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Uttarakhand

चुनौतीपूर्ण होगा गदरपुर का गदर

उत्तराखण्ड का चुनावी इतिहास रहा है कि अक्सर शिक्षा मंत्री चुनाव हार जाते हैं। इसके बावजूद शिक्षा मंत्री अपने विट्टाानसभा क्षेत्र की शिक्षा पर ट्टयान न दें तो यह स्थिति उनके लिए खतरनाक साबित हो सकती है। शिक्षा ही क्यों स्वास्थ्य, बिजली, पानी, सड़क जैसी तमाम बुनियादी सुविधाओं के लिए गदरपुर क्षेत्र की जनता तरस रही है। अपने विधायक एवं शिक्षा मंत्री अरविंद पाण्डेय से सख्त नाराज लोग उन्हें सिर्फ घोषणाओं में अव्वल बता रहे हैं। जब विट्टाायक अपने ड्रीम प्रोजेक्ट पर ही काम नहीं कर पाए तो उनसे और उम्मीदें भला कैसे की जा सकती हैं। जनता की नाराजगी के चलते शिक्षा मंत्री पाण्डेय के लिए 2022 का चुनावी संग्राम काफी चुनौतीपूर्ण साबित होने वाला है

पिछली बार जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी तो गदरपुर के विधायक और मौजूदा कैबिनेट मंत्री अरविंद पाण्डेय क्षेत्रीय विकास के सवाल पर बहाना बना लेते थे कि विपक्षी दल भाजपा का विधायक होने के कारण राज्य की कांग्रेस सरकार उनकी उपेक्षा कर रही है, लेकिन अब तो उनकी अपनी पार्टी की सरकार है। इस सरकार में वह कैबिनेट मंत्री भी हैं। ऐसे में उनके पास अब विकास को लेकर सरकार को कोसने का कोई बहाना भी नहीं है। वह क्षेत्र में जा रहे हैं, तो लोग उनसे पिछले पांच साल का हिसाब मांग रहे हैं। लेकिन हिसाब-किताब के मामले में वह फिसड्डी हैं। घोषणाओं के मामले में वह जरूर पूरे प्रदेश में अव्वल हैं। गदरपुर के बाईपास को ही ले लीजिए जो पिछले 7 साल से नहीं बना तो लोग इसके निर्माण को लेकर हाईकोर्ट तक की शरण में गए। शिक्षा मंत्री होते हुए भी अरविंद पाण्डेय गदरपुर में डिग्री कॉलेज नहीं खुलवा सके। और तो और स्कूलों का उच्चीकरण तक नहीं करवा पाए। रोडवेज अड्डा हो या फायर बिग्रेड, गदरपुर विकास में हर तरह से अछूता ही रहा है।

विधानसभा क्षेत्र में जिधर भी जाओ उधर विकास को लेकर सवाल ही सवाल हैं। कृषि बिलों पर नाराज किसानों को पाण्डेय उस समय और भी ज्यादा नाराज कर गए जब उन्होंने भाजपा
नेताओं की ही केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के सामने किसान के रूप में भेंट कराईं।

