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Uttarakhand

आस्था से अतिक्रमण तक

ऐसा नहीं है कि वन विभाग के जंगलों में अवैध रूप से धार्मिक स्थल बनाए जाने की जांच रिपोर्ट पहली बार सामने आई है, बल्कि 12 साल पहले भी कॉर्बेट पार्क के तत्कालीन वार्डन ने ऐसा ही खुलासा किया था। तब अवैध धार्मिक स्थलों के रूप में हुए अतिक्रमण को हटाने की हिम्मत नहीं दिखाई जा सकी। फिलहाल मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सरकारी जमीनों से अतिक्रमण हटाने का साहस दिखाया है। धामी का बुल्डोजर जंगलों में अतिक्रमण का सफाया करने के बाद शहरों की तरफ कूच कर गया है। इस दौरान नैनीताल के पूर्व जिलाधिकारी की जांच रिपोर्ट में चिन्हित धार्मिक स्थलों को लेकर ऊहापोह की स्थिति है। जिसे स्पष्ट करते हुए सीएम धामी कहते हैं कि अतिक्रमण कोई भी हो नहीं रहेगा

12 साल पहले

वर्ष 2011 में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में एक सर्वेक्षण किया गया था। जिसमें वन विभाग ने क्षेत्र में मजारों और मंदिरों की उपस्थिति की ओर इशारा किया था। कॉर्बेट पार्क के तत्कालीन वार्डन आरके तिवारी द्वारा इस बाबत रिपोर्ट दिए जाने के बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई।

12 साल बाद

मार्च 2023 में उत्तराखण्ड सरकार ने इस साल की शुरुआत में राज्य के वन क्षेत्रों के सर्वेक्षण का आदेश दिया था। राज्य ने कहा कि उनका उद्देश्य अतिक्रमण के स्तर को निर्धारित करना है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि आरक्षित वन क्षेत्रों में कई मजार, दरगाह और कब्रिस्तान बन गए हैं, जहां वन अधिकारियों के अलावा किसी को भी प्रवेश करने की अनुमति नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से अधिकतर अतिक्रमण तराई और भाबर क्षेत्रों के जंगलों में था। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि इन अतिक्रमण में आयोजित धार्मिक उत्सवों ने जंगल की शांति को भंग कर दिया है। साथ ही वन्यजीवों और प्रभावित वन प्रबंधन के लिए खतरा पैदा हो गया है। इसके बाद यह पता लगाने के लिए वन विभाग द्वारा जांच के आदेश दिए गए कि ये धार्मिक अतिक्रमण कब बने? क्या उन्हें जमीन पट्टे पर दी गई थी? कानून का उल्लंघन करके उन्हें कैसे यहां स्थापित होने दिया गया? पता चला कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व जिसे राज्य के सबसे संरक्षित वन क्षेत्रों में से एक माना जाता है, के साथ ही राजाजी टाइगर रिजर्व को भी ऐसे धार्मिक अतिक्रमणों से प्रभावित पाया गया।

आस्था के नाम पर हुआ अतिक्रमण
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को खुफिया सूत्रों से पता चला कि उत्तराखण्ड के कुछ क्षेत्रों में इन अतिक्रमणों से असामान्य हालात बने हुए हैं। इसके बाद सीएम धामी ने वन विभाग, पीडब्ल्यूडी, सिंचाई और राजस्व विभाग द्वारा धार्मिक स्थलों का एक सर्वे करवाया। जिसके चांकाने वाले परिणाम सामने आए। खासतौर पर वन भूमि पर कब्जा करके बनाई गई अवैध मजारों की संख्या सामने आई। इस पर उन्होंने तत्काल एक नोडल अधिकारी डॉ ़ पराग मधुकर धकाते की नियुक्ति की और इस पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया।

