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Uttarakhand

हल्द्वानी के पूर्व नगरपालिका उपाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह ने कराया गरीबों को भोजन

हल्द्वानी के पूर्व नगरपालिका उपाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह ने कराया गरीबों को भोजन

कोरोना वायरस के वजह से पूरे देश में पिछले 2 हफ्ते से लॉकडाउन है। अभी तक देश में कुल 4421 मरीज सामने आए हैं। पिछले 24 घंटे में कुल 354 नए केस आए हैं। तो वहीं अभी तक 326 लोगों को इलाज के बाद डिस्चार्ज किया गया है। वहीं उत्तराखंड में अब तक कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या 31 हो गई है। अब तक पांच पॉजिटिव मरीजों को इलाज करके घर भेज दिया गया है। इसी बीच देश के हर कोने से लोग गरीबों और दिहाड़ी मजदूरों को खाना और जरूरत का सामान दे रहे हैं। कोरोना संकट से निपटने के लिए हुए लॉकडाउन ने दिहाड़ी मजदूरों, रेहड़ी दुकानदारों की रोजी रोटी छिन ली है। उनके सामने उत्पन्न भोजन की समस्या के समाधान के लिए कई लोग आगे आए हैं।

इसी क्रम में हल्द्वानी के पूर्व नगरपालिका उपाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह बिष्ट उर्फ़ हरजी भैया पिछले 10 दिनों से प्रतिदिन 500 लोगों को खाना खिला रहे हैं। वह प्रतिदिन सुबह 10 बजे से 1 बजे तक हल्द्वानी के उत्थान मंच में वार्ड नंबर 17 में गरीब लोगों को भरपेट खाना खिला रहे हैं। ये सेवा वो बिना सरकार के सहयोग से कर रहे हैं। इस सेवा कार्य को कर रहे राजेन्द्र सिंह बिष्ट का कहना है कि मैं अपने दोस्तों और परिवार के साथ 14 अप्रैल तक प्रतिदिन गरीब लोगों को खाना खिलाऊंगा। उन्होंने आगे कहा कि अगर ये लॉकडाउन आगे बढ़ता है तो आगे भी हम भोजन खिलाते रहेंगे।

कोई भूखा न रहे

यहां पर सोशल डिस्टेंसिंग का भी पूरा ख्याल रखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस महामारी का हमें मिलकर मुकाबला करना चाहिए। अगर यहां खाना बच जाता है तो उसे हम घर घर देकर आते हैं। उन्होंने सोशल डिस्टेंसिंग को बचाव का अहम रास्ता बताया। उन्होंने जो लोग समर्थ हैं उनसे लोगों की मदद करने का आग्रह भी किया। इस कार्य में मुख्य रूप से उनकी माता श्रीमती शोभा बिष्ट, उनके मित्र दिव्या रावत, जितेंद्र दिगारी, प्रकाश पाठक बॉबी, आर्य नवल पांडये, सुरेन्द्र बिष्ट, वीरेन्द्र सिंह बिष्ट लोग शामिल हैं।

लॉकडाउन के चलते दवा, दूध, किराना, सब्जी, पशु चारा के अलावा अन्य सभी तरह की दुकानें पूरी तरह बंद हैं। इससे खास तौर से उस वर्ग के लिए पेट भरने का संकट आ गया है, जो रोज दिहाड़ी मजदूरी करते हैं। रिक्शा-ठेला चालक, चाय-पान के छोटे दुकानदार, फेरी करने, फुटपाथ और रेहड़ी पर दुकान लगाने वाले हजारों परिवारों के समक्ष आमदनी का कोई जरिया न होने से घर में चूल्हा जल पाना मुश्किल हो गया है। जिसके चलते यह सेवा सराहनीय है। कोई भूखा न रहे इस उक्ति को भी चरितार्थ करती है।

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