- संतोष सिंह
देवभूमि में इन दिनों अतिवृष्टि के चलते आपदा कहर बरपा रही है जिसमें कई लोगों की मौत हो गई है। पहाड़ की लाइफ लाइन कही जाने वाली सड़कें बंद पड़ी हैं। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित चमोली जिला हुआ है। यहां दर्जनों गांवों का संपर्क टूट गया है। राष्ट्रीय राजमार्गों के धंसाव होने से विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा तक रोक दी गई है। प्रशासनिक स्तर पर प्रभावितों को राहत शिविरों में रखा गया है। लेकिन कई गांव ऐसे हैं जहां सरकारी इमदाद नाकाफी साबित हो रही है

चमोली जिले में भारी बारिश एवं भूस्खलन ने हर तरफ तबाही मचाई है जिससे दर्जनों लोग बेघर हो गए हैं। आपदा पीड़ित राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं। बादल फटने एवं अतिवृष्टि से हजारों नाली कृषि भूमि खत्म हो गई है। कई गांवों का संपर्क जिला मुख्यालय से पूरी तरह से कट गया है। दर्जनों गांवों की सड़कें बंद होने के बाद वहां सैकड़ों वाहन अब भी फंसे हुए हैं, जिससे लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है। सड़कें बंद होने से क्षेत्र में खाद्यान्न संकट पैदा हो गया है। वहीं बदरीनाथ नेशनल हाईवे जगह-जगह धंसने से चारधाम यात्रा पर फिलहाल रोक लगा रखी है।
देखा जाए तो जिले के नगर पंचायत पीपलकोटी एवं बंड क्षेत्र में आपदा से सबसे अधिक नुकसान हुआ है। आपदा ने लोगों को इतने गहरे घाव दिए हैं कि उन्हें भरने में वर्षों लग जाएंगे। जबकि सरकारी स्तर पर राहत बचाव कार्य में तेजी लाई गई है, हालांकि आपदा से प्रभावित कई गांव ऐसे भी हैं जहां प्रशासन का एक भी कर्मचारी एवं जनप्रतिनिधि नहीं पहुंच पाया है। जिससे आपदा पीड़ितों में आक्रोश बना हुआ है। पिछले 13 अगस्त की रात्रि को पहाड़ी जिलों के साथ ही चमोली जिले में हुई मूसलाधार बारिश ने ऐसा कहर बरपाया कि सैकड़ों लोगों को प्रभावित कर दिया है। लोगों ने अंधेरे में अपनी जान बचाई तो कुछ जगहों पर लोगों ने रात्रि जागरण कर बिताई। दर्जनों परिवार अपने आशियाने छोड़कर दूसरों के घरों में, सरकारी भवनों में और राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं।
दशोली ब्लॉक के नगर पंचायत पीपलकोटी एवं बंड क्षेत्र में तबाही का आलम यह है कि नगर पंचायत पीपलकोटी कार्यालय के साथ ही पांच से अधिक वाहन मलबे में दब गए। जिससे पंचायत को लाखों का नुकसान हुआ है। नगर पंचायत कार्यालय

के पास में सफाई कर्मी राजू व रिंपल दोनों भाईयों का मकान के साथ घर का सारा सामान बह गया है। जिससे उनका पूरा परिवार बेघर हो गया है। राजू ने बताया कि नवम्बर में उनके लड़के की शादी होनी थी, उन्होंने किसी तरह एक लाख तक के जेवर शादी के लिए बनाए थे वो सब भी बह गए हैं। अब दोनों भाईयों का परिवार राहत शिविरों में शरण लिए हुए है।
नौरख सोनधारी तोक के 6 परिवार देवेन्द्र कुमार, विजेन्द्र कुमार, सुरेन्द्र कुमार, जगदीश लाल, पुष्कर लाल, सोहित राणा के घरों के ऊपर से भूस्खलन और घर के नीचे से भू-धंसाव होने से सभी परिवारों के घर खतरे की जद में आ गए हैं। सभी परिवारों रतजगा कर रहे हैं। इस परिवार ने रात एक जगह पर बच्चों को गोद में लेकर काटी। बेघर हुए सभी परिवार फिलहाल राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं। नगर पंचायत पीपलकोटी के अगथला वार्ड में बरसाती गदेरे में मलवा आने से जोतसिंह की मौत हो गई। पंचायत के मायापुर वार्ड में बादल फटने से अनसूया भट्ट, बच्ची राम गैरोला और भगवती प्रसाद सती के घरों में मलवा भरने से मकान को भारी नुकसान हुआ है। सभी परिवारों ने रात्रि में भागकर जान बचाई, उनकी सैकड़ों नाली भूमि भी तबाह हो गई है। भूधंसाव होने से आधे दर्जन से अधिक घर खतरे की जद में आ गए हैं।
नगर पंचायत पीपलकोटी के गडोरा घटगाड गदेरे में भारी मलवा आने से किरूली मोटर मार्ग 50 मीटर से अधिक बह गया है। बाढ़ से मां भगवती का मंदिर खतरे में आ गया है जबकि जयंती प्रसाद मटियाला का रोजगार का एक मात्र साधन घराट भी बह गया है। भू-धंसाव से गडोरा गांव का भविष्य भी खतरे में है। प्रशासन द्वारा प्रभावित गडोर गांव की एक सप्ताह बाद भी सुध न लेने पर ग्रामीणों ने बदरीनाथ हाईवे लगभग दो घंटे जाम किया। इसके बाद तहसीलदार धीरज राणा के आश्वासन के बाद ग्रामीण माने और तब प्रशासन ने गांव में खाद्यान्न सामग्री बांटी। किरूली गांव में भी भूस्खलन होने से प्रकाश सिंह, ताजवर सिंह, रोशन सिंह सहित आधे दर्जन परिवारों के घर खतरे में पड़ गए हैं। सभी दूसरों के घरों में शरण लिए हुए हैं। किरूली-लुंहा मोटर मार्ग पर 20 से अधिक निजी व व्यवसायिक वाहन फंसे हुए हैं, जिससे लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है। पीपलकोटी से जुड़े तीन ग्राम पंचायत मठ झडेता, बेमरू व स्यूंण गांवों को जोड़ने वाली लाइफ लाइन मठ के पास छाम गदेरे में 20 मीटर बहने से क्षेत्र के गांवों का संपर्क नेशनल हाईवे और जिला मुख्यालय से कट गया है। क्षेत्र में 15 से अधिक निजी व व्यवसायिक वाहन फंसे हुए हैं जिससे क्षेत्र के लोगों का मुख्य दुग्ध व्यवसाय पर भी इसका प्रभाव पड़ा है। सड़क मार्ग बंद होने से क्षेत्र से प्रतिदिन 200 लीटर दूध पीपलकोटी डेयरी व बाजार पहुंचता था वो सब एक सप्ताह से बंद है। वहीं क्षेत्र में भारी बारिश से सैकड़ों नाली कृषि भूमि तबाह हो गई है। क्षेत्र का दूरस्थ गांव स्यूंण में पैदल मार्ग भी बंद होने से खाद्यान्न संकट गहरा गया है।