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा कि उत्तराखण्ड में मजार जिहाद, जमीन जिहाद पनपने नहीं दिया जाए और सरकारी भूमि को इस अतिक्रमण से मुक्त किया जाएगा। जिसके बाद वन विभाग की जमीन पर बनी इन अवैध मजारों को हटाने का काम शुरू हुआ। इन मजारों पर पहले नोटिस चस्पा किया गया। इन मजारों पर जब धामी सरकार का बुल्डोजर चला तो उनमें कोई मानव अवशेष अथवा किसी भी तरह के जीव अवशेष नहीं पाए गए। वन विभाग की कार्रवाई के चलते कॉर्बेट टाइगर रिजर्व अतिक्रमण से मुक्त किया जा चुका है। रामनगर में जब अतिक्रमण के नोटिस चस्पा किए गए तो कई संगठनों ने सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया। इसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रामनगर क्षेत्र में अतिक्रमण अभियान को रोकने की घोषणा के साथ ही वन भूमि पर दशकों से बसे हजारों परिवारों को बड़ी राहत दी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्पष्ट किया है कि वन भूमि पर बने गोठ, खत्ते, वन ग्राम व टोंग्या गांवों में अतिक्रमण नहीं हटेगा। इनके लिए सरकार अलग से पॉलिसी बनाएगी। अतिक्रमण हटाओ अभियान के नोडल अधिकारी डॉ ़ पराग मधुकर धकाते ने भी डीएफओ व पार्क निदेशकों को इस बाबत आदेश जारी किए। यहां तमाम अफवाहों को देखते हुए मुख्यमंत्री को इस संबंध में वीडियो जारी कर अफवाहों को नजरअंदाज करने की अपील करनी पड़ी है।

जंगलों से शहरों की ओर बुल्डोजर
उत्तराखण्ड में धामी सरकार का बुल्डोजर लगातार ध्वस्तीकरण में लगा हुआ है। प्रदेश में अब तक 455 हेक्टेयर भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कर करा लिया गया है। धार्मिक अतिक्रमण हटाने के तहत अब तक 416 मजारों को तोड़ दिया गया है। जबकि 42 मंदिरों को ध्वस्त किया गया है। इसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सीएम की सख्ती के बाद से प्रदेश भर में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई तेजी से चल रही है। किच्छा तहसील के किच्छा हल्द्वानी रोड किनारे किए गए अतिक्रमण पर प्रशासन ने बुल्डोजर चलाया। इस दौरान टीम को स्थानीय नेताओं के विरोध का सामना भी करना पड़ा। जिसके बाद पुलिस प्रशासन द्वारा विरोध कर रहे कांग्रेसी नेताओं को हिरासत में लिया गया। गौरतलब है कि पूर्व में प्रशासन द्वारा दो सौ लोगों को 26 मई तक घर और दुकान खाली करने का नोटिस दिया गया था। नोटिस के बाद कुछ लोगों द्वारा दुकान और मकान स्वयं ही खाली कर दिया गया, लेकिन कई लोगों ने मकान और दुकान खाली नहीं किए थे। खटीमा में भी नहर किनारे हुए अतिक्रमण को हटाने और शहर में यातायात व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए पुलिस ने अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया। इस अभियान के तहत पुलिस ने सड़कों के किनारे अवैध रूप से किए गए अस्थाई अतिक्रमण को हटाया। इसके अलावा हरिद्वार के ज्वालापुर कोतवाली क्षेत्र के आर्य नगर चौक पर स्थित चंदन वाली पीर बाजार को जिला प्रशासन द्वारा भारी पुलिस बल की मौजूदगी में ध्वस्त किया गया। उत्तरकाशी जनपद मुख्यालय में भगीरथी नदी के किनारे हो रहे अवैध अतिक्रमण को जिला प्रशासन द्वारा पुलिस बल की मौजूदगी में अतिक्रमण हटाया गया है। वहां नायब तहसीलदार भटवाड़ी उत्तरकाशी के अनुसार भागीरथी नदी के किनारे घोड़े खच्चरों के मालिकों ने अवैध अतिक्रमण किया हुआ था। इसी तरह देहरादून में भी करीब 74 अतिक्रमण हटाए गए।

