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Uttarakhand

गंगा में खनन के खिलाफ स्वामी शिवानंद फिर अनशन पर

हरिद्वार। गंगा में होने वाले अवैध् खनन सहित कुंभ क्षेत्र को खनन मुक्त किए जाने की वर्षों पुरानी मांग को लेकर मातृ सदन के संस्थापक स्वामी शिवानंद महाराज ने सोमवार से एक बार फिर तपस्या प्रारम्भ कर दी है। उन्होेंने प्रधनमंत्री नरेन्द्र मोदी को कड़ा पत्र लिखकर सूबे के मुखिया और केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत पर गम्भीर आरोप लगाते हुए कहा कि 13 जुलाई 2020 को राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन राजीव रंजन मिश्रा को हरिद्वार वार्ता उपरान्त लिखित एवं मौखित आश्वासनों में एक का क्रियान्वयन कर इसकी सूचना आपको प्रेषित करने के बावजूद प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत का आपके अधीनस्थ केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत के साथ मिलकर भारी भ्रष्टाचार कर कोविड-19 की पूर्ण लाॅकडाउन की अवधि में उल्लंघन किए जाने से अवगत कराकर आपसे न्याय की उपेक्षा की थी| क्योंकि समस्त आश्वासन आपके संज्ञान में दिए गए थे परंतु बड़े ही खेद का विषय है कि मुझे आपके द्वार से भी निराशा हाथ लगी।
मैं संत हूं और अपने पूर्वज राजर्षि भगीरथ के द्वारा मां गंगा को दिए गए वचनों का पालन करने को संकल्पबद्ध हूं। इस समय वैयक्तिक न्याय, सामाजिक न्याय और राजकीय न्याय तीनों का क्षरण हो गया है। ऐसी परिस्थितियों में मैं शास्त्रोंक्त वर्णित माध्यम तपस्या का सहारा लेकर मानव सहित चराचर जीवों के हित में ईश्वर से न्याय पाने की अपेक्षा में कई संकल्पों को लेकर 3 अगस्त से तपस्या प्रारंभ कर रहा हूं।

संकल्प पत्र में स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद के समय से चली आ रही मांग गंगाजी एवं गंगा की सहायक नदियों पर उत्तराखंड में प्रस्तावित निर्माणधीन समस्त जल विद्युत परियोजनाओं को निरस्त करना साथ ही हरिद्वार में गंगा एवं सहायक नदियों में खनन पर पूर्ण प्रतिबंध् लगाना और गंगा से 5 किलोमीटर की दूरी के अंदर संचालित समस्त स्टोन क्रेशरों को तत्काल हटाना व बंद करना तथा इस आशय की अध्सिूचना के द्वारा जारी करना। साथ ही एनएमसीजी का आदेश 9 अक्टूबर 2018 और इस आदेश को अंतिम रूप देकर प्रधनमंत्राी को 1 अक्टूबर 2019 को सूचित करने के बाद जिन व्यक्तियों के द्वारा इसके विपरीत कार्य किया गया उनके क्रियाकलापों पर एक उच्च स्तरीय जांच बैठे और गंगाजी के लिए स्वामी सानंद के द्वारा प्रस्तावित एक्ट लागू किया जाए और गंगा भक्त परिषद नामक एक स्वायत्त संस्था बने जिसमें गंगाजी के प्रति समर्पित व्यक्ति ही रहे। इसलिए भी आवश्यक हो गया है | क्योंकि उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत और गजेंद्र सिंह शेखावत ने गुप्त तरीके से क्रियान्वित मांग को निरस्त कर दिया है और स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद को पूर्ण चेतन, स्वास्थ्य एवं संघर्षशील अवस्था में मातृ सदन से बलात अपहरण कर एम्स ऋषिकेश  ले जाकर की गई हत्या और उनकी मांगों को लेकर तपस्या पर बैठे ब्रह्मचारी आत्मबोध् आनंद को भी उन्हीं की भांति बलात अपहरण कर उसे एम्स ऋषिकेश  ले जाकर विष देकर का हत्या का प्रयास तथा उसके बाद तपस्या पर बैठी साध्वी पद्मावती को रात के 11 बजे कमरे का दरवाजा तोड़कर अपरहण करना रात में ही रेप करने की चेष्टा करना, कलंकित करने की चेष्टा करना और असपफल होने पर अंत में खतरनाक जहर देकर हत्या की चेष्टा करना। जिसका प्रभाव अभी तक बना हुआ है और तत्पश्चात तपस्या पर बैठे ब्रह्मचारी आत्मबोधनन्द को आश्रम से उठाकर दिल्ली एम्स में लावारिस अवस्था में छोड़ना सहित त्रिवेन्द्र सिंह रावत, शासन तथा प्रशासन के द्वारा कारित अनेकानेक गैरसंवैधानिक कृत्यों की उच्चस्तरीय जांच करना है।

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