिक्रमित जमीन पर दिनों-दिन फलता-फूलता रहा और प्रेमनाथ का जलवा जारी रहा। लेकिन जब से प्रदेश में पुष्कर सिंह धामी की सरकार बनी तब से उसकी उल्टी गिनती शुरू हो गई। बहरहाल, एवी प्रेमनाथ की काले कारनामों पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का सुशासन भारी पड़ गया है। धामी सरकार में प्लीजेंट वैली फाउंडेशन की दो बार हुई जांच में एवी प्रेमनाथ के भ्रष्ट तंत्र पर मुख्यमंत्री का चाबुक चल चुका है। प्रसाशन की जांच रिपोर्ट में जमीन लेने की शर्तों का उल्लंघन पाए जाने के बाद इस रिपोर्ट को शासन को भेज दिया गया है। जांच रिपोर्ट में प्लीजेंट वैली फाउंडेशन की संपत्ति को जब्त करने की संस्तुति की जा चुकी है
पहली जांच
अल्मोड़ा के तत्कालीन जिलाधिकारी डीएस गर्ब्याल द्वारा एडीएम राजीव शाह की अध्यक्षता में 2011 में एक जांच टीम का गठन किया गया। जांच टीम ने जो अपनी जांच की उसके अनुसार जांच संख्या 2173 स्वयं सेवी संस्था प्लीजेंट वैली फाउंडेशन द्वारा क्रय शुदा भूमि के अतिरिक्त राज्य सरकार की आरक्षित वन भूमि की श्रेणी/परिधि वाली भूमि 0.911 हेक्टेयर भूमि में अवैध रूप से अतिक्रमण किया गया है। इस संस्था द्वारा उक्त क्षेत्र में चार बड़े भवनों और ब्लॉकों का निर्माण किया गया है। जिसमें से एक बड़ा भवन पूर्ण रूप से राज्य सरकार की भूमि में निर्मित किया गया है। जांच संख्या 2173 बिंदु संख्या 8 में प्लीजेंट वैली फाउंडेशन द्वारा राज्य सरकार की भूमि आरक्षित वन श्रेणी की परिधि वाली भूमि में किए गए अतिक्रमण के संबंध में पटवारी द्वारा चालान किया गया है। हालांकि राज्य सरकार की भूमि में 30 चीड़ के वृक्षों के क्षतिग्रस्त होने के संबंध में क्षेत्रीय पटवारी अथवा वन विभाग द्वारा वृक्षों के अवैध कटान पर भारतीय दंड सहिता एवं वन अधिनियम के अंतर्गत प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की जानी चाहिए थी, जो नहीं की गई। संस्था के विरुद्ध तीन चालानी रिपोर्ट की गई। जिसमंे पहली सरकारी जमीन से कच्चे रोड का निर्माण करने पर, दूसरी सरकारी जमीन पर कच्ची सड़क, फील्ड, मकान, पानी की टंकी निर्माण करने संबंधित थी। जबकि तीसरी रिपोर्ट कच्ची रोड, भवन निर्माण, दीवालबंदी फील्ड तथा 30 वृक्षों को मलबे से दबाकर क्षति पहुंचाने के संबंध में दर्ज की गई। तत्कालीन अपर जिला अधिकारी राजीव शाह ने अपनी जांच संख्या 2173 के बिंदु संख्या 9 में संस्था द्वारा अपनी क्रय शुदा भूमि का कोई सीमाकंन नहीं किए जाने और क्रेता द्वारा प्रस्तावित भूमि के अतिरिक्त राज्य सरकार की भूमि में कब्जा किए जाने की पुष्टि की थी। तब उन्होंने स्पष्ट उल्लेख किया कि समिति के नियमों में अपर सचिव उत्तराखण्ड की शर्तों के अंतर्गत स्कूल एवं हॉस्टल के निर्माण के लिए भूमि क्रय करने की अनुमति प्रदान की गई है जिसमें शर्त संख्या 9 का उल्लंघन हुआ है।
क्या है शर्त संख्या 9