कांग्रेस का मौन समर्थन!
जिस तरह से प्रदेश में राज्य सरकार सरकारी और वनभूमि पर अवैध धार्मिक निर्माणों को ध्वस्त कर रही है उसको लेकर सबसे ज्यादा चिंता कांग्रेस को हो रही है। कांग्रेस इसको लेकर साफ तौर पर बात नहीं कर रही है क्योंकि 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जिस तरह से शुक्रवार की नमाज की छुट्टी और मुस्लिम यूनिवर्सिटी को लेकर कांग्रेस को कठघरे में खड़ा किया था और इसका यह परिणाम हुआ कि कांग्रेस को महज 18 सीटों पर ही जीत हासिल हो पाई। इसके चलते कांग्रेस सरकार के अवैध धार्मिक निर्माणों को हटाने की कार्रवाई पर अपना विरोध ठोस तरीके से नहीं कर पा रही है। इसमें कांग्रेस को अपने जनाधार को खिसकने का भय भी बना हुआ है। जिसको लेकर कांग्रेस अन्य विपक्षी दलों को आगे रखकर सांप्रदायिकता और धु्रवीकरण के आरोप सरकार पर लगा रही है। जबकि राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कांग्रेस इस तरह के मुद्दों को स्वयं जनता के सामने ले जाने में सक्षम है लेकिन उसकी अपनी अंदरूनी राजनीति में गुटबाजी और एक-दूसरे को कमतर करने की होड़ के चलते वह अपने ही मुद्दों को जनता के सामने ले जाने में सक्षम नहीं दिखाई दे रही। जो आने वाले समय में कांग्रेस के लिए घातक साबित हो सकता है। यहां यह भी बताना जरूरी है कि कांग्रेस के द्वाराहाट विधायक मदन बिष्ट ने भाजपा की अतिक्रमण हटाओ कार्रवाई को जायज ठहराकर मुख्यमंत्री धामी के इस कदम का समर्थन किया है।

खतरे में गर्जिया मंदिर का अस्तित्व!
उत्तराखण्ड में अवैध रूप से बने धार्मिक स्थलों पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के बीच नैनीताल प्रशासन ने रामनगर स्थित उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध गर्जिया मंदिर के पास बनी दुकानों पर भी ध्वस्तीकरण का नोटिस चस्पा कर दिया है। नोटिस चस्पा होने के बाद से रामनगर क्षेत्र के लोग सरकार की कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं। इसके चलते मंदिर परिसर में स्थित 200 से अधिक प्रसाद विक्रेताओं ने अपनी दुकानों को बंद रखकर विरोध जताया। गर्जिया मंदिर परिसर से प्रसाद की दुकानें हटाने का विरोध कर रहे मंदिर के पुजारी दिनेश चंद्र शास्त्री ने बताया कि गर्जिया देवी मंदिर काफी पुराना व प्राचीन है। इसका वर्णन ग्रंथों में भी किया गया है। मंदिर के पास बनी दुकानें ध्वस्त होने के बाद मंदिर का अस्तित्व भी खतरे में आएगा।

प्रदेश में मजार जिहाद, लैंड जिहाद या कोई भी जिहाद नहीं होने दिया जाएगा। कुछ लोग आस्था के नाम पर सरकारी जमीनों को कब्जा रहे हैं। जब हमें इसका पता चला तो जांच कराई गई। जांच में जब यह सामने आया तो उन जमीनों को अतिक्रमण मुक्त कराया जा रहा है। कुछ लोग सोशल मीडिया पर गर्जिया देवी के बारे में भी भ्रम फैला रहे हैं। हम स्पष्ट कर देना चाहते है हमने ऐसे धार्मिक स्थलों पर अभी नोटिस दिए है स्पष्टीकरण आने के बाद ही उन पर कोई कार्रवाई की जाएगी। सबसे पहले ऐसे स्थानों से अतिक्रमण हटाए गए हैं जिन्होंने आस्था के नाम पर सरकारी जमीनों पर कब्जा किया हुआ था। अतिक्रमण हटाओ अभियान सिर्फ जंगलों तक ही नहीं सीमित होगा, बल्कि शहरों में भी ऐसे अतिक्रमणों का सफाया किया जा रहा है। प्रदेश की डेमोग्राफी चेंज करने का मंसूबा पाले अतिक्रमणकारियों के ऐसे षड्यंत्रकारी सपनों को ध्वस्त करके ही दम लिया जाएगा।
पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री, उत्तराखण्ड

 

