चमोली जिले के नौनिहालों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण केंद्र गौचर (डायट) द्वारा एक किताब तैयार की गई है जिसका नाम है ‘फ्योंली’। गौचर डायट प्राचार्य आकाश सारश्वत के नेतृत्व में शिक्षकों की एक टीम ने यह पुस्तक तैयार की है। इस किताब को जिले के सभी 880 विद्यालयों में वितरित किया जाएगा। राजकीय विद्यालयों में पढ़ने वाले मेधावी विद्यार्थियों के लिए प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए पाठ्य पुस्तक का निर्माण किया गया है, जिसे जुलाई द्वितीय सप्ताह में जनपद के सभी प्राथमिक विद्यालयों में वितरित कर दिया जाएगा। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान गौचर के प्राचार्य आकाश सारस्वत के अनुसार कक्षा पांचवी के बाद जनपद के विद्यार्थियों द्वारा सैनिक स्कूल घोड़ाखाल, राजीव नवोदय विद्यालय, जवाहर नवोदय विद्यालय, हिम ज्योति विद्यालय, सुरेंद्र राकेश आदर्श आवासीय विद्यालय, एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय के साथ ही मुख्यमंत्री मेधावी छात्रवृत्ति योजना की परीक्षा के लिए इसे विशेष तौर पर तैयार किया गया है। देखा जाता है कि ग्रामीण परिवेश से आने वाले और आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को पाठ्य सामग्री का अभाव रहता है जिस कारण वे प्रतिभा के बावजूद इन परीक्षाओं में सफलता अर्जित नहीं कर पाते हैं। डायट चमोली ने ऐसे बच्चों को दृष्टिगत रखते हुए छात्रवृत्ति परीक्षाओं के लिए पाठ्य पुस्तक का प्रकाशन किया है।
पुस्तक के समन्वयक सुबोध डिमरी कहते हैं कि पुस्तक में विगत वर्षों में राजीव नवोदय विद्यालय और जवाहर नवोदय विद्यालय की परीक्षाओं में आए प्रश्न पत्रों को विशेषज्ञों द्वारा हल कराया गया है। ए-4 साइज में बनी इस पुस्तक में 240 पृष्ठ हैं। पुस्तक निर्माण में जनपद के विद्यालयों के राजकीय प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों के अध्यापकों देवेंद्र सिंह मिंगवाल, विजय वल्लभ चमोली, पंकज सती, अमित मैंदौली, मनोज कुमार, जसवंत सिंह नेगी, नंदकिशोर मिश्रा, दिलबर रावत, दिनेश बधानी, सीमा शर्मा, रेखा बिष्ट, पवन जोशी ने सहयोग प्रदान किया। डायट की स्थापना राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत वर्ष 1986 में देशभर के सभी जनपदों में शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) की स्थापना की गई। चमोली में भी डायट गौचर की स्थापना हुई। इसका मुख्य उद्देश्य शिक्षकों और शैक्षिक प्रशासकों को प्रशिक्षण संसाधनों और सहायता प्रदान करके प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना है। इससे पहले यह संस्थान एक संसाधन केंद्र के रूप में जाना जाता था। 2013 में इसे डायट के रूप में उच्चीकृत किया गया। फिलहाल डायट गौचर नए-नए तकनीकों एवं उत्तराखण्ड के विशेष परामर्श शिक्षा प्रशिक्षकों के सहयोग और डायट प्राचार्य आकाश सारस्वत के निर्देशन में नया मुकाम हासिल कर चुका है।
के एस असवाल