हरिद्वार में कांग्रेस मेयर अनिता शर्मा की सक्रियता कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक के समर्थकों को रास नहीं आ रही है। यही वजह है कि वे मेयर पर सियासी हमले करने की हर संभव कोशिश में रहते हैं। मेयर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की रणनीति भी बनाई जा रही है
पिछले लंबे समय से हरिद्वार शहर वर्तमान कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक का अभेद किला साबित हो रहा है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेसी या अन्य पार्टियों के उम्मीदवार वोटों की गिनती में उनके आस-पास भी नजर नहीं आते। यही क्रम पिछले चार विधानसभा चुनावों से लगातार जारी है। कहा जाता है कि मदन कौशिक हरिद्वार शहर के बेताज बादशाह हैं। अपने विधानसभा चुनाव के नतीजों जैसी उम्मीद इन्हें नगर निगम चुनाव में भी थी। इसलिए हरिद्वार नगर निगम चुनाव में अपनी पार्टी के बड़े नेताओं के विरोध के बावजूद अपनी सहयोगी अनु कक्कड़ को नगर निगम के मेयर पद के लिए भाजपा का टिकट दिलवाकर मैदान में उतारा। अफसोस अंदरूनी विरोध का असर वोट गिनती में उस वक्त नजर आया जब कांग्रेसी उम्मीदवार अनिता शर्मा ने अनु कक्कड़ को बुरी तरह पछाड़ दिया। एक समय के लिए तो सब हतप्रभ रह गए, क्योंकि कहा जा रहा था कि कागजों में भले ही अनु कक्कड़ का नाम हो पर सही मायने मे चुनाव खुद प्रदेश के कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक लड़ रहे थे। इस विषय पर ‘दि संडे पोस्ट’ ने उस वक्त अपनी विशेष रिपोर्ट ‘यूं ढहा कौशिक का किला’ में पूरा उल्लेख किया था।
अनु कक्कड़ की हार और अनिता शर्मा की जीत से शुरू हुई लड़ाई। अब इस कदर बढ़ चुकी है कि सड़कों तक उतर आई है। आए दिन नगर निगम में ऐसी-ऐसी ड्रामेबाजी हो रही है जिसका उदाहरण कभी पहले देखने को नहीं मिला। आचार संहिता के दौरान सरकारी गाड़ी वापस लेने पर मेयर अनिता शर्मा का अपने कांग्रेसी नेता पति अशोक शर्मा के साथ ई-रिक्शे में बोर्ड लगाकर हर की पैड़ी का चक्कर काटना हो या ट्रैक्टर ट्रॉली पर निजी वाहन का बोर्ड लगवाकर सड़कों से कूड़ा उठाना या फिर गटर में खुद घुसकर नाले की सफाई करना मेयर साहिबा अपने पति के साथ हर बार अलग अंदाज में नजर आती हैं। पिछले दिनों मीडिया मे भी ये खींचतान उस समय उभर कर सामने आई जब एक तरफ भाजपा पार्षद दल और दूसरी ओर मेयर अनिता शर्मा तथा उनके पति अशोक शर्मा ने अलग-अलग प्रेस वार्ताएं आयोजित कर एक-दूसरे पर आरोपों की बौछार कर दी।
मामला जिलाधिकारी दीपक रावत और उसके बाद राजभवन तक जा पहुंचा 20 जून को जब मेयर अनिता शर्मा और उनके पति अशोक शर्मा अपने चुनिंदा सहयोगियों के साथ शिकायत लेकर राज्यपाल बेबीरानी मौर्या से मिलने राजभवन पहुंचे। पत्र में मेयर अनिता शर्मा ने कहा कि सरकार ने नगर निगम का गठन तो कर दिया पर नगर निगम में पर्याप्त अधिकारियों की तैनाती नहीं है। जिस कारण नगर निगम को विकास कार्यों के लिए जो धनराशि मिलनी चाहिए वह अन्य विभागों को आवंटित की जा रही हैं। धन की कमी के कारण नगर निगम के छोटे-छोटे काम भी नहीं हो रहे हैं। हरिद्वार नगर निगम में अधिकारियों के 22 पद रिक्त है। अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए मेयर साहिबा ने बताया कि नगर निगम में शासन द्वारा अधिशासी अभियंता और अवर अभियंताओं की नियुक्ति होती है। उसके बावजूद भी प्रदेश के मुख्यमंत्री ने 18 मई को शासनादेश संख्या 855 आदेश जारी कर शहरी विकास विभाग के सभी कार्य ग्रामीण अभियंत्रण सेवा विभाग को देने का फरमान जारी कर दिया है। इसी के चलते नगर निगम को अवस्थापना विकास मद के तहत मिलने वाली 5 करोड़ से भी ज्यादा की धनराशि जिलाधिकारी ने ग्रामीण अभियंत्रण सेवा विभाग को हस्तांरित कर दी। उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसे कार्य करके सरकार नगर निकायों का अस्तित्व ही खत्म कर देना चाहती है। नगर आयुक्त आलोक पाण्डे पर आरोप लगाते हुए मेयर अनिता शर्मा ने कहा कि वो नगर निगम में कई तरह की अनियमितताएं बरत रहे हैं। उन्होंने मांग की कि आलोक पाण्डे के विरुद्ध उच्चस्तरीय जांच हो।
कांग्रेसी मेयर और उनके पति अशोक शर्मा पर तंज कसने में भाजपाई भी पीछे नहीं है। भाजपा पार्षद दल के अघोषित नेता अनिरूद्ध भाटी ने आरोप लगाया कि मेयर साहिबा के पति अशोक शर्मा उन्हें राजनीतिक कठपुतली की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। अशोक शर्मा पूर्व पार्षद जरूर हैं, पर इन दिनों राजनीतिक रूप से बेरोजगार हैं। अपनी बेरोजगारी को दूर करने के लिए वह मेयर पद की गरिमा से खिलवाड़ कर रहे हैं। अनिरुद्ध भाटी ने चौंकाने वाला बयान देते हुए कहा कि निश्चित रूप से मेयर के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव शीघ्र ही लाया जाएगा जिसके लिए शायद 2 वर्ष न्यूनतम समय सीमा चाहिए होती है। समय सीमा पूरी होने के बाद अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है।
भाजपा पार्षद यदि यह बात कह रहे हैं कि वह मेरे खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएंगे तो यह उनकी अपनी बुद्धि है। मैंने तो उन्हें हमेशा कहा है कि मैं आप सब लोगों के साथ हूं और हम सबको साथ होकर शहर का विकास करना है। इसीलिए मैंने मंत्री जी से भी कई बार मिलने का प्रयास किया। उनसे मिलने के लिए मैं देहरादून गई, पर वे वहां भी नहीं मिले। यह सब कुछ जो हो रहा है वह निश्चित तौर पर मंत्री जी के इशारे पर ही हो रहा है।
अनिता शर्मा, मेयर हरिद्वार