जांच रिपोर्ट में धार्मिक स्थल
मार्च 2023 को नैनीताल के तत्कालीन जिलाधिकारी धीराज गर्ब्याल की अध्यक्षता में समस्त विभागाध्यक्षों को अवैध अतिक्रमण की जांच करने के निर्देश दिए गए। 28 अप्रैल 2023 को आई जांच रिपोर्ट में वन विभाग की भूमि पर 42 और सामान्य अतिक्रमण की संख्या 30 पाई गई। जनपद नैनीताल के मल्ली ताल में 2, लालकुआं में 6, हल्द्वानी में 5, रामनगर में 2, काठगोदाम में 6, कालाढूंगी में 9 स्थानों पर अतिक्रमण पाया गया। इस जांच रिपोर्ट में धार्मिक स्थलों पर अतिक्रमण के 19 मामले दर्ज हैं। यानी की 19 धर्म स्थल अवैध अतिक्रमण के दायरे में हैं। जिनमें काठगोदाम में वन भूमि पर हनुमान गढ़ी, लालकुआं में वनभूमि पर फलाहारी बाबा, रामनगर में वन विभाग के कोसी रेंज में पूर्व काल से स्थित प्रसिद्ध गर्जिया मंदिर जिसकी 1940 से पूजा-अर्चना होना बताया गया है। इसी तरह रामनगर में ही सीतावनी मंदिर वन विभाग के कोटा रेंज में पाया गया है। यह मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा प्रकाशित होना बताया गया है। रामनगर में ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा संरक्षित होना बताया गया है। रामनगर में ही वन विभाग की कोसी रेंज में 1974 से गुलर सिंह बाल सुंदरी मंदिर स्थित है। रामनगर में ही वन भूमि पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा संरक्षित शिव मंदिर ठिकुली में बना है। यहां वन भूमि पर 1960 से स्थित कालू सिंह मंदिर, वाल्मीकि आश्रम, देवी मंदिर सेम लखलिया मंदिर, हिम्मतपुर डोरियाल का मंदिर, कानिया मंदिर, सिद्ध बाबा मंदिर, सावल्दे देवी मंदिर, ललिता मैया मंदिर ढेला, महादेव मंदिर ढेला, सभी रामनगर में अतिक्रमण पाए गए। इसके अलावा हीरानगर हल्द्वानी में चार बीघा वन भूमि पर 35 साल पहले बना शिव मंदिर तथा 25 वर्ष पूर्व कालाढूंगी में बना निहाल देवी मंदिर भी अतिक्रमण के दायरे में हैं।

अतिक्रमण की जांच रिपोर्ट

मंदिर के साथ ही मस्जिदों को भी अतिक्रमण की सूची में नैनीताल प्रशासन द्वारा जारी की गई है। जिसमें काठगोदाम के साथ ही वनभूलपुरा, ज्वाहर नगर और रामनगर की पूछड़ी मस्जिद शामिल है। जबकि दो चर्च है। जिसमें एक कोतवाली हल्द्वानी में जीतपुर नेगी चर्च तो दूसरी जीवित आशा चर्च लालकुआं में है। दोनों वन भूमि पर पिछले 4 वर्षों से स्थित हैं। जबकि मजारों की अगर बात करे तो सबसे अधिक रामनगर में 10 मजारे 40 से 50 वर्ष पूर्व वन भूमि पर स्थित पाई गई है। इसके अलावा कालाढूंगी में 6, तथा वनभुलपुरा, हीरानगर हल्द्वानी और हल्द्वानी के ही एपीएस स्कूल के पास एक -एक मजार स्थापित होना पाया गया है। इस जांच रिपोर्ट में सरकारी भूमि पर अतिक्रमण सभी मजारों का फोटो सहित विवरण प्रस्तुत किया गया है। जिसमें 26 मजारों का फोटो के साथ पूरा ब्योरा दिया गया है। इस जांच रिपोर्ट पर नैनीताल के वरिष्ठ पुलिस अधिक्षक पंकज भट्ट और तत्कालीन जिलाधिकारी धीराज सिंह, गर्व्याल के हस्ताक्षर मौजूद है।

 

 

 

 

 