गदरपुर क्षेत्र के केलाखेड़ा की जनसंख्या साढ़े तीन हजार है। यहां सीसी रोड तो बनी है, लेकिन सफाई की व्यवस्था चरमराई हुई है। आलम यह है कि यहां का कूड़ा तालाब में डाला जाता है। जिससे तालाब का पानी सड़ गया है। यहां से निकलने वालों का दुर्गंध से बुरा हाल हो जाता है। बरसात का मौसम है और पानी निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है। बलवीर सिंह प्रधान कहते हैं कि यहां के इंटर कॉलेज में पानी भर जाता है। इस कारण बच्चे स्कूल जाने से कतराते हैं। कहना अतिश्योक्ति न होगा कि बरसात का पूरा मौसम बच्चों के अघोषित अवकाश के रूप में मनता है।
रामनगर से राज खेम को जाने वाली सड़क का बुरा हाल है। यहां से गुजरने वाले लोग स्थानीय विधायक अरविंद पाण्डेय को इसका जिम्मेदार बताते हैं। अमरीक सिंह कहते हैं कि पाण्डेय को पंजाबियों ने विधायक बनाया है, लेकिन उन्होंने उनकी ही नहीं सुनी तो ऐसे में कौन उनके पीछे जाएगा। रामनगर में लोग पेयजल समस्या से जूझ रहे हैं। यहां पानी की टंकी नहीं है। प्रीतम सिंह बताते हैं कि रामनगर में सफाइकर्मी नहीं आते हैं। गांव में सबसे बड़ी समस्या इंटर कॉलेज का न होना है। यहां के माध्यमिक विद्यालय में 800 बच्चे पढ़ते हैं। कई गांवों के बच्चे यहां पढ़ने आते हैं। स्कूल के लिए चार एकड़ जमीन गांव वालों ने दान में दी है। इसके बावजूद यहां इंटर कॉलेज नहीं बनाया जा रहा है। गौरव काम्बोज कहते हैं कि विधायक अरविंद पाण्डेय से गांव के लोगों ने कई बार कहा है कि वह माध्यमिक विद्यालय को इंटर कॉलेज बनवा दें जिससे कि बच्चों को गांव से 12 किलोमीटर दूर विचपुरी पढ़ने के लिए न जाना पड़े, लेकिन शिक्षा मंत्री होने के बावजूद पाण्डेय गांव में इंटर कॉलेज नहीं बनवा सके हैं।

आंगनबाड़ी केंद्र के आगे जमा पानी

रामनगर से लंकुश रोड नहीं बन पाई है। यहां एक आयुष्मान भारत हेल्थ एवं वेलनेस संेटर बनाया गया है जिसे राजकीय एलोपैथिक चिकित्सालय का नाम दिया गया है। चिकित्सालय में सिर्फ एक वार्ड ब्वॉय, एक फार्मसिस्ट तथा एएनएम को तैनात किया गया है, लेकिन ‘दि संडे पोस्ट’ ने अपने भ्रमण के दौरान पाया कि ड्यूटी के समय सिर्फ एक एएनएम ममता ही वहां मौजूद थी, जबकि वार्ड व्वॉय मनोज कुमार और फार्मासिस्ट दलजीत सिंह नदारद थे। बाबा गुरदीप सिंह आक्रोश व्यक्त करते हैं कि विधायक अरविंद पाण्डेय ने पहले बाजपुर में कुछ नहीं किया और अब गदरपुर में भी कुछ नहीं कर रहे हैं। मुजफ्फर कहते हैं कि उन्हें सरकारी मकान नहीं मिले। 17 मकान पास भी हो गए थे, लेकिन रजिस्ट्री की शर्त अनिवार्य कर दी गई। हम गरीब लोगों के पास खाने को दाने हैं नहीं, तो रजिस्ट्री के लिए पैसे कहां से आते। इसके चलते गरीबों के लिए बनने वाले 17 मकान वापस हो गए।

