दागदार हुआ आंचल/भाग-4
आखिरकार जिन डेयरी प्लांट ने प्रदेश में दुग्ध क्रांति की राह खोली वे ही भ्रष्टाचार की अंधी खाई में क्यों समा रहे हैं? नैनीताल दुग्ध संघ में दिनोंदिन सामने आ रहे एक के बाद एक घोटाले इस अंधी खाई को चौड़ी करते नजर आ रहे हैं। ऐसा नहीं है कि भ्रष्टाचार का सिलसिला एक-दो साल से ही शुरू हुआ है, बल्कि यह कारनामा कई वर्षों से जारी है। सात साल पहले दूध के टैंकरों से दूध घटतौली की घटना आज भी लोगों के जेहन में जिंदा है। इस मामले में दो बार जांच हुई लेकिन जांच कमेटी द्वारा निष्पक्ष रिपोर्ट देने की बजाय लीपापोती की गई। आरोपी अधिकारियों को सिर्फ चेतावनी देकर छोड़ दिया, जबकि होना यह चाहिए था कि दूध टैंकरों से दूध चोरी करने और घटतौली करने वालों को सख्त सजा दी जाती तो भविष्य के लिए भी नजीर बनती। संघ के भ्रष्ट तंत्र और अधिकारियों की मिलीभगत का ही परिणाम है कि यह संस्था भ्रष्टाचारियों के लिए सबसे मुफीद जगह बन चुकी है। लोगों की मानें तो दुग्ध संघ नैनीताल आज भ्रष्टाचार का अड्डा बनकर रह गया है
लालकुआं स्थित नैनीताल दुग्ध संघ में पशु पालकों और दूध उत्पादकों की खून-पसीने की कमाई पर वर्षों से भ्रष्टाचार का खेल खेला जा रहा है। यहां उत्तर प्रदेश की एक निजी डेयरी से आए दूध के टैंकरों में दूध की चोरी होने के बावजूद भी बिना तौल के भुगतान किया जाता रहा है। मामला 2016 का है। जब दूध के टैंकरों में दूध की घटतौली का घोटाला हुआ था। जब मामला सामने आया तो अधिकारियों ने दो बार जांच कराई। पहले एक तीन सदस्यीय जांच कमेटी बनाई गई। इस कमेटी पर आरोप है कि कमेटी ने मामले की गोल-मोल रिपोर्ट पेश कर दी। जिस पर खुद विभाग के उच्चाधिकारी संतुष्ट नहीं हुए तो इसके बाद फिर से दो संचालकों को मिलाकर एक पांच सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया गया। लेकिन इस कमेटी ने भी आरोपी अधिकारियों को सिर्फ एक बार के वेतनमान की वृद्धि रोकने के साथ ही उन्हें चेतावनी देकर छोड़ दिया गया।
उत्तराखण्ड में दूध की कमी पड़ने पर उसके अनुरूप बाहरी प्रदेशों से दूध खरीदा जाता है। नैनीताल दुग्ध संघ ने भी उत्तर प्रदेश बुलंदशहर स्थित निजी डेयरी नीलकंठ से दूध खरीदा था। 2016 में जन्माष्टमी के दिन दुग्ध संघ का एक श्रमिक नीलकंठ डेयरी से आए टैंकर में लाए गए दूध की टेस्टिंग के लिए नमूना लेने टैंकर में गया। बताया जाता है कि इस दौरान टैंकर के बहुत अंदर तक भी नमूना शीशी डुबाने पर उसे दूध नहीं मिला। टैंकर चालक के अनुसार टैंकर में 14 हजार 800 लीटर दूध होना चाहिए था जो टैंकर की ऊपरी सतह तक होता है। ऐसा देखा गया तो श्रमिक ने दूध कम होने की आशंका संबंधित उच्चाधिकारी से जताई। इस पर अधिकारियों ने बिना तौले टैंकर में दो सौ लीटर दूध कम दर्शाने के निर्देश देकर दूध रिसीव करने का आदेश दे दिया। दुग्ध संघ के कर्मचारियों को इसकी भनक लगी तो उन्होंने आपत्ति दर्ज करवाई, जिस पर तत्कालीन प्रधान प्रबंधक पीसी शर्मा ने आनन-फानन में तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन कर एक सप्ताह में जांच सौंपने के निर्देश दिए। इसमें सहायक प्रबंधक स्टोर सदानंद बमेठा, सहायक प्रबंधक उमेश पढालनी, कार्यालय अधीक्षक नवीन गरवाल को रखा गया। एक सप्ताह बाद जांच कमेटी ने रिपोर्ट सौंपी लेकिन बताया गया कि इसमें कोई भी तथ्य स्पष्ट नहीं हो पाया। कहा गया कि पूर्व में बनाई गई जांच कमेटी की रिपोर्ट में कुछ भी स्पष्ट नहीं था इसलिए दूसरी कमेटी बनाई गई।