शर्त संख्या 9 के अनुसार शासनादेश संख्या 1340, 182008 के तहत यह तय हुआ था कि प्लीजेंट वैली फाउंडेशन को चैरिटेबल स्कूल और हॉस्टल निर्माण के लिए 2 हेक्टेयर भूमि क्रय करने की अनुमति दी गई थी, इसी के साथ यह भी तय हुआ था कि सार्वजनिक उपयोग की भूमि या अन्य कोई भूमि पर कब्जा न हो इसके लिए भूमि क्रय के तत्काल बाद उसका सीमांकन कर लिया जाए। लेकिन प्लीजेंट वैली फाउंडेशन ने इस शर्त के वर्षों बीत जाने के बाद भी पालन नहीं किया। इसके पीछे फाउंडेशन के मालिकों की मंशा सरकारी जमीन को कब्जाने की थी। क्योंकि अगर जमींन खरीद लेने के तुरंत बाद ही उसका सीमांकन कर लिया जाता तो फिर अवैध कब्जे होने की संभावना खत्म हो जाती। तब एडीएम राजीव शाह ने अपनी जांच रिपोर्ट में लिखा कि ऐसी स्थिति में प्रश्नगत प्रकरण ने संबंधित भूमि के शासन द्वारा क्रय किए जाने की स्वीकृति को निरस्त किए जाने की पुष्टि के साथ ही शासन द्वारा स्वीकृति निरस्त करने की अनुमति प्राप्त होने उपरांत भूमि को राज्य सरकार में निहित करने की कार्यवाही किए जाने की संस्तुति की जाती है। जिलाधिकारी डीएस गर्ब्याल की जांच संख्या 1420, दिनांक 4 मई 2011 इस प्रकरण में धोखाधड़ी से भूमि क्रय करने की दशा में आपराधिक मामला दर्ज किया जाना और फर्जी तौर पर भूमि को क्रय कर नामांकन की कार्यवाही करने पर उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950 की धारा 167 के अंतर्गत उक्त क्रय की गई। भूमि राज्य सरकार के पक्ष में निहित करने का प्रकरण बनता है।
दूसरी जांच
प्लीजेंट वैली फाउंडेशन द्वारा किए गए कारनामों की जांच तत्कालीन उपजिलाधिकारी सीमा विश्वकर्मा के द्वारा 15 अप्रैल 2020 को की गई। इस जांच में भी प्लीजेंट वैली पर सरकारी जमीन कब्जाने की पुष्टि की गई है। इस मामले को लेकर लगातार आंदोलन करते रहे वरिष्ठ अधिवक्ता और उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी की मांग पर दो साल बाद एक बार फिर इसी संबंध में जांच के आदेश हुए। जांच संख्या 615 के तहत अल्मोड़ा के एसडीएम गोपाल सिंह चौहान ने 11 मार्च 2022 को, जो अपनी जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपी है उसमें भी शर्त संख्या 9 का पालन नहीं किए जाने की पुष्टि की गई है। चौहान की जांच रिपोर्ट में वर्तमान स्थिति को स्पष्ट करते हुए लिखा गया है कि उक्त संस्था द्वारा अभी भी अपना सीमांकन नहीं किया गया है। फिलहाल एक कब्जे को उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट में सरकार में निहित होना बताया है जबकि तीन अन्य मामलों में अभी भी यथास्थिति है। यानी कि संस्था द्वारा सरकारी जमीन पर अभी भी प्लीजेंट वैली फाउंडेशन का कब्जा बरकरार है। 13 जुलाई 2020 को एसडीएम गोपाल सिंह चौहान द्वारा अपने एक आदेश में संस्था को नोटिस देते हुए कार्रवाई करने के संकेत दे दिए हैं। जिनमें चौहान ने स्पष्ट कहा है कि धारा 167 के तहत कब्जे वाली वह जमीन जिस पर जो भी निर्माणाधीन है उसे क्यों ना राज्य सरकार में निहित समझा जाए।
तीसरी जांच
22 दिसंबर 2021 को अल्मोड़ा के जिलाधिकारी ने उपजिलाधिकारी को पुनः जांच के आदेश दिए। 14 मार्च 2022 को एसडीएम की जांच में जमीन पर अतिक्रमण की पुष्टि हुई। जिलाधिकारी को जांच रिपोर्ट मिलते ही उन्होंने कार्रवाई के निर्देश दिए। असिस्टेंट कलेक्टर प्रथम श्रेणी ने उत्तरांचल (उत्तर प्रदेश) जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950 की उपधारा 166-167 के तहत अवैध अतिक्रमण मानते हुए संबंधित को नोटिस भी जारी किया था।