गुलरभोज डैम स्थित सचल शौचालय की जर्जर हालत

गुमसानी गांव में विकास के नाम पर सिर्फ 4 हैंडपंप लगाए गए हैं। इस गांव की तब्बसुम जिले की सबसे कम उम्र की क्षेत्र पंचायत सदस्य हैं। वह कहती हैं कि यहां पंचायती घर नहीं है। कब्रिस्तान की बाउंड्री नहीं हुई। वहां खेड़ा नदी का पानी भर जाता है। जब से अरविंद पाण्डेय क्षेत्र के विधायक बने हैं तब से वह इस गांव में नहीं आए हैं। गांव के लोगों के लिए काका नामधारी ही एकमात्र मुख्य व्यक्ति हैं। जैसा काका कहते हैं वैेसा ही यहां होता है। गुमसानी से बाजपुर रोड खस्ताहाल में है। यही नहीं, बल्कि मुडिया मनी गांव की आधी रोड भी टूटी हुई है। मुडिया मनी निवासी मंजीत सिंह बताते हैं कि गांव के पानी की निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है। इसके कारण सड़कों पर पानी भरा रहता है। बेरिया-गुलरभोज डैम रोड टूटी हुई है। यहां सड़क किनारे नाला है। नाले के किनारे मिट्टी के भरे कट्टे लगाकर कटान रोका गया है। बजरी रोड (डैम के किनारे) टूटी हुई है। इससे निकलकर ही लोग डैम पर पहुंचते हैं। गुलरभोज मंडी सुनसान पड़ी है। मंडी की छत खस्ताहाल है जो कभी भी टूटकर हादसे का कारण बन सकती है। इस टूटी हुई टिन शेड के नीचे कुछ लोग ताश खेलते हुए मिले। इनमें एक फारुख ने बताया कि इस मंडी में उन्होंने कभी आढ़ती आते नहीं देखे और न ही यहां सब्जी बिकती है। कोंपा की आंगनबाड़ी पर ताला जड़ा है। आंगनबाड़ी के सामने पानी भरा पड़ा है। यहां पशुओं को रोकने के लिए लकड़ी की बल्लियों से बनाई बैरिकेटिंग लगाई गई है। कोंपा गांव की रोड भी बुरी तरह टूटी हुई है। यहां के निवासी लालधर सिंह बताते हैं कि डैम किनारे होने के बावजूद हम लोग पानी की एक-एक बूंद को तरस रहे हैं। विधायक से पानी की टंकी लगाने को कई बार कहा, लेकिन उन्होंने कोई सुनवाई नहीं की। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत यहां के लोगों ने नए घर बनाने की उम्मीद में अपने छप्परों वाले घर भी तोड़ दिए, लेकिन उनको आज तक छत मुहैया नहीं हो सकी है। कोंपा गांव में सिर्फ 5 लोगों को ही पीएम आवास योजना के तहत घर मिले हैं।

डैेम का पार इलाका आज भी विकास से कोसों दूर है। सेमलचौड़, नया प्लाट, बुकसड़, मुन्सयारी, शांतिपुरी, पीपल पड़ाव, कठपुलिया आदि गांवों के लिए विधायक पाण्डेय ने डैम पार करने के लिए एक झूला पुल का निर्माण करने की घोषणा की थी, लेकिन आज भी यहां के हजारों बाशिंदों को नावों के सहारे आर-पार जाने को मजबूर होना पड़ता है। पिछली बार यहां डैम पार करते हुए एक नाव पलट गई थी जिसमें एक महिला की मौत हो गई थी। पंकज ध्यानी कहते हैं कि विधायक पाण्डेय को झूला पुल के साथ ही बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य की व्यवस्था भी करानी थी, लेकिन उन्होंने बिजली लाने के अलावा कुछ और नहीं किया। डैम पार इलाके के लोग आज भी जंगली जीवन जी रहे हैं। किसी टापू की तरह बाकी क्षेत्र से कटे पड़े हैं। स्कूल न होने पर बच्चे शिक्षा से महरूम हैं। समुचित चिकित्सा न मिलने के कारण बहुत से लोग अकाल मौत मर रहे हैं, लेकिन हमारे विधायक को इसकी चिंता ही नहीं है।

गदरपुर खेमपुर रोड, जिसे बनवाने को धरनारत हैं लोगों

गुलरभोज का बोर जलाशय स्थानीय विधायक अरविंद पाण्डेय का ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है। इस जलाशय पर पर्यटन का बड़ा हब बनाने का फैसला 16 मई 2018 को टिहरी में हुई कैबिनेट मीटिंग में लिया गया था। तब कैबिनेट मंत्री अरविंद पाण्डेय ने कहा था कि बोर जलाशय को टिहरी की तर्ज पर ही विकसित किया जाएगा। उन्होंने जलाशय सौन्दर्यकरण के साथ ही यहां, होटल, रेस्तरां बनाने और मोटर वोट चलवाने की घोषणा की थी। पाण्डेय ने यहां विद्युत, पेयजल, शौचालय, सीसीटीवी कैमरे, पार्किंग की व्यवस्था तथा एसडीआरएफ की टीम और जल पुलिस तैनात करने की बात भी कही थी। यहां मेडिकल सेंटर बनवाया जाना था। बोर जलाशय में कार्बेट पार्क के पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए जिप्सी चलवाने की योजना बनाई गई। जलाशय को टूरिस्ट केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए कार्बेंट पार्क के नया गांव से गुलरभोज तक 35 किलोमीटर लंबा मार्ग बनाकर पर्यटकों के लिए सफर आसान करने की योजना थी। कहा गया कि 35 किलोमीटर का यह सफर सिर्फ 40 मिनट में तय होगा। बोर जलाशय को टूरिस्ट हब बनाने की योजना के तहत हेली सुविधा और रुद्रपुर से यहां तक रोडवेज बस चलाने की सुविधा का भी दावा किया गया था। लेकिन जमीन पर पाण्डेय के यह सब दावे धराशायी हैं।