सामाजिक कार्यकर्ता अरुण राणा ने प्रशासन से पैदल मार्ग जल्द से जल्द खोलने की मांग की है। ग्राम प्रधान मठ-झडेता संजय राणा ने बताया कि मठ छाम गदेरे तक मोटर मार्ग खोल दिया गया है। जल्द ही गदेरे में क्रेटवाल लगाने के लिए विभाग से कहा गया है। उन्होंने कहा कि एक सप्ताह में मोटर मार्ग पूरी तरह खुल जाएगा। जोशीमठ विकासखंड के पगनो गांव के ऊपर से भारी भूधंसाव होने से गांव खतरे में आ गया है, प्रशासन ने एहतियातन दर्जन भर परिवारों को विद्यालय व अन्य सुरक्षित स्थानों पर ठहराया है। जोशीमठ ब्लॉक का सबसे बड़ा क्षेत्र तीर्थाटन व पर्यटन के लिए प्रसिद्ध और पंचकेदार कल्पेश्वर मंदिर की भूमि उर्गमघाटी में भी भारी नुकसान हुआ है। सड़क दो सप्ताह से बंद पड़ी हुई है। लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए जान जोखिम में डालकर आवाजाही कर रहे हैं। इस क्षेत्र में 20 से अधिक वाहन भी फंसे हुए हैं। शासन-प्रशासन की उदासीनता के चलते लोगों में नाराजगी है, मोटर मार्ग बंद होने से दो दर्जन गांवों के लोग गांव में कैद हो गए हैं।
स्थानीय लोगों व जनप्रतिनिधियों का कहना है कि जल्द ही सड़क नहीं खोली गई तो लोगों को आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ेगा। जिले में हुई अतिवृष्टि से जिला मुख्यालय से 20 किमी दूरी पर स्थित कोंजपोथनी क्षेत्र में भारी नुकसान हुआ है। क्षेत्र पंचायत सदस्य ममता कठैत ने बताया कि बादल फटने से दर्जनों घरों में मलवा भर गया है। वहीं दो गौशालाओं में आधा दर्जन मवेशियां जिंदा दफन हो गए हैं। सैकड़ों नाली कृषि भूमि बर्बाद हो गई है। दर्जनों वाहन फंसे हुए हैं। लोग अपने घरों को छोड़कर विद्यालय व अन्य घरों में शरण लिए हुए हैं। नंदानगर घाट क्षेत्र में भी बाढ़ आने से दर्जनभर घरों में मलबा भर गया है। वहीं नारायणबगड़-थराली-देवाल ब्लॉक में भी भारी बारिश होने से कुछ पुल बह गए हैं और क्षेत्र में भारी नुकसान हुआ है। देवाल में लोहजंग-वाण सड़क बंद होने से ग्रामीणों ने जान जोखिम में डालकर बमुश्किल गर्भवती किरण देवी को अस्पताल पहुंचाया।

खतरनाक गदेरा पार करने को मजबूर
भारी आपदा में बदरीनाथ हाईवे दर्जनों जगह बंद हो गया था, कई जगहों पर तो अत्यधिक जख्मी हो गया है जिससे विभिन्न पड़ावों पर सैकड़ों तीर्थयात्री फंसे हुए थे। प्रशासन व एनएच द्वारा युद्धस्तर पर कार्य कर दो दिन बाद हाईवे सुचारू कर सभी तीर्थयात्रियों को सुरक्षित निकाला गया। वहीं भारी बारिश एवं असुरक्षित हाईवे को देखते हुए चारधाम यात्रा पर रोक लगा दी गई है। प्रशासन द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग के साथ ग्रामीण सड़कों को खोलने का कार्य किया जा रहा है। इसके बावजूद अब भी 45 ग्रामीण सड़कें बंद पड़ी हुई हैं। जिससे इन क्षेत्रों में सैकड़ों वाहन फंसे हुए हैं। जिससे लोगों का रोजगार प्रभावित हो गया है।