[gtranslate]
Uttarakhand

महीनों तक दबी रहती है मुख्यमंत्री द्वारा अनुमोदित फाइलें

महीनों तक दबी रहती है मुख्यमंत्री द्वारा अनुमोदित फाइलें

त्रिवेंद्र सरकार के साढ़े तीन साल के कार्यकाल में आरोप लगते रहे हैं कि सरकार नौकरशाही के पेंच कसने में कमजोर रही है। खास तौर पर सचिवालय में सरकारी फाइलों को अधिकारियों द्वारा जानबूझकर दबा दिया जाता है। हालांकि सरकार द्वारा फाइलों को इस तरह से विभागों में दबाए जाने पर कई बार नियम भी बनाए, लेकिन अधिकारी हैं कि सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। हाल ही में एक दिलचस्प मामला सामने आया है जिसमें मुख्यमंत्री के अपने ही विभाग लोक निर्माण अनुभाग में 14 महीनों तक फाइल दबाकर रखी गई, जबकि इस फाइल में स्वयं मुख्यमंत्री ने ही अनुमोदन किया था। हालांकि इस मामले में कार्यवाही भी अपने आप में पहली बार देखने में आई है। अनुभाग के समस्त स्टाफ को ही बदल दिया गया है।

अपर मुख्य सचिव द्वारा सचिवालय में लोक निर्माण अनुभाग-1 के समस्त स्टाफ को बदलने का आदेश जारी किया गया है। जिस पर पूरे स्टाफ को बदल कर नए स्टाफ की तैनाती कर दी गई है। प्रदेश के इतिहास में यह पहली बार देखने में आया है कि किसी अनुभाग के समस्त स्टाफ को ही बदला गया हो। पूर्व में इस तरह की कार्यवाहियां होती रही हैं, लेकिन कुछ अधिकारियों का तबादला जरूर देखने में आया है लेकिन इस तरह की कार्यवाही पहली बार देखने में आई है। दरअसल, यह मामला बड़ा ही दिलचस्प और हैरान करने वाला है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जुलाई 2019 में लोक निर्माण विभाग के दो इंजीनियरों के खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणी कर अपना अनुमोदन किया था। मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा उसी दिन लोक निर्माण अनुभाग फाइल भेज दी गई थी।

मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद दोनों इंजीनियरों पर विभागीय स्तर के कार्यवाही होनी थी, लेकिन अनुभाग अधिकारी के उक्त फाइल को दबा दिया और 14 महीने बाद इस फाइल को प्रस्तुत किया यानी मुख्यमंत्री द्वारा अनुमोदित की गई फाइल को अनुभाग अधिकारी ने 14 महीनों तक प्रस्तुत ही नहीं किया गया। इससे साफ है कि इन 14 महीने के काल खण्ड में कोई कार्यवाही तक अमल में नहीं लाई जा सकी। सचिवालय में मुख्यमंत्री द्वारा अनुमोदित फाइल को एक सप्ताह के भीतर ही प्रस्तुत करने का नियम लागू है, लेकिन यहां इस नियम का पालन नहीं किया गया। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत लोक निर्माण के विभागीय मंत्री हैं बावजूद इसके मुख्यमंत्री द्वारा अनुमोदित फाइल को न सिर्फ दबाया गया, यहां तक कि 14 महीनों तक इस फाइल को कार्यवाही के लिए प्रस्तुत ही नहीं किया गया। यह अपने आप में ही बहुत गंभीर मामला बन जाता है।

जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के सामने यह मामला आया तो वे भी हैरान हो गए और इससे संबंधित अधिकारियों पर कड़ी कार्यवाही करने का आादेश दिया। इस पर लोक निर्माण सचिव आरके सुधांशु ने अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखा और अपर मुख्य सचिव ने लेाक निर्माण विभाग के अनुभाग-1 के समस्त स्टाफ को एक साथ हटाकर नए स्टाफ की तैनाती कर दी। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री आने वाले दिनों में कई अन्य अनुभागों पर भी इस तरह की कार्यवाही कर सकते हैं। जल्दी ही कई अनुभागों में एक साथ तबादले देखे जा सकते हैं। जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री ने अपर मुख्य सचिव को कई अन्य अनुभागों में भी कार्यवाही करने का आदेश दे दिया है जिन पर शिकायतें मिलती रही हैं। कई ऐसे अनुभाग बताए जा रहे हैं जिन पर फाइलों को लटकाने और समय पर उनको प्रस्तुत न करने के आरोप लग चुके हैं। यह भी जानकारी छन कर आ रही है कि मुख्यमंत्री अपने विभागों में सबसे पहले कार्यवाही करने का मन बना चुके हैं और इसके लिए जरूरी आदेश भी दे चुके हैं।

इस पूरे मामले को देखने से यह तो साफ हो गया है कि सचिवालय में बाबू संस्कृति और फाइलों को दबाने की परिपाटी इस कदर मजबूत हो चुकी है कि मुख्यमंत्री तक इसकी जद में आ चुके हैं। इसमें यह भी गौर करने वाली बात यह है कि मुख्यमंत्री के लोक निर्माण विभाग के विभागीय मंत्री है और नए मुख्य सचिव ओम प्रकाश लोक निर्माण विभाग के लंबे समय तक प्रमुख सचिव रहे हैं। यहां तक कि अपर मुख्य सचिव बनने के बाद भी लोक निर्माण विभाग उनके ही आधीन रही है। ओम प्रकाश मुख्यमंत्री के सबसे चहेते अधिकारियों में शामिल रहे हैं जिसका असर रहा है कि मुख्यमंत्री के विभागों में ओम प्रकाश का ही बोलबाला रहा है। चाहे वह खनन हो या लोक निर्माण विभाग। दोनों ही विभागों को उन्होंने बखूबी संभाला है। इन सबके बावजूद लोक निर्माण विभाग के अनुभाग के अधिकारियों में इतनी ताकत पैदा हो गई कि वे मुख्यमंत्री के अनुमोदन की फाइल को 14 महीनों तक दबाकर रख सके। यह बात जरूर आश्चर्य में डालने वाली लगती है। बहरहाल लोक निर्माण विभाग के अनुभाग एक में जिस तरह से पहली बार इतनी बड़ी कार्यवाही देखने को मिली है वह राज्य के इतिहास में पहले नहीं देखने को मिली। हो सकता है कि इस कार्यवाही से सचिवालय में फाइलांे को दबाए रखने की परिपाटी पर बड़ा विराम लग जाए और नई कार्य संस्कृति देखने को मिले।

You may also like

MERA DDDD DDD DD