इस पर प्रबंध कमेटी के तत्कालीन अध्यक्ष संजय किरौला व प्रबंधक पीसी शर्मा ने एक बार फिर से संचालक भरत नेगी, दयाकिशन बमेठा, उमेश पढालनी, सहायक क्षेत्र पर्यवेक्षक संजय भाकुनी, सहायक डाटा एंट्री अधिकारी पान सिह खत्री की एक जांच कमेटी गठित की। कमेटी को निष्पक्ष जांच करने के निर्देश दिए गए। जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया कि टैंकर संख्या यूपी 15एम 3067 से प्राप्त दूध की मात्रा काल्पनिक दर्शाए जाने और दूध को बिना वजन कराए तथा अनुमान के आधार पर प्राप्त किए जाने के कारण प्रहलाद सिंह, सहायक प्रबंधक (उत्पादन), उमेश सिंह राणा सहायक डेयरी पर्वेक्षक पर दोष सिद्ध होता है। इस जांच रिपोर्ट पर तत्कालीन सामान्य प्रबंधक पीसी शर्मा ने दोनों आरोपियों की चरित्र प्रवृष्टि प्रतिकूल करते हुए सिर्फ एक वेतन वृद्धि अस्थाई रूप से रोके जाने के आदेश दिए और भविष्य में उक्त की पुनरावृत्ति ना करने की चेतावनी देकर छोड़ दिया। इस मामले को लेकर जांच कमेटी की रिपोर्ट की सत्यता पर भी आशंका जताई गई है। उत्पादकों का कहना है कि संस्था कर्मचारियों व अधिकारियों के बजाय डेयरी विकास या सक्षम अधिकारियों की उच्च स्तरीय कमेटी बनाकर जांच की जानी चाहिए थी जो नहीं की गई। लोगों को आशंका थी कि घटतौली का यह घोटाला सक्षम लोगों की शह पर खेला गया। पिछली जांच कमेटी की तरह ही दूसरी जांच इस रिपोर्ट में सब कुछ स्पष्ट न करते हुए सिर्फ लीपापोती की गई। याद रहे कि नैनीताल दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ की शुरुआत 1948 में हुई थी। सात दुग्ध समितियों से 611 लीटर प्रतिदिन दुग्ध उपार्जन और 376 लीटर प्रतिदिन दूध बिक्री से प्रारंभ की गई इस संस्था की वर्तमान में हैंडलिंग क्षमता एक लाख लीटर प्रतिदिन के सापेक्ष 98 हजार लीटर है। दुग्ध संघ द्वारा जनपद की दुग्ध समितियों को आनंद पद्धति की तर्ज पर विकसित कर ग्रामीण अंचलों में दुग्ध उत्पादन को सुलभ कराया जा रहा है।
बात अपनी-अपनी
ये मनगढंत बातें हैं। इस मामले में सुपर जांचें हुई हैं जिसमें दोषी अट्टिाकारियों को दंड भी मिल चुका है। लोगों को बचाने की सुपारी ले रखी है। आपने। आपकी मानसिकता खराब है। आप अखबार के माट्टयम से किसी संस्था को बदनाम करने का ठेका ले चुके हो। आप जिन लोगों से मैनेज होकर लिख रहे हैं वह हमें पता है। आपने हमारी संस्था को बदनाम करने के लिए आनंदा की सुपारी ले रखी है। जहां मिलावट होती है वहां आप जाते नहीं हैं, वहां 200 रुपया ािकलो खोया कैसे बिक रहा है, क्योंकि आप उन लोगों से मैनेज होते हो और हम आपको मैनेज कर नहीं पा रहे हैं। आनंदा और बाहर के जितने भी प्राइवेट ब्रांड हैं उनसे आप मैनेज हो रहे हो।
मुकेश बोरा, निवर्तमान अध्यक्ष, दुग्ध संघ नैनीताल
यह मामला मेरे से पहले का है। मैं तो 2023 में ही यहा आया हूं। इसलिए मैं इस पर कुछ नहीं कह पाउंगा। कुमाऊं कमिश्नर की जांच मामले में नैनीताल दुग्ध संघ के जीएम निर्मल नारायण सिंह का जवाब अभी नहीं आया है। हमने एक माह का समय दिया था लेकिन अब सवा महीना बीत चुका है।
संजय खेतवाल, डायरेक्टर डेयरी फेडरेशन