मोली जिले में एवलांच के बाद ऋषिगंगा और फिर धौलीगंगा पर बने हाइड्रो प्रोजेक्ट का बांध टूटने से गंगा और उसकी सहायक नदियों में बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है। इसे देखते हुए प्रशासन ने चमोली से लेकर हरिद्वार तक हाईअलर्ट जारी कर दिया है। जब यह हादसा हुआ तब दोनों प्रोजेक्ट पर काफी संख्या में मजदूर काम कर रहे थे। कई मजदूरों के बहने की आशंका बताई गई हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पूरे धटनाक्रम पर नजर रखें हुए है।
मिली जानकारी के अनुसार रविवार सुबह एवलांच के बाद चमोली जिले के अंर्तगत ऋषिगंगा नदी पर रैणी गांव में निर्माणाधीन 24 मेगावाट के हाइड्रो प्रोजेक्ट का बैराज टूट गया। इसके बाद मलबे और पानी का तेज बहाव धौलीगंगा की ओर बढ़ा। नतीजतन रैणी से करीब 10 किमी दूर तपोवन में धौलीगंगा नदी पर निर्माणाधीन 520 मेगावाट की विद्युत परियोजना का बैराज भी टूट गया।
त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि अलकनंदा के पास के इलाकों से लोगों को निकाला जा रहा है। एहतियात के तौर पर भागीरथी नदी के प्रवाह को रोक दिया गया है। अलकनंदा के पानी के प्रवाह को रोकने के लिए श्रीनगर बांध और ऋषिकेश बांध को खाली कर दिया गया है। एसडीआरएफ अलर्ट पर है। मैं मौके के लिए जा रहा हूँ
#WATCH | Water level in Dhauliganga river rises suddenly following avalanche near a power project at Raini village in Tapovan area of Chamoli district. #Uttarakhand pic.twitter.com/syiokujhns
— ANI (@ANI) February 7, 2021
चमोली जनपद में ऋषिगंगा नदी पर बन रहे हाइड्रो प्रोजेक्ट का बांध टूट गया है। इसमें कई मजदूरों के बहने की आशंका है। यहां 24 मेगावाट का प्रोजेक्ट निर्माणाधीन था। बताया जा रहा है हिमखंड टूटने के बाद नदी में बाढ जैसे हालात पैदा हो गए हैं। चमोली जिले में एवलांच के बाद ऋषिगंगा और फिर धौलीगंगा पर बने हाइड्रो प्रोजेक्ट का बांध टूटने से गंगा और उसकी सहायक नदियों में बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है। इसे देखते हुए राज्य में चमोली से लेकर हरिद्वार तक अलर्ट जारी कर दिया है। जब यह हादसा हुआ, तब दोनों प्रोजेक्ट पर काफी संख्या में मजदूर कार्य कर रहे थे। मजदूरों के बहने की सूचना है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत लगातार इस घटनाक्रम पर निगरानी रखे हुए हैं।
तपोवन क्षेत्र में एक ग्लेशियर के टूटने से ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट क्षतिग्रस्त हो गया है। अलकनंदा नदी के किनारे रहने वाले लोगों को सलाह दी जाती है कि वे जल्द से जल्द सुरक्षित स्थानों पर चले जाएं
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी रिद्धम अग्रवाल के मुताबिक सुबह पहाड़ से भारी मलबा, हिमखंड टूटकर आने से इन हाइड्रो प्रोजेक्ट के बैराज क्षतिग्रस्त हुए। उन्होंने बताया कि बाढ़ के खतरे को देखते हुए तपोवन से लेकर हरिद्वार तक के सभी जिलों में अलर्ट जारी करने के साथ ही गंगा और उसकी सहायक नदियों के किनारे के रास्ते बंद कर दिए गए हैं। गंगा के किनारे के सभी कैंपों को खाली कराया जा रहा है।
कैंपों की संख्या 600 के लगभग है। साथ ही गंगा व उसकी सहायक जिन नदियों में बाढ़ का खतरा है, वहां आसपास की बस्तियों को खाली करा दिया गया है। स्थिति पर निरंतर नजर रखी जा रही है। उन्होंने बताया कि हादसे में काफी संख्या में मजदूरों के बहने की सूचना है।