 

चारागाह बना राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय

बोर जलाशय पर महज एक बोरिंग को छोड़ दें तो स्थानीय विधायक अपना कोई भी वादा पूरा नहीं कर पाए। शौचालय के नाम पर यहां एक सचल शौचालय जर्जर अवस्था में है। यह शौचालय भी नगर पालिका दिनेशपुर की तरफ से खड़ा किया गया है। हेली सेवा और रोडवेज सेवा तो दूर यहां तक पहुंचने का कोई सुगम रास्ता तक नहीं। सड़कें टूटी पड़ी हैं। होटल रेस्तरां दूर-दूर तक नहीं दिखाई देते। एसडीआरएफ और जल पुलिस भी कही नहीं दिखाई दी। गुलरभोज निवासी राजेंद्र का कहना है कि अरविंद पाण्डेय ने पर्यटक हब के नाम पर सिर्फ हवा हवाई घोषणा की है। विधायक ने यहां पर रोजगार दिलाने का भी वादा किया था, लेकिन वह एक को भी रोजगार नहीं दे पाए। 14 करोड़ की लागत से 2016 में बोर जलाशय के नीचे एक सिंचाईं विभाग का गेस्ट हाउस बना था। जहां रेस्टोरेंट भी बना था। अरविंद पाण्डेय ने जब यहां पर्यटन क्षेत्र बनाया तो क्षेत्र के लोगों को उम्मीद थी कि यह चल सकेगा। लेकिन आज भी यह गेस्ट हाउस भूत बंगला की तरह सुनसान पड़ा रहता है। पहले इसे पीपीपी मोड़ पर भी चलाने की कोशिश की गई थी, लेकिन उसमें भी सफलता नहीं मिली।

कुल्हा गांव में 4 करोड़ की लागत से एक इंडोर स्टेडियम का निर्माण हुआ है। जिसे विधायक अरविंद पाण्डेय अपनी महत्वपूर्ण उपलब्धि बताते हैं। लेकिन आज तक इस स्टेडियम में एक बार भी खेल प्रतियोगिता का आयोजन नहीं हो सका है। कोंपा के प्रधान मनोज देवराड़ी की मानें तो यह स्टेडियम सिर्फ पैसे की बर्बादी है। जिस मकसद के लिए यह स्टेडियम बनाया गया था वह तो पूरा हुआ नहीं है, लेकिन यहां भाजपा की मीटिंग अवश्य होती रहती है। जिसमें एक बार प्रधानमंत्री की वर्चुअल मीटिंग के लिए इसे भाजपा नेताओं ने इस्तेमाल किया। कई विभागों की बैठकें भी यहां होती रहती हैं। प्रधान देवाराडी यह भी कहते हैं कि इस क्षेत्र में बच्चे क्रिकेट खेलते हैं यहां बैडमिंटन तो कोई खेलता भी नहीं है। ऐसे में बैडमिंटन का यह स्टेडियम सफेद हाथी बन गया है।