चौथी जांच
26 मार्च 2022 को जिलाधिकारी अल्मोड़ा के आदेश पर एक जांच कमेटी गठित की गई। जिसमें नायब तहसीलदार सदर (अल्मोड़ा) की अध्यक्षता में नायब तहसीलदार ग्रामीण, राजस्व निरीक्षक हवालबाग, राजस्व उप निरीक्षक कठपुड़िया, राजस्व उप निरीक्षक दौलाघाट, राजस्व उप निरीक्षक गोविंदपुर को जांच कमेटी का सदस्य बताया गया। जांच कमेटी ने सबसे पहले जमीन का सीमांकन किया। इस दौरान प्लीजेंट वैली फाउंडेशन के कार्यालय सहायक पंकज कुमार जोशी मौजूद रहे। क्योकि प्लीजेंट वैली फाउंडेशन की ओर से पिछले एक दशक से अपने क्रय शुदा भूमि 86 नाली 07 मुट्टी का सीमांत नहीं किया गया था। संस्थान में स्कूल भवन, हॉस्टल, खेल मैदान आदि के निर्माण के दौरान क्रय शुदा भूमि से लगते राज्य सरकार की भूमि पर भी अवैध अतिक्रमण किया गया था। जिसके तहत
0.139 , 0.148, 0.630 और 0.018 हेक्टेयर भूमि का तत्कालीन राजस्व उप निरीक्षक ने विधिवत चालानी कार्रवाई करते हुए न्यायालय को रिपोर्ट प्रेषित की थी। जिन्हंे गत दिनों दी गई समिति की जांच रिपोर्ट में भी सही पाया गया। जांच में जो अवैध अतिक्रमण की रिपोर्ट सामने आई थी वह वर्तमान में भी देखी जा सकती है।
सरकार में निहित होगी जमीन
स्वयं सेवी संस्था प्लीजेंट वैली फाउंडेशन को 2 दिसंबर 2008 को दी गई अनुमति का दुरुपयोग करते हुए इस संस्था ने सैकड़ों नाली सार्वजनिक भूमि पर कब्जा कर उस पर बड़े भवन बनाए हैं। क्षेत्रीय, ग्रामीणों, सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों यहां तक की इन अवैध कार्यों का विरोध करने वाले पुलिस प्रशासन के अधिकारियों के खिलाफ प्रेमनाथ ने सैकड़ों फर्जी पत्र लिखकर सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया है, जिसके प्रमाण मौजूद हैं। फिलहाल जांच कमेटी की रिपोर्ट को शासन को भेज दिया गया है। रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि प्लीजेंट वैली फाउंडेशन ने जमीन लेने की शर्तों का उल्लंघन किया है। लिहाजा प्रशासन ने शासन से प्लीजेंट वैली फाउंडेशन की समस्त जमीन को धारा 167 के परिणाम लागू करते हुए राज्य सरकार में निहित करने की मांग की है।
113 नाली जमीन हो चुकी है सरकार में निहित
यहां यह भी बताना जरूरी है कि पूर्व में एवी प्रेमनाथ की पत्नी आशा प्रेमनाथ उर्फ आशा यादव पर फर्जी खसरा खतौनी के आधार पर अल्मोड़ा जिले के मैणी गांव में 100 नाली जमीन खरीद ली थी। इस मामले में 2012 में अल्मोड़ा कोतवाली में मामला दर्ज किया गया था। इसके बाद 100 नाली जमीन सरकार में निहित की जा चुकी है। यही नहीं बल्कि डांडा कांडा की जिस 87 नाली जमीन पर प्लीजेंट वैली फाउंडेशन बनाया गया है वहां भी अतिक्रमित सरकारी जमीन में से 13 नाली जमीन को सरकार में निहित किया जा चुका है।
प्लीजेंट वैली फाउंडेशन की जांच हो चुकी है, जल्द ही उस पर कानून संवत्
कार्रवाई की जाएगी। अवैध अतिक्रमण हटाया जाएगा और ग्रामीण को उनका वाजिब हक दिलाया जाएगा।
पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड
मामला न्यायालय में विचाराधीन है और जांच रिपोर्ट शासन को प्रेषित की जा चुकी है। विधि संवत् कार्रवाई की जाएगी।
सीएस मर्तोलिया, एडीएम, अल्मोड़ा