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असहायों का सहारा बनी उत्तराखण्ड की मित्र पुलिस

दुनियाभर में कोराना मानवीय त्रासदी लेकर आया है। ऐसी त्रासदी जो सबको प्रभावित कर रही है। भारत की गरीब और कामगार आबादी के लिए तो बहुत ही बड़ी चुनौतीपूर्ण है। कोरोना की चपेट में अब तक 50 लाख से ज्यादा लोग कोरोना संक्रमित हैं। भारत में भी कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। भारत लॉकडाउन के चौथे चरण में है। देश में डॉक्टर, पुलिसकर्मी से लेकर सफाई कर्मी तक लोगों की जान बचाने के लिए खुद को जोखिम में डाल रहे हैं, वहीं कुछ पुलिसकर्मी अपनी ड्यूटी के साथ ही एक कदम आगे आकर लोगों की मदद कर रहे हैं।


कोरोना वायरस के संक्रमण ने पुलिस की एक नई छवि पेश की है। अपनी मूल भूमिका कानून व्यवस्था संभालने के अलावा पुलिस कोरोनकाल में सामाजिक दायित्वों से भी पीछे नहीं है। लम्बे समय से चल रहे लॉकडाउन के चलते आजीविका का साधन न होने के कारण हल्द्वानी के लालडांठ, चम्बल पुल, तिकोनिया, धोबीघाट और हीरानगर के कई असहाय परिवारों के सामने आजीविका का संकट पैदा हो गया था। ऐसे में आरटीओ चौकी इंचार्ज निर्मल लटवाल इन असहाय लोगों की मदद के लिए देवदूत बनकर आए। कोरोनकाल में निर्मल लटवाल अपने पुलिस दायित्व के अलावा सामाजिक दायित्वों से भी पीछे नहीं रहे हैं। जरूरतमंदों की सहायता के साथ अपनी ड्यूटी भी बखूबी निभा रहे हैं। ऐसे पुलिसकर्मी अपने कार्यों से जनता के बीच पुलिस की परंपरागत छवि को तोड़ने के साथ ही मित्र पुलिस की सच्ची छवि भी पेश कर रहे हैं।

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