इलाज के बजाय गाड़ी पार्किंग बना चिकित्सालय

बहुउद्देश्यीय क्रीड़ा हॉल कूल्हा का हॉल यह है कि उसके मुख्य द्वार पर ताला जड़ा है। वहां कोई खेल गतिविधियां नहीं चल रही हैं। वहां एक महिला गंगा देवी की ड्यूटी लगी थी। उसने बताया कि वह यहां साफ-सफाई करती है। दिनेशपुर मिनी स्टेडियम में अवश्य खेल गतिविधियां जारी हैं, जबकि कालीनगर में विधायक ने 4 माह पूर्व जिस मिनिस्टेडियम का शिलान्यास किया उसका निर्माण मानकों के अनुकूल नहीं हो सकता है क्योंकि जिस जमीन पर पाण्डेय ने शिलान्यास कराया है वह जमीन ही मानकों पर फिट नहीं बैठती है। कालीनगर के लोग मिनिस्टेडियम के शिलान्यास को चुनावी शिगूफा करार दे रहे हैं। दिल्ली सरकार की तर्ज पर अच्छी शिक्षा देने के लिए पाण्डेय ने दिनेशपुर में एक अटल उत्कृष्ट विद्यालय का निर्माण कराया है। 12वीं कक्षा तक बना यह विद्यालय अति आधुनिक सुविधाओं से लेस है। तीन मंजिला स्कूल की भव्य बिल्डिंग और उसमें लिफ्ट की स्थापना कराना आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

सफेद हाथी साबित हो रहा कूल्हा का इंडोर स्टेडियम

दिनेशपुर नगर पंचायत के कूड़ा निस्तारण के लिए वार्ड नं ़ 7 में डंपिंग स्थल बनाया गया है। जहां आस-पास के लोगों ने इसका विरोध कर दिया है। जिसके चलते नगर का कूड़ा गदरपुर रोड के किनारे खुले में डाला जा रहा है। रोशनपुर, खेमपुर, गोपाल नगर, बलराम नगर आदि गांवों के लिए जाने वाली सड़कों का खस्ताहाल हैं। जिला पंचायत सदस्य सुमन सिंह इसके खिलाफ कई बार आंदोलन भी कर चुकी हैं। शिक्षा मंत्री के क्षेत्र में समस्याओं को लेकर जनता में जिस तरह भारी आक्रोश है और सड़क एवं बुनियादी सुविधाओं को लेकर लोगों को जिस प्रकार धरना-प्रदर्शन करना पड़ता है उससे साफ हे कि आगामी चुनाव में अरविंद पाण्डेय की राह आसान नहीं है। चुनावी घमासान में शिक्षा मंत्री को अपनी पार्टी के असंतुष्ट कार्यकर्ताओं का अपेक्षित सहयोग मिलने की संभावना कम ही रहेगी, दूसरी तरफ विपक्षी कांग्रेस के उम्मीदवार उनकी कमियों को मुखरता से उठाएंगे। विकास का सवाल विधायक को भारी पड़ने वाला है।

 

‘बीस साल से हवा ई राजनीति कर रहे हैं पाण्डेय’

सुरेशी शर्मा, वरिष्ठ कांग्रेस नेता

पहले दस साल तक अरविंद पाण्डेय ने बाजपुर में विधायक बनकर लोगों को विकास के नाम पर वादे किए। वह वादे उनके पूरे ही नहीं हुए। सड़कों की हालत यह थी कि लोग सड़कों के हाल देखकर ही विधानसभा की सीमाएं बता देते थे। जहां रोड टूटी होती थी, उन्हें देखकर ही लोग कह देते थे कि अब अरविंद पाण्डेय का इलाका शुरू हो गया है। वर्तमान में भी गदरपुर विधानसभा क्षेत्र की ज्यादातर सड़कें टूटी हुई हैं। केशोवाला से बाजपुर गांव तक जाने वाली साढ़े तीन किलोमीटर तक सड़क का ही हाल देखिए। यहां से निकलना किसी युद्ध जीतने के बराबर है। यह सड़क पिछले 25 साल से नहीं बनी है। विकास से अभी गदरपुर विधानसभा क्षेत्र अछूता है। वह सिर्फ हवाई राजनीति करते हैं। बाजपुर के 20 गांवों का मुद्दा उनके समय में भी था और आज भी है। इन 20 गांवों को भूमिधरी अधिकार मिल जाने के बावजूद भी किस तरह जमीनों के मालिकों को हक से वंचित किया जा रहा है वह सोचनीय है। फिलहाल बाजपुर के 20 गांवों के जमीनी अधिकार मामले में प्रदेश के दो-दो मंत्री राजनीतिक रूप से असक्षम साबित हो रहे हैं। तराई क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या किसानों की है। यह इलाका किसान बाहुल्य है, लेकिन प्रदेश की सरकार किसानों की समस्याओं का निराकरण नहीं कर