बात अपनी-अपनी
उत्तराखण्ड में 23 नदियों का ड्रोन सर्वे करवाया गया है, जिसमें हजारों हेक्टेयर जमीन पर अवैध रूप से कब्जा देखा गया है। सरकार इस जमीन को वापस ले रही है। सीएम धामी ने बार-बार कहा है कि सरकारी जमीन पर कब्जेदार खुद जगह छोड़ दें, इसके लिए उन्होंने पर्याप्त समय भी दिया है। अब यदि लोग कब्जा नहीं छोड़ेंगे तो बलपूर्वक, कानून के तहत कब्जा खाली करवाया जाएगा और कब्जेदारों को जेल, गैंगस्टर, रासुका जैसे कानूनों का सामना करना पड़ेगा। हम पहले मुनादी करवा रहे हैं, नोटिस दे रहे हैं, फिर कब्जा हटा रहे हैं। यदि कोई इस कार्य में बाधा डालेगा तो कानून अपना काम करेगा।
डॉ. पराग धकाते, नोडल अधिकारी

सबको मालूम है कि आज देश में क्या हो रहा है। जो असली मुद्दे थे, बेरोजगारी के, महंगाई के, वे सब दरकिनार किए जा रहे हैं, बस हिंदू-मुस्लिम का खेल खेला जा रहा है। लेकिन जनता सब समझ चुकी है और बहुत परेशान हो चुकी है। किसी समुदाय को इस तरह निशाना नहीं बनाना चाहिए।
फुरकान अहमद, विधायक, पिरान कलियर

भाजपा की सरकारें कानून व्यवस्था, बेरोजगारी, महंगाई सभी मोर्चों पर विफल साबित हुई हैं। चुनाव में किए गए वायदों को पूरा करने में वे असफल हो गए हैं। अब इनके पास लैंड जिहाद, लव जिहाद, मजार जिहाद जैसे हथियार रह गए हैं। सांप्रदायिक दूरियां बनाकर वे लोगों के बीच बने रहना चाहते हैं। इसके अलावा इनके पास कोई मुद्दा नहीं है।
गरिमा दसौनी, प्रवक्ता, कांग्रेस

इसमें कोई शक नहीं है कि कई जगह अवैध मजारें सामने आई हैं। सिर्फ एक चारदीवारी बनाकर लोगों की आस्था और धर्म के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। ये एक तरह की दुकानें हैं जो अंधविश्वास को फैलाने का काम करती हैं। राज्य की सभी पुरानी मज़ारें, कब्रिस्तान, मस्जिद और दरगाह वक्फ बोर्ड के रिकॉर्ड में दर्ज हैं। अगर वक्फ बोर्ड में दर्ज कोई मजार तोड़ने की शिकायत आती है तो हम मुख्यमंत्री से बात करेंगे।
शादाब शम्स, अध्यक्ष, उत्तराखण्ड वक्फ बोर्ड

जिलाधिकारी नैनीताल की अध्यक्षता में रामनगर सहित पूरे जनपद में लोक मार्गों, लोक पार्कों तथा अन्य स्थानों से अतिक्रमण के नाम पर धार्मिक संरचना को ध्वस्त करने, नोटिस दिए जाने, हटाने की कार्रवाई चल रही है जो उत्तराखण्ड
पुनर्स्थापित करने तथा नियमितीकरण नीति 2016 तथा माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा विशेष अनुमति याचिका संख्या सिविल 8519/2006 भारत संघ बनाम गुजरात राज्य तथा अन्य में दिए गए आदेश दिनांक 29 सितंबर 2009 के प्रावधानों का स्पष्ट उल्लंघन है। अतिक्रमण के नाम पर जिन धार्मिक संरचनाओं को ध्वस्त किया गया है या नोटिस दिए गए हैं उन धार्मिक संरचनाओं में लोगों की अगाध श्रद्धा है तथा उन धार्मिक संरचनाओं के कारण आवागमन में न तो अवरोध उत्पन्न हो रहा था या है, न ही राजकीय कार्यों के संचालन में असुविधा हो रही थी ना है या भविष्य में उत्पन्न होने की संभावना भी नहीं है, ये धार्मिक संरचनाएं विशेष अनुमति याचिका सिविल संख्या 8519/2006 भारत संघ बनाम गुजरात राज्य व अन्य में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित आदेश दिनांक 29-09-2009 से पहले निर्मित हैं। इसलिए उन सभी को पुनर्स्थापित करते हुए नियमितीकरण किया जाना चाहिए।
प्रभात ध्यानी, प्रधान महासचिव, उत्तराखण्ड परिवर्तन पार्टी

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