पा रही है। कृषि बिल कानून पर यहां के किसान आंदोलनरत हैं। ऐसे में कैबिनेट मंत्री अरविंद पाण्डेय को किसानों का साथ देना चाहिए था। लेकिन वह केंद्र सरकार के इशारे पर किसानों के साथ राजनीति पर उतर आते हैं। क्षेत्र में किसानों को जब वह समर्थन देने में सक्षम नहीं थे तो केंद्र सकार के सामने किसानों के नाम पर

भाजपा कार्यकर्ताओं को ले जमा करना कहां का न्याय है? ऐसा करके अरविंद पाण्डेय ने किसानों के जख्मों पर मरहम लगाने की बजाय नमक छिड़कने का काम किया है। अरविंद पाण्डेय आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति में जरूर सिद्धहस्त हैं।

 

‘लॉलीपाप देने में माहिर हैं अरविं द पाण्डेय’
राजेंद्र पाल सिंह

गदरपुर विभानसभा क्षेत्र में आप कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े हैं। आपके सामने भाजपा के अरविंद पाण्डेय जीते और मंत्री बने आप इनके विकास कार्यों की बाबत क्या कहेंगे?
विकास कार्य कहीं हुए हों तो तभी तो कुछ कहेंगे। पिछले 10 साल में ऐसा कोई कार्य नहीं हुआ जिसकी बात की जाए। हां, जो काम नहीं हुए उनके बारे में मैं ही नहीं क्षेत्र की पूरी जनता कह रही है। सर्वे करा लीजिए, यहां की 80 प्रतिशत जनता पाण्डेय के खिलाफ बोलेगी। पाण्डेय ने सिर्फ लोगों को भाई जी, भाई जी कहकर मूर्ख बनाया है। उन्होंने काम के नाम पर लॉलीपाप दिया है।

विभानसभा क्षेत्र में क्या-क्या कार्य होने थे जो नहीं हुए?
पिछले 7-8 साल से बाईपास नहीं बना है। हर महीने लोग धरना-प्रदर्शन करते रहते हैं। कभी किसी समस्या को लेकर तो कभी किसी को लेकर। चीनी मिल आज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही है। हजारों लोग बेरोजगार हो गए हैं। शिक्षा मंत्री जी के क्षेत्र में लोग एक डिग्री कॉलेज को तरस रहे हैं। मंडी की जमीन का स्थानांतरण तो हुआ, लेकिन आज मंडी कहां है सब जानते हैं। क्षेत्र की सड़कों की दुर्दशा देखिए। लोग आवागमन करते हुए विधायक को कोसते हैं। ऐसे स्टेडियम बना दिए गए जिनका कोई खेल में उपयोग नहीं हो रहा है।

लेकिन पाण्डेय के शिक्षा मंत्री रहते कई स्कूलों को आधुनिक तरह से बनाया गया है?
स्कूलों को तोड़कर नए सिरे से बनाकर करोड़ों का बजट खपाने के अलावा कुछ नहीं हुआ है। मिड डे मिल के मालिकों को फायदा पहुंचाने के लिए कई स्कूल खत्म कर दूसरे स्कूलों में विलय कर दिए गए हैं। सरकार पहले स्कूल खोलती थी, लेकिन अब बंद कर रही है। पढ़ाई का स्तर निम्न है।

बोर जलाशय पर्यटक केंद्र विधायक ने बनवाया है?
डैम को लेकर हवा हवाई घोषणाएं हुई। बस वहां नाव चलवा दी गई है जबकि कहा गया कि वहां के लिए टॉप क्लास की रोड बनेगी, हेलीपेड बनेंगे, रोडवेज बसें आएंगी, टूरिस्ट बढ़ेंगे, लेकिन वहां का सूनापन सब कुछ कहता है।

डैम पार इलाके में लोगों को सुविधाएं मिली हैं या नहीं?
डैम पार के लोग आज भी जंगलों में पाषण काल की तरह जी रहे हैं। वहां एक बिजली के अलावा कुछ नहीं मिला।
झूलापुल हवा में ही झूल रहा है। शिक्षा, स्वास्थ्य और सड़कें कुछ भी तो नहीं बनी। इस बार जनता विधायक को सबक सिखा देगी।

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